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शुभांगी सूटकेस के अंदर से ही चिल्ला रही है। मगर उसकी माँ अल्का लगातार हँसती जा रही है। 'माँ! माँ!' कहते हुए उसकी आँख खुल गई और उसने देखा कि वह अपने कमरे में ही है । उसने अपनी गर्दन पर हाथ लगाया, अपने हाथ को छुआ तो उसे दर्द महसूस हुआ । आसपास कोई नहीं है। इसका मतलब वो सपना देख रही थीं, उसने चैन की सांस ली । सपना ही होगा, आखिर उसकी अपनी माँ कैसे उसके साथ ऐसा कुछ कर सकती है। पाँच बज चुके है । उसने पानी पिया और खिड़की से बाहर देखने लग गई । हमेशा की तरह उनके पड़ोसी इतनी सुबह वॉक पर निकल जाते हैं। मुझे भी जल्दी उठकर सैर करनी चाहिए । इसे मन थोड़ा तरोताजा रहेगा । मुझे अब नींद नहीं आने वाली । सूर्य देवता का आगमन लगभग हो ही चला है । जैसे ही वह वापिस मुड़ी कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आने लगी । उसने फ़िर खिड़की से नीचे देखा तो कुत्ते उसके घर के बाहर जो छोटा सा गार्डन है, वहाँ देखकर भौकें जा रहे है । कोई घुस तो नहीं गया अंदर की तरफ़ । यही सोचकर वह नीचे की तरफ भागी । उसने दरवाज़ा खोला, अपने गार्डन की तरफ़ नज़र घुमाई । उसकी माँ उसे पानी देती हुई नज़र आई । उसकी माँ ने कुत्तों को घूरकर देखा तो वे भाग खड़े हुए। माँ ये कुत्ते भौंक क्यों रहे थे, तुम्हें तो यह जानते है, तुम तो हमेशा इन्हें रोटी डालती हूँ । शुभांगी ने सवाल किया । मुझे क्या पता। माँ अब भी पौधों को पानी दे रही है । माँ कल हम तीनो ने तुम्हें रिया के घर जाते हुए देखा था और तो और तुम उसके गार्डन में रखे सूटकेस लेकर कहीं जा रही थी। शुभांगी एक ही सांस में बोल गई । माँ के चेहरे के हाव-भाव बदले जैसे गुस्से में अभी चिल्ला पड़ेगी और फ़िर सामान्य होकर बोली, "तुम रिया से पूछ लो न कि कल मैं उसके घर आई भी थी या नहीं ।" माँ के चेहरे पर हँसी देखकर चुप हो गई ।
शुभु नाश्ते की टेबल पर बैठी है । माँ खाने को कुछ ला रही हो ? तुम आज नाश्ता खुद बना लो । मुझे कुछ काम है । ठीक है, वह किचन में गई। बाथरूम से नल चलने की आवाज़ आ रही है । माँ अभी तक नहा रही है। माँ बाथरूम में हो क्या ? हाँ, कपड़े धो रही हूँ । बाथरूम से आवाज़ आई। उसने दो अंडे लिए अपना ऑमलेट तैयार किया , फ़िर टोस्ट बनाया और कॉफी लेकर टेबल पर आ गई । माँ आप भी आ जाओ, नाश्ता बन गया है। उसकी माँ ने कोई ज़वाब नहीं दिया । अपना नाश्ता ख़त्म कर उसने बैग उठाया और बाहर निकल गई । मैं पेंटिंग क्लॉस जा रही हूँ । जब वह घर से बाहर निकली उसने मुड़कर घर की तरफ़ देखा । माँ छत पर कपड़े सुखा रही है । ओह ! माँ छत पर है. तभी कुछ नहीं बोली । वह छत की ओर देख रही है। उसकी माँ ने अपनी पीली साड़ी सुखाई, फ़िर उसने देखा, माँ ने कुत्ते रस्सी पर टाँगने शुरू कर दिए। बिलकुल बेजान मरे हुए से वहीं कुत्ते, जो सुबह भौक रहे थें, एक नहीं पूरे चार कुत्ते । उसके होश उड़ गए । उसके हाथ से बैग छूट गया । उसका मोबाइल बज रहा है । दीदी आपका मोबाइल । पड़ोसी के बेटे सोनू ने उसे कहा । उसका ध्यान हटा, उसने सोनू को देखा। फ़िर छत पर देखा तो कपड़े ही कपड़े है। "शुभु तू कही जा रही है "? माँ पूछ रही है । मैं वो पेंटिंग क्लॉस!!! उसकी आवाज़ गले में अटक गई । उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह चलती-चली गई। गई। इतना भयानक और अटपटा दृश्य याद कर उसे उल्टी आने को हुई । वह वही सड़क के किनारे उलटी करने लगी । उसका मोबाइल फ़िर बज रहा है ।
शुभांगी: हेलो, उसकी आवाज़ बड़ी धीमी है ।
यश : शुभांगी तुम ठीक तो हो? यश की आवाज़ में फ़िक्र है ।
शुभांगी:: हाँ, अभी तक तो हूँ ।
यश : कहाँ हो तुम ? मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ ।
शुभांगी : मैं अपनी पेंटिंग क्लॉस के बाहर बैठी हूँ, उसे लगा वो अभी रो पड़ेगी ।
शुभांगी सड़क के किनारे बेंच पर बैठ गई । उसने रूमाल से अपना चेहरा साफ़ किया । तुम क्लॉस के अंदर नहीं गई? यश ने उसके पास बैठते हुए पूछा । मन बहुत बैचैन हो रहा है । शुभांगी ने यश के कंधे पर सिर रख दिया। तुम्हें वो आदमी याद है, जिसे हम रिया के घर ले गए थे। "हाँ " वह कल रात मर गया । क्या ! शुभु ने सिर उसके कंधे पर से उठाते हुए कहा । हां, उसकी मौत बड़ी बुरी तरह हुई । किसी ने उसे रस्सी से उल्टा टाँगकर मार दिया । सारे बदन पर चोट के निशान है । यश की आवाज़ बहुत धीमी हो गई । उसकी मौत कब हुई । पुलिस तो कल रात का समय ही बता रही है । शुभु सोच में पड़ गई । कल मैंने भी बुरा सपना देखा कि मेरी माँ मुझे मारने की कोशिश कर रही है और अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ वो भी उसने यश को बता दिया । यश न शुभु को कसकर गले लगा लिया । तुमने रात के साथ सुबह भी सपना देखा होगा । परेशान मत हो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ । यश ने उसका सिर चूम लिया और शुभांगी एक बच्चे की तरह लिपट गई । अब जब पेंटिंग क्लॉस नहीं जाना तो कहीं घूमने चलते है । मूड ठीक हो जाएगा । यश ने उसका हाथ पकड़ उसे उठाते हुए कहा।
दोनों हाथों में हाथ डाले सड़क के किनारे-किनारे आराम से चलने लगे । तुमने अतुल को उस आदमी की बात बताई । नहीं,पहले तुमसे ही बात की । यश ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा । अच्छा किया, अतुल वैसे भी हँसता-खेलता अच्छा लगता है । सीरियस तो वह बिलकुल अजीब लगता है । शुभु हँसने लगी । कल वह रिया के घर जाने के लिए कह रहा था कि चलकर सूटकेस देखते है । मगर मैंने मना कर दिया । रिया तो निकल चुकी होगी । क्या करना है, उसके घर जाकर। मेरा तो अपने घर जाने का मन ही नहीं कर रहा । वो अब किसी पार्क में बैठ गए । फ़िर मेरे घर चलो, यश के चेहरे पर शरारती मुस्कान है । हाँ , हाँ क्यों नहीं । शुभु ने मुँह चिढ़ाते हुए कहा। कम से कम तुम्हारा मूड ठीक तो हुआ । अब दोनों एक दूसरे को ऐसे छेड़ते हुए हँस रहे है । खुश लग रहे है । बात करते-करते काफ़ी समय बीत गया । यश ने घड़ी देखी तो दोपहर के एक बज रहे हैं। चलो, कहीं लंच करने चलते हैं । हम्म्म, भूख भी लग रही है ।
शुभांगी और यश दोनों लंच कर रहे हैं । तभी शुभु का फ़ोन बज उठा। अतुल का नंबर देख उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई । हाँ, अतुल हम कैफ़े में है । तू भी आ जा ।
अतुल -- शुभु मैं लाइब्रेरी जा रहा हूँ । दो-चार बुक वापिस करनी है । फ़िर पंद्रह दिन में रिजल्ट भी आने वाला है । मार्कशीट देने में दिक्कत करेंगे । तुझे चलना है?
शुभु ::: मैं आज नहीं जा रही। वैसे पॉल एंडरसन वाली किताब मुझे वापिस करनी है । मगर मैं रिजल्ट वाले दिन ही कर दूँगी ।
अतुल """ तू एन्जॉय कर । शाम को मिलते है। यह कहकर अतुल ने फ़ोन रख दिया ।
अतुल ने शुभांगी का फ़ोन रखा और लाइब्रेरी की ओर निकल गया । कॉलेज की छुट्टियों की वजह से लाइब्रेरी में एक दो-तीन लोग ही है। लाइब्रेरी वाली मैडम लंच करने गई है । अतुल ने लाइब्रेरी में पूरा चक्कर लगाया और फिर चेयर लेकर बैठ गया । सामने शेल्फ पर रखी मैगजीन पर उसकी नज़र गई और वो दो-तीन मैगजीन लेकर उसके पन्ने पलटने लगा । "ये कॉलेज वाले सेक्सी मैगज़ीन क्यों नहीं रखते है । इनमें छुटपुट फ़ोटो आती है, मगर इनसे दिल थोड़ी न भरता है। यह मैडम पता नहीं कहाँ रह गई । ज़रा कॉलेज का चक्कर लगा लूँ । एक बार निकल गए तो फ़िर सब याद ही बनने वाला है। "कहते हुए पूरे कॉलेज में घूमने लग गया । हॉल के पास पहुँचते ही उसे लगा कि अंदर कोई है । अब कौन होगा ? क्या पता कोई स्टूडेंट का ग्रुप कोई प्रैक्टिस कर रहा हों । उसने हल्का सा दरवाज़ा खोलकर देखा, मगर अंदर कोई नहीं है। हॉल की स्क्रीन पर प्रेजेंटेशन चल रही है । मगर हैरानी की बात यह कि वो दिखाया जा रहा है जो उनके साथ वहाँ हुआ था । वहीं जंगल का सीन कैसे वो बचकर भाग रहे हैं । उसका मुँह खुला का खुला रह गया। उसके मुँह से निकला "अंदर कोई है ? कौन है? " मगर कोई आवाज़ नहीं आई और वह डरकर हॉल का दरवाज़ा बंदकर वहाँ से भागने को हुआ । जब लाइब्रेरी की तरफ़ जाने वाले गेट के पास गया तो वहाँ का दरवाज़ा बंद है। यह दरवाज़ा किसने बंद कर दिया ? "मेम दरवाज़ा खोलो" वह चिल्लाया । पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ । वह बाहर मैन गेट की तरफ़ भागा । उसने देखा क्लॉस के अंदर किताबे हवा में तैर रही है। यह सब शुभु के साथ भी हो चुका है । उसने कदम जल्दी से आगे बढ़ाए ।
उसके चेहरे पर पसीना आ चुका है । उसका गला सूख रहा है। आज कॉलेज का गेट इतना दूर क्यों लग रहा है। वह खीजने लगा । रिसेप्शन पर उसने देखा कि वहीं ऑउटहॉउस वाली मैडम मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ बढ़ रही है । नहीं ! नहीं ! चिल्लाता हुआ, वह एक क्लॉस में घुसा और अंदर से गेट बंद कर लिया । उसकी सांस उखड़ रही है । उसने अपना मोबाइल उठाया और शुभु को फ़ोन लगाया । मगर उसका फ़ोन नहीं मिला। उसने फ़िर यश को फ़ोन किया । मगर उसका फ़ोन बीजी जा रहा है। उसने पुलिस को फ़ोन करके यहाँ का पता बता दिया । कम से कम पुलिस तो आ ही जायेगी । यहीं सोचकर उसे सांस आई । तभी उसने देखा कि ब्लैकबोर्ड पर चॉक अपने आप चलने लगा और लिखा गया । "आज नहीं बचोगे।" उसने दरवाज़ा खोला, फ़िर वह दूसरी क्लॉस में घुस गया । "मैन गेट के पास तो वह मैडम खड़ी है । मैं कॉलेज आया क्यों? यह सब क्या हो रहा है ।" वह सिर पकड़ कर ज़मीन पर बैठ गया । थोड़ी देर बाद बिलकुल सन्नाटा हो गया, अंदर और बाहर कहीं से कोई आवाज़ नहीं आ रही है। क्या सब ख़त्म हो गया । क्या वो बाहर निकल सकता है । तभी उसे बाहर से आवाज़े आने लगी । शुभु के चीखने की । उसने सोचा दरवाज़ा खोले, मगर चीख बंद हो गई । उसने फ़िर शुभु को कॉल किया । मगर फ़ोन बंद जा रहा है । उसने कान लगाकर ध्यान से सुना तो बाहर से उन सबकी आवाज़ें आ रही है । यह तो वही बातचीत है जो वो लोग पॉल एंडरसन के घर में कर रहे थें । यार ! यह क्या हो रहा है ? तभी यश का फ़ोन आया उसने फ़ोन उठाते ही बोला," यश अभी कॉलेज पहुँच । मैं मुसीबत में हूँ ।
यश :::: क्या हुआ ?
अतुल : कुछ पूछ मत, बस जल्दी आ । यश ने फ़ोन काट दिया ।
फ़िर आवाज़ें आनी बंद हो गई । उसने फ़ोन में टाइम देखा छह बज रहे है । मैं कितनी देर से यहाँ पर हूँ । पता नहीं क्या होने वाला है । अतुल बोला । "अतुल दरवाज़ा खोलो मैं हूँ ?"
मैं कौन ? यह किसी लड़की की आवाज़ है ।
"मैं रिया" जल्दी खोलो ।"
रिया? वह खोलने ही लगा था, तभी उसे याद आया" रिया तुम अपने मामाजी के घर नहीं गई?
"पापा ने मना कर दिया" कहा कि "कल आना ।" "तुम्हें कैसे पता मैं यहाँ हूँ ?"
"शुभु ने बताया।"
अब अतुल को विश्वास हो गया कि रिया ही आई है । उसने दरवाज़ा खोल दिया । सामने रिया को देख उसकी जान में जान। मगर यह क्या ? उसके चेहरे का रंग बदलने लगा। आखें गहरी नीली हो गई । वह ज़ोर से हँसी । अतुल काँप गया । रिया तुम्हे क्या हो गया। वह ज़ोर से हँसी और उसकी ओर लपकी। वह भागता हुआ कॉलेज की छत पर आ गया । वह छत का दरवाज़ा बंद करने ही वाला था । तभी रिया ने उसे लात मारी और वह उड़कर छत पर दूर जा गिरा । अतुल समझ गया कि आज वो मरने वाला है। "रिया तुम मुझे क्यों मारना चाहती हो। मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है, यार! मुझे जाने दे। मगर वह उसके पास आती जा रही है और वह छत पर ही इधर-उधर पागलों की तरह भाग रहा है। वह चिल्लाता रहा। मगर क्या फायदा, रिया ने उसकी गर्दन पकड़ी और उसे नीचे फ़ेंक दिया।