Teri Chahat Main - 34 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरी चाहत मैं - 34

अजय अपनी सीट पे बैठा था। तभी राज और न्यूटन उसके पास आके बैठे गए। "यार न्यूटन, तुमको पता है की आज कोई मुकेश रॉय के यहां डिनर पे इनवाइटेड है।" राज ने अजय को सुनाते हुए न्यूटन को कहा। "अछा भाई, अब तो लगता है की मुकेश सर के वहां रेगुलर आना जाना होगा, जनाब का।" न्यूटन ने भी सुनाते हुए कहा।

“तुम सब लोगों का दिमाग खराब हो गया है क्या। यार एक डिनर ही तो है।” अजय ने कहा।
“मेरे बच्चे यहीं से शुरुवात है। तुम समझ नहीं रहे।" न्यूटन ने बड़े सीरियस अंदाज मैं कहा।
"क्या नहीं समझ रहा मैं?" अजय ने पूछा।
“मेरे भाई, मुकेश सर शुरू से ही तुमको माने हैं। मुझे लग रहा है की तुम्हारे उनको अपना होने वाला दामाद दिख गया है।" राज ने कहा तो अजय बोला "दिमाग फिर गया है तुम सब का।"
राज और न्यूटन जल्दबाजी हुई वहां से चले गए।

कुछ देर बाद रिया अजय के पास आई और बोली, "मुझे किसी काम से कॉलेज तक जाना है। वहा एक घंटा लग सकता है। तुम खुद घर आ जाओ।"
“कोई नहीं, रिया अच्छा ही हुआ, इसी बहाने मुझे फ्रेश होने का टाइम मिल जाएगा। अभी 6 बजा है। आप कॉलेज जा ही रही हो तो, मुझे हॉस्टल छोड़ देना और एक घंटे बाद मुझे पिक कर लेना। तब तक मैं तैयार हो जाउंगा।” अजय ने बड़ी ही मासूमियत से कहा।

रिया का मूड अब और खराब हो गया, कहां वो अजय से पीछ छुड़ाने की सोच रही थी, अब उसे ले कर हॉस्टल, फिर घर जाना पड़ेगा। "रिया चले, आपको कॉलेज मैं काम भी हैं, बेकार देर हो जाएगी" अजय ने रिया के ख्यालों को तोड़ा। अब उसे न चाहते हुए भी अजय के साथ कॉलेज जाना पड़ा रहा था।

रिया की कार के पास पहुच कर अजय ने कहा "कहां बैठें?"
रिया ने झल्ला के कहा "मेरे सर पर बैठो।"
"सचमुच! पर मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं? "अजय ने मासूमियत से कहा तो रिया ने कहा" "आगे बैठो, पीछे बैठो, जहां दिल करे तुम्हारा। बस मेरा खून ना जलाओ।" अजय आगे बैठ गया। रिया ने कार स्टार्ट करी कॉलेज के लिए।
“सीट बेल्ट टू लगा लिजिये रिया। सुरक्षा के लिए।" अजय ने कशिश को टोका।
"नहीं लगाती, क्या कर लोगे।" रिया ने फिर झल्ला के कहा।
अजय बोला "मुझे क्या करना, मैं तो आपकी सेफ्टी के लिए कह रहा था। जानती हैं आप, की रोड पे होने वाले दुर्घटनाएं मैं जो मौत होती है, उसमे ज्यादातर की मौत का कारण सीट बेल्ट ना लगाने से होती है।"

रिया ने गुसे अजय को घूरा। फिर उसे ना चाहते हुए सीट बेल्ट लगा लें। फिर बोली "अब खुश हो या कुछ और इश्यू है।"
“आपका बहुत बहुत शुक्रिया की आपके मेरी बात मानी। बड़ी महरबानी होगी की आप मुझे ना गुस्सा करके ड्राइविंग पे ध्यान दे।” अजय ने जवाब दिया।
"मेरा बस चले तो मैं तुमको अभी कार से धक्का दे दूं, पता नहीं पापा ने भी तुमको मेरे सर बांध दिया।" रिया गुसे से बोली।
अजय सर मुस्कुराता रहा। फिर कॉलेज आ गया। और रिया ने अजय को हॉस्टल के गेट पे ड्रॉप किया और बोली "जल्दी आना, मैं किसी का इंतजार नहीं करती हूं। मेरा काम शायद जल्दी ही खत्म हो जाए।”
"आप परेशान ना होइए, मैं इंतजार नहीं करवाउंगा।" अजय ने उतरते हुए कहा।

अब रिया के पास इंतजार करने के अलावा कोई काम नहीं था। उसे कोई काम था ही नहीं। अब वो क्या करती। पर अब इंतजार के अलावा कोई चारा नहीं था। इधर अजय को अंदाजा था की रिया को कोई काम नहीं है, इसिलिए वो भी जल्दी से तयार होने लगा। आधे घंटे बाद रिया से बरदाश्त नहीं हुआ, तो उसे अजय को फोन किया "अजय, मेरा काम हो गया है। अब जरा जल्दी बहार आओ।”
"ओह, मैं आ रहा हूं। बस पंच मिनट ।" अजय ने जवाब दिया।

कुछ देर में अजय कार मैं बैठा गया। रिया ने कार घर के लिए बढ़ा दी। थोड़े ही आगे एक पुलिस इंस्पेक्टर ने उनको रोक दिया।
"क्या मुसिबत है, क्यों रोका है?" रिया ने झल्लाते हुए कहा।
"मैडम गाड़ी से बहार आई।" पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा। रिया बहार आ गई। साथ मैं अजय भी आ गया।
"आपको पता है मैं कौन हूं। और इस तरह आपने मुझे क्यों रोका है।" रिया गुस्से से बोली।

"आप जो भी हैं, मुझे नहीं मतलब। ये बतायें सीट बेल्ट क्यों नहीं लगाया आपने?" पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा।
रिया अपनी आदत के मुताबिक सीट बेल्ट लगाना भूल गई थी। पर उसने अपनी गलती मानी तो थीं नहीं, वो बोली "हां, तो भूल गए हम, कौन सी बड़ी बात हो गई। तुम जानते नहीं हम कौन है। बहुत पछताओगे, अगर हमको जाने नहीं दिया।”

पुलिस इंस्पेक्टर को गुस्सा आया, वो कुछ बोलता उसे पहले अजय बोला "ओह सर गलत हो गई प्लीज माफ कर दिजिये। आगे से कभी ऐसा नहीं होगा।" फिर वो रिया की तरफ मुखातिब हुआ "रिया आप सर से माफ़ी मांगिए।"
“तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या, मैं क्यूं मांगू माफ़ी। मैं जा रही हूं।" रिया ने गुस्से से कहा और कार मैं बैठने लगी।
पुलिस इंस्पेक्टर का गुस्सा अब सातवां असामान पे था। उसे कार की चाबियां निकल ली और बोला "अब आप जरा रुको, अब तो आपको पुलिस स्टेशन लेके जाउंगा। कुछ जायदा ही बदतमीज हो तुम।"
फिर उसे एक लेडी कांस्टेबल को बुलाया। "ज़रा इन मैडम को जीप मैं डालो, इनको गुस्सा बहुत आ रहा है। हवालात मैं ठंडा होगा। एक तो रूल तोड़ती है फिर बदतमीज़ इतनी!”



हलात बिगाडने लगे थे, ये देख अजय बोला "भाई प्लीज एक मिनट बात कर लिजिए।"
"क्यूं, सर को पैसा देगा क्या। जानता नहीं ये कौन है। पैसे देने वालों का तो कीमा बना देते हैं" लेडी कांस्टेबल ने रिया का हाथ पकड़ते हुए कहा।
"मेरा हाथ छोरो वर्ना बहुत पछताओगे, तुम सब।" रिया ने गुसे से अपना हाथ झटकाते हुए कहा।
"नहीं ऐसी कोई बात नहीं है बस कृपया एक मिनट बात सुन लिजिये।" अजय ने बड़े सीरियस अंदाज मैं कहा।
"क्या है बताओ, जल्दी।" पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा तो अजय उन दोनो को रिया से थोड़ा अलग ले के गया, फिर बोला "सर, बात ये है की वो लड़की थोड़ी बिमार है। इस्को दिमागी बीमारी है। पहले ये ठीक थी पर आज कल इसे गुस्सा बहुत आता है। अगर बात ना मानो तो खुद को नुकसान पहुंचाने लगती है। मैंने इसे कहा था की सीट बेल्ट के लिए, पर ज़िद पे आ गई। बोली की अगर सीट बेल्ट लगायी तो ये कार से कूद जाएगी। "
"क्या बात कर रहे हो, मतलब ये पागल है क्या।" पुलिस इंस्पेक्टर ने हेयरत ​​से कहा।
“नहीं भाई, बस कभी कभी एक दम से हाइपर हो जाती है। वैसे नॉर्मल रहती है। लेकिन जब अटैक पड़ता है तो जो हाथ मैं होता है, मार देता है।” अजय ने संजीदगी से कहा।
"तो इसका इलाज करवाओ, खुला क्यूं छोड़ रखा है?" लेडी कांस्टेबल ने कहा
"मैडम, इलाज हो रहा है। काफ़ी सुधार है। वो तो शाम को इन्होने जिद की घुमने जाना है, अब मना करते अच्छा नहीं लगता ना। क्या हुआ की बिमार है, है तो अपनी फ्रेंड ना। प्लीज माफ कर दिजिये और जाने दिजिये हमको।"
"ठीक है, तुम्हारी परेशानी नहीं बढ़ाना चाहता मैं, वैसा ही क्या कम है तुम्हारी लाइफ मैं। पर जरा ख्याल रखो इसका।" पुलिस इंस्पेक्टर ने अजय के कांधे पे हाथ रखते हुए कहा और कार की चाबी उसे दे दी।
"शुक्रिया भाई आपका" अजय ने मुस्कुराते हुए कहा। फिर वो रिया के पास पहुंचा। कार की कीज़ उसे दी और बोला “सीट बेल्ट लगा लो और चलो। वर्ना ये लोग तुमको आज लेके ही जाएंगे। बहुत मुश्किल से मनाया है।”

रिया ने भी अजय की बात मन्ना अच्छा समझौता। वो पुलिस स्टेशन नहीं जाना चाहती थी। जैसे ही उसे कार स्टार्ट की तो इंस्पेक्टर आया और बोला “इतना गुस्सा करना अच्छा नहीं होता। वो तो अच्छा है की तुम्हारा दोस्त सुलझा हुआ इंसान है, वर्ना!”
रिया कुछ बोलती उसे पहले ही अजय बोला "नहीं सर, अब ये दुबारा ऐसा नहीं करेगी। चलो रिया हमको देर हो रही है।" रिया ने अजय को घूरा और फिर कार आगे बढ़ा दी।
कुछ देर बाद रिया ने अजय से कहा "वैसे तुमने पुलिस इंस्पेक्टर को हैंडल अच्छा किया।"
अजय बोला "हम्म, कुछ खास नहीं, बस हो गया।"
“चलो अच्छा ही है, वो इंस्पेक्टर बच गया। हमको है बस पुलिस लॉकअप मैं वक़्त गुज़रना पड़ता, विक्रम के आने तक।” रिया ने घमंड से कहां



“ओह, तो आप वहा जो ऊंची आवाज़ मैं लड रही थी तो विक्रम के बिना पे। मुझे लगा आप सर का पावर दिख रहा है।" अजय ने कहा।
"ओह, पापा कुछ नहीं कहते, वो तो बहुत नियम और कानून मानने वाले हैं। मुझे लगता है तुम्हारे पापा का रिफरेंस दिया होगा हमारे इंस्पेक्टर को।” रिया ने अजय से पूछा।
“नहीं, मैं उनका ज़िक्र कर के उनको परेशान नहीं करना चाहता था। वैसा भी अगर उन्हें पता चलता तो अच्छा नहीं लगता।” अजय ने जवाब दिया।
"ओह, तो ऐसा क्या किया तुमने की इंस्पेक्टर मान गया!" रिया ने दरियाफ्त किया।
"छोडिये, बेकार की बातों को" अजय ने टाला
“अरे तुमने हमको आज परेशानी से बचाया है, अगर चाहो तो इसके बदले कुछ मांग भी सकते हों। हम मना नहीं करेंगे।" रिया ने फिर गुरूर से कहां
"हम्म, मैंने जो कहा है उसे सुनके आप मेरा खून करना चाएंगी हूं।" अजय ने मुस्कुरा के कहां
"हमको समझ जाना चाहिए था। की तुम कुछ घटिया ही करोगे।" रिया गुस्से मे आ गई और अजय हसने लगा।
"अजय तुम निहयात ही घटिया इंसान हो। क्या कहा है तुमने उन सबसे।” कशिश ने गुस्से से कहा।
"मैंने सिर्फ सच कहा है।" अजय ने मासूमियत से कहां
"क्या सच बोला" रिया ने फिर कहा
“याही की आपको दिमागी बीमारी है, बात बात पे गुस्से का दौरा बड़ा है। गुस्से मैं लोगो को मारने दौड़ती हैं।" अजय ने हंसते हुए कहा।
“क्या, तुम्हारी ये हिम्मत। तुमने मुझे को पागल बताया वहा। मैं तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगी। खून पी जाऊंगी तुम्हारा।" रिया का गुस्सा सातवां आसमान पे था।
“तो क्या करता, आप इतना सब तो कर ही चुकी थी। जो हमें उस वक्त दीमाग मैं आया, मैने कहा। शुक्र करिये की बच गई हैं। वर्ना अभी पुलिस थाना मे होंती।

आप। और जो आप विक्रम का दम भर रही है ना, वो इंस्पेक्टर उसे भी आपके साथ बंद कर देता।” अजय ने इस बार थोड़ा गुस्से से बोला।
"तुम्हारी ये मजाल की हम से ऊंची आवाज मैं बात करो। तुम समझते क्या हो अपने आपको।” रिया ने गुस्से से कहां
“ऐसा है रिया, आप कार रोकिए, मैं वापस जा रहा हूं, सर से कोई बहाना बना लूंगा। मुझे कोई शौक नहीं है आपके यहां आने का। वो तो सर ने कहा था इसलिय।" अजय ने सीरियस होते हुए कहा।
"ड्रामा ना करो अजय। तुम्हारी वजह से हमको आज वैसे ही इतना झेलना पड़ा है। अब अगर तुम नहीं आए तो बेकार मे पापा हमको ही कहेंगे।" रिया

ने कार की स्पीड बढ़ते हुए कहा।
कुछ डर बाद दोनो जन्नत विला के सामने थे। जन्नत विला, मुकेश रॉय का घर था।


To be continued
in 35th Part

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