एपिसोर्ड 2 ( माया वापिस आ गई .... )
चाँद की रौशनी के निचे .. दो कोई हुई सी नज़रें .. चाँद को निहार रही थी | ऑफिस से निकल कर शौर्य ... सीधा यहीं आया था | मुंबई से थोड़ी दूर पर ... जंगलों के बीचों बीच .. ये जगह माया की मनपसन्द जगह थी | जब माया दुखी या बहुत खुश होती .. तो यहीं आना पसंद करती थी | शौर्य आपने ओर माया के यहाँ बिताए ही पलों को याद कर रहा था | उसे लगा नहीं था ... की एक दिन ऐसा भी आएगा .. की उसे यहाँ अकेले भी आना पड़ेगा | उसे पता ही नहीं लगा .. की कब उसे नींद आ गई | अकसर ऐसा होता था | जब भी शौर्य को माया की याद आती थी | या उसे खुद को शांती करना होता ... तो वो यहाँ आ जाता |
सीन 1
जब शौर्य की नींद खुली .. तो उसने खुद को किसी ओर के साथ पाया | पहले तो शौर्य शौक हो गया | क्यूंकि जहाँ तक उसे याद था | वो यहाँ अकेला आया था | पर अभी उसकी बाँहों में कोई था | उसने आपने आसपास देखा | अभी भी अँधेरा ही था | तकरीबन रात के 3 बज रहे थे | ओर उसके कुछ समझ ही नहीं आ रहा था | की उसकी बाँहों में कौन है | उसने देखने की कोशिश की ... तो उसे उस इन्सान का च्चर दिखा | ओर वो मनो बर्फ की बहती जम सा गया हो | उसे आपनी नजरों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था | उसे लगा .. की वो सपना देख रहा है | उसने खुद को ज़ोर से मारा ... पर वो इंसान अभी भी उसकी बाँहों में सुकून की नींद सो रहा था | उसकी जुबान से निकला |
शौर्य : माया ....
उसने बहुत ही धीरे से माया का नाम लिया था | इन पिछले दो सालों में पहली बार उसने माया का नाम अभी जुबान से लिया था | माया के जाने के बाद | उसका नाम कोई ओर भी उसके सामने लेता .. तो वो गुस्सा हो जाता था | शौर्य ने खुद को बहुत मुश्किल से संभाला था | उसने एक साथ .. अपने बच्चे ओर माया .. दोनों को खो दिया था | पर आज माया को खुद के सामने देख ... उसे समझ ही नहीं आ रहा था .. की वो क्या करे | शायद इन दो सैलून इमं शौर्य ने जितना माया को मिस किया था | किसी ने भी नहीं किया | आखिर वो उसका प्यार . उसकी ज़िन्दगी थी | माया के जाने के बाद .. शौर्य ने आपनी ट्रान्सफर ले ली थी | उसने स्टेट नहीं चंगे किया था | क्यूंकि मुंबई में माया ओर उसने आपना एक प्यारा सा घर बनाया था | ओर वो कैसे माया की निशानी को यूँ छोड़ देता | उसने बस आपनी काम करने की जगह बदल ली थी | शौर्य ने एक बार फिर से माया का नाम पुकारा |
शौर्य : माया .....
मनो माया को नींद में शौर्य की आवाज़ सुनाई दी हो | वो नींद में ही शौर्य से बोली |
माया : क्या है जान | सोने दो |
माया की जुबान से खुद के लिए जान सुन .. शौर्य का पूरा शरीर काम सा गया था | उसने माया से फिर से कहा |
शौर्य : क्या .. क्या कहा तुमने .. एक बार फिर से बोलो |
माया : जान प्लीज़ .. सोने दो न |
ये सुन शौर्य के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई | वो तो मनो हसना भूल ही गया हो | ख़ुशी से उसे समझ ही नहीं आया | उसने माया को बहुत कास कर पकड़ लिया | ताकि वो फिर से उसे छोड़ कर न जाए |
माया : शौर्य .... क्या कर रहे हो ?
शौर्य माया की बात सुन ही नहीं रहा था | वो बस अब माया से दूर नहीं रहना चाहता था |
क्या माया सच में वापिस आ गई थी ? क्या सच में माया की मौत हो गई थी ? राजों का ल्खुलासा करने के लिए .. बने रहिये मेरे साथ |