'अल्का' नाम सुनकर शुभांगी को ज़्यादा हैरानी नहीं हुई क्योंकि कहीं न कहीं वो समझ गई थी कि उसकी माँ इस कहानी की मुख्य किरदार नहीं है, मगर फ़िर भी इस सच को सुनकर उसे सदमा लगा । क्या सचमुच वह किसी पुरुष के कदम बहकने का नतीज़ा है । उसकी आँखों में पानी देखकर सुधीर बोले, "तुम्हें उदास होने की ज़रूरत नहीं है । तुम्हारा जन्म तो विधाता की होनी है ।" शुभु कुछ नहीं बोली । कुछ देर तक कमरे में सन्नाटा रहा। फ़िर सुधीर ने शुभु की तरफ दोबारा देखा तो उसने हाँ में अपनी डबडबाई आँखें झपका दी ।
नूरा को तो डॉक्टर ने बचा लिया पर उसका बच्चा नहीं बचा पाए । वह बिलकुल टूट गई थी । उसने शांतनु से बात करना बंद कर दिया । वह माँ-बाप के पास जाना नहीं चाहती थी और शांतनु के साथ रह नहीं सकती थीं । इस गम ने उस बिलकुल बेजान कर दिया था । मैंने तुम्हारे पिता के कहने पर अल्का को उसी शहर में किराए पर एक कमरा दिलवा दिया । उसके रहने, खाने-पीने का सारा इंतज़ाम शांतनु के जिम्मे आ गया था । ये सब कहते हुए सुधीर ने एक बार शुभु पर नज़र डाली उसकी आँखों में अब भी नमी है । तुम्हारे पापा ने सोच लिया था कि वह अल्का को कहेंगे कि वो अपना बच्चा गिरा दे । फ़िर जब एक दिन डॉक्टर ने शांतनु को बताया कि अब अगर नूरा माँ बनेगी तो उसकी जान चली जाएगी तो उसने डॉक्टर की यह बात मुझे बताई। पहले तो मुझे खुद कुछ समझ नहीं आ रहा था । मगर फ़िर हालात को ध्यान में रखते हुए मैंने नूरा से बात की । उसे समझाया कि वह अल्का के बच्चे को अपना ले और हम बाद में उसकी शादी किसी और से करवा देंगे । अब उसकी हालत दोबारा माँ बनने जैसी नहीं है । पहले तो वह बहुत रोई-चिल्लाई, मगर अपनी कमज़ोरी जानकर उसने हालात के आगे घुटने टेक दिए ।
अब तुम्हारे पापा अल्का को अपने घर ले आए ताकि वह उनकी नज़रो के सामने रहे और वह उसका और उसके बच्चे का ख्याल रख सके । क्योंकि अब यह बच्चा शांतनु और नूरा का होने वाला था । तुम सुन रही हो न शुभु ! ? सुधीर ने धीमी आवाज़ में पूछा । हाँ, अंकल में सुन रही हूँ और समझ भी रही हूँ । शुभांगी ने अब अपने आँसू पौंछ लिए । अल्का को देखभाल और तवज़्ज़ो की ज़रूरत थी, जों शांतनु दे रहा था । नूरा उससे नहीं बोलती और अल्का उससे बात करते हुए कतराती थीं । शांतनु को अल्का के करीब देखकर नूरा को बहुत बुरा लगता। जब उससे उनकी नजदीकियाँ देखी नहीं गई तो उसने शांतनु को कह ही दिया---
अल्का:: शांतनु तुम उस लड़की को घर से निकालो । मुझे अपनी जान की परवाह नहीं है ।
शांतनु ::: तुम कैसी बातें करती हो नूरा, मैं तुम्हे खो नहीं सकता । एक बार बच्चा पैदा हो जाए, फिर मैं वादा करता हूँ उसे कहीं दूर भेज दूंगा ।
नूरा :::: तुम मुझे खो चुके हो, मुझसे कोई उम्मीद मत रखना। बस मैं अपना बच्चा देखना चाहती हूँ । इसकी वजह से तुम्हारे साथ हूँ । वरना इस भरी दुनिया में कोई आसरा तो मुझे मिल ही जाता । कहकर वह रोने लगी ।
शांतनु :: वो बच्चा भी तो हमारा ही होगा । शांतनु ने उसे चुप कराने की कोशिश की ।
नूरा:: मुझे उससे नफरत है और उसकी संतान से भी नफरत ही होगी। सुना! तुमने, मैं अब तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ कि तुम उसे यहाँ से निकालो । कहकर नूरा ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।
शांतनु ::: ठीक है, मैं तुम्हे खो नहीं सकता । यह कहकर शांतनु ने उसे गले लगाना चाहा, मगर नूरा ने उसे पीछे धकेल दिया ।
शांतनु ने अल्का से कहा तो वह भी रोने लगी और उसने भी शांतनु के आगे हाथ जोड़ दिए । शांतनु सच में अपनी करनी का फल भोग रहा था । वह एक जंजाल में खुद को फंसा महसूस कर रहा था । उसने नूरा को बताया कि बच्चा गिराने के बाद, वह अल्का को शहर से दूर छोड़ आया है।
शांतनु , क्या वो लड़की तुम्हें भूल जाएगी या तुम उसे भूल जाओगे? बताओ ज़वाब दो ।
नूरा तुम मुझे कुछ कहने का मौका तो दो, मैं हमेशा से ही तुम्हारा था और तुम्हारा रहूँगा। अब वो यहाँ से चली गई है। इसलिए सबकुछ भूलकर हम नई शुरुआत करते हैं । तुम चाहो तो हम कोई बच्चा गोद ले लेंगे । फ़िर तुम जैसा कहोगीं, मैं वैसा ही करूँगा। शांतनु नूरा के पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाने लग गया । ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी ।
तो क्या मेरे पापा मेरी माँ को दूर छोड़ आए और मेरा क्या हुआ ? शुभांगी ने सुधीर से पूछा ।
ज़िन्दगी अगर हमारे हिसाब से चलने लग जाये तो हमें उससे कोई शिकायत नहीं होगी । इसलिए आगे भी सुनती जाओ, शुभांगी । सुधीर ने फ़िर बोलना शुरू किया ।
शान्तनु तुम्हारी माँ को शहर से दूर अपने फार्महाउस में छोड़ आया । जिसक बारे में नूरा को भी नहीं पता था। शांतनु उसकी हर बात मानता, उसे खुश रखने की पूरी कोशिश करता । नूरा को लगने लगा था कि अल्का उसकी ज़िन्दगी से दूर चली गई है । शायद तभी वह थोड़ा अच्छा महसूस करने लगी थी । फ़िर वह दिन आया जिसके बारे में हममें से किसी ने भी नहीं सोचा था । एक दिन शान्तनु जब शाम को घर लौटा तो उसने देखा कि. ;;;;; सुधीर कहते हुए चुप हो गए ।
अंकल क्या देखा? यह आवाज़ अतुल की है । नूरा ने पंखे से लटककर खुद को फाँसी लगा ली थीं और मरने से पहले उसने लिखा था "मुझे सब पता चल गया है । अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती और तुम्हें कभी माफ़ भी नहीं करूंगी । अब जाओ, तुम आज़ाद हो ।"
उन्हें क्या पता चल गया था ? सुधीर ने अतुल की तरफ देखते हुए कहा "यही कि शांतनु ने उससे झूठ बोला, वह अल्का को छोड़ने के बाद भी उससे संपर्क में था । एक बार शांतनु के लिए अल्का की दाई का फ़ोन आया था, जिसने उसे अल्का की देखभाल के लिए रखा था। उसने नूरा को सब बता दिया था और जिस डॉक्टर के बारे में उसने नूरा को बताया था, वह दरसअल नूरा की कोई परिचित थी । उसी ने बताया कि शांतनु किसी बच्चे को गिराने के लिए कभी उसके पास आया ही नही था । इसका मतलब शुभांगी, तुम्हारा अस्तित्व ख़त्म नहीं हुआ था।
सब खामोश थे । मगर सुधीर अब भी बोले जा रहे हैं । नूरा के जाने के बाद तो शांतनु बिल्कुल टूट गया । मेरे कहने पर वो अल्का को घर ले आया। मगर उसने उससे शादी नहीं की । वह नूरा की आत्मा को दुःखी नहीं करना चाहता था । जब तुम पूरे दो साल की थी, तब शांतनु मुझसे मिलने आया और मैंने बातों-बातो में उससे पॉल एंडरसन के बारे में बता दिया । तब से वो उनसे मिलने की ज़िद करने लगा । वह नूरा से एक बार बात करना चाहता था, उससे अपने किये का बहुत पछतावा था । मैंने उसे मना कर दिया, मगर वह नहीं माना । मैंने तुम्हारी माँ से भी बात की पर वो भी उसे समझा नहीं पाई । आख़िर मुझे उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा ।
मैं उसे लेकर पॉल एंडरसन के पास पहुँच गया । पॉल एंडरसन ने उसकी हालत देखी, उन्हें उस पर तरस आ गया । उन्होंने नूरा को बुलाने की शुरुवात की तो नूरा ने बात करने से मना कर दिया । पॉल एंडरसन ने तब शांतनु को कहा भी कि वो चला जाये । कुछ कर्मो की कोई माफ़ी नहीं होती है। चाहे दिल टूटने की आवाज़ न हो, मगर उसका दर्द मरते दम तक नहीं जाता है । पर तुम्हारे पापा पॉल एंडरसन के आगे हाथ जोड़ने लगे, तब बहुत कोशिशों के बाद उन्होंने नूरा को बुला ही लिया ।
इसका मतलब मेरे पापा पॉल एंडरसन के पास गये थे । यह सुनते ही अतुल ने अपने साथ लाए बैग से रजिस्टर खोलकर देखा तो शुरू के पन्नो में सुधीर और शांतनु का नाम लिखा था, उसने शुभु को दिखाया । तो क्या मेरे पापा की नूरा से बात हुई थीं।
हाँ, हुई थी । वो दृश्य भी सुधीर के सामने आ गया ।
शांतनु :: मुझे माफ़ कर दो नूरा । तुम्हें खुदखुशी नहीं करनी चाहिए थी । हम साथ रहते तो सब ठीक कर लेते ।
नूरा::::: मैं तुमसे नफरत करती हूँ । माफ़ी की उम्मीद मत रखना, जाओ यहाँ से । नूरा की चीख पूरे कमरे में फैल गई ।
पॉल एंडरसन :: नूरा, माय चाइल्ड माफ़ करना आत्मा और मन को शांति देना है ।
तभी कमरे की कुर्सी हवा में उछली और ज़मीन पर आ गिरी । सारा सामान इधर से उधर होने लगा ।
आप लोग जाओ, वो यहाँ आ गई है । मैं इसे वापिस भेजता हूँ । सुधीर ने शांतनु का हाथ पकड़ उसे जाने के लिए उठाया । मगर वह नूरा! नूरा! कर रहा था । नूरा ! नूरा ! मेरे पास आओ । पॉल एंडरसन कुछ न कुछ बोले जा रहे हैं । तभी सबकुछ शांत हो गया । क्या वो चली गई? सुधीर ने पॉल एंडरसन से पूछा ।
मैंने उसे अभी यही रोक लिया है । आप जाए यहाँ से । यह कहते हुए उन्होंने अपना कॉन्फेशन बॉक्स बंद कर दिया ।
सुधीर ने शांतनु को खींचा, मगर वो कॉन्फेशन बॉक्स की तरफ गया और उसने एकदम से गेट खोल दिया । फ़िर वैसी ही हलचल शुरू हो गई और एकदम सन्नाटा ।
यह अच्छा नहीं हुआ । आज तक कभी ऐसा नही हुआ था । अब पता नहीं क्या होगा । फिलहाल तो मैं इसे वापिस भेजने की तैयारी करता हूँ । आप निकले यहाँ से। यह कहकर, वह किताब में कुछ खोजने लग गए । तभी सुधीर शांतनु को बाहर ले आया । खुश ! कर लिया पागलपन । तुझे कहा था कि रहने दे । बेकार की ज़िद मत कर । देखा ! क्या हुआ । भूल जा नूरा को, और अपने नए परिवार पर ध्यान दे । तभी फ़ोन की घंटी बजी । हाँ, अंजू ठीक है, मैं आ रहा हूँ । तू गाड़ी लेकर घर पहुँच । शालू को एडमिट करना पड़ रहा है । मैं यहाँ से टैक्सी लेकर हॉस्पिटल के लिए निकलता हूँ । तो मेरे साथ चल, मैं भी तेरी बेटी को देखने हॉस्पिटल चलूँगा । शांतनु ने कहा । नहीं , अंजू अपने मायके में है । यहाँ से उल्टा रास्ता पड़ेगा । तू घर निकल । यह सुनकर शांतनु गाड़ी में बैठ गए और सुधीर ने टैक्सी ले ली ।
शांतनु कुछ दूर चला ही था कि उसका एक्सीडेंट हो गया । पुलिस ने बताया था ," गाड़ी में कोई खराबी नहीं थीं ।"
मगर वो एक्सीडेंट नहीं था, मेरी माँ की डायरी में यह लिखा था । शुभु बीच में बोल पड़ी । उस एक्सीडेंट के कुछ दिनों बाद मेरी पॉल एंडरसन से बात हुई थी । उन्होंने मुझे बताया कि शांतनु का एक्सीडेंट कोई दुर्घटना नहीं है, उन्हें लगता था कि नूरा ने उन्हें मारा है । फ़िर कुछ दिनों बाद पॉल एंडरसन भी कहीं चले गए । मैंने तुम्हारी रोती -बिलखती माँ को यह सच्चाई बता दी थी। फ़िर शांतनु की कुछ प्रॉपर्टी किराए पर चढ़ाकर, तुम्हारे जीवन यापन का प्रबंध करके मैं अपने परिवार के साथ अमेरिका चला गया ।
अब तो मेरी पत्नी ब्रेन ट्यूमर की वजह से हमेशा के लिए' मुझे छोड़कर जा चुकी है । एक बेटी है, उसकी शादी मैंने वही कर दी । और फिर मैं वापिस भारत आ गया । कहकर शांतनु खिड़की के पास रखी कुर्सी पर ऐसे बैठे मानो कोई सफर करके आये हो और बहुत थक गए हो ।
क्या! मेरे पापा मुझसे प्यार करते थे ? शुभु ने पूछा ।
बिल्कुल करते थे। इन सबमें तुम्हारी क्या गलती है। पर नूरा से भी वो बहुत प्यार करते थे । इसी प्यार के चलते उन्होंने अपनी जान गवाँ दी। क्योंकि मुझे हमेशा से ही लगता था कि अगर वो पॉल एंडरसन के पास जाने की ज़िद न करते तो आज मैं उनसे मिल रहा होता । मगर अब क्या कर सकते हैं । सुधीर की पलके भी गीली हो गई । फादर एंड्रू भी अब बोल पड़े, इसका मतलब नूरा ही वो शैतान प्रेत है, जो तुम लोगों के पीछे है और कितने लोगो को मार चुकी है। सुनते ही सुधीर खड़े हो गये । आप कहना क्या चाहते हैं? अतुल ने उन्हें पूरी बात बता दी । यह सब सुनते ही सुधीर जमीन पर गिरते-गिरते बचे और सिर पकड़कर बोले, यह तो बहुत बुरा हुआ। इसका मतलब गुज़रा वक़्त आज वर्तमान पर हावी हो रहा है। हमने आपकी किताब में पड़ा था कि पॉल एंडरसन ही उसे वापिस भेज सकते हैं । हम लोग पॉल एंडरसन के घर जा रहे हैं । मेरी किताब जब पढ़ ली थी तो यहाँ क्यों आए ? हम सिर्फ शुरू और आखिरी का पन्ना ही पढ़ पाए । बाकि तो जल गई थीं । मुझे पता था कि पॉल एंडरसन ही उसे वापिस भेज सकते हैं । इसलिए मैंने किताब में इस बात का ज़िक्र किया। सुधीर ने गहरी सांस ली ।
हमारे पास ज्यादा वक़्त नहीं है, हमें अब यहाँ से जाना होगा । फादर एंड्रू ने सबको देखते हुए कहा । अतुल ने बैग संभाल लिया । अंकल, आप चाहे तो हमारे साथ चल सकते हैं, शुभु ने यह कहा तो सुधीर उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले, "नहीं बेटा, तुम जाओ । मैं यही ठीक हूँ । नफरत की आग सब कुछ राख कर देती हैं । इसलिए अपना ध्यान रखना।" शुभु ने कुछ नहीं कहा । वे सब उन्हें अलविदा कर बाहर निकलने ही वाले थें कि सुधीर के मुँह से निकला नूरा !!!! और सब चौंककर उनकी तरफ देखने लगे।