शेष जीवन (कहानियां पार्ट 30) Kishanlal Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट 30)

"सायरा एक बात पूछू?"
"क्या?
"तुम्हारी अम्मी के न रहने पर तो हमारे एक होने में कोई बाधा नही थी?"
"नही "
"फिर तुम मेरे पास क्यों नही आई?न आती तो मुझे बुला सकती थी।"
"यह बात मेरे मन में भी आई थी।लेकिन सायरा आगे कहते हुए रुक गई थी।
"लेकिन क्या?"तपन बोला,"तुम कहते हुए रुक क्यों गई। कहो जो कहना चाहती थी।"
"मैने सोचा था।तुम मुझ से नाराज होकर गए थे।इसलिए मुझे भूल गए होगे और तुमने शादी कर ली होगी।"
"तो तुम्हे अपने प्यार पर भरोसा नहीं था।"
"ऐसी बात नही है"
"ऐसी बात न होती तो तुम ऐसा हरगिज न सोचती,"सायरा की बात सुनकर तपन बोला,"तुमसे दूर जरूर चला गया था।लेकिन तुम से दूर रहकर भी तुम्हे भुला नहीं था। हर पल तुम्हारी याद को अपने सीने से लगाए रखा।"
"तपन तुम मुझ से नाराज होकर दूर चले गए थे।इन बीते तीस सालों में तुमने मुझ से कोई संपर्क भी नही किया।लेकिन मै भी तुम्हे एक पल को भी भूली नहीं।तुम्हारे साथ गुजारे क्षण हमेशा मुझे तुम्हारी याद दिलाते रहे,"सायरा बोली,"मै भी तुम्हे भुला नहीं पाई।"
रात धीरे धीरे खिसकती रही।सायरा और तपन बीते हुए दिनों की याद ताजा करते रहे"
"कब जाओगे?"सायरा ने अचानक तपन से प्रश्न किया था।
"मुझे विश्वास नहीं था।तुम मिल जाओगी।अब मिल गई हो तो रुक गया हूं।एक दो दिन में जाऊंगा।"
"इतने सालो बाद मिले हो और एक दो दिन में ही चले जाओगे?"सायरा ने कहा था।
"हां।लेकिन पहले की तरह नही जाऊंगा।"
"मतलब?"
"पहले तुमसे नाराज होकर मै अकेला चला गया था।पर इस बार मै अकेला नहीं जाऊंगा।"
"तो फिर?"
"इस बार मै अपने प्यार को अपने साथ लेकर जाऊंगा"
"तुम क्या कह रहे हो?"
"मै जो कह रहा हूं।तुम समझ रही हो,"तपन बोला,"इस बार मै तुम्हे अपने साथ लेकर जाऊंगा।"
"मुझे साथ ले जाओगे?"तपन की बात सुनकर सायरा बोली थी।
"हां।इस बार मैं अकेला नही जाऊंगा।तुम्हे अपने साथ लेकर जाऊंगा।"
"मुझे--
"हां तुम्हे.पहले तुम्हारी अम्मी की वजह से हम एक नही हो सके।पहले अकेला चला गया था।पर अब तुम्हारी कोई बात मैं नही सुनूंगा।इस बार तुम्हे सब कुछ छोड़कर मेरे साथ चलना होगा,"।सायरा की बात को बीच मे काटते हुए वह बोला था।
"इस उम्र में हमारा मिलन।तपन लोग क्या कहेंगे?"तपन की बात सुनकर सायरा झिझकते हुए बोली।
"सायरा पहले तुम्हारी अम्मी की वजह से हम एक नही हो पाए।और हमारी जवानी तन्हाई में अकेले बीत गयी।और अब लोगो के भय से एक नही हुए तो फिर कभी हम एक हो ही नही पाएंगे।"
"तपन अब इस उम्र में हमारे एक होने से क्या फायदा है?मैं अब टिमटिमाते हुए दिए के समान हूँ।इस शरीर रूपी दिए में अब ज्यादा तेल बचा नहीं है।न जाने शरीर रूपी दिए का तेल कब खत्म हो जाये और दिया बुझ जाए।"
"इतने साल मैने तुम्हारे बिना अकेले तन्हाई में गुजारे है।अब जो जीवन शेष बचा है,उसे अगर मैं तुम्हारे साथ गुजार संकु तो मैं अपने जीवन को सार्थक समझूंगा।"
सायरा के मन मे अनेक शक और शंकाएं थी।इस उम्र में मिलन को लेकर झिझक भी थीं।तपन ने उसे प्यार से समझाया था,"सायरा तुम भी अकेली हो और मैं भी।हम अकेले रहेंगे तो जीवन काटना मुश्किल हो जाएगा।पर साथ रहकर आसान हो जाएगा।"
सायरा आखिर मान गयी थी।

सायरा अपने प्रिय पति के साथ जाते हुए वैसे ही रोमांचित महसूस कर रही थी।जैसे पहली बार दुल्हन करती है