Confession - 16 Swati द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Confession - 16

16

 

शुभांगी  का मन  हुआ,  वह  बाहर  निकले  और  ज़ोरदार  चाटा  रिया  के मुँह  पर दे  मारे। वह  जैसे  ही उसकी  तरफ़  जाने  को हुई  तो उसकी  नज़र  सूटकेस  पर पड़ी , उसने  देखा  कि  रिया की मम्मी- पापा और  उसके  भाई  की  लाशें    सूटकेस  में  है । वह  बेहद डर  हो गई । तभी  उसे  वह  यश का बताया  हुआ बाबा  भी  एक किल  पर लटका  नज़र  आया । ओह  माई गॉड  ! इन  सबको  रिया  ने मार  दिया । जब उसने  रिया  को देखा  तो उसका  चेहरा  बदलता  गया। उसकी  आँखें  गहरी  नीली  हो गई । वह  एक डरावनी  प्रेत  बन चुकी  है । उसने  अल्का  को कुछ  कहा और  वह जाने  को हुई । शुभांगी  अपनी  माँ  से पहले  घर  पहुँचना  चाहती  है । वह  भागती  हुई घर  पहुंची और अपने  कमरे  को  अंदर  से बंद   कर  लिया । उसकी  माँ  एक  प्रेत  के वश  में  है । मगर  वह प्रेत  है कौन ? सागर? अनन्या ? या फ़िर  कोई  और? तभी  शुभांगी  का फ़ोन  बजा  और उसने  विशाल  का नंबर  देखा । "हाँ , शुभु  फ़ोन  क्यों  नहीं उठा  रही थी । तुझे  और  अतुल  को कुछ  बताना  है । विशाल  एक सांस  में  ही बोल  गया ।" मुझे  भी कुछ  बात  करनी  है । कल  मेरी  पेंटिंग  क्लॉस  के बाहर  मिलते   हैं। कहकर  शुभांगी  ने फ़ोन  रख  दिया ।

अगले  दिन चारों  पेंटिंग  क्लॉस  के  बाहर  मिले । यश  को देखकर  विशाल  को हैरानी  हुई। मगर  अतुल  के कहने  पर  कि  यह  सब  जानता  है, वह  कुछ नहीं  बोला । विशाल  ने उस  दिन  की  सारी  बात  बताई। अतुल  ने भी कॉलेज  की घटना  बता  दी । शुभु  ने  बोलना शुरू  किया।  एक बात  तो साफ़ है कि  रिया  पर  किसी  प्रेत का साया  है  और उसके  कब्ज़े  में  मेरी  माँ  आ चुकी  है । कल  मैंने  रिया  के परिवार  की  लाशें  देखी  है । वह  आदमी  भी मारा गया है । अवनी  को भी  उस  प्रेत  ने मारा  है । इसका  मतलब  पॉल  एंडरसन  के साथ  यह  कहानी  ख़त्म  नहीं  हुई  है । कोई  प्रेत  हमारे  पीछे  पड़  चुका  है। अतुल  ने  शुभांगी  की बात  को पूरा  कर दिया  । सब  के सब  परेशान  है । मुझे  मेरी  माँ  की फ़िक्र  हो रही है । जब मैं  घर  से  निकली  तो उनके  कमरे  में  झाँका । अजीब  ढंग  से सो रही  थीं । मेरी  हिम्मत  अंदर  जाने  को नहीं  हुई । शुभांगी  बेंच  पर  सिर  पकड़कर  बैठ  गई । ऐसे  डर  कर  नहीं बैठ  सकते । "हमें  कुछ  करना  पड़ेगा । यश  ने  सबकी  ओर  देखते  हुए  कहा । हाँ, तुम  सही  कह  रहे  हो । लेकिन  हमें  सबसे  पहले  रिया  को  बचाना  होगा । फ़िर  मेरी   माँ  अपने-आप  ठीक  हो जायेगी ।" शुभु  ने  यश  की बात का जवाब  दिया । "हमें  किसी  की मदद  लेनी  पड़ेगी । हम  पहले  भी मदद  लेने गए  थे । मगर  हुआ  क्या  ? वह  भी मारा  गया।" अतुल  ने  मुँह  बनाते  हुए  कहा । क्यों  न  चर्च  चले । वहाँ  फादर  एंड्रू  से बात  की जा सकती  है। यश  ने कहा  तो  सबको  उसकी बात  सही लगी  । सब  फादर से  मिलने  चर्च  पहुँचे । मगर  फादर  वहाँ  नहीं  मिले । पूछने  पर पता  चला  कि  वह  दो-तीन  दिन  के बाहर  गए  हुए  हैं ।  अब  क्या  करे ! दो-तीन  दिन  में  आ जायेगे । विशाल  ने  शुभु  को हिम्मत दी । 

"शुभु  तू  अपनी  माँ  के साथ  रह लेगी ?" अतुल  ने सवाल  किया । हाँ  रह  लूँगी । वैसे  भी मैं  अपनी  माँ  को इस  हाल  में  अकेला  नहीं  छोड़  सकती । फ़िर  एक  काम  करते  है, सब  शुभु  के  घर  जाकर  रहते  है । साथ  रहेंगे  तो  डर  नहीं  लगेगा । अलग  रहने  पर  वो  प्रेत  हमें  मारने  का  कोई  न कोई  तरीका  ढूँढ़  ही निकालेगा । क्यों  क्या  कहते  हो ? मेरे  पास  एक बेहतर  आईडिया  है, क्यों  न तुम  सब  शुभु  के  पास  वाले  खाली  घर  में  रहो  और  वहाँ  से शुभु  अपनी  मम्मी  को भी देख  पाएगी । शुभु  तुम  कह देना  कि  रिजल्ट  आने वाला  है  इसलिए  आउटिंग पर  तीन दिन के लिए  जा रही  हूँ । यश  ने अपनी  बात ख़त्म  की । "ओ ! हीरो, वो  घर  तेरे बाप  का है  क्या ? जो हम  वहाँ  आराम से रहेंगे । विशाल  ने चिढ़कर  कहा । नहीं  मेरे  अंकल का  है । वो  अगले  महीने   वहाँ  शिफ्ट  होंगे । मैं  उनसे  चाभी  माँग  लेता  हूँ, क्यों  क्या  कहती  हों  शुभु  । यश  सही  कह रहा  है । दो-तीन  दिन की बात  है, फ़िर  कोई  न कोई   रास्ता  निकला  जायेगा । अतुल ने सहमति  दी । ठीक  है, मैं  तैयार  हूँ । शुभु  ने  यह  कहते  हुए  घर  पर  फ़ोन  लगाया  और  फ़ोन  स्पीकर  पर कर दिया , "हेल्लो  माँ  मैं अपने  फ़्रैंड्ज़  के साथ  दो  दिन  के लिए  बाहर  जा  रही  हूँ । आप  परेशान  मत होना।   मैं  जल्दी  आ जाऊँगी । बेटा, ऐसे  अचानक  कहाँ  जा रही  हूँ । मुझे  फ़िक्र  हो रही  है । बस  माँ  विशाल  के फार्म हॉउस  तक जा रहे  हैं । ठीक  है, अपना  ध्यान  रखना ।।" यह  सुनते  ही शुभु  ने फ़ोन   काट  दिया । वैसे  अब  लग  नहीं  रहा  कि  आंटी  किसी  खतरनाक  प्रेत  से  घिरी  हुई  है । अतुल  की बात  सुनकर  शुभांगी  ने उसे  घूरकर  देखा। गुस्सा  क्यों  हो रही  है? मैं  तो इसलिए  कह रह था कि  हो सकता है  कि  आंटी  सिर्फ  रात  को  ही....... कहते  हुए  अतुल चुप हो गया।  

सब  शुभांगी के पास  वाले  घर में  पहुँच  गए । बालकनी  से  घर  साफ़  नज़र  आ  रहा  है । यश  सबके  लिए  खाना  लाया । सब खाना  खाकर  बालकनी  में  आ गए और  शुभु  के  घर  की  तरफ़  देखने  लगे । रात  हो चुकी  है । शुभु  को  पता  है कि  अभी  माँ  घर से निकल  जायेंगी । मगर  ऐसा  कुछ  नहीं  हुआ।और  सब  थककर  सो गए । क्योंकि  वो  और  नहीं  जाग  सकते  है । अगले  दिन  भी वे  सब  बालकनी  में  खड़े  हुए । शुभु की माँ  घर  से निकलकर  कहीं  जाने  लगी । चारों  ने बिना  वक़्त  गवाएँ  यश  की  गाड़ी  में  बैठकर  माँ   का  पीछा  करना   शुरू   कर दिया । उन्होंने  देखा  कि  उनकी  माँ  रिया  के घर  पहुँची । दरवाज़ा  खुला  और  वह  अंदर  घुस गई । थोड़ी  देर  बाद  अंदर  से चीखने  की आवाज़   आई।  अंदर  क्या  हुआ ? कहीं  मेरी  माँ  को कुछ  हो तो  नहीं  गया । कहकर  शुभांगी  गाड़ी  से निकल  गई । शुभु  अंदर  जाना  ठीक  नहीं  है । विशाल  ने उसे  रोका । मगर वह  नहीं  मानी  और  अंदर  चली  गई। उसके  पीछे यश  और  अतुल  भी  चले  गए । मगर विशाल  गाड़ी  में  ही बैठा  रहा । 

बाहर  विशाल   गाड़ी  में  बैठा  हुआ  है । उसे  फ़िर  से  बहुत  ज़ोरो  की प्यास  लगने  लगी ।  उसने  गाड़ी  में  रखी  पानी  की बोतल  से अपनी  प्यास  बुझाई।  मगर  अब  भी उसका  गला  जलने लगा ।  वह  न चाहते  हुए  भी घर  के अंदर  चला  आया ।  अंदर  उसे  कोई  नज़र  नहीं  आ रहा है ।  उसने  फ्रिज  खोला  और  पानी  पीकर  अपनी प्यास  बुझाई ।  उसने  आवाज़  दी अतुल !  शुभु ।  मगर  किसी  ने कोई  ज़वाब  नहीं  मिला ।  वह  हर  कमरे  में  देखने  लगा।  मगर  उसे  कोई  नज़र  नहीं  आया ।  वह  छत  पर  जाने  को हुआ । तभी  उसे  किसी  ने नीचे  खींचा ।  पीछे  मुड़ा  तो  देखा  यश  है ।  तू  ऊपर  क्यों  जा रहा है ।  तुम  लोग कहाँ  हो ? तुमने  तो डरा  दिया । विशाल  पसीना  पोंछते  हुए  बोला ।  हम  स्टोर  रूम  में  है ।  चल, वहाँ  भी कुछ  है ।  कहते हुए  यश विशाल को अपने पीछे  ले गया ।  स्टोर  रूम  में  सब  एक घेरा  बनाकर  खड़े  हुए  है । यह  आदमी  कौन है  ?   विशाल  ने पूछा ।  रिया  की कामवाली  का पति ।  कुछ  दिनों  पहले  वो  छत  से गिरकर  मर गई  थी  और अब  यहाँ यह  मरा  पड़ा  है ।  अतुल  ने जवाब  दिया ।  क्या  आंटी  ने इसे ? विशाल  आगे  कुछ बोल नहीं  पाया ।  पर  शुभांगी  की आँखों  में आंसू  आ गए ।

चलो ! निकलते  है, यहाँ  से।   यश   ने कहा  तो सब  बाहर  जाने को हुए। मगर  यह  क्या ! दरवाज़ा  बंद । तभी घर  की लाइट भी  जलने-बुझने  लगी । सबका डर  के मारे  बुरा हाल  है । तभी अतुल को ऊपर  वाले  फ्लोर  पर कोई घूमता  हुआ  नज़र  आया । उसने सबका  ध्यान उस और आकर्षित  किया।  शुभु  कहीं  यह  तेरी  मम्मी तो  नही है? नहीं  अतुल मुझे  नहीं लगता, पर कुछ  कह नहीं  सकते । पूरे  घर  से चीखने  की आवाज़ें  आने  लगी । यार ! यह  तो  रिया  की चीख  है । मुझे  बचाओ  ! कोई बचाओ  मुझे ! यह  सब ड्रामा है, मेरे  साथ  भी ऐसा हो चुका  है । चीखे  बुरी तरह  बढ़ने  लगी । यार! हमें  उसकी मदद  करनी चाहिए ,  वो  मुसीबत  में  है । सबने शुभु  की  ओर  देखा, फ़िर  सब  उसी  कमरे  की तरफ़  बढ़  गए । जहाँ  से चीखें  आ रही  है । रिया ! तू ठीक  है ? उसने आवाज़  दी । मगर  कोई  ज़वाब  नहीं  मिला । चीखें आनी  बंद  हो गई । मैंने  कहा  था न सब  ड्रामा  है । चलो ! यहाँ  से निकलने  की सोचो। एक काम  करते है,  किसी  तरह  नीचे  गार्डन पर   छलांग  मार  देते  है। ज्यादा ऊँचा  भी नहीं  है । सब यही  सोचकर  कमरे  से  लगी  ग्रिल की तरफ़  गए पर  वहाँ  पर  रिया  के पापा  का प्रेत  खड़ा  है । "आ  जाओ, बच्चों इधर  आओ ।" वे वहाँ  से भागे और  नीचे  देखा तो  रिया की  मम्मी, नौकरानी, उसका  पति और वो  भूत  भगाने  वाला बाबा सब  प्रेत  बनकर   खड़े है । उन्हें  काँटो  तो खून  नहीं । सबकी गहरी  नीली आंखों   से निकली आग  उनकी तरफ  बढ़ती  है । उस  आग से बचते  हुए  वह रिया  के  कमरे  में  ही आ गए और दरवाज़ा अंदर  से बंद कर लिया । 

आज तो  हम नहीं   बचते । अतुल पसीना -पसीना  हो चुका  है । हमें  हिम्मत  नहीं हारनी  । तेरी  मम्मी  हमें  यहाँ  फँसा  के चली  गई । उन्हें  पता था कि  हम उनका  पीछा  कर रहे  है । विशाल  ने जब यह  बताया  तो सब सोचने  लग गए । विशाल  ठीक कह रहा  है । यश   ने  भी हामी  भरी । "कुछ  भी हो  यहाँ  से निकलना  है ।"  शुभु  कहते  हुए  कमरे  में  इधर-उधर  टहलने  लगी । थोड़ी  देर बाद  उन्हें  महसूस  हुआ  कि  अलमारी  से किसी  के सांस  लेने  की आवाजें  आ रही  है । वे  कमरे से भी निकलना  चाहते  है । मगर  तभी अलमारी  खुली  तो अंदर  से संध्या  और समीर  का प्रेत  निकल  आया । उनके  मुँह  खुले  के खुले  रह  गए । वे  दरवाज़ा  खोलकर छत   की तरफ़  भागे ।  छत  का दरवाज़ा  बंद किया । हम  जितने  भी दरवाज़े  बंद कर ले, मौत  हमारे पास आ ही जाती  है । अतुल घबराता  हुआ  बोला । इसका  मतलब समीर  और संध्या  भी इनके हाथों  मारे  गए । यश  ने सिर  पर हाथ रखते  हुए कहा । हम्म  यार ! मुझे भी यही  लगता है ।  एक्सीडेंट  के  पीछे  का सच तो यह  है । अतुल  ने कहा । एक काम  करते है, छत  से कूद   जाते    है । नहीं अतुल ऊँचाई  ज्यादा  है । हड्डी     टूट  गई  तो भाग  भी  नहीं  सकेंगे  और  इन  सभी प्रेतों का   शिकार  बन जायेगे । 

पता  नहीं मुझे  आजकल इतनी प्यास  क्यों लग रही  है  ।  विशाल ने गले  पर हाथ रखते  हुए  कहा   ।  किसी  को हमारे  खून की प्यास  है तो किसी को पानी की  ।  अतुल यह  कहते  हुए  ज़मीन  पर बैठ गया  ।  कुछ  तो करना  होगा ।  पर  शुभु  क्या करे ? यश  ने छत  से  नीचे  देखते  हुए  कहा  ।  अतुल  ने  जब मुँह  नीचे  किया  तो  उसे  खून  के धार  नज़र  आई  ।  वह ज़ोर  से चिल्लाकर  खड़ा  हो गया  ।  सबने  देखा  कि  खून  की धार  पूरी  छत  पर फैल  गई  उनके  पैरो  के नीचे  खून  आ गया  तो वे  फिर  शोर मचाते हुए उन्होंने छत  का गेट  खोला  और  नीचे  भागे  ।  जो  पहला  कमरा सामने  आया, उसमे  घुस  गए  ।  अंदर  देखा  तो  उसकी  आँखों  को विश्वास  नहीं  हुआ  ।  शुभु  ने दरवाज़ा  पकड़  लिया, "शुभु   सम्भालो  अपने आपको ।" यश  ने उसे  पकड़ते  हुए कहा  ।  हमने  अपनी  दोस्त  को हमेशा  के लिए  खो  दिया  ।  कहते  हुए  शुभु  रोने लगी  ।  पंखे  से  लटकती  रिया  का यह  दर्द  और  खौफ  से भरा  जीवन  समाप्त  हो गया  ।  उसकी  बाल  बिखरे  हुए।  चेहरे  पर   चोट  के निशान  है, आँखें  और ज़बान  दोनों  बाहर  निकल  चुकी  है  ।  "Riya is dead"।  अतुल बोला  ।  ज्यादा  सोचने  का वक़्त  नहीं है  ।  हमें  यहाँ  से निकलना होगा  । विशाल  के मुँह  से यह  सब  सुन  वे  तीनों  होश  में  आये  ।

सब अब बाहर  के दरवाज़े  की ओर  लपके ।  एक  लम्बे  हाथ  ने अतुल  की  गर्दन  पकड़  ली । सबने  देखा  तो  सिर्फ़  हाथ  है, कोई  नहीं है । यश  किचन  में  गया  उस  हाथ  पर चाकू  दे मारा । अतुल  की पकड़    छूटते  ही वह  हाथ यश  की तरफ़  लपका । यश और  बाकी सब  भागे  और गेट  खोलकर  बाहर  आ गए ।  गाड़ी  में  बैठकर  भागे । उनकी  गाड़ी  के  पीछे  सभी  प्रेत  भाग  रहे  है । एक  ने  लम्बा  हाथ  कर गाड़ी  को  पीछे  खींचना  शुरू  कर दिया । यश  ने पूरी  स्पीड  से  गाड़ी भगा  दी। गाड़ी  के पीछे  का शीशा  टूटा और  एक  प्रेत  शुभु  को खीचने  लगा । अतुल   ने  प्रेत  की हाथ   पकड़   लिया । मगर  कोई फ़ायदा  नहीं  हुआ । शुभु  चीखने  लगी । विशाल  को  फ़िर  प्यास  महसूस  होने  लगी । यश  ने  बॉक्स  से  नेलकटर  निकाला  और  यश  को दिया । तेज़  धार  हाथ में  लगते  ही पकड़  ढीली  हुई । यश  ने गाड़ी  की स्पीड  इतनी  बढ़ा  दी कि  वो  फादर  एंड्रू  के घर  के सामने  ही रुके  । सबने  पीछे मुड़कर  देखा  तो  कोई  नहीं है । सबको  राहत  महसूस  हुई।