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सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक श्लोक

वेदों और उपनिषदों के सर्वश्रेष्ठ
प्रेरणादायक श्लोक:

(१)ऋग्वेद का श्लोक
पुमान पुमांसं परिपातु विश्वतः।
स्रोतः ऋग्वेद 6.75.14

लिप्यंतरण
पुमान पुमानसं परिपातु विश्वत:।

हिन्दी अनुवाद:
मनुष्य की सभी प्रकार से रक्षा करे।
मनुष्य हर तरफ से दूसरे की रक्षा करे।

(२) उपनिषद का संस्कृत श्लोक
असतो मा सदगमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्माऽमृतं गमय ॥
स्रोत : बृहदारण्यक 1.3.28

लिप्यंतरण
असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥

हिन्दी अनुवाद:
मुझे असत् से सत्, अंधकार से प्रकाश, मृत्यु से अमृत की ओर ले आओ।
मुझे असत्य से वास्तविक की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलता है।

(३) उपनिषद का संस्कृत श्लोक
धर्मं चर। धर्मान्न प्रमदितव्यम्।
स्रोत : तैत्तिरीय उपनिषद
लिप्यंतरण
धर्मं चर। धर्मन्ना प्रमदितव्यम।

हिन्दी अनुवाद:
धर्म आचरण करो। धर्म से कभी डिगना नहीं चाहिए।
धार्मिकता का अभ्यास करें। धार्मिकता से मत हटो।

(४) अथर्ववेद का संस्कृत श्लोक
उद्यानं ते पुरुष नाव्याणम् ।
स्रोत : अथर्ववेद 7.1.6

लिप्यंतरण
उदयनम ते पुरुष नवयानम।

हे मनुष्य, सदा परम परम हो, पतन नहीं।
हिन्दी अनुवाद:
हे मनुष्य, उन्नति तुम्हारी हो, प्रतिगामी नहीं।

(५)अथर्ववेद से संस्कृत श्लोक
माता भूमिः पुत्रो-अहम् पृथ्वीयाः।
स्रोतः अथर्ववेद 12.1.12

लिप्यंतरण
माता भूमि: पुत्रो-अहं पृथविया:
हिन्दी अनुवाद:
भूमि मेरी माता है और मेरा बेटा हूँ।
पृथ्वी मेरी माँ है और मैं उसका पुत्र हूँ।

(६) अथर्ववेद से संस्कृत श्लोक
विप्रा ऋतस्य वाहसा।
स्रोत : अथर्ववेद 20.138.2

लिप्यंतरण
विप्र ऋतस्य वहसा।

हिंदी अनुवाद
ज्ञानी सत्य का प्रचारक होता है।

(७)ऋग्वेद संस्कृत श्लोक
यथायथा मतयः सन्ति नृणाम्।
स्रोत : ऋग्वेद 10.111.1

लिप्यंतरण
यथायथा मतय: संति नृणाम ।

हिन्दी अनुवाद;
मनुष्य अपनी बुद्धि के अनुसार ज्ञान ग्रहण करते हैं।
ज्ञान ग्रहण करने के लिए पुरुषों की अपनी बुद्धि होती है ।

(८)अथर्ववेद से संस्कृत श्लोक
उद्यन् आदित्य आदित्य रश्मिभिः शीर्षको रोगमनीशः।
अथर्ववेद 9.8.22

लिप्यंतरण
उदयन आदित्य रश्मिभि: शिरष्णो रोगमणिश:

हिन्दी अनुवाद;
सूर्योदय होता सूर्य की किरणों द्वारा मस्तक के रोग को नष्ट करता है।
उगता हुआ सूर्य अपनी किरणों से सिर के रोगों को नष्ट करता है।

(९)अथर्ववेद से संस्कृत श्लोक
शतहस्त समाहर सहस्त्रहस्त संकिर!
स्रोत : अथर्ववेद 3.24.5

लिप्यंतरण
शतहस्ता समाहार सहस्त्रहस्त संकर ।

हिन्दी अनुवाद:
सौ हाथ से कमाओ और हज़ार हाथों से दान करो ।बांटो।


(१०) ऋग्वेद का संस्कृत श्लोक
स घ वीरो न ऋष्यति।
ऋग्वेद 7.4.7

लिप्यंतरण
सा घ वीरो न ऋषिति ।

हिंदी अनुवाद:
वीर पुरुष कभी नष्ट नहीं होता।
बहादुर कभी नाश नहीं होता।

(११) आहार निद्रा भय मैथुनं च सामान्यमेतत् पशुभिर्नराणाम् । धर्मो हि तेषामधिको विशेष: धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः ॥

हिन्दी अनुवाद:
आहार, निद्रा, भय और मैथुन – ये मनुष्य और पशु में समान हैं। इन्सान में विशेष केवल धर्म है, अर्थात् बिना धर्म के व्यक्ति पशुतुल्य है।

(१२) 'माता भूमि':, पुत्रो अहं पृथिव्या:।

हिन्दी अनुवाद:
भूमि मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूं।अथर्ववेद

(१३) नमो मात्रे पृथिव्ये, नमो मात्रे पृथिव्या:। यजुर्वेद

हिन्दी अनुवाद:
माता पृथ्वी (मातृभूमि) को नमस्कार है, मातृभूमि को नमस्कार है।

(१४) सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमदः । आचारस्य प्रियं धनमाहृत्य प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः ॥
(तैत्तिरीय उपनिषद्, शिक्षावल्ली, अनुवाक ११, मंत्र १)

हिन्दी अनुवाद:
सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो, स्वाध्याय में आलस्य मत करो। अपने श्रेष्ठ कर्मों से साधक को कभी मन नहीं चुराना चाहिए।
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