सात फेरे हम तेरे - भाग 16 RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सात फेरे हम तेरे - भाग 16

फिर दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर सभी तैयारियां करने लगी क्योंकि आज रात की फ्लाइट थी।

माया को एक अनचाहा सा डर बना हुआ था पर नैना उसको हौसला अफजाई करते थकती नहीं थी।

नाश्ते के समय अतुल और बिमल भी आ गए। माया ने पुरी और आलू दम बनाया था। माया ने कहा तुम लोग घर का ख्याल रखना आते रहना एक चाबी हमेशा की तरह तुम लोगों के पास रहेगी। बिमल ने कहा हां दीदी आप बेफिक्र होकर जाइए।हम है ना।

नैना ने कहा हां मुझे विश्वास है कि निलेश के दोस्त भाई से बढ़ कर है।।
माया ने पूछा हम कब पहुंचेंगे? नैना ने कहा एक दिन लग जाएगा वैसे भी फाल्इट में पता भी नहीं चलता है। फिर खाना खाने के बाद सब थोड़ी देर आराम करने लगे। नैना ने सारी पैकिंग पुरी कर लिया। शाम की चाय के साथ ही बात चीत करने लगे तभी कोकिला भी आ गई। अतुल ने कहा हम आठ बजे निकल जाएंगे। नैना ने कहा हां जल्दी जाना ही होगा।विमल ने कहा हां बहुत कुछ करना पड़ता है और फिर इंटरनेशनल है ना तो सारी फोरमेलिटज पुरी करनी होगी। नैना ने कहा हां वही तो। फिर सभी नाश्ता करने लगे कोकिला ने ढोकला बना कर लाई थी। नैना ने कहा बुई अपना ख्याल रखना हां।हम इस महीने के आखिरी तक आएंगे। फिर नैना और माया फेश् होने चली गई। फिर टैक्सी भी आ गई। इनका दो ही लगेज था । फिर सभी गाड़ी में बैठ गए। माया एकदम से रोने लगी। फिर गाड़ी निकल पड़ी एयरपोर्ट की तरफ। वहां पहुंच कर विमल, अतुल ने लगेज एक टार्ली पर रख दिया क्योंकि वो दोनों अन्दर नहीं जा सकते थे।

माया और नैना ने दोनों को हाथ दिखाते हुए अन्दर पहुंच गई। अतुल और बिमल वहां से वापस लौट आए। नैना को सारी चीज़ें पता थी इसलिए उन दोनो को ज्यादा परेशानी नहीं हुई।सारी एयर टिकट और आधार कार्ड से लेकर सभी कागजात दिखाते हुए वो दोनों आखरी तक पहुंच गए। वहां जाकर सारे चेकिंग करवाने के बाद दस बजे तक अपनी हवाई जहाज पर बैठ गई।

माया ने कहा नैना आज तेरी वजह से मैं हवाई जहाज पर बैठने का मौका मिला। नैना ने कहा नहीं दीदी ये सिर्फ निलेश की वजह से सम्भव हो सका है। फिर वहां पर एयरहोस्टेस अपना काम करने लगीं।सीट बेल्ट बांधने को कहा गया। फिर कुछ देर बाद हवाई जहाज उड़ने लगा। माया को थोड़ा सा डर लग रहा था।

नैना ने कहा दीदी देखा कुछ पता नहीं चल रहा है ना। माया ने सर हिला दिया। फिर कुछ देर बाद सबको डिनर करने को दिया गया।वेज खाना था। चावल,दाल, सब्जी और एक चाकलेट केक भी। दोनों ने थोड़ा बहुत खाया और फिर सो गए। फिर तीन चार घंटे बाद सुबह हो गई थी। सबको नाश्ता करने को दिया गया।चाय, टोस्ट। माया को थोड़ा अजीब सा लग रहा था। नैना खुश थी उसे लग रहा था कि उसका सपना पूरा हो रहा है।
इसी तरह दोपहर में भी लंच बॉक्स दिया गया और फिर शाम और रात होते ही हमारी इनडीगो फाल्इट समय से यु एस में लैंड कर गई। माया को बहुत डर सा लग रहा था। नैना ने बहुत हिम्मत दिखाते हुए कहा दी अब हम आ चुके हैं।बस कुछ देर बाद ही भारतीय कला समीती से हमें लेने आएंगे। माया ने कहा हां नैना मैं बहुत थक गई हूं।

फिर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतर कर अपने सामान लेने के बाद नैना और माया गेट के बाहर इन्तजार करने लगे। जहां बहुत से लोग इधर-उधर जा रहें थे। कोई बेटा शायद वर्षों के बाद लौट आया हो।कहीं बेटी अपने मायके आई हो। कुछ देर बाद ही भारतीय कला समीती से दो लोग गाड़ी लेकर पहुंच गए। नैना ने सारी जानकारी ले लिया और फिर दोनों गाड़ी में बैठ गई।उनका सामान भी रखवा दिया गया।
नैना और माया गाड़ी में बैठ कर खिड़की से बाहर देखते हुए जा रहे थे इतने ऊंचे ऊंचे इमारतों को देखते हुए जा रहे थे।

कुछ घंटों बाद ही ये लोग एक शानदार होटल पर पहुंच गए। जहां पर और भी देशों से लोग आए हुए थे। नैना और माया नीचे उतर आएं और दोनों की पलकें नम थी क्योंकि ये सब निलेश की वजह से सम्भव हो सका था। नैना और माया को रूम नं ४०४ दिया गया था।

दोनों रूम में पहुंच गए इतना बड़ा रूम देख कर माया चौंक गई और फिर दोनों फेश् होने चली गई। फिर रूम में ही उन लोगों ने खाना मंगवाया। फिर खाते हुए विमल को फोन करके अच्छी तरह से पहुंच जाने की जानकारी दी।

नैना और माया दोनों ही थक कर चूर हो गए थे इसलिए दोनों ही सो गए। यहां से अभी दोपहर है तो इंडिया में अभी 10,12 घंटे आगे रहता है।

फिर तीन चार घंटे तक सोने के बाद थोड़ी सी तबीयत ठीक लग रही थी। दोनों फेश् होकर रूम से बाहर निकल आए।। नीचे पहुंच कर इधर उधर घुमने लगें। माया ने अतुल को फोन करके सब बताया और फिर कहा कि कल शायद वहां जाना होगा।

फिर नैना और माया पुरी जगह घुम कर अन्दर आ गए। नैना ने कहा चलो दी यही रेस्तरां पर बैठ कर खाना खा लेते हैं।
माया ने सर हिला दिया और फिर दोनों जाकर बैठ गए। वहां और भी कई देशों से लोग आए थे। अलग-अलग भाषाओं में बात कर रहे थे।
नैना ने कहा दीदी देखो सब बात कर रहे है। डंडियां से भी कुछ लोग आए हैं।

फिर कुछ देर बाद एक सज्जन आकर कुछ सुचना देने लगें। पहले हिन्दी में बोलें फिर अंग्रेजी में भी बोल कर चले गए। नैना ने कहा दीदी कल ११बजे जाना होगा। माया ने कहा हां ठीक है। नैना ने कहा मंगवाया। रोटी,दाल, पनीर कोफ्ते। दोनों थोड़ा बहुत खा कर अपने रूम में सोने चले गए। माया ने कहा नैना कल सब ठीक हो जाएगा ना?


नैना ने कहा हां ठीक है दीदी आप चिंता मत करो।। फिर दोनों बेड पर लेट गई और बातें करने लगी। नैना ने पूछा अच्छा दीदी निलेश बचपन में कैसा था? माया ने कहा हां हमेशा से मेरा निलेश सीधा-सीधा था। कभी भी किसी चीज के लिए जिद नहीं किया। नैना ने कहा हां उसके चहरे से पता चलता है जानती हो दीदी मैं वो रेकाडिग कभी नहीं भुल सकती हुं।हर एक बात मुझे याद आती है। माया ने कहा हां मैं जानती हूं सब।, चलो सो जाओ। नैना ने कहा हां,गुड नाईट दी। माया ने कहा शुभ रात्रि।

कमश;