एक रूह की आत्मकथा - 14 Ranjana Jaiswal द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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एक रूह की आत्मकथा - 14

लीला समर के व्यवहार से बहुत आहत थी।वह समझ नहीं पा रही थी कि समर को सही रास्ते पर कैसे ले आए?समर पहले भी दूसरी औरतों में दिलचस्पी लेता था,पर यह उसका स्थायी भाव नहीं था।वह किसी भी दूसरी स्त्री से बंधकर नहीं रहता था।पर कामिनी के प्रसंग में वह जरूरत से ज्यादा गंभीर हो गया था।जाने उस स्त्री में ऐसा क्या था कि वह लगभग उसका गुलाम हो गया था?उसे समर से ज्यादा कामिनी पर गुस्सा था।उसका वश चलता ,तो वह उसकी हत्या कर देती,पर समर के रहते ऐसा सम्भव नहीं था।फिर पकड़े जाने पर उसे आजीवन जेल में रहना पड़ सकता है।
उसे अपने बच्चों की भी चिंता है।वे हत्यारी माँ की संतान कहाएं-यह वह नहीं चाहती।दोनों बच्चे तेजी से बड़े हो रहे थे।जल्द ही वे अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करके घर आने वाले हैं। अपने माता -पिता के बीच की यह दूरी देखकर वे क्या सोचेंगे?उसका बेटा अमन बहुत गुस्से वाला है और उससे बहुत प्यार करता है।पिता का सच जानकर वह जाने किस तरह रिएक्ट करेगा?कामिनी की तो वह हत्या ही कर देगा।
कामिनी ये क्यों नहीं समझ रही है कि एक औरत होकर दूसरी औरत का घर उजाड़ना अक्षम्य अपराध है।ठीक है कि वह अकेली है ।समर ने प्रेम का नाम लेकर उसे गुमराह किया होगा,पर उसका अपना भी तो विवेक है।उसकी बेटी भी तो बड़ी हो रही है।क्या सोचेगी वह अपनी माँ के बारे में?कल वो भी कोई गलत कदम उठाए तो कामिनी किस मुँह से उसे मना करेगी?उसकी बेटी भी उसी के बच्चों के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती है ।उसके बेटे से उसकी अच्छी दोस्ती है।अगर वह भी बदले पर आ जाए तो उसकी बेटी का इस्तेमाल कर सकती है।अभी दोनों के ही बच्चों को इस त्रिकोण का ज्ञान नहीं है,पर किसी दिन तो होगा फिर......।कहीं उसके बेटे और कामिनी के बेटे का नया सिलसिला न शुरू हो जाए!वह कभी नहीं चाहेगी कि ऐसा हो।उसकी अपनी भी तो बेटी है।अपने बच्चों के कारण ही तो वह समर से अलग नहीं हो पाई।असहय स्थितियों को भी सहती रही। इधर तो उसने क्लब जाना भी छोड़ दिया है ।शराब भी कम कर दिया है।बच्चों के लौटने तक वह खुद को पूरी तरह बदल देना चाहती है।बच्चे जब छोटे थे,तब भी समर और उसके बीच लड़ाइयां होती थी।बच्चे सहम जाते थे।उन्हें समझ में नहीं आता था कि मम्मी पापा में से कौन सही है?मम्मी रोती थी,इसलिए उन्हें लगता था कि पापा ही गलत होंगे।पर जब पापा उन्हें प्यार करते थे तो उन्हें लगता था कि पापा तो गलत हो ही नहीं सकते।
बच्चों पर अपने बीच के झगड़ों का गलत असर देखकर ही दोनों ने उन्हें आवासीय विद्यालय (बोर्डिंग स्कूल)भेजने का फैसला किया था।
अब तो बच्चे बड़े होकर लौटेंगे और सब कुछ समझ लेंगे।
लीला खुद को तो बदल रही है पर समर बदलने को तैयार नहीं ।वह कामिनी की चाहत में इस तरह गुम है कि बाकी दुनिया विस्मृत कर चुका है। वह समर और कामिनी दोनों को अलग -अलग ठीक ढंग से समझाएगी।अगर फिर भी वे नहीं माने तो कोई कठोर फैसला लेगी। समाज और कानून दोनों उसके साथ है।फिर भी बात नहीं बनी तो अपनी अंगुली टेढ़ी कर देगी।
लीला कामिनी से मिली ।उसे पता चला कि वह रोज सवेरे जॉगिंग के लिए अपने घर के समीप वाले पार्क में जाती है।लीला ने उससे वही जाकर मिलने का फैसला किया।कामिनी के घर या शूटिंग की जगह जाना उसे ठीक नहीं लगा।वह पिछली गलती नहीं दुहराना चाहती थी।
लीला को अपने सामने देखकर कामिनी का चेहरा जर्द पड़ गया कि जाने किस मकसद से आई है?कहीं पार्क में लोगों के सामने उसकी इज्जत न उतार ले।'लीला कुछ भी कर सकती है।किसी भी हद तक जा सकती है'-ऐसा कहकर समर उसे डराता आया है।एक नमूना वह खुद भी देख चुकी है।
लीला ने जब उसे नमस्कार किया तो वह उसका चेहरा देखती रह गई।
-आपसे कुछ बात करनी है ।घबराइए मत, आपका ज्यादा वक्त नहीं लूंगी।चलिए, उस बेंच पर बैठकर बात करते हैं ।
लीला ने पार्क में एक झुरमुट के पीछे बने बेंच की ओर इशारा किया। पार्कों में झुरमुटों के पीछे बने इन बेंचों का इस्तेमाल अक्सर प्रेमी जोड़े ही करते हैं पर ज्यादातर शाम को।सुबह- सवेरे तो पार्क में टहलने या योगा करने वाले ही ज्यादा दिखते हैं ।
कामिनी लीला के पीछे- पीछे झुरमुट के उस बेंच के पास गई और उसके पास ही बैठ गई।
-कामिनी मुझे तुमसे कोई दुश्मनी नहीं।तुम भी एक औरत हो और मेरा मानना है कि औरत कभी खुद से गलत नहीं होती।स्थितियाँ -परिस्थितियां उसे गलत रास्ते पर डाल देती हैं।समर के साथ तुम्हारा रिश्ता मुझसे छुपा नहीं है,पर जो हुआ सो हुआ।तुम्हें इस रिश्ते पर अब विराम लगाना होगा।तुम सुंदर हो... जवान हो और सबसे बड़ी बात आत्मनिर्भर हो।तुम्हारे पास अच्छी -खासी सम्पत्ति है।तुम्हें कोई भी अच्छा पति मिल जाएगा। तुम समर को छोड़ दो ...।
कामिनी चुपचाप लीला की बात सुन रही थी।कहे भी तो क्या?एक पत्नी से कैसे कहे कि उसका पति उससे प्यार नहीं करता है!कैसे कहे कि वह भी जी -जान से उससे प्यार करने लगी है!दोनों के बीच का रिश्ता बहुत ही मजबूत है।ये रिश्ता मौज -मजे के किए नहीं बना है।दुःख -सुख में सहभागी बनकर,एक -दूसरे को समझकर बना है।आपसी विश्वास,सहयोग और प्रेम पर टिका है यह रिश्ता। ये दिलों के बीच का रिश्ता है।
कामिनी चुप रही।लीला से कुछ भी नहीं कहा। न हाँ ,न ना।उसने लीला से ऐसा कोई वादा नहीं किया,जिसे बाद में तोड़ने पर ग्लानि हो।
लीला वापस लौट गई।कामिनी भी अपने बंगले पर वापस लौट आई,पर पूरे दिन अनमनी रही।लीला की बातों में जो सच्चाई थी,उसने उसके मन को छू लिया था।वह खुद को लीला की जगह रखकर सोच रही थी।अगर उसका पति रौनक इस तरह किसी स्त्री के चक्कर में रहा होता,तो वह कैसे बर्दास्त करती?
ये किस उलझन में फंस गई है वह? दिल कहता है कि समर के साथ उसके रिश्ते में कोई बुराई नहीं पर दिमाग कुछ और ही कह रहा है।जब वह अपनी बेटी के बारे में सोचती है तो वह और भी परेशान हो जाती है।
वह जानती है कि उसकी बेटी समर को पसंद नहीं करती,जबकि समर के बेटे से उसकी दोस्ती है।छुट्टियों में जब वे घर आते हैं तो साथ -साथ पार्टियां करते हैं।एक -दूसरे से मिलते- जुलते हैं।बच्चों को लगता है कि दोनों में वैसी ही दोस्ती है जैसी उनमें है।वे अभी दोनों के रिश्ते की गम्भीरता से परिचित नहीं ।लीला ने भी उन्हें कुछ नहीं बताया है।
पर जब बच्चे हमेशा के लिए वापस आएंगे तो क्या सच्चाई उनसे छुप सकेगी?उसकी बेटी तो उसका प्रतिरोध नहीं करेगी पर समर का बेटा!क्या वह अपनी माँ पर हो रहे अन्याय को चुपचाप सह लेगा?