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अतुल नीचे गिर ही रहा है, तभी यश और पुलिस कॉलेज के गेट के अंदर घुसते हैं। यश अतुल को नीचे गिरते देख वहीं पास ग्राउंड में पड़े जुडो-कराटे करने वाले गद्दे खींचकर अतुल के नीचे गिरने वाली दिशा में रख देता है और पुलिस भी इन गद्दों के चारों तरफ़ खड़ी हो जाती है। अतुल उन पर गिरता है। इतनी ऊँचाई से गिरने के कारण अतुल उछल पड़ता है और बेहोश हो जाता है। पुलिस उसे अपनी जीप में डालकर हॉस्पिटल ले जाती है । पूरे दो घंटे बाद उसे जब होश आता है तो उसे यकीन नहीं आता कि वो ज़िंदा है । वह भावुक होकर यश के गले लग जाता है । यार ! आज तूने बचा लिया । मैं तो मर ही गया था । अतुल बोलते-बोलते भावुक हो गया । "तू नीचे कैसे गिरा ?" यह तो हम भी जानना चाहते है ? पुलिस वाले ने अंदर आकर सवाल किया । पता नहीं, मेरा पैर फिसल गया था, शायद । अतुल की आवाज़ में एक हिचक है । देखिए मिस्टर अतुल, अगर आप इसी तरह लापरवाही करते रहे तो एक दिन आप ज़रूर मर जायेगे । अगली बार आपके पास कोई सही वजह नहीं हुई तो हम फ़िर अपने तरीके से कार्यवाही करेंगे । कहकर पुलिस वाले चले गए । तू उन्हें बता क्यों नहीं देता कि सच क्या है। क्या सच बताओ कि रिया ने मुझे धक्का मारा । मेरे पास कोई सबूत नहीं है और शुभु सही कह रही थी। यह अपनी रिया नहीं है । ज़रूर इस पर सागर या अनन्या का प्रेत है । कौन सागर ? कौन अनन्या ? यश ने ज़ोर देकर पूछा । अतुल ने उसे सारी बात बता दी। पॉल एंडरसन की कहानी सुनकर यश हैरान हो गया । तुमने एक प्रोजेक्ट के लिए इतना कुछ झेला । तुम तो सचमुच प्राइज के हकदार हो। यश ने अतुल के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा । इतनी शाबाशी भी मत दे हमें, आज जो कुछ हमारे साथ हो रहा है न, उसके ज़िम्मेदार हम ही है। विशाल ने शुरुआत की थी, हमें लगा बस रिसर्च करके अपना प्रोजेक्ट पूरा कर लेंगे । मगर हमें क्या पता था कि हमारी जान पर बन आएगी । शुभु विशाल को मना भी कर रही थी कि कुछ और ढूँढ़ते है। मगर विदेश की स्कॉलरशिप के चक्कर में किसी ने उसकी नहीं सुनी । अब देखो! हम यहाँ मरने को पड़े है और वो वहाँ मज़े कर रहा है। कहते हुए अतुल का मुँह लटक गया । ये सब बातें छोड़ और चल यहाँ से दस बजने को है । वैसे भी वो कल वापिस आ ही रहा है । उसे सच पता चलेगा तो वह भी सदमे में आ जाएगा। यश ने समझाते हुए कहा ।
विशाल अपना सामान समेट रहा है और सामान पैक करते हुए बोलते जा रहा है । "चाचाजी ने कुछ ज्यादा ही मुझे बोर कर दिया । सब मेरा मज़ाक बनायेगे कि मैंने अपनी छुट्टियाँ इन मजदूरो के साथ बिता दी । अब जरा वापिस जाकर अपनी ज़िन्दगी को रंगीन बनाओ । तभी उसके दरवाज़े की घंटी बजती है, अब कौन आया होगा ? सामने अवनी को देखकर ख़ुश भी हुआ और हैरान भी। तुम ? इतने दिनों से नहीं आई और आज रात दस बजे मुझे ऐसे सरप्राइज करने पहुँच गई । विशाल ने उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर खींच लिया । अवनी ने उसके करीब आते हुए कहा कि "कहीं फँस गई थी " । मुझे कब फ़साने का इरादा है ।" विशाल ने अब भी अवनी का हाथ नहीं छोड़ा। अब अंदर चले या दरवाज़े पर ही बात करते रहेंगे । क्यों नहीं, क्या लोंगी ? उसने फ्रीज़ से वाइन की बोतल निकाली और गिलास में डाल दी । जो है, वही पिला दो । अवनी ने सोफ़े पर लेटते हुए कहा। फ़िर यह गिलास पकड़ो । "मैं कल वापिस जा रहा हूँ, अगर तुम्हारा मूड मुझे रोकने का हो तो बता दो ।" विशाल ने वाइन का घूँट भरकर उसे देखते हुए बोला। "फिलहाल तो आज रात साथ गुज़ार लेते है, कल का मैं कुछ कह नहीं सकती ।" अवनी ने उसकी बात का ज़वाब भी वाइन पीते हुए दिया । उस दिन तुमने बताया था कि तुम कॉल सेंटर में काम करती हों । हाँ, तभी तो कह रही हूँ कि मेरी शिफ्ट्स बदल सकती है इसलिए जो है यही पल है । विशाल ने वाइन का गिलास रखा और उसका हाथ पकड़ सीधे बैडरूम में ले गया ।
बैडरूम में पहुँचकर ही उसने अवनी को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया और अवनी भी पूरी तरह विशाल से लिपट गई । दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू किए और फ़िर रात को रंगीन बनाने का सिलसिला शुरू हो गया । अवनी विशाल की बाहों में देह सुख का आनंद ले रही है तो विशाल भी उसके अंदर समां चुका है । जब कुछ देर बाद विशाल उससे अलग हुआ तो अवनी उसके सीने पर सिर रखकर लेट गई और वह अपनी उँगलियो से उसके बाल सहलाने लगा । "अब भी पूछ रहा हूँ कि तुम कहूँगी तो मैं रुक जाऊँगा ।" विशाल ने धीरे से उसके कानों में कहा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया । अवनी अब सोच रही है कि रुकने के लिए कहे या नहीं । तभी उन दोनों को कुछ खटका हुआ और वह उठकर बैठ गए । कोई और भी है क्या घर में ? अवनी ने खुद को चादर से ढकते हुए पूछा। नहीं, मेरे सिवा तो कोई नहीं है । तुम रुको मैं देखता हूँ । उसने अपना पजामा पहना और शर्ट टी-शर्ट पहनकर कमरे से बाहर आ गया । उसने देखा मैन गेट वो बंद करना ही भूल गया था । उसने दरवाज़ा बंद किया और पीछे मुड़ा तो सामने रिया को देखकर भोंचका रह गया। रिया तुम यहाँ क्या कर रही हो ?" वह उसे अचानक देखकर ज़ोर से चिल्लाया । चिल्ला क्यों रहे हो? मैं अपने मामा के घर जा रही हूँ, रास्ते में सोचा तुमसे मिलती चलो । कभी आने से पहले टाइम तो देख लिया करो । अब बैठो यहाँ आराम से , मैं अंदर सोने जा रहा हूँ । वह पैर पटकता हुआ अंदर चला गया । कौन है ? अवनी ने नाईट गाउन पहनते हुए पूछा। "तुम मेरी चाची के नाईट गाउन में सुन्दर लग रही हो। " "बताओ न कौन है ?" "मेरी कॉलेज की फ्रेंड है, अपने मामा के घर जा रही है तो मेरे यहाँ भी आ गई । तुमने वक़्त देखा है, कहीं ऐसा तो नहीं कि तुमने उसे बुलाया है ।" अवनी अब चिढ़ गई । नहीं यार ! उसने प्यार से अवनी का चेहरा पकड़ते हुए कहा, जब से उसका बॉयफ्रेंड मरा है ,तबसे तो थोड़ा डिप्रेशन में है । उसे ख़ुद नहीं पता होता वो क्या कर रही है। चलो अब सो जाए । वो खुद ही चली जाएगी। बेचारी ! अवनी ने अपना सिर विशाल के सीने पर रखते हुए कहा । थोड़ी देर में वे दोनों नींद के आगोश में चले गए । तभी अवनी की आँख खुली उसने महसूस किया कि उसे बहुत तेज़ प्यास लगी है।
वह उठी उसने विशाल को एक नज़र देखा वो बेसुध सो रहा है । दरवाज़ा खोलकर हॉल में आकर किचन की तरफ़ जाने लगी । उसने फ्रिज खोला, बोतल निकाली और गिलास में पानी डालने लगी । पूरी एक बोतल पानी पीकर भी उसकी प्यास नहीं बुझी । उसने एक बोतल और पानी पिया। मगर फ़िर तीन -चार बोतलों की संख्या बढ़ती गई। उसका गला जलने लगा। गला पकड़कर चिल्लाने लगी । सामने उसे रंग बदलती रिया नज़र आई। उसने अपना हाथ लम्बा किया और अवनी की गर्दन तक पहुँचा दिया और थोड़ी देर में उसका शरीर जलने लगा ।
सुबह जब विशाल की आँख खुली तो उसने देखा कि अवनी अपने बिस्तर पर नहीं है। लगता है, जल्दी चली गई होगी । रिया को भी पूरे घर में न पाकर वो समझ गया कि यह सचमुच किसी डिप्रेशन का शिकार है । वरना ऐसे आना और जाना कौन करता है । छोड़ो यार ! कल रात सचमुच मस्त गुज़री । यह कहते हुए वह बाथरूम में घुस गया । तैयार हुआ। अपना सामान उठाया और हॉल में रख दिया । कुछ पेट-पूजा करके निकला जाए । यह सोच वह किचन की तरफ़ बढ़ा और उसने देखा कि खाली बोतले किचन टेबल पर है । लगता है, दोनों मैडम सारा फ्रिज खत्म कर गई है । कही ऐसा तो नहीं है, रिया ने उसे कुछ बोला और वो बिन बताए गुस्से में चली गई । विशाल के यह सोचकर चेहरे के भाव बदल गए । खैर, अब क्या किया जा सकता है। रिया ने तो कर ही दिया अपना काम । उसने कॉर्न फ्लैक्स निकाला और दूध में डालकर खाया । फ़िर अपना बैग उठाया । मैन गेट बंद किया और बाहर की तरफ़ आ गया । मजदूरों को अपने जाने के बारे में बताया । गुनगुनाता हुआ गाड़ी की तरफ़ बढ़ा । गाड़ी में रिया पहले से ही बैठी हुई है । तुम गई नहीं ?अभी तक ? तुम मुझे अपने मामा के घर छोड़ डोंगे । यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है । ठीक है, रिया छोड़ देता हूँ । उसने गाड़ी स्टार्ट की । तुम्हारी अवनी से बात हुई थी ? विशाल अब भी बेचैन है । कौन अवनी ? मैं किसी अवनी से नहीं मिली । रिया खिड़की से बाहर देख रही है । तुम मामाजी के अचानक क्यों जा रही हूँ ? अचानक नहीं, पहले से ही जाना तय था, तुम्हें अब पता चला है । रिया ने लापरवाही से कहा । विशाल ने उसके हाव -भाव देखकर उससे आगे कुछ नहीं पूछा ।
गाड़ी अपनी गति चलती जा रही है । रिया कहाँ छोड़ो तुम्हें ? जल्दी बताओ ? विशाल ने गाड़ी रोककर पूछा । सामने जो मकान है न तुम मुझे वहीं छोड़ दो । उसने वहीं गाड़ी रोक दी । अंदर चलोगे? नहीं, मैं अब जाऊँगा । चलो न । रिया ने ज़िद । नहीं यार ! मैं अब घर निकलूंगा । कहते हुए जैसे ही उसने गाड़ी स्टार्ट की । गाड़ी चली नहीं । अब इसे पता नहीं क्या हो गया ? मैं मामाजी को कहती हूँ वो किसी को भेज देंगे । तब तक तुम मेरे साथ अंदर आ जाओ । जब तक गाड़ी ठीक नहीं होती । न चाहते हुए भी विशाल रिया के साथ उस घर में चला गया । मगर अंदर कोई नहीं है । अंदर आते ही रिया भी किसी कमरे में चली गई । घर में कोई दिखाई नहीं दे रहा । उसने रिया को आवाज़ लगाई। पर उसने कोई ज़वाब नहीं दिया । जब उसे एक कमरे से रोने की आवाजे सुनाई दी तो वह धीरे कदमों से उस कमरे की तरफ़ बढ़ा । दरवाज़ा खोला तो एक लड़की खिड़की के पास खड़ी है । थोड़ी और पास जाने पर वह उसे पीछे से अवनी जैसी लगी । अवनी और यहाँ ? नहीं यार ! यह तो हो नहीं सकता । मगर यह नाईट गाउन तो अवनी का ही है । मैंने ही उसे अपनी चाची का गाउन पहनने के लिए दिया था । मगर यह यहाँ क्या कर रही है? यहीं सोच वो रुक गया ।
अवनी ! अवनी! उसने धीरे से आवाज़ लगाई। मगर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह उसकी ओर बढ़ने लगा । उसने फ़िर आवाज़ लगाई अवनी ! इस बार उंसने मुड़कर देखा। उसका जला हुआ चेहरा, आखें गहरी नीली । वह डरकर पीछे हो गया और चिल्लाते हुए नीचे की ओर भागा । उसने दरवाज़ा खोला, अपनी गाड़ी स्टार्ट की। तेज़ चलाता हुआ, वह अपने शहर के पास पहुँच गया। उसका गला सूख रहा है । लगातार उसने तीन घंटे गाड़ी चलाई है। उसने सड़क के कोने में गाड़ी रोकी और पास की चाय -सिग्रेट की दुकान से पानी माँगने लगा। पानी की बोतल लेकर उसने पानी पिया । मगर उसकी प्यास नहीं बुझी। दो-तीन चार कितनी बोतल पानी पी लिया । "बाबू सारी पानी की बोतल तुम ही पियोगे । " दुकान वाले ने कहा । विशाल ने उसे पैसे दिए और फ़िर गाड़ी चलाने लगा। अपने घर पहुंचकर उसने राहत की सांस ली। मगर एक बात अब भी समझ के बाहर है कि अवनी को मारा किसने? और रिया अचानक कहाँ गई ? यही सब सोचते हुए वह अपने बिस्तर पर लेट गया । उसे याद आया कि उसके चाचा जी ने फार्म हॉउस के अंदर कैमरे लगवा रखे थें और उसने कैमरे के नेटवर्क को अपने लैपटॉप से जोड़ लिया था । उसने लैपटॉप में कल की सारी घटना दिखाई दी । वह डर गया और समझ गया कि रिया अब वो रिया नहीं रही ।
उसने शुभांगी को कॉल किया । मगर शुभांगी तो खुद अपना फ़ोन साइलेंट पर रखकर अपनी माँ का पीछा कर रही है । आज मैं सच पता लगाकर ही रहूँगी । आख़िर माँ जाती कहा है ? उसकी माँ वहीं पहुँच गई, जहाँ वो प्रेत भगाने वाला आदमी रहता था। माँ ? यहाँ ? उसने छुपकर देखा कि उसकी माँ ने तीन सूटकेस खोले जो रिया के घर के बाहर थें । तभी वहाँ रिया आई। उसकी माँ सिर झुकाकर घुटनों के बल बैठ गई । फ़िर रिया ने अल्का के मुँह पर ज़ोर-ज़ोर से तीन थप्पड़ मारे । यह क्या हो रहा है । रिया ने माँ को क्यों मारा ?