Confession - 13 Swati द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Confession - 13

13

 

रिया दीदी  से मदद  मांगने आया  था, वह कह रही है, "पापा  आएंगे तभी  कुछ हो पायेगा ।  उसने अपने आँसू  पोछे ।  सब  ठीक  हो जाएगा  भैया, आप  चिंता  न करें । वो मुझे  एक दिन कह भी रही थी  कि  इनके  घर  कोई गड़बड़  है । मगर  मैंने  ध्यान नहीं दिया । वरना  मै  उसे काम पर ही नहीं  भेजता । उसने खीजकर  कहा । कैसी  गड़बड़ ? पता नहीं बहनजी, बस  यही कि  रिया  दीदी कभी  हवा  में  लटक जाती है  तो कभी  ज़मीन  से  चिपक  जाती है । पता  नहीं  क्या-क्या  बोलती है  । भैया  वो तो सब एयरबैग्स  का कमाल था । शुभु  ने  उसे सच  बताया । अब  ये बड़े लोग जाने कि  क्या मामला  है, हमें इतना पता  है  कि  हमारी  बीवी चली गयी। उसकी आँखों में  फ़िर आसूँ आ गए।  

शुभु  अंदर  आ गई, उसने  देखा कि  रिया किचन  में  स्नैक्स बनाते हुए गीत गुनगुना  रही  है । वह  उसे देखकर  खुश होकर बोली, "रिया बाहर  यह  सूटकेस  क्या कर  रहे  हैं? यह  तो  सामान  है, कुछ पापा  ने मंगवाया  था। अपने  साथ लेकर  जाना  है । तू  म्यूजिक देख, मैं  लाइटिंग  ब्राइट  करती  हूँ। रिया तुझे पता है, इस  बारे  में कि  वो कामवाली मर गई । शुभु  ने  हाथ में  सी.डी  उठाते  हुए पूछा । हाँ, पापा  आएंगे  तो कुछ मदद  कर पाएंगे उसकी। मैंने  थोड़े से पैसे  दे दिए हैं । रिया  ड्राइंग  रूम की  लाइट्स  लगाते  हुए  बोली।  शुभु  को उसकी बात सुनकर तसल्ली  हुई  कि  रिया  को सब पता है  और उसे  उससे  हमदर्दी भी है ।

शाम  को अतुल,  यश, मेघा, विनय  और बहुत  सारे  दोस्त रिया के घर  इकठ्ठे  हो गए । कमरे  की चकाचौध  और  म्यूजिक  को सुनकर अतुल  तो जैसे  ज्यादा  ही खुश  हो गया । आज  तो सचमुच  पार्टी  का मज़ा आने वाला  है। वह  चहकते हुए बोला । यश और शुभांगी कपल  डांस  कर रहे हैं ।  उन्हें देखकर और फ्रेंड्स भी  फ़्लोर पर आ गए। तभी अतुल ने   म्यूजिक बदल दिया और सभी  लोग  डांस फ्लोर  पर झूम-झूमकर नाचने लगे। अतुल ने  रिया  को भी खींचा  और रिया  बड़े  मज़े  से डांस करने लगी। खाने की चीज़े  टेबल  पर सर्व हो  रही हैं । शुभु थककर अपना ड्रिंक्स  का गिलास लेकर सोफे पर  जा बैठी। क्या हुआ? और डांस नहीं करना ? यश ने शुभू के नज़दीक आते हुए  पूछा । अब मेरे पैर  जवाब दे रहे हैं। आज  मैं ज़रूरत से ज्यादा नाची हूँ । शुभु  ने अपने पैर पकड़कर उसे जवाब दिया ।  कुछ ज्यादा  ही शोर  है । छत  पर चले ? थोड़ा  आराम  मिलेगा ।  शुभु  ने यश  की  ओर  गौर से देखा । फ़िर  मुस्कुराई  और धीरे से 'हाँ'  बोल दी । यश  उसका  हाथ पकड़कर छत पर ले  आया । ठंडी -ठंडी हवा चल रही  है । पूरा  चाँद  सितारों  के साथ, आज रात  कितनी  खूबसूरत  है । शुभु  ने आसमन की तरफ देखते  हुए कहा । जब दिल  खुश  हो तो सबकुछ अच्छा  लगता है । यश ने उसके चेहरे को गौर से देखते हुए कहा । आज तुम्हें  घर  जाने के लिए  देर नहीं  हो रही। आज पता नहीं  कैसे मम्मी  ने ज्यादा  कुछ नहीं पूछा  और कहा, "जब  तुम्हारा  दिल करे चली  आना । शुभु  ने बड़ी ही उत्सुकता  से बताया ।  वाह ! आज आंटी  ने तो  कमाल  ही कर दिया । मैं  भी हैरान  हूँ, माँ का ऐसा जवाब  सुनकर । पर मैं रिलैक्स  हूँ, वैसे  भी हम कोई  बाहर  तो है  नहीं, रिया  के घर पर है । शायद इसलिए  उन्हें  मेरी ज़्यादा फ़िक्र नहीं  थीं । हो सकता है, शुभु  क्या  मैं  तुमसे वही  पुराना  सवाल  पूछ  सकता हूँ , अगर तुम्हें बुरा न लगे तो ? यश ने  शुभु  को अपने नज़दीक  लाते हुए  कहा । "यश, तुम  मुझे  अच्छे लगने लगे  हो ।" यह  कहते  ही शुभु  के चेहरे  पर मुस्कान  आ गई।

इतना सुनते ही यश  शुभांगी  के और करीब  आ गया और  वे   सबसे बेखबर  एक दूसरे की आँखों  में  देखने लगे । फ़िर  यश  ने धीरे से शुभु   के होंठो  पर किस कर दिया। दोनों  और करीब  आ गए  और  लगातार  प्यार  को जताने  का यह  सिलसिला चलता  रहा । तभी  शुभु  को ऐसा महसूस  हुआ  कि  कोई  उनके बहुत  करीब  खड़ा  है । उसे  किसी  तीसरे  व्यक्ति की अनुभूति  हुई  और वह  पीछे हट गई । यश  संभलते  हुए बोला , क्या  हुआ? मुझे  लगा  छत  पर कोई है । यश  ने गौर से  देखा, हमारे  अलावा  कोई नहीं  है। खुद, देख  लो । उसने  भी नज़र  घुमाई, मगर  सचमुच कोई नहीं  है । यश  ने उसका  हाथ  पकड़ा, "अब नीचे  चलते  है। कुछ खा लेते है । "यश  ने मुस्कुराते हुए कहा  तो शुभु  हँस दी ।  "आज  तो हमारे  पास पूरी रात  है । यश, इतना खुश  होने की ज़रूरत  नहीं  है। तुम्हें  अभी  घर भेज दिया  जाएगा । शुभु  ने  उसके  गाल  खींचते हुए कहा । नीचे गए  तो कोई डांस कर रहा  है, तो  कोई खाना  खा रहा है । अतुल  फ़ोन  पर है:::::::

हाँ , हेलो  विशाल  मेरी  आवाज़  आ रही है । 

विशाल: हाँ, अब आ रही  है । कहाँ   हो तुम लोग?

अतुल : हम  रिया  के घर  पार्टी  कर रहे है, तुझे  इतने दिनों  से फ़ोन कर रहे  हैं । तेरा  फ़ोन नहीं  मिलता । 

विशाल: चाचा  के काम  से ही धक्के  खा रहा हूँ । यहाँ  बहुत  नेटवर्क  इशू है । 

अतुल : वापिस  कब रहा है ? तेरी  उस  मैडम  का क्या  हुआ ?

विशाल : यार ! मुझे  लगा  आएगी । मगर उस दिन के बाद नहीं आई। मैं  शायद  परसो  वापिस  आ जाओ। 

तभी फ़ोन  कट  गया । लगता  है, फिर नेटवर्क  प्रॉब्लम हो गई  होगी।  अतुल  ने फ़ोन  रख दिया । शुभु  विशाल  का फ़ोन  था, वो परसो  आ रहा है । अच्छा  है। 11  बज रहे  हैं, घर  नहीं जाना ? अतुल  ने पूछा । कुछ  खा  लूँ, फ़िर  चलते  है । शुभु  ने कहा। सभी  दोस्त बाय! बोल धीरे-धीरे करके  चले गए । "तुम लोग  आज रात  यहीं  रुक  जाओ ।" रिया  ने शुभु  और  यश  की तरफ़  देखते हुए कहा । नहीं यार! घर  में  माँ  अकेली  होगी । शुभु   ने ज़वाब  दिया ।  कोई  नहीं, आज रिया  ने इतनी अच्छी  पार्टी दी है । बहुत  एन्जॉय  किया । अतुल ड्रिंक पी रहा है। अब खा  लिया हो  तो चले, अतुल  ने खड़े  होते  हुए पूछा। हाँ,चल  चले। अच्छा ! रिया बाय!  दोनों ने उसे  गले लगाया । यश  ने भी  हाथ  मिलाया । रिया उन लोगों  को बाहर  तक  छोड़ने  तक  आई। कल  तू  जा रही है न ? हाँ, यार ! सुबह  जल्दी निकल  जाऊँगी । 

तीनों  बाहर  निकल  गए । यह  सूटकेस  कितने  बड़े  है। ऐसा  क्या सामान  लेकर  जा रही है। शुभु अब भी उन बैग्स को देख रही है । शादी  वाला  घर है । बहुत  कुछ चाहिए  होता है ।  अतुल ने गाड़ी  में  बैठते  हुए ज़वाब  दिया । यश   ने गाड़ी  स्टार्ट  की । 

तुम्हारे  पापा  कुछ नहीं  कहेंगे  यश ? नहीं,   मैं  बताकर  आया था । यश  शीशे  से देखते  हुए  शुभु  को बोला। मेरे  दीदी  और जीजू  भी कुछ नहीं  कहेंगे । तुमने पूछा  नहीं शुभू, मैं फिर भी बता रहा हूँ । वह  हँसते  हुए  बोला। आज माँ  ने कोई कॉल  नहीं की  ।  इसलिए  मैंने  उन्हें  अपने  घर आने  के बारे  में  कॉल  करके बता दिया।" शुभु  मोबाइल  देखते हुए बोली । अब तक तो आंटी  सो गई  होगी । वो  लोग बातें  करते  हुए  जा रहे  है । तभी  यश की  नज़र  सड़क  पर पड़ती  है । शुभु  यह  आंटी जैसी  लग रही । पीली  साड़ी  में अपनी  माँ  को देख  वो हैरान  रह  गई । मैंने  इन्हें कहा  भी  था कि  इन्हे नींद  में  चलने की बीमारी हो गयी है, मगर  यह  मेरी बात सुनती ही नहीं। यश  ज़रा गाड़ी घुमा  दो ।"  यश  ने गाड़ी  घुमा  दी ।  शुभु  की माँ  अलका  की  चाल  बहुत  तेज़ हो चुकी  है । ऐसे लग रहा है तेरी मम्मी  अपनी  मर्ज़ी से चली जा रही है ।  जैसे किसी  ने बुलाया हो और आंटी  लेट हो  रही हों।  अतुल सड़क पर देखकर बोले जा रहा है ।  समझ  नहीं आता, यह  नींद  में इतना  लम्बा  चल  ली ।  अब  शुभु  भी हैरान  है।  यश ने गाड़ी  की स्पीड  बहुत  धीरे  कर दी  है ।  अगर  शुभांगी  तुम चाहो  तो मैं  गाड़ी आंटी  के पास  रोक  लो ।  नहीं  यार! देखती  हूँ, मम्मी  कहाँ  जाती है ।  उसने यश को  गाड़ी  रोकने  से मना  कर दिया।

उन्होंने  देखा  कि  अल्का  चलते-चलते एक  घर के पास  रुक गई  है । जब  उन्होंने  घर की तरफ़  देखा तो वह  घर  तो रिया का  है  । रिया ! का घर देखकर  सब हैरान  रह  गए  । कहीं  ऐसा  तो नहीं है  कि  शुभु  आंटी  तुझे  लेने पहुँच  गई हो । अतुल  घर  के अंदर  जाती  आंटी  को देख  रहा  है  । उसने  अतुल की  बात  का कोई ज़वाब  नहीं दिया  उसका ध्यान रिया  के घर  की तरफ़  है। अल्का  घर  के अंदर गई  और  दो  मिनट  बाद निकलकर वह  सूटकेस  खींचने लगी  । दो  सूटकेस  को उठाती हुई, वह  चलने  लग गई । तीनों  को  समझ नहीं  आ रहा  है कि  वह यह क्यों कर रही है। माँ रिया  के सूटकेस  कहाँ  ले जा  रही  है। मैं  जाकर  बात करो, नहीं  पहले  देख लेते  हैं। फ़िर  बात करेंगे। यश  की बात  सुनते  ही शुभांगी ने गाड़ी  का गेट बंद कर दिया । उन्होने  गाड़ी अल्का के  पीछे लगा दी  । मगर  तभी अल्का  ने पीछे ऐसे  देखा  कि  उनकी  गाड़ी  के  आगे अँधेरा छा  गया। उन तीनों  को कुछ नज़र  नहीं आया । सड़क  पर लगी स्ट्रीट  लाइट  जल  रही  है। मगर  उनकी  गाड़ी  के सामने  केवल  अँधेरा  है । यार ! यह  क्या  आंटी  कहाँ  गई? जब  यश  ने  गाड़ी की   लाइट  ऑन  की । तब  भी  अँधेरा  नहीं गया । ऐसे  लग रहा है  गाड़ी  किसी  अँधेरे  कुँए  में  जा  रही  हो । यश  चिल्लाया । तभी  गाड़ी  की   लाइट  जल गई  और  सामने का दृश्य  दिखने लगा । तुमने तो यश डरा ही दिया था, मम्मी  तो नज़र  नहीं  आ रही । कही  वो किसी  मुसीबत  में  तो  नहीं है ।  चलो, जल्दी  से गाड़ी  घर ले  चलो । शुभु  ने यश को आदेश दिया । 
 
 
गाड़ी  सरपट  भागती  हुई  शुभांगी  के घर के पास  रुक गई । शुभु  ने दरवाज़ा  खटखटाया, दरवाज़ा  अंदर से  बंद है। माँ ! माँ  कहाँ  हो तुम ? दरवाज़ा  खोलो । तेरी  मम्मी  तो बाहर  है  वो अंदर  कैसे  होगी । अतुल  ने समझाया।  अगर  मम्मी बाहर  है तो अंदर  फ़िर  कौन है ? शुभु  डर  गई । घबराओ  नहीं, हम  खिड़की  के रास्ते  अंदर चलते  हैं । यश  का सुझाव  है।  तीनों  खिड़की की तरफ़ भागने  लगते  है, तभी दरवाज़ा  खुलता  है  और आंटी  बोलने  लगती है, शुभु , बड़ी  देर कर दी तूने ? और चिल्ला  क्यों  रही है  ? शुभु  ने देखा  माँ  तो ठीक  है और  उन्हें  देखकर  लग रहा है  कि  वो सो ही  रही थी  । उन्होंने  सफ़ेद  गाउन  पहना  हुआ  है। जो वो रात को  पहनकर सोती  है । आंटी  आप रिया  के घर  नहीं गई  ? अतुल जल्दी  से बोल पड़ा । मैं  क्यों जाऊँगी। शुभु  ने बता दिया था कि  वह  वहाँ से निकलने वाली  है । वह  बोलते हुए  अंदर  आ गई । सब  एक दूसरे  का चेहरा  देखने लगे । शुभु, अब सोना  है या  अपने  दोस्तों  के साथ बातें  करनी  है । मैं  अंदर  जा रही  हूँ । माँ ने तीनों  को घूरकर  देखा और फ़िर  अंदर  चली गई। 

शुभांगी  अभी हमें  चलना  चाहिए । तुम  कल  आंटी  से बात  कर लेना । क्यों  अतुल  ? हाँ, यश सही कह रहा  है ।  रिया  के घर  की   सारी दारू  उतर  गई।  अतुल   ने अपने  बालों  में  हाथ  फेरा  और  शुभु  के गंभीर  चेहरे  की ओर  देखने  लगा । ठीक  है, जाओ । कल  मिलते  है । दोनों  निकल गए  और शुभु  दरवाजा बंद  करके   अपने  कमरे  में  आ  गई । यश  हम तीन  लोग तो   गलत  नहीं हो सकते । आंटी  को हमने  रिया  के घर  के बाहर  देखा था। क्यों? हाँ, देखा तो था, मगर शुभांगी  की मम्मी  को देखकर  नहीं  लगता कि  वह  कोई पदयात्रा  करके आई  है । एक  काम करते  है, कल  सुबह  सूटकेस  देखने रिया  के घर  चलते  हैं। अगर  सूटकेस  वहाँ  नहीं होंगे  तो इसका मतलब आंटी  झूठ  बोल रही है । अतुल  सोचता  हुआ  बोला । तुझे याद  नहीं है  कि  रिया  ने कहा  था कि  वो सुबह  जल्दी  अपने मामा  के घर  निकल  जायेगी । यश  ने गाड़ी   में  बैठते  हुए  कहा । अब  मेरे  घर से भी फ़ोन  आ रहा है । फिलहाल  तो भाई अपने  घर ही चलते  है । कल  सोचेंगे  क्या  करना है । अब तुझे  भी  छोड़  देता  हूँ । यश  की गाड़ी  अतुल के घर  की तरफ़  मुड़ने  लगी । 

शुभु  की आँखों  में  दूर-दूर  तक नींद  नहीं है । वह  अपने कमरे   में  टहलकर बेड  पर  लेट जाती  है । माँ  झूठ  बोल रही है। ज़रूर  कुछ बात  है। वह  रिया के घर  क्या  करने गई थीं?  सभी  सवालों  के जवाब  मुझे  माँ  से चाहिए । यही  सोच उसने आँखें  बंद कर दी । तभी उसके दरवाज़े  पर दस्तक  हुई । शुभु!  दरवाज़ा  खोल, शुभु ! मैं  माँ , उसने  आखें  खोली। "माँ ?"। उसने  घड़ी  देखी  चार  बजने  ही वाले  है ।  "आ रही  हूँ," यह  कहते  हुए उसने दरवाज़ा  खोल दिया ।  क्या  हुआ  माँ? शुभु , तू  जानना  चाहती  है न  मैं  बाहर  क्या कर रही थी । शुभु  ने गौर से  माँ  को देखा, वही  पीली  साड़ी, बाल  बिखरे  हुए आंखें  गहरी  नीली, आवाज़  सुनकर  लगा कि  दो व्यक्ति  बोल रहे  है ।  हाँ, माँ  लेकिन तभी उसकी  माँ  ने उसका  हाथ  इतनी  ज़ोर से खींचा  कि  उसकी हाथ में  निशान  पड़ने  लगे। माँ  छोड़ो   तुमने इतनी ज़ोर  से क्यों हाथ पकड़ा  है,  वह अपना हाथ छुड़ाने  की कोशिश  करती है । मगर  अल्का  उसे   घसीटते  हुए  अपने कमरे  में  लाई, सूटकेस  खोला, शुभु  हैरान  'यह  वहीं  सूटकेस  है' । उसने  माँ  को देखा, उनका चेहरा  बदल  चुका  है, उसने  उसकी  गर्दन  दबाई । शुभु  की  आवाज़  गले  में  अटक  गई।  वह  खुद  को छुड़ाने  की कोशिश  कर रही  है, हल्के  से उसके  मुँह  से निकला  माँ !माँ !  तभी अल्का  ने उसे  पकड़कर उस  सूटकेस  में  डाल  दिया और  सूटकेस  बंद  कर  ज़ोर-ज़ोर से हँसने  लगी । वो  शुभु  की माँ  नहीं  लग रही है । कोई  और ही  है ।