रहस्य - बंद कैसे Raj Roshan Dash द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रहस्य - बंद कैसे

सुबह-सुबह राजनगर के अखबारों में लाला धनीराम की हत्या की खबर बहुत प्रमुखता से छपी थी लाला धनीराम राजनगर के बहुत ही इज्जतदार और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे | हर जगह लोग इसी खबर को पढ़ रहे थे और चर्चा कर रहे थे |

एजेंट सिद्धार्थ भी अपने घर में इस खबर को ध्यान से पढ़ रहा था तभी उसके मोबाइल की घंटी बज उठती है |

सिद्धार्थ : यह तो कमिश्नर अजय का कॉल है अब उसे कोई जरूरी बात होगी अन्यथा इतनी सुबह तो वह कभी कॉल नहीं करते नमस्ते कमिश्नर अंकल कैसे हैं कहिए इतनी सुबह कैसे याद किया मुझे |

कमिश्नर : सिद्धार्थ तुमने तो लाला धनीराम की हत्या वाली खबर जरूर पढ़ी होगी | मुझे तुमसे इस केस बारे में कुछ जरूरी बातें करनी है फौरन मेरे ऑफिस आ जाओ |

इतना सुनते ही सिद्धार्थ पुलिस हेड क्वार्टर की तरफ निकल पड़ता है सिद्धार्थ एक शौकिया जासूस था | कम उम्र होने के बाद भी उसने अपनी बुद्धि और चतुराई से कई मुश्किल केस सुलझा कर पुलिस की बहुत मदद की थी |


कमिश्नर अजय उसके इस प्रतिभा से बहुत खुश रहते थे और अक्सर मुश्किल केस में उसकी मदद लेते रहते थे | थोड़ी ही देर में सिद्धार्थ पुलिस हेड क्वार्टर में कमिश्नर अजय के सामने बैठा था |

कमिश्नर : सिद्धार्थ कल रात को लाला धनीराम का उनकी हवेली में रहस्यमय तरीके से खून हो गया अभी तक खूनी पकड़ा नहीं गया हैं | हाई प्रोफाइल केस होने के कारण पुलिस पर खूनी को पकड़ने और केस सॉल्व करने का बहुत दबाव है | इंस्पेक्टर चुलबुल इस केस पर काम कर रहे हैं लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम भी पुलिस के साथ इस केस पर काम करो

सिद्धार्थ : जरूर अंकल आप चिंता ना करें हम बहुत जल्दी खूनी को पकड़ लेंगे |

इतना कहकर सिद्धार्थ लाला धनीराम की हवेली की तरफ निकल पड़ता है | धनीराम की आलीशान हवेली पर पहुंचकर उसने देखा कि वहां लोगों की भीड़ जमा है | कुछ पुलिसवाले भी तहकीकात कर रहे थे | बिना समय गवाएं सिद्धार्थ सीधा इंस्पेक्टर चुलबुल के पास पहुंचा | इंस्पेक्टर चुलबुल एक मोहन नाम के व्यक्ति से पूछताछ कर रहे थे |


मोहन : माफ कीजिएगा साहब मुझे इससे ज्यादा और कुछ नहीं पता |

इंस्पेक्टर चुलबुल : ठीक है अभी तो तुम जाओ ध्यान रहे कुछ भी छुपाने की कोशिश मत करना |

इंस्पेक्टर चुलबुल : अरे सिद्धार्थ तुम आ गये थोड़ी देर पहले ही अजय साहब ने मुझे फोन करके तुम्हारे बारे में बताया |

इंस्पेक्टर चुलबुल ने सिद्धार्थ को केस के बारे में बताना शुरू किया |

इंस्पेक्टर चुलबुल : धनीराम एक सफल व्यापारी थे रुपए पैसों की कोई कमी नहीं थी पुराने विचारों के होने के साथ वह थोड़ी क्रोधी स्वभाव के थे और थोड़ी मुंहफट भी थे | क्रोध में अक्सर लोगों को चुभने वाली बातें बोल दिया करते थे | धनीराम के परिवार में उनके तीन लड़के हैं पवन, दीपक, सुनील तीनों अविवाहित हैं और इसी घर में रहते हैं |

इंस्पेक्टर चुलबुल : उनकी पत्नी का निधन छोटे बेटे दीपक के जन्म के समय हो गया था | इनके अलावा रामू नाम का एक विश्वासपात्र नौकर भी रहता है |

इंस्पेक्टर चुलबुल : रामू इनके साथ कई सालों से है और उस पर कोई शक नहीं है | सबसे छोटे बेटे का नाम दीपक है बिचारा शरीर से लाचार है उसका एक पाव खराब है इसलिए बैसाखी का प्रयोग करता है बहुत ही सीधा और नेक आदमी है | कोई काम नहीं करता और सारे समय घर में ही रहता है | लेकिन उसे पढ़ने का बहुत शौक है उसे कई विषयों पर अच्छा ज्ञान है |


इंस्पेक्टर चुलबुल : दूसरा बेटा पवन है वह मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है और काफी तेज दिमाग का व्यक्ति है स्वभाव से समझदार और सुलझा हुआ व्यक्ति है | सुनने में आया है कि धनीराम ने पवन को ही अपना वारिस बनाया है लेकिन अभी तक कोई भी वसीयतनामा नहीं मिला है |

इंस्पेक्टर चुलबुल : सबसे बड़ा बेटा सुनील है | सुनील एक नंबर का नालायक और आवारा व्यक्ति है हर दिन धनीराम से उसकी लड़ाई होती रहती थी | वह कपड़ों का व्यापारी है उसे व्यापार में भारी घाटा हुआ है और उस पर काफी कर्ज भी है इसलिए उसे पैसों की सख्त जरूरत है | उसे शराब पीने की बुरी आदत भी है कल रात से ही बहुत गायब है |

इंस्पेक्टर चुलबुल : यह बहुत ही सीधा केस है सिद्धार्थ सुनील ने ही हत्या की है | और रात को हत्या करके फरार हो गया है शायद पैसे ना मिले और पवन को वारिस बनाए जाने से नाराज होकर उसने धनीराम की हत्या कर दी है | हमने उसके नाम का वारेंट निकलवा दिया है बच कर कहां जाएगा |

सिद्धार्थ : इंस्पेक्टर साहब यह किस मुझे काफी हद तक समझ में आ चुका है लेकिन मैं जांच शुरू करने से पहले एक बार धनीराम की लाश को देखना चाहता हूं |

इतना सुनते ही इंस्पेक्टर चुलबुल उसे लेकर उस कमरे में गए जहां धनीराम की हत्या हुई थी |


सिद्धार्थ : इनकी हत्या कैसे हुई है ? और इनके गले पर निशान कैसे हैं ?

सिद्धार्थ ने यह भी गौर किया कि लाश के नाक और आसपास की त्वचा के पास कुछ काले काले धब्बे जैसे दिख रहे थे |

इंस्पेक्टर चुलबुल : इनकी हत्या गले के पिछले हिस्से में एक खास नाजुक जगह पर चार बार सुई चुभा कर की गई है | ये ऐसा नाजुक हिस्सा है जिस पर थोड़ी सी भी चोट लगे तो इंसान की जान भी जा सकती है |

सिद्धार्थ : क्या इसका मतलब यह है कि जिस किसी व्यक्ति ने भी हत्या की है उसको इस नाजुक जगह के बारे में पता होगा मानव शरीर के बारे में ऐसी जानकारी किसी डॉक्टर इत्यादि को ही होती है | किसी आम आदमी को शायद ही ऐसी जानकारी होती है |

सिद्धार्थ : इंस्पेक्टर साहब आपकी आज्ञा हो तो मैं लाला जी के बेटों से मिल लेता हूं |


इंस्पेक्टर चुलबुल : हां हां क्यों नहीं लेकिन मिलना कुछ नहीं है असली हत्यारा तू फरार है यह तो सीधे लोग हैं |

सबसे पहले सिद्धार्थ दीपक के कमरे में गया वहां दीपक बहुत बुरी तरह रो रहा था | सिद्धार्थ को देखते ही बोला |

दीपक : हाय मैं तो अनाथ हो गया मेरा तो सब कुछ चला गया अब मुझे लंगड़े को कौन सहारा देगा |

सिद्धार्थ : आप प्लीज रोना बंद कीजिए आपको किसी पर शक है ? क्या आपको अपनी पिता की किसी वसीयत के बारे में कोई जानकारी है ?

दीपक : नहीं मुझे किसी पर कोई शक नहीं है ना ही मुझे किसी वसीयत के बारे में कोई जानकारी है मुझे नहीं लगता कि पिताजी ने कोई वसीयत बनाई थी | जो भी खूनी हो उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए |

सिद्धार्थ ने देखा कि दीपक के कमरे में बहुत सारी पुस्तकें रखी हुई थी | उसकी मेज पर भी कई सारे पेन रखे हुए थे | दीपक से मिलने के बाद सिद्धार्थ पवन के कमरे में गया | पवन अपने कमरे में बहुत ही उदास बैठा था सिद्धार्थ को देखते ही वह बोला |


पवन : इंस्पेक्टर चुलबुल ने आपके बारे में बताया मुझे पूरी उम्मीद है कि आप लोग जल्द ही खूनी को खोज लेंगे |

सिद्धार्थ : जो भी हुआ उसके लिए मुझे बहुत दुख है उम्मीद करता हूं कि आप मेरे सवालों के जवाब सही-सही देंगे |

यह कहते हुए सिद्धार्थ एक मोटी पुस्तक पवन के टेबल से उठाकर देखने लगा | अचानक उसकी नजर किताब के पन्नों पर कुछ अंडरलाइन किए हुए वाक्य पर गई |

उन वाक्यों को पढ़कर वह चौक गया वाक्य बिल्कुल उसी नाजुक स्थान के बारे में थे जिस पर प्रहार करके धनीराम को मारा गया था | लेकिन सिद्धार्थ ने पवन से उसके बारे में कुछ नहीं कहा |

सिद्धार्थ : क्या आपके पिताजी की किसी से दुश्मनी थी ? ऐसा तो नहीं है कि सुनील ने हीं आपके पिताजी का खून किया हो |

पवन : नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता सुनील भैया कितने भी बुरे हो लेकिन वह ऐसा काम बिल्कुल नहीं करेंगे पिताजी तो बहुत ही सज्जन थे और उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी |


सिद्धार्थ : ठीक है आप कहते हैं तो मान लेते हैं लेकिन अभी भी आप हमारे शक के दायरे में है हम आपसे सहयोग की पूरी आशा करते हैं |

इतना कहने के बाद सिद्धार्थ इंस्पेक्टर चुलबुल से मिला |

सिद्धार्थ : ठीक है इंस्पेक्टर साहब मैं घर के लिए निकलता हूं | मुझे कुछ सुराग मिले हैं लेकिन मैं पूरी तरह आश्वस्त होकर ही आपको बताऊंगा इसी बीच अगर आपको सुनील के बारे में कुछ पता चले तो मुझे जरूर खबर कीजिएगा |

अगली सुबह पुलिस हेड क्वार्टर में सिद्धार्थ सुनील से पूछताछ कर रहा था | पिछली रात को ही सुनील पकड़ा गया था पकड़े जाने के वक्त वह पूरी तरह नशे में चूर था |

सुनील : मैंने किसी की हत्या नहीं की है मैं निर्दोष हूं भले ही मैंने उस दिन दोपहर में पिताजी से लड़ाई की थी लेकिन मैं खूनी नहीं हूं | जब मुझे पता चला कि उन्होंने सारी संपत्ति पवन के नाम कर दी है तो मुझे क्रोध आ गया | ऐसी स्थिति में किसी को भी क्रोध आ जाए |

सुनील : खैर मैं उनसे लड़ाई के बाद अपना दुख कम करने के लिए अपने दोस्त के घर चला गया था मैंने पूरी रात शराब पी थी उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं जब नींद खुली तो मैंने अपने आप को यहां पाया |

सिद्धार्थ : अच्छा तो यह बात है वैसे आपके घर में क्लोरोफॉर्म का प्रयोग कौन करता है ?

सुनील : क्लोरोफॉर्म का प्रयोग तो………………….


सुनील का जवाब सुनकर सिद्धार्थ चौक गया लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और वह तुरंत ही धनीराम की हवेली के लिए निकल पड़ा | धनीराम की हवेली पर पहुंचकर सिद्धार्थ घर के नौकर रामू से मिला और उससे कुछ सवाल जवाब किया | रामू से कुछ सुराग लेकर वह दीपक के कमरे में पहुंचा और बोला |

सिद्धार्थ : माफ कीजिएगा आपके पास कोई कलम है क्या ?

जैसे यह सिद्धार्थ ने दीपक से मिली कलम चलाकर देखी उसकी आंखों में एक चमक आ गई |

सिद्धार्थ : हम आपके कमरे की तलाशी लेना चाहते हैं ?

दीपक : क्या ! यह क्या बकवास है |

थोड़ी ही देर में दीपक के कमरे से हत्या में प्रयुक्त सिरिंज और क्लोरोफॉर्म की बोतल बरामद हो चुकी थी उसके कमरे से धनीराम की वसीयत भी मिल चुकी थी | वसीयत पवन के नाम थी धनीराम का खूनी पकड़ा गया था |

सिद्धार्थ : दीपक तुमने प्लानिंग तो अच्छी की थी लेकिन हर प्लान में कुछ ना कुछ कमी जरूर होती है क्या तुम अपना अपराध स्वीकार करते हो |



दीपक : मुझे माफ कर दीजिए मैंने ही अपने पिता की हत्या की है मैंने हत्या की प्लानिंग 1 महीने पहले से ही शुरु कर दिया था मैं अपनी शारीरिक अपंगता के बारे में पिताजी के तानों से तंग आ चुका था | पिताजी मुझे मनहूस कहते थे और मुझे ही मां की मौत का जिम्मेदार मानते थे |

सुरश : उस दिन तो हद हो गई जब मुझे पता चला कि पिताजी ने सारी वसीयत पवन के नाम कर दी है उस दिन ही मैंने ठान लिया था कि मुझे पिताजी को रास्ते से हटाना होगा और वसीयत भी नष्ट करनी होगी वरना मुझे संपत्ति का एक धेला भी नहीं मिलेगा और मैं गरीबी में ही मर जाऊंगा |

दीपक : इसलिए मैं उन्हें मारने की आसान विधि ढूंढने लगा | जो मुझे पवन के डॉक्टरी के किताब में मिल गई मुझ पर शक ना हो इसलिए मैंने किताब के वो हिस्से में अंडरलाइन करके छोड़ दी ताकि शक पवन पर जाए मैने सिरिंज और क्लोरोफॉर्म का प्रयोग इसलिए किया ताकि पूरा शक पवन पड़ जाए |

दीपक : वैसे भी मैं हत्या की कोई आसान तरकीब ढूंढ रहा था इससे मेरी शारीरिक कमजोरी रुकावट ना बने जिस दिन सुनील भैया ने पिताजी से लड़ाई की उसी रात को मुझे सही मौका लगा ताकि लोग सुनील भैया पर भी शक करें |

दीपक : उस रात को जब पिताजी सो रहे थे तब मैंने उन्हें क्लोरोफॉर्म सुंघा कर बेहोश कर दिया और उसके बाद उन्हें गर्दन के पीछे नाजुक जगह पर सुई चुभा कर मार डाला | मैं डॉक्टर तो था नहीं इसलिए मुझे बार-बार सुई चुभानी पड़ी | लेकिन आपको मुझ पर ही शक क्यों हुआ ?


सिद्धार्थ : जब मैंने धनीराम के नाक पर काले धब्बे देखे तो मुझे कुछ असामान्य लगा | मैंने रात को इस पर पता किया तो मुझे पता चला कि ऐसा क्लोरोफॉर्म के कारण होता है | फिर मैंने पवन के कमरे में किताब पर अंडर लाइन की हुई लाइंस भी देखी सारी शक की सुई पवन की तरफ जा रही थी |

सिद्धार्थ : लेकिन जब सुनील ने यह बताया कि तुम भी कभी-कभी क्लोरोफॉर्म का प्रयोग करते हो जब तुम्हें नींद नहीं आती तुम पवन की मेडिकल की किताबें भी बहुत शौक से पढ़ते हो | और फिर रामू ने मुझे तुम्हारे लिए धनीराम के ताने और व्यवहार के बारे में बताया |

सिद्धार्थ : पवन अगर हत्या करता तो गले पर एक ही निशान होता क्योंकि वह डॉक्टर है आखिर में मुझे लाल रंग की कलम तुम्हारे कमरे में मिली जो बिल्कुल उसी रंग से मिलती थी जिससे पवन के किताबों में अंडर लाइन की गई थी | पवन ऐसे सबूत कभी नहीं छोड़ता और रही सही कसर तुम्हारे कमरे में मिली वसीयत ने पूरा कर दिया |


इस प्रकार सिद्धार्थ ने अपनी बुद्धिमानी और सूझबूझ से एक और मुश्किल केस सुलझा दिया था सब जगह सिद्धार्थ की प्रशंसा हो रही थी |

दोस्तों ये कहानी सिर्फ एक मनोरंज के लिए थी इसका वास्तविकता से कोई संयोग नहीं है ।

और क्राइम करना गलत बात है किसी को क्राइम नहीं करना चाहिये क्यूंकि कोई भी क्राइम करने वाला कानून से बच नहीं सकता ।