दीवाली के बाद  ROHIT CHATURVEDI द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दीवाली के बाद 


दीवाली ने आपको और मुझे बहुत सारी खुशियाँ दीं और हर साल की तरह कुछ ही घंटों मे बीत गई, जैसा की मैंने अपने पिछले किस्से मे आपसे साझा किया। दीवाली की छुट्टियों के बाद कल से बच्चों के स्कूल बापस खुलने वाले हैं. जिस प्रकार आज का दिन कुछ ही घंटो में समाप्त होने वाला है वैसे ही मेरे मोबाइल का रिचार्ज भी, मैं ये सोच ही रहा था कि तभी पीछे से श्रीमती जी की आवाज आई, ‘क्या कर रहे हो पिताजी?’ अर्थात बच्चों के पिताजी, यही कह कर वह मुझे पुकारती है। जैसे आपके घर मे एजी, ओजी, चुन्नू के पापा, मुन्नू की मम्मी इत्यादि से आपको पुकारा जाता होगा। मैंने कोई उत्तर नहीं दिया तो फिर बोली ‘कुछ जरूरी नहीं कर रहे हो तो यहां आकर बैठ जाओ, कुछ अच्छा सा नही लग रहा’। कई बार शाम होते होते हमारी तरह आप सभी को भी अजीब सा लगने लगता होगा, मन उदास हो जाता होगा। यह सुनकर मैं उसके पास जाता उससे पहले ही फिर फरमाइश आई कि स्पीकर में कुछ भजन लगा दो। श्रीमती जी दूसरे कमरे मे बैठ कर कपड़ों पर प्रेस कर रहीं थी, बात से बात निकली, श्रीमती जी बोलीं कि आज सुबह जब मेरी सहेली दीवाली के बाद मिलने घर आई थीं तो स्पीकर को देख कर पूछ रहीं थीं कि स्पीकर नया लिया है क्या? मैंने उनसे कहा, नही, नया नहीं है,ये तो 12 साल पुराना है. तब मेरी शादी को एक साल ही हुआ था, और गाने सुनने के शौक की वजह से ये स्पीकर इन्होने लिया था, यानि मैंने।
मेरा यह पुराना स्पीकर 5.1 चैनल था यानी एक माँ और पाँच बच्चे। इस दिवाली वर्तमान में उपयोग हो रहे ब्लूटूथ स्पीकर के खराब होने के कारण उनका जीर्णोद्धार हो गया। ये पुराने स्पीकर जो पिछले 5 साल से वॉर्डरोब के ऊपर के खाने में स्वयं को कचरे वाले के हवाले किए जाने का इंतजार करते धूल खा रहे थे। उन्हे भी उम्मीद नहीं होगी कि अव हमें कभी दुबारा भी जीवित करने के बारे मे कोई सोचेगा। परंतु समय और किस्मत कब कौन सा रंग दिखाएगी ये किसी को नहीं पता। उन्हे वापस निकाल अपने स्तर की रिसर्च कर हार मानने के बाद सोचा, शायद कुछ मरम्मत से ठीक हो जायें। ये सोचकर जब उन्हें लेकर मिस्त्री की दुकान पहुंचा तो बेचारे स्पीकर अपने सम्मान को बचाए रखने और हमारे साथ दीवाली मनाने की इच्छा से मात्र 100 रुपए में ही ठीक होकर वापस आ गए हालांकि उसके 5 बच्चों में से 2 को बचाया जाना संभव नहीं हो सका, पर बचे हुए 3 बच्चे और मां के परिवार ने हमारे परिवार के साथ जम कर दिवाली मनाई अर्थात जम कर बजे। स्पीकर बाजार से वापस आते समय एक 40 फीट की रंग बिरंगी लड़ी/झालर भी साथ ले आए थे, क्योंकि स्पीकर ने कम खर्च में ही अपना अस्तित्व बचा लिया था, तो इसी खुशी में उन्हें नया साथी मिल गया। जैसे शायद हर किसी को इस अप्रत्याशित दुनिया में देर-सवेर मिल ही जाता है। ये थी हमारे स्पीकर की कहानी।
खैर मैंने स्पीकर में श्री कृष्ण जी के भजन लगा दिए और भजन सुनते-सुनते और बात-चीत करते-करते श्रीमती जी ने कपड़े प्रेस कर लिए। उसी समय बाहर से आवाज आई, मैम. श्रीमतीजी जिस स्कूल में पढ़ाने जाती है उसी स्कूल की साथी सहअध्यापिका दिवाली के बाद मिलने घर आयीं थीं। श्रीमती जी ने उन्हें बैठक में बिठाकर झट पट नाश्ते की थाली सजाई, परंतु थाली में वह सब चीजें दिवाली के सात दिन बाद भी कहां से वापस प्रकट हो गईं, जो मेरी नजर में 3 दिन पहले ही हम सब के पेट में प्रविष्ट होकर जठराग्नि को शांत कर चुकी थी, यह देख मेरी आंखे खुली की खुली रह गईं, ये तो ठीक वैसे ही हो गया, जैसे कि मासिक वेतन के 15 से 20 तारीख तक खत्म होने के बाद किसी भी आवश्यक कार्य की स्थिति में श्रीमती के बटुए से माता लक्ष्मी प्रकट हो जाती हैं। श्रीमती जी की साथी के आगमन से वातावरण कुछ अच्छा हो गया। सभी ने चाय पी और उनके जाने के बाद मन को और अच्छा करने के लिए हम दोनों बच्चों के साथ घर के बाहर रैम्प पर आकार बैठ गए। हल्की-हल्की ठंड होना शुरू हो गई थी। मौसम ने भी मन को कुछ ठीक कर दिया। बच्चों ने पटाके चलाए और फिर अंदर आकार श्रीमती जी ने भोजन पकाया, बच्चों ने अपना समय सारणी से बैग जमाया। सभी ने भोजन किया और दीवाली से पहले की भांति स्कूल जाने के लिए जल्दी से सो गए। कल से सभी पहले की तरह अपने-अपने कामों में लग जाएंगे, और फिर इंतजार करेंगे आने वाले त्योहारों का। क्युकी त्योहार ही है जो हमे सबके साथ मिल-जुल कर रहने, दुख-सुख बांटने, बड़ों का सम्मान करने, कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते है। त्योहार ना हो तो शायद हम खुश होना ही भूल जाएं। बस इतना सा था ये किस्सा। दीवाली के बाद आप सब भी मेरी तरह लग गए होंगे अपनी नियमित दिनचर्या मे पहले की तरह ..
मैंने कहा था ना, आपको निराश नहीं करूंगा। पर इसका निर्णय तो आप करेंगे। इसलिए आशा करूंगा कि आप इन तीन किस्सों की श्रंखला को पढ़ने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं, मुझे आपकी प्रतिक्रियाओं से अवश्य अवगत कराएंगे। इसी आशा के साथ, जै सिया राम।
आप सभी का प्रेम मिल तो नए किस्सों के साथ जल्द प्रस्तुत होने का प्रयास करूंगा..