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यार ! यह क्या मुसीबत है। अब क्या होगा? अतुल ने घबराते हुए कहा । यह सागर कौन है ? यश ने सवाल किया। भाई, बड़ी लम्बी कहानी है। फ़िर कभी सुनाऊँगा। पर अब हम कर ही क्या सकते हैं ? अतुल ने बालों पर हाथ फेरते हुए कहा। उसके मम्मी-पापा तक तो उसे छोड़कर भाग गए। हमें कुछ तो करना ही चाहिए । हो सकता है, आंटी-अंकल किसी काम से बाहर गए हों। शुभु ने समझाने की कोशिश की। मैं शायद कुछ मदद कर सकता हूँ । यश ने कहा । क्या ? यश बताओ, " यही कि मैं किसी को जानता हूँ, जो रिया को इन सबसे बचा सके । कौन है? कोई है ? जहाँ मेरे पापा की फैक्ट्री है, जहाँ वो काम करते हैं, उन फैक्ट्री के मजदूरो ने इनके बारे में बताया था । एक बार मिल लेते हैं । मैं नहीं जाऊँगा, मैं तो मम्मी-पापा के पास रुड़की जाने की सोच रहा हूँ । अतुल ने घबराते हुए कहा । अगर तू ऐसे मुसीबत में होता तो क्या हम तुझे छोड़कर चले जाते? शुभु ने सवाल किया। ठीक है, शुभु तेरे लिए चल पड़ता हूँ क्योंकि मुझे पता है कि अगर मैं मुसीबत में होता तो तू कभी मुझे छोड़कर नहीं जाती। यह सुनते ही शुभु के चेहरे पर मुस्कान आ गई। इसका मतलब संध्या और समीर को रिया ने मारा है ? यश ने जैसे ही यह कहा तो शुभांगी और अतुल एक दूसरे का मुँह देखने लगे। कोई ज़रूरी नहीं है। शभु ने कहा। तभी अतुल के मोबाइल पर फ़ोन आया और उससे बात करके उसने उन दोनों को बताया कि पुलिस का कहना है कि समीर की गाड़ी के सामने कोई आ गया था । जिससे उसका बैलेंस ख़राब हुआ और गाड़ी सीधे खम्भे से टकरा गई थी और गाड़ी में सिर्फ संध्या ही थी।
मैंने कहा था न रिया ने कुछ नहीं किया होगा। यह भी शुक्र है कि उनकी मौत खुद उनकी वजह से हुई है। कम से कम किसी ने उनके साथ इतना बुरा नहीं किया। अतुल ने लम्बी सांस ली । कल हम सब वहीं चलेंगे, जहाँ यश ने बताया है । शुभु ने अपना फैसला सुना दिया । ठीक है, चलते है। जाते हए उन्होंने रिया के घर की तरफ़ देखा तो उनकी कामवाली घर की बॉलकनी में खड़ी है और देखते-देखते उसने नीचे छलाँग मार दीं। उन तीनों की तो आवाज़ ही बंद हो गई। मगर हिम्मत कर सब भागते हुए जाते है, उसकी साँसे अब भी चल रही है । उसे हॉस्पिटल पहुँचाते हैं, डॉक्टर का कहना है वो अभी आई.सी. यू में है। उसके पति को उसके पास छोड़कर वहाँ से निकल जाते हैं । अब इसने ऐसे क्यों छलाँग मार दी। यश परेशां था। अब ऐसे भूतिया घर में रहेगी तो छलाँग तो मरेगी ही । बेचारी ! अतुल ने मुँह बनाते हुए कहा। अपना मुँह बंद कर । हम इस प्रॉब्लम का कोई न कोई हल ढूँढ लेंग । एक बार विशाल से भी बात करनी चाहिए। पता नहीं, कहाँ जंगल में जाकर रह रहा है । जब भी फ़ोन मिलाओ, मिलता ही नहीं है। अब तो शायद वापिस आने वाला होगा। कल सब मेरे घर के बाहर मिलते हैं । कहकर शुभु ने बात खत्म कर दी ।
दोनों शुभांगी को उसके घर पर छोड़कर अपने घर की तरफ़ निकल गए। शुभांगी ने अपने कमरे में जाकर देखा तो सारी चीजे कमरे में फैली हुई हैं। उसने देखा उसकी माँ अलमारी में कुछ ढूँढ रही है। आप मेरी अलमारी में क्या ढूँढ रही है । उसकी माँ ने कोई ज़वाब नहीं दिया। माँ मैं आपसे कुछ पूछ रही हूँ, आप मेरी अलमारी से क्या लेना चाहती है। इस बार उसने आवाज़ ऊँची करके पूछा तो उसकी माँ ने ज़वाब दिया, मेरी कोई चीज़ थी, मुझे लगा शायद वो तेरी अलमारी में आ गई हो। माँ अब भी ढूँढ रही है। आप हटिए मैं , देखती हूँ बताए क्या ढूँढ़ना है ? कुछ नहीं, मैं कहीं और देख लेती हूँ। कहकर माँ चली गई। उन्होंने मेरा पूरा कमरा बिखेर दिया । सारी अलमारी खराब कर दी । उसने अलमारी ठीक की और धड़ाम से अपने बेड पर गिर गई। वह यश के बारे में सोचने लग गई। कितनी मदद कर रहा है, वो हमारी । वैसे वो इतना बुरा भी नहीं है, जितना मैंने सोचा था। शुभु सोचकर मुस्कुराने लगी। शुभु खाना खा ले । खाने की टेबल पर शुभु ने कहा, माँ गाड़ी का बैलेंस ख़राब होने से मौत हो गई। किसकी ? मैं संध्या और समीर की बात कर रही हूँ । आपका ध्यान कहाँ है । शुभु ने सवाल किया। अच्छा ! सुनकर बुरा लगा । माँ ने चम्मच मुँह में डालते हुए कहा। वैसे आप अपनी क्या चीज़ ढूँढ रही थीं ? मैं वो एक घड़ी ढूँढ रही थीं। काफी पुरानी है क्या? पापा ने दी थी, आपको क्या ? माँ के चेहरे का रंग उड़ गया। नहीं, तेरे पापा ने नहीं दी थी । वो तो बस खरीदी थीं, आजकल ऐसे डिज़ाइन मिलते कहाँ है। शुभु पॉल एंडरसन लिखते भी थें? शुभु चौंक पड़ी । उनकी किताब लाइब्रेरी में देखी थीं । उनके जीवन के अनुभव के बारे में काफ़ी कुछ था , उसके अंदर। पर मैं पूरी किताब नहीं पढ़ पाई । आपको पता है माँ, उनकी मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई ह। पता नहीं, उस भले इंसान को किसने इतनी बेरहमी से मारा होगा। वह अपनी लय में बोली जा रही थी, उसने देखा ही नहीं कि माँ के हाव-भाव बदल चुके हैं । वह बड़ी ही ज़ोर से चमच्च से आवाज़ कर रही है। जैसे अभी फेंककर शुभांगी के मुँह पर मारेगी । माँ आप ठीक तो है न? माँ को जैसे होश आया । आप जाओ, आराम कर लो । शुभु की माँ अल्का उठकर कमरे में चली गई ।
आज अचानक माँ पॉल एंडरसन के बारे में क्यों पूछ रही है । शुभु ने किचन में बर्तन धोते हुए कहा। रात हो चुकी है। शुभु को नींद नहीं आ रही। वह बार-बार रिया के बारे में सोच रही है। हमें लगा था, शायद सागर और अनन्या भी आज़ाद हो गए है । मगर अब यह नई कहानी शुरू हो गई। या यूं कहो , पुरानी कहानी का एक सिरा फ़िर से शुरू हो गया । यही सब सोचते हुए वह खिड़की पर आ गई। उसने देखा कि उसकी माँ फ़िर घर से बाहर जा रही है। उसने टाइम देखा तो 12: 15 बजे है । यह तो आज भी बाहर जा रही है । कहीं इन्हे नींद में चलने की बीमारी तो नहीं लग गई । वह नीचे आई और बाहर निकली मगर माँ का दूर-दूर तक कोई पता नहीं । आज आने दो इन्हे, अब बताऊँगी कि मैं कोई सपना नहीं देख रही हूँ । वह बेसब्री से माँ का इंतज़ार कर सोफे पर ही सो गई । सुबह उठी तो माँ किचन में काम कर रही है। आज पहले रिया का किस्सा निपटा लूँ। फ़िर बात करती हूँ ।
उसके घर के बाहर दोनों खड़े है। शुभांगी अतुल और यश फैक्ट्री की तरफ बढ़ने लगे । वहाँ के स्थानीय लोगों से पूछकर , वह वहाँ पहुँचे जहाँ वो आदमी रहता है। ईटो की छोटी सी झोपड़ी है । अंदर एक बत्ती जल रही है और एक अधेड़ उम्र का आदमी आखें बंद करके बैठा है । तीनों पहले चुप रहते है । तभी उस आदमी की आंखें खुलती है । वह तीनों को देखकर कहता है-
यहाँ क्या करने आये हों ?
वो हमारी सहेली मुश्किल में है । शुभु उसे सारी बात बताती है ।
ठीक है, चलकर देखते है ।
वह उसे लेकर रिया के घर पहुँचते हैं । यार ! मुझे डर लग रहा है । अतुल ने रिया के घर में घुसते हुए कहा । डर क्यों लग रहा है । याद है, हम पॉल एंडरसन की भी मदद कर चुके हैं । हाँ, याद है तभी तो डर लग रहा है । चुपकर यार ! कुछ नहीं होगा ।
उसे आवाज़ दो
किसे ?
अपनी सहेली को । रिया ! रिया शुभु ने आवाज़ लगाई । थोड़ी देर बाद रिया वाइट टॉप और जीन्स में आराम से सीढ़ियाँ उतरकर आई।
यार! शुभु सब ठीक है? अरे ! आज तो यश भी आया है । यह अंकल कौन है ? रिया बिलकुल नार्मल लग रही है , एकदम ठीक। वही काली आंखें, वही आवाज़, वही चाल । बाल भी तरीके से बंधे हुए। उस आदमी ने रिया को गौर से देखा और सोचते हुए बोला, " तुम्हारी सहेली बिलकुल ठीक लग रही है । प्रेत को तो हम सूंघकर पहचान लेते हैं। " प्रेत कौन प्रेत ? रिया ने हैरान होकर सवाल किया। मैं जा रहा हूँ, आगे से मेरा समय मत खराब करना । यह कहकर वह गुस्से से चला गया । यह सब क्या है, शुभु, अतुल। रिया ने मासूमियत से पूछा । रिया को पहले की तरह देखकर सब खुश हो गए । अतुल ने उसे कल वाली बात बताई ।
मैंने एक थिएटर ग्रुप ज्वाइन किया है। बस वही प्रैक्टिस कर रही थीं। मगर तू हवा में भी उड़ रही थीं। शुभु ने पूछा, वो एयरबैग्स आते है न बस वही थें। कल तेरी नौकरानी भी बालकनी भी गिर गई थीं। तुझे पता है ? वह डिप्रेशन की मरीज़ है। उसके पति ने नहीं बताया तुम्हें। शाम को मैं भी गई थी, उसे हॉस्पिटल देखने और तेरे मुम्मी पापा? शुभु के सवाल अभी जारी है। मामा के घर गए हैं, नीतू दीदी की शादी है। कल मैं भी निकल जाऊँगी। अब अगर तेरे सवालों का सिलसिला खत्म हो गया हूँ तो कुछ लाओ तुम्हारे लिए । यश पहली बार मेरे घर आया है। कहकर रिया किचन में चली गई और शुभु भी उसकी मदद करने लगी ।
थैंक गॉड सब ठीक है। कल अगर हम रिया से बात कर लेते तो मैं सारी रात सो सकता था। अतुल ने यश को देखते हुए कहा। हाँ, शायद तू ठीक कहता है । दोनों मेरे हाथ में स्नैक्स और ड्रिंक लेकर आ गई । यार ! हमें लगा तुझे सागर की आत्मा परेशां कर रही है । अतुल ने कोल्डड्रिंक का गिलास हाथ में लेते हुए कहा । यार ! तुम लोग भी न कुछ भी सोच लेते हों वैसे तुमने मेरे बिना पार्टी की इसलिए, मैं तुम सबसे बहुत नाराज़ हूँ । रिया ने मुँह बनाते हुए कहा । अरे यार ! हमे लगा कि तू कुछ अजीब हो गयी है । सॉरी शुभु ने स्नैक्स खाते हुए कहा । मेरी तरफ़ से भी सॉरी । चल अब हम एक काम करते है, तेरे मम्मी-पापा नहीं है तो आज यहाँ पार्टी करते हैं । संध्या और समीर की भी याद आएगी । मुझे छोड़ने के बाद वो लोग लॉन्ग ड्राइव पर निकल गए थें । रिया को बुरा लग रहा है । हाँ, यार ! दुःख तो हमे भी बहुत है । मगर क्या कर सकते हैं, अतुल को भी बुरा लग रहा है। जो भी है, आज लग रहा है, दोस्तों का रीयूनियन हुआ है। बहुत दिनों से टेंशन चल रही थी, इसलिए आज तो पार्टी बनती हैं । "चियर्स" सबने अपने ड्रिंक हाथ में उठाये और हँसने लगे । तो फ़िर तय हुआ कि आज रात रिया के घर पार्टी है । तुम लोग जा ही क्यों रहे हों । यही रुको, पार्टी की तैयारी करते है । क्यों शुभु ? क्या कहती है ? अभी थोड़ा काम है, मैं शाम को आऊँगा । यश जाने को हुआ । मैं भी बाकी दोस्तों को बुला लेता हूँ ।अतुल भी उठ खड़ा हुआ । मुझे माँ से बहुत ज़रूरी बात करनी है. मैं भी शाम को आऊँगी। लेकिन इन लोगों से पहले आ जाऊँगी। पक्का! अब शुभू भी उठ खड़ी हुई । ठीक है, तब तक मैं भी बाज़ार से कुछ सामान ले आओ। पार्टी शानदार होनी चाहिए।
सब उसके घर से निकलते है। रिया उन्हें दरवाज़े से बाय कहती है । तुझे माँ से क्या बात करनी है ? मुझे लगता है माँ को नींद में चलने की बीमारी हो गई है । शुभु के चेहरे पर चिंता थीं । हो जाता है , ठीक हो जायेगी यश ने शुभु को सांत्वना दी । यार ! तूने रिया से अपने एक्सीडेंट की बात क्यों नहीं की । छोड़ न शुभु, आज सब बढ़िया है। फ़िर यह एक्सीडेंट की बात करके क्या फ़ायदा । रात गई, बात गई । यह भी ठीक है । आज की रात तो मज़ा आने वाला है । वह घर पहुँचकर माँ को डॉक्टर के पास चलने के लिए कहती है, उसकी माँ साफ़ मना कर देती हैं । तेरा दिमाग ठीक है, मैं बिलकुल ठीक हूँ, खबरदार! मुझे कहीं नहीं जाना । उसकी माँ के हाव-भाव बेहद सख्त है। शुभु ने अभी बात आगे बढ़ाना ठीक नहीं समझा ।
शुभु रिया के घर पहुँची । रिया के घर के बाहर गार्डन में कुछ सूटकेस रखे हैं। शुभु ने ध्यान से उन बैग्स को देखा । तभी उसे सामने से कामवाली का पति आते दिखा । भैया आप ? सब ठीक तो है ? आपकी बीवी की सेहत में सुधार हुआ कुछ ? वह रोते हुए कहने लगा , बहनजी वो तो मर गई । क्या ! उम्मीद थी कि वो बच जायेगी। मगर वह बोलते हुए चुप हो गया । उसे डिप्रेशन भी तो था, भैया ऐसे मरीज़ को अकेले नहीं छोड़ते । वह तो बिलकुल ठीक थी । कल रिया दीदी उनसे मिलने आयी और उन्हें देखते ही उसकी सांस उखड़ने लगी और वो मर गई ।