कहानी का भाग 3
विष्णु और शंकर लज्जित चेहरे के साथ अपने मकान मालिक गोपाल राम के सामने खड़े थे, क्योंकि वह इन्हें इसी वक्त यहां से भाग जाने के लिए कह रहा था।
राधा देवी बेहद प्यार से,"""तुम दोनों कमरे में जाओ कोई बात नहीं जब नौकरी मिल जाए तब किराया दे देना"',
गोपालराम ,"तुम चुप रहो तुम्हारी वजह से यह किराया नहीं दे रहे हैं वरना मैं तो पहले ही महीने में किराया निकलवा लेता,''
राधा देवी उन्हें समझाते हुए ,,,,अरे दोनों अभी बेरोजगार हैं नौकरी ढूंढ रहे हैं जैसे ही नौकरी मिलेगी, किराया दे देंगे, आदमी का वक्त हमेशा बुरा नहीं होता है इनका भी अच्छा वक्त आएगा,,'',
शंकर यह बात सुनकर चेहरे पर थोड़ी सी खुशी लाया था,,'हां अंकल जी जैसे ही अच्छा वक्त आएगा सबसे पहले आप ही को मिठाई खिलाऊंगा",,
गोपाल राम ,,"'अरे छोड़ो तुम मिठाई की बात ,,तुम बस मेरा किराया दे दो वही काफी है,"'
विष्णु," हम पूरी कोशिश कर रहे हैं अंकल जी, सुबह के नौकरी ढूंढने निकले हैं अब घर आ रहे हैं, अब इतनी मेहनत कर रहे हैं तो कभी ना कभी तो किस्मत हमारा साथ देगी,,''
राधा देवी ,"ठीक है जाओ तुम दोनों और कुछ खा पीकर आराम करो, देखो कैसे मुंह सूख गया है तुम दोनों का,, दिनभर कुछ खाया पिया भी या नहीं,,,"''
गोपाल राम ,''हां हां अब इनकी जेब में पैसे भी डाल दो दिन भर खाने पीने के लिए, चलो अब यहां से ज्यादा सिर चढ़ाने की जरूरत नहीं है,,,,
"'और हां तुम दोनों जितनी जल्दी हो सके मेरा किराए की व्यवस्था कर लेना,"", और तेजी से अपने घर की तरफ बढ़ गए थे।
राधा देवी ,,अब अपने पति की बात सुनकर उनके पीछे निकल गई थी,,।
विष्णु और शंकर ने राहत की सांस ली थी और इन दोनों को जाते हुए देखते हैं।
विष्णु ढीली आवाज में,,''चल भाई दरवाजा खोल पूरा दिमाग खराब हो गया है'',
शंकर ताला खोलते हुए ,,"'आज तो आंटी जी ने बचा लिया वरना इतनी रात को कहां जाते हम दोनों"",,
विष्णु हंसते हुए ,,""जंगल में जाना पड़ता, आज चुड़ैल के साथ ही रात बितानी पड़ती",
शंकर ,,"चुप कर यार क्यों चुड़ैल का नाम ले रहा है "',
,और फिर यह दोनों कमरे में आकर अपनी अपनी चारपाई पर निढाल होकर लेट गए थे,, अपने दिन भर की थकान अब यह उतार रहे थे.
और तभी दरवाजे पर गोपाल राम का पोता राजू आ गया था,,
राजू ,,'आ गए भैया'',,
शंकर ,,"हां आ गए क्या कुछ काम है",,
राजू ,""नहीं काम तो कुछ नहीं है,, पर टीवी पर खबर आ रही थी कि जंगल में चुड़ैल जाग गईं है, तो मुझे आज आप दोनों से चुड़ैल की कहानी ही सुननी है,'''
शंकर यह बात सुनते ही उठ कर बैठ गया था ,"'क्या कह रहे हो टीवी में खबर आ रही है चुड़ैल की,, क्या उसकी फोटो भी दिखाई जा रही है""
,
राजू ,,'नहीं भैया फोटो तो नहीं दिखाई जा रही बस डरावनी वीडियो चला रखी है, टीवी वालों ने सुबह से ही,, चलो अब मुझे कहानी सुनाओ,'''
विष्णु ,,"आज मूड ठीक नहीं है राजू तुम जाओ और टीवी में उस चुड़ैल को ही सुन लो"",,,
राजू ,,'आप भी बस भैया रोज ऐसे ही बात टाल देते हो अच्छा ठीक है"", और फिर वह वहां से चला गया था,,,
शंकर,,' मैं हाथ मुंह धोकर आता हूं फिर खाना तैयार करता हूं,',,,
विष्णु ,,"ठीक है और फिर उसने अपनी आंखें बंद कर ली थी शायद उसका दिमाग सब कुछ सोचने लगा था।
दो मिनट बाद शंकर हाथ मुंह धो कर कमरे में आ गया था और विष्णु को सोच में डूबा हुआ देखकर
''क्या हुआ किस सोच में डूब गए हो, नौकरी तो हमें मिलने वाली नहीं है,, मैं तो सोच रहा हूं कि यहां से चुपचाप निकल लेना ही ठीक है,''''
विष्णु अब उठ कर बैठ गया था ,"क्या कह रहे हो यार ,तुम धोखा देकर यहां से भागना चाहते हो जबकि गलती हमारी ही है ,हम अभी तक किराया नहीं भर पाए वह तो राधा आंटी जी हमें बचा रही है वरना अभी तक तो हम रोड पर होते और ऐसे लोगों को धोखा देकर जाना ठीक नहीं है,'',,
शंकर सब्जी काटते हुए,"" तो फिर अब किराए का बंदोबस्त कहां से करेंगे दो-चार दिन के बाद अंकल जी फिर सर पर आकर खड़े हो जाएंगे",
विष्णु अब कुछ सोचता है और अपनी जेब से अपना फोन निकाल लेता है ,'मैं सोच रहा हूं कि अपना यह फोन बेच दूं,'",
शंकर,"" तेरे इस फोन पर कोई 2000 भी नहीं देगा",
विष्णु चेहरे पर बेहद दुख के भाव लाते हुए ,"अरे यार जितने भी मिलेंगे गोपाल अंकल जी को दे देंगे कम से कम उन्हें हम पर थोड़ा विश्वास तो रहेगा,,, यार वैसे भी तेरे पास भी फोन है हम दोनों एक फोन से काम चला लेंगे,""""
शंकर ,,बात तो तेरी ठीक है यार पर तेरे घर वालों को पता लगेगा तो"",,
विष्णु आवाज में दुख का भाव लाते हुए ,,"बोल दूंगा कि फोन गिर गया'',,,
शंकर ,,"इतनी दूर हम इतने बड़े शहर में नौकरी ढूंढने आ तो गए, पर अब वापस गांव जाने की हिम्मत नहीं है, मां-बाप के सामने बेरोजगार बैठे रहने में ज्यादा दुख होता है ,,कम से कम यहां हम उनकी नजरों से तो दूर है,"'''
विष्णु,," चल छोड़ यार अब इन बातों को मेरा तो सिर दर्द होने लगा है,,, अच्छा मैं हाथ मुंह धोकर आता हूं फिर तेरी मदद करता हूं "',,और फिर वह कमरे से बाहर निकल गया था,।
कुछ देर बाद यह दोनों खाना खाने बैठे थे और तभी दरवाजे पर एक सुरीली आवाज आ गई थी।
विष्णु ,,""अरे मेनका आओ अंदर आओ"",,
शंकर ,""आओ मेनका तुम भी खाना खाओ हमारे साथ",,
मेनका जो अपने हाथ में कटोरा लेकर आई हुई थी ,"मैं खाना खाने नहीं आई बल्किं तुम दोनों के लिए गाजर का हलवा लेकर आई हूं ,,मां जी ने भेजा है,,"
विष्णु ,""अरे वाह लाओ जल्दी से दो बिल्कुल सही समय पर आई हो,,"",,
मेनका उन्हें कटोरा पकड़ाते हुए, ""नौकरी मिली या नहीं",,,,
शंकर ,,"अरे नौकरी मिल गई होती तो तुम्हें अभी तक मिठाई खिला चुके होते ,,आज का दिन भी बेकार गया और अब तुम बेवजह नौकरी की बात करके दिमाग खराब मत करो,,"""
मेनका ,,,''तुम दोनों का कुछ नहीं होने वाला है"",, और एक तरफ चारपाई पर बैठ जाती है, फिर उनके चेहरे को देखने लगती है।
विष्णु गाजर का हलवा खाते हुए ,""बहुत शानदार बनाया है आज किस खुशी में बनाया हलवा"",,
मेनका मजाक करते हुवे "" अरे यार वह जंगल वाली चुड़ैल जाग गई है ना इसी खुशी में बनाया है,"",,,
विष्णु और शंकर फिर से उस चुड़ैल का नाम आने से अपने खाना खाते हाथ रोक चुके थे।।
क्रमशः
क्या वाकई में जंगल में कोई चुड़ैल है जानने के लिए बने रहे बेहद हैरान कर देने वाली इस हॉरर स्टोरी के साथ