सात फेरे हम तेरे - भाग 17 RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सात फेरे हम तेरे - भाग 17

सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गई थी दोनों। नैना ने कहा दीदी सब सामान ले लिया ना? माया ने कहा हां जो,जो ज़रूरी सामान है सब एक बैग में ले लिया। दोनों ने साड़ी पहनी थी। माया ने कहा नजर ना लगे किसी की।।


नैना आज शायद निलेश जहां कहीं भी हो वो जरूर देख रहा होगा। मैं तो निलेश की पेंटिंग को एक सही स्थान पर पहुंचा दिया।

माया ने कहा हां चल अब। फिर नीचे पहुंच कर नाश्ता किया और फिर एक बस उन सभी लोगों के लिए था जो जो इस में योगदान किए थे। नैना और माया भी उस बस में बैठ गए।

कुछ लोग भारत से भी आएं थे। नैना ने सबसे बात किया तो पता चला कि वहां पर उन सभी प्रतियोगियों को कुछ न कुछ दिया जाएगा। और भी बहुत कुछ कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

माया बहुत ही नर्वस हो रही थी। नैना ने कहा अरे दीदी बिल्कुल डरो नहीं देखना कितना अच्छा लगता है। कुछ घंटों के बाद वहां पहुंच गए। वहां पर देखा तो भारतीय सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा दिया गया था और सजावट भी बहुत ही खूबसूरत किया गया था। एक बहुत ही सुन्दर धुन भी बज रहा था। फिर सब अपने अपने जगह पर बैठ गए।

जो भी वहां प्रस्तुत किया गया था वो पूरे भारतीय सभ्यता और कला को देखते हुए बनाया गया था। नैना को ये मनोरम दृश्य बहुत ही अच्छा लगा।

फिर कार्यक्रम शुरू हुआ। एक ,एक करके सभी को सम्मानित किया जाने लगा। पुरस्कार भी दिया जा रहा था। माया का दिल बैठा जा रहा था कि कब उसे बुलाया जाएगा। कुछ देर बाद ही निलेश का नाम लिया गया और फिर निलेश के बारे में बताने लगे कि एक होनहार लड़का कैसे एक हादसे का शिकार हो गया था और आज उसकी कला और उसकी प्रतिभा किस तरह से पुरे देश विदेश में फ़ैल चुका है।

फिर निलेश की दीदी माया को स्टेज पर बुलाया गया। माया किसी तरह से स्टेज पर पहुंच गई और रोने लगी।
वहां पर उपस्थित सभी लोगों बहुत ही व्याकुल हो उठे थे।

माया ने कहा कि आज निलेश का सपना पूरा करने में सिर्फ नैना का हाथ है। नैना का जीवन परिचय ही निलेश है।

वहां पर सब ख़ामोश हो कर बात सुन रहे थे। कैसे एक लड़का सिपाही की तरह सबको बचाने के बाद अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी आंखें अपने प्यार को देकर इस दुनिया से अलविदा कह दिया था। सभी लोग वहां रोने लगे।

फिर माया को गोल्ड मेडल पहना दिया गया और फिर उसे दो लाख रुपए का चेक दिया गया और फिर एक बहुत ही खूबसूरत सा मुमेनटो दिया गया। माया तो रोने लगी पर नैना ने उसको सम्हाल कर नीचे ले कर आई। फिर और भी सभी को हार्दिक बधाई दिया गया और फिर एक सूचना दी गई कि बाहर प्रदर्शनी लगाई गई है वहीं पर जाकर आप सभी देखें।

फिर वहां से माया और नैना प्रदर्शनी हॉल में पहुंच गए जहां पर दोनों ही देख कर हैरान हो गए कि जगह जगह निलेश की पेंटिंग लगी हुई थी पर निलेश कहीं भी नहीं था कहते हैं ना कि इन्सान को ज़िन्दगी में बहुत कुछ नसीब नहीं होता है सुख दुख, खुशी गम, ये सब सबको नहीं मिल पाता वरना निलेश के अन्दर की कला आज लाखों लोग देख रहे हैं। फिर शुरू हुआ बिक्री का सिलसिला। नैना और माया के पास ही सब लोग आ रहे थे निलेश के पेंटिंग को खरीदने के लिए। माया और नैना तो आश्चर्य हो रहे थे कि कैसे क्या डील करें। फिर कुछ देर में ही निलेश के सभी पेंटिंग बिक्री में चले गए।

एक एक पेंटिंग की कीमत लाखों में हो रही थी। जिन लोगों ने वहां प्रदर्शनी लगाई थी वो अपना हिस्सा लेकर बाकी माया को देते जा रहें थे। आखिर ऐसा क्या था निलेश के पेंटिंग में खास बात जो वहां के लोगों को खींच रहा था। नैना के आंखों में मोटी मोटी आंसु बहते जा रहें थे। माया ने कहा नैना मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। नैना ने कहा दीदी हमने तो ऐसा सोचा ही नहीं था कि इतना बड़ा उपलब्धि हासिल होगा। निलेश की वजह से हमलोगो को कितना सम्मानित किया गया।
सभी लोग धीरे-धीरे चले गए।

निलेश की सारी पेंटिंग बिक गई थी। वहां के जो हेड थे मिस्टर अईयर । मिस्टर अईयर ने कहा मैं अपने पचास साल के तजुर्बे में आज तक ऐसा नहीं देखा। निलेश की सारी पेंटिंग बहुत ही अच्छे दाम पर मिल गई है। और क्या बोलूं मैं। माया ने कहा हां सर हमें उम्मीद नहीं थी पर ये सब कैसे हुआ? मिस्टर अईयर ने कहा कितने भाग्यशाली हैं आप जो निलेश आपका भाई था। नैना ने कहा हां सर अब क्या हम जा सकतें हैं। मिस्टर अईयर ने कहा अरे नहीं नहीं लंच करके जाना होगा।

फिर माया और नैना दुसरे रूम पहुंच गए जहां पर सभी खाना खा रहे थे। नैना ने कहा देखो दीदी आज निलेश अपनी आंखों से सब देख रहा है।कि आज उसका सपना पूरा हो गया। माया ने कहा हां पर एक सपना अधुरा रह गया। नैना ने पूछा क्या? माया ने कहा निलेश तुझे खुश देखना चाहता था। और साथ में एक दुल्हन के रुप में भी। नैना ने कहा हां दीदी पर कुछ सपने अधूरे ही अच्छे लगते है। निलेश के बिना कैसी खुशियां कैसी दुल्हन?? माया ने कहा यु ही क्या जिंदगी बितानी है। नैना ने कहा हां अब कुछ भी नहीं हो सकता है निलेश के बिना कुछ नहीं है बेरंग जिंदगी हो गई है।

माया ने कहा हां समझ सकती हुं अच्छा चल खाना खाने चले। फिर दोनों ने थोड़ा बहुत प्लेट में परोस लिए और एक जगह पर बैठ कर खाना खाने लगे। माया ने कहा निलेश की सारी पेंटिंग बिक गई ऐसा कभी सोचा नहीं था। नैना ने कहा दीदी आज तो सब हो गया अब कल क्या होगा? तभी एक सज्जन ने कहा कल तो एक सेमिनार आयोजित किया गया है। नैना ने कहा हां ठीक है हम जरूर आएंगे। फिर सभी लोगों को बस में वापस होटल ले जाया गया।

रात को सोते समय दोनों निलेश के मेंडल सटीफीकेट चेक देखने लगें और फिर दोनों ही रोने लगे और बोलने लगी कि काश आज निलेश होता किस मनहूस घड़ी में निलेश चला गया। क्या कभी वापस नहीं आएगा। ये कैसी न्याय है भगवान। माया ने कहा नैना तेरे लिए भगवान ने जरूर कुछ सोचा होगा वरना तुझे ऐसी जिंदगी क्यों देगा। नैना ने कहा नहीं दीदी भगवान ने पहले भी मेरे साथ बुरा किया है और आज भी।पर मुझे कोई शिकायत नहीं है किसी से भी। मेरे पास निलेश की यादें हैं वहीं बहुत है मेरे लिए। फिर दोनों सो गए।

कल दोपहर तक फिर से सभी सेमिनार के लिए निकल पड़े आज भी सभी बस में बैठ गए।बस समय से निकल गया। ये जगह काफी दूर थी।इस लिए ज्यादा समय लग गया।

वहां पहुंच कर सभी अपनी अपनी नाम के आगे बैठ गए। फिर वहां सभी उपस्थित लोगों ने कहा सबसे पहले एक, एक करके अपने विचार व्यक्त करेंगे और फिर हम कुछ लेक्चरर देंगे। और फिर एक प्रतियोगिता आयोजित किया जाएगा। जिसमें कुयुज टाइम होगा।। सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। फिर कार्यक्रम शुरू हो गया। एक एक जाकर अपने बारे में बात बता रहे थे।
माया ने कहा नैना तुम जाओ। नैना ने कहा नहीं दीदी पहले आप बोलो फिर मैं कुछ बोल दुंगी।
फिर निलेश का नाम लिया गया तो माया उठ कर गई और फिर बोली कि निलेश तो मेरा भाई था पर सबका मसीहा था हर एक दिन दूसरों की मदद करने को तैयार रहता था और क्या बोलूं अब नैना कुछ बोलेंगी। नैना उठकर आ गई और फिर बोली नमस्कार दोस्तों आज मैं यहां सिर्फ निलेश की वजह से हुं। मेरी आंखें एक दुर्घटना में चली गई थी और फिर आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं तो देख सकतीं हुं हां दोस्तों मैं देख सकती हुं तो सिर्फ निलेश की वजह से। निलेश ने अपनी आंखें अपने प्यार को देकर चला गया और मैं फिर से सबकुछ देखने लगी।पर निलेश को नहीं देख सकती। सभी लोग वहां भावविभोर हो गया और फिर तालियां बजाकर खुशी जाहिर किया।

उसके बाद प्रतियोगिता आयोजित किया गया।सब दो दो लोग बैठे थे। फिर प्रशन उत्तर का कार्यक्रम शुरू हो गया। फिर प्रतियोगी से एक एक प्रश्न पूछें जा रहें थे। नैना और माया भी सटीक उत्तर देने की कोशिश में थी। इसी तरह से पहला राउंड नैना और माया जीत गए।
दूसरे राउंड में नैना और माया बहुत ही उत्साहित हो गए थे। माया ने कहा नैना हम जीत जाएंगे क्या? नैना ने कहा हां ज़रूर।।

दूसरे राउंड भी नैना और माया जीत गए।अब तीसरा राउंड आख़री मुकाम था। शायद कुछ कठीन भी पर नैना बिल्कुल घबराई नहीं।

कमश: