Confession - 24 Swati द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Confession - 24

कमरे  में  रोशनी  का प्रकाश  फैला  हुआ  है । धीरे-धीरे  एक आकृति  उन तीनों  के सामने  आ गई ।  यश  और शुभु  को  यकीन  नहीं हो  रहा है  कि  वो  पॉल एंडरसन  को देख  रहे  हैं, शुभु  की आँखों   में  आँसू  आ गए । आपके  होने   का  एहसास तो  हमें  पहले  भी हो  चुका  है । मगर पहले  तो  आपने  हमें  डरा  दिया  था, शुभु  ने  उनको  देखकर  कहा । पॉल एंडरसन  ने शुभु  को देखा, उनकी आँखों में  एक अनोखा  तेज़  है । चेहरे  पर अदम्य  शांति  है ।  उनके  बालों  की सफेदी  उनके  अनुभव को दर्शा  रही है । एंडरसन  ने बोलना  शुरू  किया,  "मैं   सही  मायने  में  तो अब  आया हूँ  । पहले  तो  मेरी  आत्मा  बंधक  बनी हुई  थीं ।" फादर  हम  कुछ  समझे  नहीं ? यश  का सवाल  है । तब  एकदम  अचानक  शुभु  से भी रहा  नहीं गया  और वो भी  बोल पड़ी। आप मुझे  मेरी  पापा  शांतनु  के बारे में  बता  सकते   हैं?  एंडरसन  ने  दोनों  को देखा, फ़िर  एक  नज़र  एंड्रू  पर  डाली और  बोले, तुम्हारे  पापा  के कहने   पर नूरा  को बुलाया   गया  था । वह  उससे  अपनी किए   गुनाह का कॉन्फेशन  करके माफी  की उम्मीद  रख रहे  थे,  मगर वो  तो  नफरत  और बदले  की आग  में  जल  रही  थी, और  अब भी  अशांत  है । क्या  आपको   भी.;;;;;;?  बोलते-बोलते  यश  रुक  गया ।  जब  शांतनु  यहाँ  से  चले  गए  तो  मैंने  उसे  वापिस  भेजने  की कोशिश  करनी  शुरू कर दी । मगर  उसने  तो  सबसे पहले तुम्हारे  पापा  की ही जान  ले ली । वह एक  मौत  से शक्तिशाली  हो गई  थीं । उसने  मुझे   परेशान  करना  शुरू   कर दिया  था, मैंने  उसे  वापिस  भेजने  के लिए  खुद  को एक कमरे  में  बंद कर  लिया  था, लोगों  को  लग,  मैं  गायब  हो गया  हूँ । मुझे  अब  भी वो  दिन याद है, जब  मैं  उसे  वापिस  भेजने  वाला  था,  उसने  शैतान  की मदद  से   मुझे  मारकर  मेरी   आत्मा  को बंधक  बना  लिया और  लोगों  ने मेरी  देह  को दफना  दिया  था । पर  मेरी  आत्मा  उसकी  कैद  में  थी  इसलिए  मेरे  शरीर   को  दफनाने  की बाद  भी  चैन  नहीं  लेने  दिया  गया । मैं  रोज़  तड़पता  और  पुकार  करता  कि  कोई मुझे  संस्कार  करके  मुक्ति  दे  दें। क्योंकि  जब तक  मेरा शरीर  अग्नि में  सम्मलित  नहीं  होता । तब तक  मैं   ऐसे  ही   गुलाम बनकर   तड़पता   रहता । फ़िर मैंने  उम्मीद  छोड़ दी और लोगों  को   पुकारना  बंद  कर  दिया ।  जो  मेरे  कंकालों  को हाथ  लगाता, उन्हें  वो शैतान  मार  डालता । 

कितने  साल बीत  गए,   फिर  एक दिन  तुम्हारा  दोस्त  विशाल  यहाँ  आया  और  मेरे  बारे   में  खोजबीन  करने  लगा ।  तब  नूरा  को अपना बदला  लेने का  रास्ता  मिल गया।  उसने  मेरी  बंधक  आत्मा  को तुम्हारे पीछे  लगा  दिया ।  वे  शैतान  के साथ  मिलकर  तुम्हें  मार  डालती, मगर  तुमने  मुझे  उसे  मुक्ति  दिला  दी ।   क्या ? विशाल  यहाँ  पहले  आया  था? शुभु  हैरान  हो गई ।  मगर उसने  कभी  नहीं  बताया । शुभु  को  फादर  की बात  का यकीन  नहीं  हुआ।  उस  बच्चे  का क्या  कसूर  उसकी  तो गाड़ी  ख़राब  हो गई  थीं और वह  होनी  से अनजान  अंदर  चला  आया था ।  एंडरसन के चेहरे  पर भावुकता  और कोमलता  थीं । जो  होना  होता  है,  वह  होकर रहता है, फ़िर  चाहे  बहाना  कोई भी  हो ? तुम सही  कह रहे हो  यश।  किस्मत  तो देखो, जिस  दिन विशाल  की गाड़ी  ख़राब  हुई  होगी, उस दिन यहाँ  चौकीदार  भी नहीं  था, वरना वो विशाल  को उस दिन पहचान  जाता ।  शुभु  ने  गहरी  सांस  लेते  हुए  कहा । एंडरसन  जब  सब  कुछ इतना  खतरनाक  है  तो कई  लोग  यहाँ से  बचकर  भी निकले  है ।  वो कैसे ? एंडरसन  ने शुभु  को देखते  हुए ज़वाब  दिया, सिर्फ  वही   लोग मरते  थे, जो मेरे  कंकाल  को छेड़ते या मेरे कॉन्फेशन  बॉक्स को खोलने  की कोशिश  करते । क्या  विशाल  ने कॉन्फेशन  बॉक्स  खोल  दिया  था? यश  ने पूछा ।  उस  बच्चे  ने तो नूरा  के आने  का रास्ता  खोल  दिया  था ।  फादर, क्या  आप  उसे  फ़िर  से वापिस  भेज  पाएंगे? एंड्रू   ने पूछा । 

मैं  नूरा  को वापिस  नहीं भेज  सकता  ।  एंडरसन ने  एंड्रू  की बात का जवाब दिया।  यह  सुनकर तीनों  मायूस  हो गए ।  कोई  रास्ता  तो होगा  एंडरसन?  नूरा  को शांतनु  ही वापिस  भेज सकते  हैं ।  सबने  यह सुना  तो एंडरसन  को देखने लग गए ।  एक  वो ही थे, जिन्हें अपने मरने का कोई  अफ़सोस  नहीं था और जो लोग ख़ुशी  से मरते  है, उनकी  आत्मा  के पास  ताकत  होती  है कि  वो  ऐसी  शैतान  रूह  को  रोक  सके ।  तो  क्या  मेरे  पापा? शुभु  की  आँख  भर  आई । क्या उन्हें  बुलाना  पड़ेगा?  नूरा  उन्हें  आने  नहीं  देगी और  वो नूरा  के सामने  बेबस  है ।  एंडरसन  ने  अपनी  बात  पूरी  की ।  फ़िर  तीनों  चुप  हो  गए, हताशा  उनके चेहरे  पर साफ़  झलक  रही  है ।  इससे  अच्छा  होगा कि  मैं मर जाती  हूँ क्योंकि उसका बदला  तो मुझसे  ख़त्म  होगा ।  शुभु  के यह  बोलते  ही सब हैरान हो   गए ।  यह  कोई  सुलझा  हुआ  रास्ता  नहीं है । नूरा  शैतान  के साथ  है और  शैतान  अब  उसे  अपनी  शक्तियाँ  देकर  इस  दुनिया  के निर्दोष  लोगों  की  बलि  देना  शुरू  कर देगा ।  नूरा  तुम्हें  मारकर  अपना बदला  ले लेगी  और  सदा  के लिए  उसकी  आत्मा  शैतान  बन  भटकती  रहेगी, उसे  भी  तो उसकी सही  जगह  पहुँचाना  ज़रूरी  है ।  एक बार  वो यहाँ  से चली  गई  तो  शैतान  का मकसद  भी  खत्म  हो जायेगा ।   शैतान  का मकसद  क्या  है ? यश  ने एंड्रू  से  पूछा, वह  पहले  लोगों  की आत्मा  को  ग़ुलाम  बनायेगा ।  फ़िर उन्हें  मारकर   इस  दुनिया  पर हावी होता  चला जायेगा  ।  लोग  डरकर एक दिन उसके आगे घुटने टेक देंगे और फ़िर  विनाश  ही विनाश ।  एंड्रू  के चेहरे   पर ख़ौफ़  और  चिंता  है । मेरे   दोस्तों  और मेरी मम्मी  के साथ  भी यही  हुआ  है ।  प्रत्यक्ष  को  प्रमाण  की ज़रूरत  नहीं होती । एंड्रू  ने  शुभु  को गंभीरता से  देखते  हुए  कहा।  एंड्रू  ठीक  कह रहे  हैं ।  यह  आवाज़  एंडरसन की  है । 

अब  क्या  किया  जाए ? रात  तो और  गहराती  जा रही  है ।  यश  ने चिंता  प्रकट  की।  एंडरसन  आप  तो  मुझसे  भी ज्यादा  भगवान  की  दया  को समझते  हैं ।  प्रभु  अपनी  सृष्टि   को मुसीबत  में  नहीं  छोड़  सकते ।  एंड्रू के स्वर  में  विनती है । आप  एक घंटा  और  नूरा  का सामना  कीजिए ।  मुझे  यकीन  है, गॉड  हमें  मायूस  नहीं  करेंगे । उसे हमें मारने के लिए एक घंटा ज्यादा है ।  उसकी  दी हुई  मौत  भी दर्दनाक  होती है ।  वह  सबको  लटकाकर मारती  है, क्योंकि  "वो खुद  भी ऐसे  ही मरी  थीं ।"  एंडरसन  ने उनकी  बात  को ख़त्म  किया ।  मुझे  यकीन  है, आप  उसे  रोक पायेगे और आप मेरे साथ संपर्क बनाए  रखियेगा एंड्रू। अब मैं  चलता  हूँ, कहकर  एंडरसन  चले गए ।  उनके जाते  ही  चहल-पहल  शुरू  हो गई ।  शुभु  ने यश  का  हाथ  कसकर पकड़  लिया ।  हमें  इसी  कमरे  में  एक साथ  रहना होगा ।  एंड्रू  ने दोनों  के  डरे  हुए  चेहरे  देखकर उन्हें  समझाया । 

कमरे  के बाहर से  रोने-हँसने  आवाजे  आ रही  है । आवाजें  इतनी डरावनी  है  कि  दोनों  काँप  रहे  है  और एंड्रू  ध्यानमग्न  है ।  तभी  दरवाज़े  पर खटखट  हुई ।  शुभु ! बेटा  दरवाज़ा  खोल ।  देख  में  तेरी  माँ  बेटा  तुझसे  मिलने  आई  हूँ ।  शुभु  ने माँ  की आवाज़  सुनी  तो  जाने  को हुई ।  पागल हो गई  हो । तुम्हारी  माँ  नहीं है,  उसकी  कोई चाल  है, हमें  किसी  भी हाल  में  इस  कमरे  से  बाहर  नहीं  निकलना । यश  ने उसका  हाथ  पकड़  लिया ।  थोड़ी  देर  बाद , अतुल  की आवाज  आई ।  यश, मुझे  बचा ले यार ! ।  यश  ने खुद  को मजबूत  किया ।  लगातार  दरवाज़ा  बजता  रहा ।  मगर  उन्होंने  दरवाज़ा  नहीं  खोला ।  पर  जब एक  आवाज  सुनी  तो  यश  बैचैन  हो गया ।  यश  बेटा, मैं  तेरा  पापा।  मुझे  बचा  बेटा, मुझे  जबरदस्ती  यहाँ  लाया  गया  है ।  पापा !  मेरे  पापा  यहाँ।  शुभु  ने यश  को जाने  से  रोका ।  तुम्हारे  पापा  यहाँ  कहा  आएंगे।  समझो! हम  किसी  मुसीबत  में  फँस  जायेगे ।  यश  रुक  गया ।  फिर  यश  बेटा, मैं  तेरी  मम्मी, बेटा  बचा  मुझे, यह  हमें  मार  डालेगी । अपनी  माँ  की दर्द  भरी आवाज़  सुनकर  यश  से रहा  नहीं  गया, अगर  इन्हें  कुछ  हो गया  तो मैं  खुद  को कभी  माफ़  नहीं  कर  पाउँगा ।   यह  कहते  हुए  उसने  दरवाज़ा  खोल  दिया ।  शुभु  चिल्लाई , यश !!

यश ने दरवाज़ा खोलकर  देखा  तो बाहर  कोई नहीं  है ।  यश  अंदर  आ जाओ ।  शुभु  फ़िर  चिल्लाई।  जैसे  ही यश अंदर  आने को हुआ  तो नूरा  उसके  सामने खड़ी  है । यश  काँप  गया ।   यश  चिल्लाया, शुभु  अंदर  रहो, बाहर  मत निकलना । उसने  यश  का  गला  पकड़ा ।  उसने  तब तक यश  को  नीचे  फ़ेंक  दिया । अब क्या  करो ? यश को कुछ  नहीं होगा ।  यह  कहते  हुए  उसने  एंड्रू  का टेबल  पर  रखा  क्रॉस  उठाया  और नूरा  के सामने ला दिया ।  नूरा  वहाँ से चली  गई ।  यश  खुद  को संभालता  हुआ, फ़िर  कमरे  की तरफ  जाने  के लिए  सीढ़ियाँ  चढ़ने  लगा ।  शुभु  भी  यश  को  देखने  के लिए  नीचे  आने को  हुई  और  दोनों  सीढ़ियो  में  मिल गए ।  मगर  तभी  शुभु  को धक्का  लगा  और वो  यश  पर गिरी  और दोनों लुढ़कर  नीचे  आ गए ।  दोनों  ने देखा  कि  पूरा  कमरा  संध्या, समीर, रिया  अतुल, विशाल, सागर , अनन्या, अवनी, वो तांत्रिक बाबा, दोनों  वॉचमन, सुधीर और  यहाँ  तक  कि  मरे हुए  कुत्तो  से भर गया  है ।  सब  उन्हें  मारने  आ रहे  है ।  यश  अब क्या  होगा ? यश  ने शुभु  को कसकर  पकड़  लिया ।  शुभु तुम क्रॉस  की तरफ  बढ़ो  मैं  इनका  ध्यान  अपनी तरफ  खींचता  हूँ ।  उसने  गिरे  हुए  क्रॉस  की तरफ़  ईशारा किया ।  वह  जानबूझकर  उन प्रेतों  से लड़ने  लगा ।  मौका  देखकर  शुभु  उस  क्रॉस  की तरफ़  भागी ।  सारे  प्रेत  यश  को घेरकर  उसका  गला  घोटने  के लिए तैयार  हो गए ।  तभी  शुभु  क्रॉस  लिए  बीच  घेरे   में  आ गई और  वे सभी  पीछे  हटने लगे ।  दोनों  दोबारा  कमरे  की तरफ़  भागे ।  मगर  दरवाज़ा नहीं खुला।   कहीं  नूरा  ने उन्हें  कुछ  कर  तो नहीं  दिया ।  शुभु  के चेहरे  पर  चिंता  है ।  दोनों  वहाँ  से  दूसरे  कमरे  की तरफ़  बढ़  गए ।  उन्होंने  कमरे  में  देखा  कि  किताबें  ही किताबें  है ।  यश  ने दरवाज़ा  अंदर  से बंद  कर लिया । शुभु  ने किताबें  देखना  शुरू  कर दिया ।  एक  किताब  पर  उसकी  नज़र  पड़ी ।  यश ! यह  देखो  यह  तो  आत्मा  को  बुलाने  की किताब  है।  यश ने किताब  को गौर  से  देखा। 

शुभु ने किताब  में  लिखे  मन्त्र  को  पढ़ा ।  तभी  दरवाज़ा  खटका, मैं  एंड्रू।  बाहर  आओ ।  यश  ने बिना  समय  गवाए  दरवाज़ा  खोल  दिया ।  एंड्रू  मुँह मोड़कर खड़े  हैं ।  फादर  आप  अंदर  आये  देखे, ये  कैसी किताबें  है ।  हमने  आपकी  बात  नहीं मानी  तो  आप  नाराज़  तो नहीं  है ।  यश  ने उनके   कंधे   पर हाथ रखा  तो उन्होंने  पलटकर  देखा  तो  नूरा  का चेहरा  था, वह ज़ोर  से  दहाड़ी ।  यश  चिल्लाया  और  शुभु  को   लेकर  दूसरे  कमरे  में   धुस  गया। वो  कमरा  छोटा  है । दोनों एक दूसरे को देखने  लगे।  इसका  मतलब फादर  मर गए ? कुछ  समझ नहीं   आ रहा है।  यश  ने पसीना  पोंछते  हुए कहा । क्रॉस  कहाँ  है  ? वो तो  उसी  कमरे  में  गिर  गया । शुभु  ने सिर  पकड़कर  कहा ।  अब क्या करेंगे ।  मैंने  कितने  सपने  देखे  है,  और  अब मैं नहीं बचूँगा।  यश  परेशान  हो गया । यश  तुम चिंता  मत करो, कुछ नहीं  होगा ।  मैं  किताब  पढ़ती हूँ, शायद  कुछ हो जाये ।  शुभु  ने मंत्र  पढ़ा  तभी  दरवाज़ा  टूट  गया । उसने  देखा  सामने  उसके  पापा  खड़े  है ।  वह  रोने को हुई, इससे  पहले  वो उनके पास जाती ।  नूरा वहाँ  पहुँच  गई  और उसके  पापा  की आत्मा  बैचैन होकर वहाँ  से   चली  गई । अब शुभु  को नूरा  ने  हवा  में खींचा।  यश  आगे बढ़ा  तो उसे  परे  धकेल  दिया ।  शुभु  का  दम  घुटने  लगा, वह  हवा  में  लहराने  लगी ।  मगर  यश  दीवार पर  गिरने  से बेहोशी  की हालत  में  पहुँच  गया ।  यश ! पापा! पापा ! उसने  पुकारा  मगर   नूरा  ने उसे  हवा  में  घुमाना  शुरू  कर दिया  ।  वह उसे  कभी ज़मीन  पर गिराती  तो कभी हवा में  उछालती।  वह  लहूलुहान  होती जा रही  है।  यश को होश आया  तो वह  शुभु  की मदद  करने  के लिए  उसकी  तरफ  बढ़ा ।   

 मगर नूरा  ने उसे  फिर से कमरे  में  रखे  सामान  की तरफ फेंका, अब तो उसकी  शक्ति  ख़त्म  हो चुकी  है। उसे  नहीं लगता अब  वो ज़िंदा  बच पायेगा।  यश ! पापा ! शुभु  फ़िर  चिल्लाई।  मगर  अब  गुस्साई  नूरा  के  हाथ  लम्बे  होकर   शुभु  की  गर्दन  तक  पहुँच  गए  और उसका दम  घुटने  लगा। हवा  में  लटकी  शुभु  को अपनी  मौत  का आभास  हो गया। उसका  चेहरा  शीथल  हो गया  और  उसे  अपने पैरो  में  कमज़ोरी  महसूस होने लगी।