अतुल अपनी ही धुन में गाड़ी चला रहा है । वह खिड़की से देखता है, तो अब उसे रास्ते के दोनों तरफ़ पेड़ और हरियाली नज़र नहीं आते । उसे आबादी दिखनी शुरू हो चुकी हैं । वह जल्द से जल्द अपने माँ-पिता के पास रुड़की पहुँचना चाहता है । एक बार, वो वहाँ पहुँच जायेगा तो उसकी जान में जान आ जाएगी । फ़िर तीन बाद तो रिजल्ट आने ही वाला है, उसके बाद उसकी ज़िन्दगी का नया सफ़र शुरू हो जायेगा । काश ! विशाल, रिया, शुभु और यश सब साथ होते तो ज़िन्दगी का मज़ा ही कुछ और होता । यही सब सोचता हुआ, वह तेज़ गति से गाड़ी चला रहा है । उसने तभी महसूस किया कि उसे प्यास लगी है । उसने पास रखी पानी की बोतल उठाई और पानी पीकर फ़िर गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी । यार ! भूख भी बहुत लगी है, मगर उसे फादर एंड्रू के शब्द याद आ रहे है कि "कहीं भी गाड़ी मत रोकना।" उसके सामने से खाने-पीने की कितनी दुकाने निकल चुकी है । उसका मन तो कर रहा है कि वह दो मिनट गाड़ी रोककर, फटाफट कुछ खरीद लें और गाड़ी में बैठकर ही खा लें। ऐसा ख्याल आते ही, उसने गाड़ी रोक दी । उसने गाड़ी के अंदर बैठे हुए ही कुछ स्नैक्स खरीदने चाहे । उसने जेब में हाथ मारा तो उसके वॉलेट में मात्र 50 रुपए है । उसने देखा कि करीब आधे घंटे बाद पेट्रोल भी ख़त्म हो जायेगा । पेट्रोल की पेमेंट वो कार्ड से कर देगा । यहीं ध्यान में रखते हुए उसने एक पानी की बोतल और खाने का सामान खरीद लिया । अब खाने के लिए तो कहीं न कहीं गाड़ी को किनारे लगाना ही पड़ेगा । उसने एक किनारे गाड़ी रोकी और ख़रीदा हुआ बर्गर, पेट्टी खाना शुरू कर दिया । खाते हुए उसने अपना फ़ोन देखा तो अभी शाम के 5 बजे है । बस एक घंटे में वो इस शहर से निकल जायेगा ।
उसने जल्दी-जल्दी खाया और फ़िर गाड़ी चलानी शुरू कर दी । अब अपनी बोरियत दूर करने के लिए उसने रेडियो चला लिया । रेडियो में बज रहे गाने की धुन को वह खुद भी गुनगुनाने लगा । तभी गाना बजना बंद हो गया तो उसने चैनल बदला, उस पर कोई तीन-चार लोग बात कर रहे हैं । उसने सुनने की कोशिश की तो उसे याद आया कि ये बातें तो उन लोगों ने पॉल एंडरसन के घर पर की थीं । वह घबरा गया , उसने गाड़ी के ब्रेक मारे और मुड़कर पीछे की सीट पर देखा तो कोई नहीं है । उसने गाड़ी की स्पीड तेज़ कर दी और फ़िर पेट्रोल कम होता देखकर उसने गाड़ी पेट्रोल पंप के पास रोक दी । क्या मेरे कानो को कोई वहम हो गया था या सचमुच में मैंने ऐसा कुछ सुना था। उसने पेट्रोल वाले को अपना कार्ड दिया तो वह काम नहीं कर रहा है, उसे गाड़ी से उतरना पड़ा । उसने दूसरा कार्ड दिया तो वह भी नहीं चल रहा है । उसने हारकर पेट्रोल भरने वाले वर्कर से कहा, "भाई, पता नहीं कार्ड को क्या हो गया है, तू मुझे अपना नंबर दे दें, मैं घर पहुँचते ही तुझे पैसे ट्रांसफर कर दूँगा ।" 1000 रुपए का पेट्रोल डलवा लिया, अब पैसे देने के समय नाटक कर रहा है, हमें भी तो जवाब देना पड़ता है । उसने खुद को टटोला तो उसके पास कुछ नहीं है, जिसे वह देकर अपनी जान छुड़ा सके । उसने फ़िर कोशिश की, तू मेरा फ़ोन नंबर ले ले, मैं पक्का पैसे वापिस दे दूंगा । अतुल की आवाज़ सुनकर दो-चार वर्कर और आ गए उन्होंने भी अतुल से पैसे देने के लिए ज़ोर डालना शुरू कर दिया। ठीक है, तुम लोग गाड़ी से पेट्रोल निकाल लो और मेरी जान छोड़ो, अतुल ने चिढ़कर कहा ।
तेरे बाप का पेट्रोल पंप है क्या, साले ! तुम लोग, पहले मस्ती करने के लिए गाड़ी घुमा-घुमाकर लड़कीबाजी करते हो, उसके बाद पैसे देने के टाइम ड्रामा करते हो, तेरी तो। वह वर्कर चिल्लाकर बोला। " ओह! संभलकर बोल, मैं आराम से बात कर रहा हूँ, अपनी औकात में रह, अब तो अतुल को भी गुस्सा आ गया । हमें बताएगा औकात ठहर साले, अभी तुझे बताते है, यह कहते ही सबने मिलकर उसे पीटना शुरू कर दिया । अतुल ने भी जवाब देने की पूरी कोशिश की। मगर वे चार लोग उस अकेले पर हावी हो गए । वे उसे घेरकर बुरी तरह मारने लगे । उसने शोर मचाया, मगर आसपास कोई होता तो आता । तभी एक वर्कर ने कोई नुकीली चीज़ से अतुल की पीठ पर वार कर दिया । वह लड़खड़ाता हुआ ज़मीन पर गिर गया । उसने देखा कि चारो की आँखों में खून उतर आया है, वे उसे जान से मारकर यहाँ फ़ेंक भी देंगे तो भी किसी को कुछ पता नहीं चलेगा । मार-पीट में उसकी जेब से वो कॉइन निकल गया । वह कॉइन लेने के लिए लपका तो एक वर्कर ने उसके पैर खींच लिए, क्यों बे ! कहाँ भाग रहा है, आज तो तेरा किस्सा ख़त्म ही कर देंगे । उसने देखा चारों वर्कर की आँखों का रंग बदल गया है। वे तीनो अब इंसानी रूह वाले प्रतीत नहीं हो रहे हैं, उनमे अलग ही शक्ति आ चुकी है । जो अतुल की जान लेने पर तुली हैं । अतुल की साँसे उखड़ने लगी, उसे लगने लगा वह अब मर ही जायेगा। वह किसी तरह खुद को बचाता हुआ कॉइन तक पहुँचा, उसके हाथ में कॉइन देखते ही वे चारों रुक गए। उसने खुद को खड़ा किया । जैसे-तैसे उठकर वह गाड़ी में बैठा और गाड़ी वहाँ से निकाल ली । मगर अब उसमें वो हिम्मत नहीं है कि वो ड्राइव कर सकें । उसकी हालत काफ़ी नाज़ुक है, उसने गाड़ी सड़क के बीचो-बीच रोक दी । अँधेरा हो चुका है । अब तो यहाँ से जाने की आस भी ख़त्म समझो । काश ! मैं शुभु को अकेला छोड़कर नहीं आता, वही रह जाता । पर अब अगर उसे कोई लिफ्ट मिल जाए तो वह यहाँ से निकल सकता है । किसी तरह उसने गाड़ी सड़क के किनारे लगाई और खुद बाहर आकर, वह गुज़रती हुई गाड़ियों को हाथ देने लगा ।
कुछ देर गाड़ियों को हाथ देने के बाद एक गाड़ी आकर रुकी, उसमे एक लड़का और लड़की बैठे हुए है । अरे ! आपकी हालत तो काफ़ी ख़राब है, आपको हॉस्पिटल छोड़ दे ? लड़के ने पूछा । आप फिलहाल मुझे इस शहर के बाहर पहुँचा दे, मैं फ़िर अपने लिए कोई डॉक्टर देख लूँगा । अतुल ने दयनीय स्वर में कहा । लड़की ने उस लड़के को ईशारा किया और उसने सहारा देकर अतुल को गाड़ी में बिठा लिया । अतुल पीछे वाली सीट पर लेट गया । उन्होंने गाड़ी चला दी । आप घबराइए मत, कुछ ही देर में हम यहाँ से बाहर होंगे । लड़के ने शीशे में देखते हुए कहा, आपकी यह हालत किसने की ? लड़की ने पूछा । किसी से मारपीट हो गई थीं । बड़ी बुरी तरह मारा है , आपने पुलिस में कंप्लेंट नहीं की? उन दोनों ने सवाल किया । वो सब छोड़िये, अनजान शहर में क्या इन सबमें पड़ो । अतुल दर्द से कराह रहा है, उसकी हालत ऐसी नहीं है कि वो अब ज्यादा बोल सके, वह चुप हो गया । गाड़ी अपनी स्पीड से भागी जा रही है । अँधेरा बढ़ता जा रहा है। थोड़ी देर तक तो गाड़ी में कोई कुछ नहीं बोला, फ़िर थोड़ी देर बाद उसने ही हिम्मत करके पूछा कि कहाँ पहुँच गए? लड़के ने धीमी आवाज़ में जवाब दिया, आप आराम करे, जैसे ही गाड़ी रुकेगी, हम आपको बता देंगे। अतुल ने यह सुनकर तसल्ली से आँखें बंद कर ली । तभी जब गाड़ी रुकी तो उसकी आँख भी खुल गई। क्या हम पहुँच गए ? नहीं, हमने गाड़ी किसी केमिस्ट के पास रोक दी है। आपकी ऐसी हालत हमसे देखी नहीं जा रही है । कुछ फर्स्ट ऐड ले लेते हैं । लड़की ने जवाब दिया । इसकी कोई ज़रूरत नहीं है । अतुल अब भी कराह रहा है । कराहते हुए उसने अपना हाथ जेब में डाला तो उसे याद आया कि वो कॉइन तो अपनी गाड़ी में भूल आया है। उसकी तकलीफ और बढ़ गई । हो सकता है, खतरा अब टल गया हो, ये लोग सही लग रहे हैं । क्या पता कि वो पहुँचने ही वाला हो।
तभी लड़का एक मेडिसिन और पानी की बोतल लेकर गाड़ी में आया और उसने गोली पकड़ाते हुए अतुल को कहा, ये ले लीजिये, यह एक पैन किलर है, थोड़ा दर्द तो कम होगा । अतुल ने पहले तो मना किया, मगर जब दोनों ज़िद करने लगे तो उसने अपने जख्मी हाथों से गोली पकड़ ली और ले ली । पानी पीने की बाद उसने उन्हें थैंक्यू कहा । मैं आप लोगों को कभी नहीं भूल पाऊँगा । आपने मेरी बहुत मदद की है। अपना नाम तो बतायें, कभी ज़िन्दगी में दोबारा मिलना हुआ तो शायद मैं भी आपके कुछ काम आ पाओ। अतुल ने कराहते हुए कहा । अतुल को लगने लगा कि दवाई का असर हो रहा है । उसकी पलके भारी होने लगी है। कहीं उसे नींद आ गई तो, यहीं सोचकर उसने जबरदस्ती अपनी आंखें खोलनी चाही। मेरा नाम विशाल और मेरा रिया । इतना सुनते ही अतुल काँपने लगा और वो लोग ज़ोर से हँसे और उनकी डरावनी हँसी को सुनते ही अतुल को नींद ने अपने आगोश में ले लिया । उनकी हँसी उसके कानों में गूंज रही है । मगर उसकी चेतना ख़त्म हो चुकी है । अतुल को समझ आ गया कि यह उसका आखिरी सफर है ।
करीब आधा घंटे बाद अतुल की आंख खुली तो गाड़ी में कोई नहीं है । गाड़ी खाली पड़ी हुई है । उसे याद आया कि आखिरी शब्द उसने रिया और विशाल सुने थें । वह घबराता हुआ गाड़ी से निकला और जब उसने देखा तो उसके होश ही गुम हो गये । अतुल लौटकर पॉल एंडरसन के घर के बाहर पहुँच गया है । उसने अंदर से चीख सुनी तो वह अपने घायल शरीर को खींचता हुआ अंदर आ गया । अंदर आकर उसने देखा कि कोई नहीं है । उसने आवाज लगाई शुभु! यश ! फादर एंड्रू ! थोड़ी देर तक ऎसे ही चिल्लाता रहा और धम्म से ज़मीन पर गिर गया। शुभांगी ने अतुल की आवाज़ सुनी तो कहने लगी, यह तो अतुल है, वह तीनो एक कमरे में खुद को बंद कर पॉल एंडरसन को बुलाने में लगे हुए हैं। नहीं शुभु, अतुल तो नहीं हो सकता, वह तो कबका अपने घर पहुँच गया होगा । हो सकता है, वह वापिस आ गया हो । चलो! चलकर देखते है, शुभु ने कहा । फादर एंड्रू, अब भी एंडरसन को बुलाने में लगे हुए हैं । दोनों भागकर ऊपर वाले कमरे से नीचे आ गए तो अतुल को ऐसे घायल देखकर उसकी ओर भागे। अतुल ने दोनों को देखा और कहने लगा शुभु! यश ! यार मैं नहीं जा पाया, मुझे बचा लो यार ! इतना सुनते ही अतुल को किसी ने खींचा और हवा में लटका दिया । अतुल की आँखों का रंग बदल गया । वह डरावनी हँसी हँसने लगा, उसने फिर कहा, शुभु मुझे बचाओ ! उसकी आवाज़ में दर्द है । जैसे रिया की आवाज़ में था। वह चीखी अतुल! , अतुल! अतुल ! यश भी चिल्लाया । मगर तभी उसकी साँसे रुक गई और वह ऊपर लगे झूमर में लटक गया । उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया और उसका पूरा शरीर एक कंकाल की तरह दुबला हो गया । वह तभी नीचे गिरा और शुभु का रोना फूट पड़ा । दोनों मरे हुए अतुल की तरफ बढ़े । अतुल ! वह ज़ोर -ज़ोर से रोने लगी । यश की आँखों में भी आँसू आ गए।
शुभु तभी अचानक रोते हुए चीखी, क्यों मेरे सारे अपनों को तुमने मार डाला, तुम्हें जान ही लेनी है, तो मेरी ले लो । यश ने उसे संभाला। तभी उन्हें सामने हवा में लटकती नूरा दिखाई दी, नूरा उन्हें घूर रही है। नूरा की गहरी नीली आँखें, उन्हें गुस्से से देख रही है, दोनों ये देखकर बुरी तरह डर गए और फ़िर नूरा ने वहीं झूमर दोनों की तरफ़ फेंका, यश ने शुभु को खींचा और बड़ी तेजी से उसे ऊपर की ओर एंड्रू के कमरे की तरफ़ ले गया। मगर एंड्रू का कमरे का दरवाज़ा बंद है। नूरा उनके पीछे वहाँ भी आ गई । उसने शुभु को हवा में खींचना चाहा तो यश ने उसे लपककर पकड़ लिया। तब उसने यश का सिर दरवाज़े पर दे मारा और शुभु ज़ोर से चिल्लायी यश !। वह संभलकर उठा । अब एक बड़ा सा हाथ यश की तरफ आया और तभी एंड्रू का दरवाज़ा खुल गया और अंदर एक रोशनी दिखने लगी । एंडरसन आ गए ! एंड्रू की आवाज़ सुनते ही हाथ गायब हो गया। वे दोनों जल्दी से उठकर कमरे में आ गए।