रॉबर्ट गिल की पारो - 5 Pramila Verma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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रॉबर्ट गिल की पारो - 5

भाग 5

जॉन एफ पीटर के ननिहाल से माँ के भाई का बेटा अर्थात जॉन का कजिन उस दिन अचानक आ गया। खाना बन चुका था और जी़निया और जॉन एफ दोनों माँ के पास चर्च चले गए थे। अगाथा वैसी ही उनींदी काऊच पर लेटी थी। दरवाजे की खट - खट सुनकर उठी तो सामने किसी अजनबी पुरुष को देखकर वह अपनी ड्रेस ठीक करने लगी।

‘‘तुम अगाथा?’’ अजनबी ने पूछा।

‘‘हाँ! और आप?’’

वह हँसने लगा। ‘‘मैं मैरी जॉन के भाई का बेटा...किम हूँ। किम कूरियन।’’

‘‘ओह! अंदर आईए।’’ माँ चर्च गईं हैं और वे दोनों भी शायद उसी ओर।’’ अगाथा ने कहा।

‘‘दोनों कौन?’’ किम ने पूछा।

‘‘अरे, मेरी बहन जी़निया आई है। वह सुंदर है, कमसिन है, पतली है। मि. जॉन एफ उसे पसंद करता है। वह मेरी जचकी के बहाने उसे घर ले आया है। अभी ही उन दोनों को स्वादिष्ट खाना माँ ने दिया था। मुझे नहीं... देखो, जबकि मैं पेट से हूँ। मुझे हर वक्त कुछ अच्छा खाने की तबियत होती है। लेकिन वे लोग मेरा तिरस्कार करते हैं। कहकर अगाथा रोने लगी। किम को आश्चर्य हुआ कि... मानो हम बरसों से एक साथ हैं और अपने सुख-दु:ख बांट रहे हैं।

अगाथा के मन में इतना कुछ भरा था कि न उसने यह देखा कि इस अजनबी से जिससे पहली बार मिल रही है कुछ कहना चाहिए था अथवा नहीं। फिर इसका नतीजा क्या होगा। बस कह डाला।

रो चुकने के बाद उसने शर्मिंदगी महसूस की और आंसू पोंछते हुए उसकी तरफ देखा।

‘‘मुझे माफ करें मि. किम! मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था। वे आपकी आंट हैं और वह आपका कजिन।’’

‘‘नहीं! ठीक है। दिल के दर्द निकाल दो तो राहत मिलती है। मेरी आंट ने बताया था काफी कुछ कि जॉन तुम्हें पसंद नहीं करता है।’’ वह साफ छुपा गया था कि स्वयं मेरी आंट भी उसे पसंद नहीं करतीं। बल्कि, चाहती है कि वह अपनी माँ के घर लौट जाए।

अगाथा ने सोचा-बुढ़िया ने अपना नाम नहीं बताया कि सबसे ज्Þयादा तो उसी ने मेरे खिलाफ जॉन एफ पीटर का ब्रेन-वॉश किया है। खिलाफ तो वह था ही अब खुल्लम-खुल्ला खिलाफ है। यहाँ तक कि जी़निया को लेकर मेरे सोने के कमरे में चला जाता है। और, मैं यहाँ बाहर काऊच पर। और वहाँ माँ के घर पर भी। ऐसा ही होता रहा है। जबकि वहाँ सिर्फ एक ही कमरा है जिसमें जी़निया और जॉन एफ हँसी-ठिठोली करते रहते हैं। और माँ और वह रसोई में जमीन पर पड़े रहते हैं।

अगाथा के पिता ने कारपेन्टर को बुलवाकर सिर्फ दो पलंग बनवाए थे। वह भी किसी नए मकान के बाहर पड़े लकड़ी के पुराने फट्टों को खरीदकर। एक पलंग पर जी़निया और अगाथा सोते थे, दूसरे पर माँ और पिता। गद्दा (मेट्रेस) भी जूट-फूस का भरा हुआ। बाहर भेड़ों के लिए शेड बनवाया था। जिनकी गरम सांसों और गरम शरीर से भीतर का कमरा भी थोड़ा गर्मा जाता था।

माँ, जॉन एफ और जीनिया आ गए थे। कई दिन वह वहाँ रहा। किम का स्वागत माँ ने ऐसा किया कि वह हैरत में पड़ गई। माँ अपनी माँ के घर से बेकन का अचार (सूअर के माँस का अचार) लाई थी। यह तो उसे पता ही नहीं था। प्रतिदिन ब्रेड, बटर और उबले आलू जिस पर नमक, काली मिर्च और दालचीनी छिड़की होती, वह किम को खिलातीं। साथ में जॉन एफ. और जीनिया भी खाते। खाने में भी बुचर्स का मीट (अर्थात् बुचर्स के यहाँ से लाया गया विभिन्न प्रकार के मीट के टुकड़े) होता। बुढ़िया न जाने कितना पैसा दबाए हुई थी क्योंकि वह टोन्ड खाद्य पदार्थ भी मंगवाती थीं। वैसे वह अपने माता-पिता के घर से ही लाती थी। यह टोन्ड खाद्य पदार्थ और जार में भरा अन्य खाद्य पदार्थ अमेरिका तथा अर्जेन्टिना से आयात हुए हैं। लेकिन महंगे नहीं पड़े क्योंकि उनके यहाँ रेफ्रिजिरेशन के कारण यह टोन्ड और जार भरपूर आए थे। इसे उन लोगों ने बाजार तक पहुंचाया था और बहुत कमाई की थी।

कितना कुछ जादूगर बुढ़िया की तरह उसकी अलमारी में भरा पड़ा था, जिसे वह समय-समय पर निकालती थी।

खैर! मि. रॉबर्ट! अगाथा के पूरे दिन थे और वह दर्द में चीख रही थी। जीनिया और जॉन एफ घर में नहीं थे। माँ ने किम को जगह बताई कि वहाँ एक दाई रहती है उसे बुला लाओ। (दाई बच्चा पैदा कराने वाली अनुभवी औरत) न जाने माँ को कैसे अगाथा पर दया आई वह प्रभु को पुकारने लगीं। कुछ जड़ी-बूटी उबालकर अगाथा को पिलाईं ताकि दर्द सहन करने की शक्ति उसे आए।

बस, यहीं से किम कूरियन और अगाथा की नजदीकियाँ बढ़ीं। सर्वप्रथम टैरेन्स को किम ने ही गोद में उठाया। सफेद रंग, रेशम जैसे ब्राउन बाल और हाथों की उंगलियाँ और नख ऐसे जैसे किसी ने लाल रंग लगाया हो। उसने भरपूर प्यार से अगाथा की ओर देखा जो अर्धनग्न थकी हुई लेटी थी। माँ ने मेवे डालकर दूध उबाला और उसे गरम-गरम ही पीने को दिया। माँ ने अगाथा का मनपसंद भोजन भी उसे भरपेट खिलाया। वे आज खुश थीं। ‘‘शायद इसलिए कि पीटर परिवार का वारिस आ चुका था।’’ रॉबर्ट ने कहा।

‘‘शायद ऐसा ही।’’ मि. ब्रोनी ने आगे बात जारी रखते हुए कहा।

टैरेन्स बड़ा हो रहा था और इधर जीनिया और जॉन एफ पति-पत्नी की तरह रह रहे थे। हमेशा की तरह अगाथा की माँ मजबूर थीं।

अगाथा अब और ज्Þयादा चुप रहने लगी थी। किम का आना बढ़ चुका था। स्पष्ट था कि किम और अगाथा एक दूसरे को प्रेम करने लगे थे। बाद में अगाथा ने ही अपनी माँ को बताया कि जॉन एफ बिस्तर पर सैडिस्ट की तरह व्यवहार करता था। पहले तो वह सहती रही। उसके शरीर के कोमल अंग दर्द से फट जाते थे। जिसे जॉन एफ अपनी पौरुषता समझता। और उसे इसमें ज्Þयादा मजा आता। लेकिन वह इस व्यवहार को सह नहीं पाती थी। वह अधिकतर मृत जैसी लेटी रह जाती। तो जॉन एफ उसे ‘ठंडा गोश्त’ कहता। और फिर वह उससे दूर हटने लगा। वह बिस्तर पर ही कहता कि तुमसे बेहतर तो जी़निया है, वह पुरुष को सुख देना जानती है।

वह चाहता था कि अगाथा बस ऐसे ही जिए। तिरस्कृत अभावों में... वह यहाँ आए तो उसे सुख दे।

उसका शक पक्का होने लगा जब टैरेन्स उसे बता देता कि किम अंकल आए थे। टैरेन्स अपने टूटे फूटे शब्दों में सब बता देता। वह किम के लाए खिलौने, जो लकड़ी और चिड़िया के पंखों से सजे होते दिखाता। और यह भी बताता कि वे माँ के लिए और उसके लिए कपड़े भी लाया है। उस दिन कोई न कोई बात को पकड़कर जॉन एफ अगाथा को पीटता। पैरों से, घूसों से और पास पड़ी किसी भी चीज से फेंककर मारता। माँ तो अगाथा से वैसी ही चिढ़ती थी। लेकिन वह किम को आने से मना भी नहीं कर सकती थी। क्योंकि वह उनके भाई का बेटा है। और वह जब भी आता माता-पिता द्वारा भेजे गए रुपए भी लाता। वह खुश रहती थीं। इधर जॉन एफ अपनी पूरी कमाई जी़निया के शौक और उसकी जरूरतों पर खर्च करता था।

इस बार किम ने बताया कि मैरी आंट के पति काफी बीमार हैं, उन्हें वहाँ बुलाया गया है। तो माँ वहाँ रहने चली गईं। उनके पति का इलाज वहाँ अच्छे से हो रहा था। उनकी देखरेख के लिए वहाँ पैसा भी था। अत: उन्होंने अपने पति को वहीं छोड़ना ठीक समझती थीं। वैसे उनके पति  और वे वहीं रहते थे उनके पास। कोई काम नहीं था।

माँ को छोड़कर किम फिर यहीं आ गया था। उसी दौरान अगाथा और किम का प्रेम अपनी चरम ऊंचाइयों पर था। अगाथा ने अपनी माँ को बताया था कि अब वह प्रेम की परिभाषा जान पाई है। किम ने अगाथा को भरपूर प्रेम दिया। उसकी जरूरतों का ध्यान दिया। और उसे अपने आप से प्रेम करना सिखाया। अगाथा को किम के कारण ही बेहतरीन किताबों को पढ़ने मिला और उसने डायरी लिखना शुरू किया, जिसमें उसने बचपन से लेकर आज तक अपने आप को खंगाल कर रख दिया। उसने बड़ी शिद्दत से किम के प्रेम को स्वीकारने का भी खुलासा किया।

रॉबर्ट यह डायरी नहीं थी बल्कि उसके सुख-दु:ख की सम्पूर्ण गाथा थी जो एक उपन्यास की तरह परत-दर-परत खुलती जाती थी। देखते ही देखते कमरे की अलमारियाँ पुस्तकों से भरने लगीं।

इसी बीच एक बार आकर किम ने बताया कि उसे जॉन एफ के लिए जमीन खरीदने के रुपए दिए गए हैं। वे उस पर बंगलो भी बनवा देंगे। सुनकर जॉन एफ खुशी से पागल हो गया। आगे उसने बताया कि उसके पिता बहुत बीमार हैं। बल्कि उन्हें चिकित्सकों ने मना भी कर दिया है कि अब अच्छे नहीं होंगे अत: सभी को मैरी आंट ने बुलवाया है। लेकिन जॉन एफ नहीं गया। वह जमीन खरीदने के लिए भाग-दौड़ करने लगा। जमीन खरीदी गई। यही जमीन, जिस पर यह बंगलो है। लेकिन जमीन खरीदने से पहले ही जॉन के पिता की मृत्यु का समाचार आया। किम टैरेन्स और अगाथा को लेकर पहले ही जा चुका था। अत: अगाथा अपने फादर इन लॉ को देख पाई। जॉन और जी़निया जमीन खरीदने के बाद ही अपने ननिहाल पहुंच पाए। माँ ने जॉन को बताया कि तुम्हारे पिता ने तुम्हें बहुत याद किया। वे अंतिम समय तुमसे मिलना चाहते थे। लेकिन जॉन ने बात टालते हुए बताया कि बहुत ही अच्छी जगह जमीन मिल गई है। माँ चुप रहीं।

अगाथा पहली बार यहाँ आई थी। यहाँ की सुख-सुविधा, ऐश्वर्य देखकर वह दंग रह गई। नानी ने अगाथा को बहुत प्रेम किया। वे आश्चर्य में थे कि इतनी सीधी लड़की को उनकी बेटी मैरी कैसे दुत्कारती है और उसकी अवहेलना करती है, जबकि जी़निया उन्हें उश्रृंखल लगी। अगाथा यहाँ बहुत खुश थी। वह नानी के पैरों की मालिश कर देती और उनके बालों को संवार देती। ऐसा तो उनकी बेटियों ने भी कभी नहीं किया था। वे समझ गई थीं अगाथा सिर्फ प्रेम की भूखी है। अगाथा सोचती थी यहाँ उसे सभी प्रेम करते हैं। नाना, नानी, किम के माता-पिता भी। पहले वह सारी हवेली में नहीं घूमती थी लेकिन अब वह घूमने लगी और एक दिन किम और टैरेन्स के साथ तल घर भी गई?

वहाँ उसे बर्फ में जमी आइसक्रीम भी देखी। टोन्ड खाद्य पदार्थ थे और बेकन अचार भी। वहाँ उपस्थित नौकर ने तीनों को आईसक्रीम दी, जिसमें विभिन्न फल थे। ऐसी जमी हुई, ठंडी आईसक्रीम... टैरेन्स तो खुशी से उछलने लगा। ज़िंदगी में पहली बार अगाथा ने विभिन्न पाऊडर और फलों, दूध से जमी आईसक्रीम खाई। वह हैरत में थी कि आखिर यह कैसे जमाई गई। यहीं आकर उसने केले (बनाना) और पाईनेपल (अनन्नास) की मिठाई भी खायी।

मिस्टर जॉन एफ ने देखा कि जी़निया को कोई पूछ ही नहीं रहा है। तो वह उसे प्रतिदिन शहर घुमाने ले जाता। यहाँ ही उसने एक घोड़े की गाड़ी देखी जो लोहे (आयरन) की पटरी पर दौड़ती थी। माँ बेटे को बहुत रुपए देती थी, जिससे वह अच्छे से घूम सकें।

जब अगाथा टैरेन्स और किम के साथ तलघर में होती तो जी़निया और जॉन एफ वहाँ नहीं जाते। बाद में जी़निया और जॉन तलघर में जाते। आईसक्रीम खाते और खुल्लम खुल्ला प्यार भी करते। यह सब वहाँ की देखभाल करने वाले कर्मचारी ने नानी को बताया था। एक बार नौकर बड़ा-सा लोहे का गोल टब (तसला) लेकर नीचे आया था क्योंकि उसे उसमें सामान भरकर ऊपर ले जाना था। जब तसला दीवार से टकरा गया तो आवाज हुई थी लेकिन जॉन ने जी़निया को नहीं छोड़ा बल्कि नौकर को जाने का संकेत किया। वह हैरत से यह मंजर देखता रहा। उसने सारी बातें अगाथा के समक्ष अपनी मालकिन को बताई थीं। यहाँ तक की उस नौकर ने मालिक अर्थात मैरी पीटर के पिता को भी बता दीं। पिता ने अपनी बेटी को इतना डांटा कि वह सब जानते-समझते हुए भी खामोश कैसे हैं? देखते-देखते वहाँ का माहौल गरमा गया। मैरी पीटर अगाथा को पसंद नहीं करती यह तो उनकी माँ को मालूम था। लेकिन जी़निया को पसंद करने का क्या कारण था? वह भी तो अगाथा की बहन ही थी। आर्थिक रूप से कमजोर और स्वभाव से घमंडी। उन्होंने अपनी बेटी मैरी से बात भी की। लेकिन वह कुछ समझने को तैयार नहीं थी। ‘‘बस माँ! मुझे वह अच्छी नहीं लगती। इससे ज्Þयादा कुछ नहीं।’’ उसने कहा।

’’’

काफी दिन तक वे लोग वहाँ रहे। जॉन एफ के नाना उखड़े-उखड़े रहे। मैरी पीटर का पति तो समझदार और नम्र स्वभाव का था। यह उसका बेटा कैसा है, न जाने किस घमंड या नशे में चूर... मानो कीमती संपत्ति उसके पास हो। बरसों से वे जॉन एफ को रुपया देते आ रहे थे। उसके पिता को भी कारोबार दिया था। अब जॉन एफ जूट का व्यापार करता था।

सभी को उपहार और रुपए दिए गए। अगाथा को चुपचाप नानी ने छुपाकर रुपए और खाने-पीने की चीजें दीं। वे अपनी बेटी का स्वभाव जानती थीं। उन्हें अगाथा अच्छी लगती थी। जानती थीं कि उनकी बेटी अगाथा को कुछ नहीं देगी।

सभी वापस लौट आए। रुपए देते समय नानी ने कहा था- ‘‘इसे छुपाकर रखना। मैं मैरी की आदत से परिचित हूँ।’’

यहाँ आकर माँ न उदास थीं न खुश। पता नहीं उन्हें पति की मृत्यु का कितना दु:ख था। अगाथा कभी जान नहीं पाई।