पेहचान - 19 - सैतानी पकड़ी गयी Preeti Pragnaya Swain द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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पेहचान - 19 - सैतानी पकड़ी गयी

(Sorry रुकाबट् के लिए खेद है ,actually मेरे exams चल रहे थे ,तो मैं उसी मे ब्यस्त होगयी थी,उसके लिए माफ़ी चाहती हूँ । ,कृपया मेरी इस गलती को माफ कीजिये और मेरी कहानी को ढेर सारा प्यार दीजिये ,अब से आपको वक़्त पर कहानी पढ़ने को मिल जाया करेंगी)

पीहू इधर उधर कुछ ढूँड रही थी, तभी पीछे से अभिमन्यु ने कहा o psycho केसी हो? फिर खुदको टोकते हुए बोला, तु भी न अभिमन्यु गधो वाले काम करता है भला तु उसको psycho बुलाएगा तो वो सुनेगी क्या उसे बुरा लगेगा... फिर खुदका गला साफ करते हुए बोला पीहू....
पर पीहू उसकी बात नहीं सुनी वो अपने काम मैं ब्यस्त रही.... अभिमन्यु बहुत तरीके से उसको बुलाने लगा जैसे कभी respect से पीहू मैडम, miss पीहू, hlw महारानी और भी बहुत कुछ पर पीहू अभी भी चुप रही..

अभिमन्यु के सब्र का बाँध अब टूट गया, उसने गुस्से से कहा तुम्हे सुनाई नहीं दे रहा क्या? मुझे तुमसे बात करनी है, भला तुम मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दे रही हो?

पीहू अभी भी चुप थी....

अभिमन्यु तो इतने गुस्से मे आ चुका था की मानो,वो अभी पीहू का सिर दीवार से पटकदे पर क्या करे वो एसा नहीं कर सकता था . .....
वो एक राजपुत् खानदान का बेटा था ,उसके खून मैं हार मारने वाली बात थी ही नहीं,,तो उसने कुछ सोचा और मन ही मन बोला अगर तुम चुप हो तो मैं भी एक राजपुत् हूँ ,देखता हूँ तुम मुझसे बात कैसे नहीं करोगी!

अभिमन्यु वहाँ से मुडा और कमरे की तरफ जाने लगा ,तभी उसके दिमाग मे कुछ आया और वो वंही टेबल पे रखे समान से टकरा कर नीचे गिर गया और बेहोस होने की एक्टिंग करने लगा..... उसने मन ही मन कहा अब देखता हूँ psycho तुम मेरे पास कैसे नहीं आती हो? उसे वहाँ गिरे 5 min हो गए थे, गिरे हुए... उसने कहा अरे ये psycho मुझे अब तक उठा क्यों नहीं रही है? 10 min से जब बात जाकर 15 min पे रुकी अभिमन्यु का सब्र टूट गया ,जैसे ही उसने अपनी आँखे खोली तो वो हक्का बक्का रह गया पीहू वंही खड़ी थी , वो कुछ बोलता पर चुप होगया मानो जैसे स्कूल के किसी बच्चे की सैतानी रंगे हाथों पकड़ी गयी हो.. वो उठा और धीरे से कमरे मे जाने लगा .पीहू अभी भी चुप थी.. वो चुप चाप नीचे गिरे समान को उठाने लगी....
कमरे मे जाकर भी अभिमन्यु को चैन नहीं आया अभी भी वो यही सोच रहा था कैसे भी करके इस पीहू की मुँह तो खुलबानी है !

दोपहर का वक़्त हो चुका था पीहू एक ट्रे मे कुछ खाना लेकर आई.... अभिमन्यु ने देर न करते हुए गरम गरम खाना मुँह मे डाल दिया जिसके वजह से उसके मुँह मे छाले आगये ,जलन की वजह से उसके मुँह से एक आह! भरी आवाज़ निकली... फिर भी वो एक और निबाला लेने लगा जैसे ही उसने तीसरे नीबाले को खाना चाहा पीहू उसका हात पकड़ ली और बोली पागल होगये हो क्या? मैं बात नहीं कर रही इसलिए इस हद तक जाओगे क्या? पहले तो गोली की वजह से हालत खराब है उपर से ये गरम खाना खाकर मुँह मे छाले बना दिये......

अभिमन्यु बोला अगर तुम जानती हो की मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ तो मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो? मुझे इतना इग्नोर क्यों कर रही हो सुबह से तुमसे बात करने की कोसिस कर रहा हू पर तुम तो ... इसके आगे वो कुछ बोलता ,पीहू बोली चुप एक दम चुप, मैं मेडिसिन लाती हूँ उसे खा लेना उसके बाद जाकर कुछ बोलना, और अगर उससे पहले एक भी आवाज तुम्हारे मुँह से निकली न ....I swear तुम्हारी जवान खिच लुंगी....

अभिमन्यु हस्ते हुए बोला मुझे पता है तुम बस डराने के लिए एसा बोल रही हो तुम एसा कुछ नहीं करोगी ....