आत्मा - प्रेतात्मा Rajveer Kotadiya । रावण । द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • जंगल - भाग 12

                                   ( 12)                       ...

  • इश्क दा मारा - 26

    MLA साहब की बाते सुन कर गीतिका के घर वालों को बहुत ही गुस्सा...

  • दरिंदा - भाग - 13

    अल्पा अपने भाई मौलिक को बुलाने का सुनकर डर रही थी। तब विनोद...

  • आखेट महल - 8

    आठ घण्टा भर बीतते-बीतते फिर गौरांबर की जेब में पच्चीस रुपये...

  • द्वारावती - 75

    75                                    “मैं मेरी पुस्तकें अभी...

श्रेणी
शेयर करे

आत्मा - प्रेतात्मा

प्रारम्भ _ (१)

कहते है आत्माए हमारे आसपास हर वक़्त होती है.बस हम उन्हें देख नहीं सकते. लेकिन अगर चाहो तो उन्हें देखने के लिए किसी भूतिया जगह या कहो हॉन्टेड प्लेस जाने की ज़रूरत नहीं होती.

और अब दूसरा मुद्दा की आत्मा मृत्यु के बाद अगर जन्म लेती है. तो वह मरने के बाद भटक ती क्यों है. उसका जवाब है.इच्छा अगर मरते वक़्त इन्सान की किसी प्रकार की इच्छा अगर अधूरी रहजाती है. तो उस इच्छा की पूर्ति के लिये. उसकी रूह भटकती है.

और अब आपके मन में शायद सवाल आया होगा की क्या आत्मा खतरनाक होती है? तो मैं कहूँगा की ये ये बात निर्भर करती है की उस आत्मा की किस प्रकार की इच्छा अधूरी रहगई है?. और उसे किस तरह मौत आयी. याफिर उसकी अकाल मृत्यु हुई.

उदाहरन के लिय समझ ते है.अगर किसी इंसान प्यार में धोके से मारा है. तो उसकी आत्मा तो भयानक और नफ़रत से भरी ही होगी ना. और अगर कसी पिता की अकाल मृत्यु होगई. तो वह अपनी संतान को सुखी देखने के बाद ही मुक्त होगी ना.

तो इंसान से लेकर आत्मा तक सभी की इच्छाए होती है.तो अभी में जो कहानिया इस ब्लॉग पर पोस्ट करने वाला हूँ.वो अतृप्त आत्मा के विषय में भी होगी.

(२)

कब्रिस्तान् के पिशाच्

रातके 10 बजे ऑफिस से लौटते वक्त. निखिल अपने करीबी दोस्त रोबर्ट की कब्र पर फुल चढ़ाने कब्रिस्तान पहुचा.

कब्रिस्तान के सामने अपनी कार पार्क करके. उसने कब्रिस्तान पर एक नजर डाली.

रातके वक्त पूरी तरह सुमसाम था. इतना की हवा झोके से से पेड़ से गिरने वाले. पत्तो की आवज भी उसे साफ सुनाई दे रही थी.

उसने कब्रिस्तान में जाकर अपने साथ लाये हुए. आर्किड के फुल रोबर्ट की कब्र पर रख दिए. और 2 मिनिट मौन करते हुए खड़ा रहा. फिर जब वह वापस बाहर आने के लिए पीछे मुडा.

तब उसे एक कब्र पर बैठी छोटी बच्ची दिखाई दी. बच्ची के हाथ में एक हरे रंग का कांच का टुटा टुकड़ा था. जिसे वह बार-बार आंख पर लगाके. आस पास की कब्रों को देख रहीथी.

निखिल कुछ मिनट वही खडे रहकर. उस बच्ची को देखता रहा. वह इंतजार कर रहा था. कोइ उस बच्ची की पहचान का आये. और उसे सही सलामत अपने साथ घर ले जाये.

पर ऐसा हुआ नहीं. फिर निखिल उस बच्ची के पास जाकर खड़ा हुआ. निखिल की तरफ दखते हुए. वह छोटी बच्ची मुस्कुराई. निखिल ने पूछा अरे छोटी तुम अकेली यहांपर क्या कर रही हो? और तुम्हारे माता पिता कहा पर है.?

फिर वह बोली मेरे मम्मी पापा अगले कब्रिस्तान में गए है. वो वहां पर रहते है. वहां से कुछ ही दूर एक और कब्रिस्तान था. इसलिए निखिल को लगा की बच्ची शायद उसी कब्रिस्थान के आस पास कही रहती होगी.

इसे शायद ठिकसे पता याद नहीं होगा. फिर निखिल ने पूछा की तुम यहा अकेली क्यों बैठी हो? तुम्हारे साथ कोई बड़ा नहीं है.

बच्ची ने जवाब दिया. मेरे पिताजी मुझे यहाँ छोडके गए है. निखिल ने सोचा की कैसा निर्दयी बाप होगा. अपनी बेटी को कोइ इसतरह कब्रिस्तान में छोडके जाता है भला.

निखिल उस छोटी बच्ची से इतनी बाते कर रहा था. पर उसका ध्यान सिर्फ उस कांच के टुकडे में ही था. वह बस उसमे एक आंख बंद करके इधर उधर देख रही थी.

निखिल ने आखिर उस बच्ची से पूछ ही लिया. की तुम कांच में से क्या देख रही हो. उसने जवाब दिया. की इस हरे कांच के टुकडे में मुझे गायब होने वाले लोग दीखते है. बहुत मजा आता है.

गायब होने वाले लोग? निखिल को कुछ समज में नहीं आया.

वह बच्ची के साथ और कुछ देर खड़ा रहा. फिर उसे गोद में उठाकर कब्रिस्तान से बाहर निकल आया. चलते-चलते गोद में बैठी. उस बच्ची ने अपना नाम त्रिशा बताया.

निखिल ने जैसे ही कब्रिस्तान के बाहर कदम रखा. उसे अचानक तेज ठडं के मौसम ने घेर लिया. उसका बदन ठंड से कांपने लगा. पर निखिल का ध्यान जब उसकी कार के पास खड़ी उस बच्ची त्रिशा की तरफ गया.

तब उसे हैरानी हुई. क्योंकि उस पर इस खून ज़माने वाली सर्दी का कोई भी असर नहीं हो रहा था. उसवक्त त्रिशा कांच के टुकडे में से निखिल की तरफ ही देख रही थी.

तभी उसके चेहरे के हाव भाव अचानक से बदल ने लगे. वह बोली अंकल आपके पीछे से कोई है. निखिलने पीछे मुडकर देखा. तो उसे कोइ भी नहीं दिखा.

उसे लगा की त्रिशा शायद मजाक कर रही होगी. फिर वह बोला त्रिशा बेटा चलो गाड़ी बैठो. मै तुम्हे तुम्हरे घर छोड़ देता हूँ. उसिवक्त त्रिशा बोली अंकल आप भी कांच से गायब होने वाले लोगो को देखो ना.

निखिल बोला मै बाद में देखूंगा. बस तुम अब कार में बैठो. पर बच्ची ने जिद पकडली. की अभी के अभी देखना ही होगा.

उसकी जिद पर निखिल ने जब वह कांच का टुकड़ा अपनी आंख के सामने लाया. तब दहशत से उसकी आंखे फट पड़ी. क्योंकि उस कांच में से जब निखिल ने कब्रिस्तान की तरफ देखा था.

तब उसे वो दिखाई दिया. जिसे कोई भी आम इंसान अपनी खुली आँखों से नहीं देख पाता. उसे दिखा की अभी जो कब्रिस्तान सुमसान था. कांच में से देखने पर वहा बहुतसे लोग घूमते दिखाई दिए. और उनमे से कुछ उसकी तरफ ही देख रहे थे.

और जब उसी कांच के दुकडे से उसने अपने आस पास नजर डाली. तो 3 बतसूरत जले हुए प्रेत. निखिल को घेर के खडे थे. और त्रिशा की जगह उसे एक छोटा पिसाच दिख रहा था. जो उसकी तरफ देखते हुए. अपनी लाल टपका रहा था. यह सब कुछ उसेन कुछ ही सेकंड्स में देखा था.

वह अपने साथ गोद में किसको उठा लाया है. यह सोचकर वह डर से अधमरा हो गया. उसने तुरंत कांच फैंक दिया. और भागने के लिए कार का दरवाजा खोलने लगा.

तभी उसे खी… खी… खी.. खी… ऐसी शैतानी हंसी सुनाई दी. और अगले ही पल पूरे कब्रिस्तान ने निखिल की दर्दभरी चीख सुनी.

क्योंकि वह छोटा पिसाच निखिल की पीठ पर बैठा हुआ था. और अपने नुकीले दांत उसने निखिल की गर्दन में 2 इंच अंदर घुसये हुए थे. और बडे ही चाव से खून चूस रहा था.

जब निखिल के शरीर का खून खतम हुआ. तब वह निष्प्राण होकर जमीन पर गिरा. फिर कब्रिस्तान से निकले चुड़ैल और प्रेतों में ने उसके शरीर का मांस नौच नौच कर खाया और अपनी भूक मिटाई.