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अतुल को अस्पताल से छट्टी मिल गई। वह सीधे शुभांगी के घर पहुँच गया । शुभु की माँ ने अतुल को घूरकर देखा कि अतुल पूछे बिना नहीं रह सका "यार ! आंटी ऐसे क्यों घूर रही है ।" पूछ मत, मुझे बाहर जाने के लिए मना कर दिया और तो और उस दिन रिया ने घर आकर पॉल एंडरसन की बात भी मम्मी को बता दी । तबसे यह ऐसे ही गुस्से में घूम रही है । " शुभु ने मुँह बनाते हुए कहा । "बढ़िया है,आजकल रिया हमें हर जगह सरप्राइज कर रही है ।" पर माँ कुछ ज्यादा ही डर गयी थीं । वह बार-बार कह रही थी कि मैंने उन्हें भी मना किया था, मगर वह माने नहीं। मेरे पूछने पर कहने लगी कि मैं तुम्हारी बात ही कर रही हूँ । इसका मतलब तेरी मम्मी भी पॉल एंडरसन के बारे में कुछ जानती है। अब अतुल भी सीरियस हो गया है । पता नहीं क्या मालूम, गुस्से और परेशानी में बोल गई होगी । शुभु ने बात वहीं खत्म कर दी । जो भी है, तू टेंशन मत ले । विशाल से बात हुई? शुभु ने पूछा । मैं खुद फ़ोन करके बताओ कि भाई मेरा एक्सीडेंट हो गया है, मेरा हाल-चाल पूछ लें । कमीना कही का, मस्ती मार रहा होगा और क्या । तेरी बात हुई ? मैंने कॉल किया था, मगर फ़ोन नहीं मिला । यार ! तेरा दोस्त मौत के मुँह से निकलकर आया है और तू उसे बोर कर रही है । अतुल ने उसे ताना देते हुए कहा । इस कैद से कैसे निकलो, मम्मी कही नहीं जाने देगी । कुछ भी कर चल, यश को भी बुला लेंगे संध्या और समीर को भी बुलाकर किसी कैफ़े में पार्टी करते हैं । वैसे तेरा आईडिया बुरा नहीं है । मगर मैं मैं ???शुभु कहते-कहते रुक गई । अच्छा एक आईडिया है, आंटी को कहते है कि लाइब्रेरी जाना है, बुक्स नहीं लौटाने पर रिजल्ट रोक दिया जाएगा । अतुल का आईडिया सुनकर शुभु के चेहरे पर स्माइल आ गई । वाह ! दम तो है । उसने जैसे ही माँ को लाइब्रेरी वाली बात बताई । पहले वह झिझकी, मगर फ़िर बाद में वह यह कहकर मान गई कि जल्दी घर आ जाना, वरना वो लाइब्रेरी पहुँच जायेगी।
दोनों अपने प्लान की कामयाबी पर ख़ुशी मानते हुए कैफ़े पहुँच गए । वहाँ पर यश, संध्या और समीर पहले ही उनका इंतज़ार कर रहे हैं। पार्टी शुरू हो चुकी है, सब नाच-गए रहे हैं । यश भी शुभु का हाथ -पकड़े डांस फ्लोर पर थिरक रहा है । अतुल भी बाकी दोस्तों के साथ डांस कर रहा है । कितने दिनों बाद सब खुश है । सब तनावमुक्त लग रहे हैं, सब खुश है । अतुल के जोक्स पर सब हँस रहे हैं। जब शुभु का फ़ोन बजा तो उसने माँ का नंबर देखा तो उसे याद आया कि वह झूठ बोलकर आई हुई है, सब खुश है । अतुल मम्मी का फ़ोन आ रहा है। मैं जा रही हूँ। मैं भी चलता हूँ, यश उठ खड़ा हुआ । कैफ़े से निकलते ही रिया की मम्मी का फ़ोन आया कि रिया दोपहर से कहीं निकली हुई है, मगर अभी तक घर नहीं आई । आंटी आप फ़िक्र न करे वो आ जायेगी । हमारे साथ तो है नहीं। कहकर शुभु ने फ़ोन रख दिया । यार ! यह रिया भी न? पता नहीं कहाँ चली जाती है । उसने यश को देखते हुए कहा । तुम घर पहुँचो, तुम्हारी मम्मी तुम्हें देख रही होगी । यश की बात सुनकर दोनों तेज़-तेज़ चलने लगे । अपने घर के पास पहुँचकर उसने देखा कि रिया उसके घर के अंदर से निकल रही है। यह यहाँ क्या कर रही है ? अब ज़रूर मेरी ख़ैर नहीं । शुभु के चेहरे पर टेंशन आ गई । मैं चलो तुम्हारे साथ अंदर ? यश ने शुभु के चेहरे को देखते हुए पूछा । नहीं यार , मैं खुद संभाल लूँगी। बाय ! यश ने भी बाय का ज़वाब दिया ।
अंदर पहुँचते ही उसे लगा कि अब फ़िर कोई नई आफत आने वाली है, मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । माँ रिया क्या कर रही थीं यहाँ ? रिया ? वह तो नहीं आई । माँ ने साफ मना कर दिया। माँ झूठ क्यों बोल रही है । मैंने खुद देखा है, यहाँ से निकलते हुए । शुभु मन ही मन सोचने लगी। अतुल की गाड़ी में संध्या और समीर है । समीर और अतुल आगे फ्रंट सीट पर बैठे हैं । यार ! आज सच में मज़ा आ गया है । तभी सड़क के किनारे रिया को देखकर कहता है, यार ! देख रिया, लगता है ऑटो का इंतज़ार कर रही है । चल. इसे घर छोड़ देते हैं । रहने दे न यार ! चली जायेगी अपने आप अतुल ने मना किया । क्या बात है, लड़ाई हो गई है क्या ? नहीं, चल तू कहता है तो पूछ लेते है । दोनों ने गाड़ी वहीं उसके पास रोक दी । आजा रिया घर छोड़ देते हैं. अतुल ने बैठे-बैठे ही पूछा । ठीक है, कहकर वह गाड़ी में बैठ गई । रिया क्या बात है, इस समय कहाँ जा रही हो । समीर ने पूछा। मम्मी ने कहीं भेजा था, उनका काम करके लौट रही हूँ। अतुल खिड़की से बाहर देख रहा है, वह रिया की बातों की तरफ़ बिलकुल ध्यान नहीं दे रहा है । समीर ही उसे बतियाने में लगा हुआ है । वह गाड़ी के सामने वाले शीशे से जब-जब देखता है तो उसकी आँखों में एक चमक होती है और वह वैसे ही ज़ोर से हँसने लगती है । रिया समीर ने कोई जोक तो नहीं सुनाया फ़िर किस बात पर हँसी तुम ? अतुल ने चिढ़कर कहा । मैं तो नहीं हँसी, अब रिया की आंखें वैसे ही काली है । हाँ , यार ! वो नहीं हँसी तेरे कान बज रहे है क्या । लगता है, अतुल के दिमाग पर असर हुआ है, संध्या ने भी मज़ाक किया । बच जो गया है, मगर कब तक। रिया के मुँह से यह सुनकर अतुल का गला सूखने लगा। यार ! यही रोक मेरा घर आ गया । अतुल गाड़ी से उतर गया । समीर और संध्या को बाय ! बोल घर के अंदर चला गया । तभी शुभु का फ़ोन आया उसने रिया की मम्मी की बात बताई । वह मैडम तो अपनी मम्मी के काम से ही बाहर निकली हुई थीं और अब समीर उसे घर छोड़ रहा है । अतुल ने बताया तो शुभु ने फ़ोन रख दिया ।
वह अपने कमरे में बेड पर लेटे हुए सोच रही है कि रिया मेरे घर आई थीं या उसे कोई वहम हो गया था । तभी अपने घर का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनकर वह चौक गई । वह नीचे उतरी तो देखा घर का मैन दरवाज़ा खुला हुआ है । यह कैसे खुला रह गया । दरवाज़ा बंद करने पर हुई तो देखा उसकी माँ बाहर जा रही है । माँ इतनी रात को कहाँ जा रही है । ऐसे तो कभी नहीं हुआ । उसका मन किया कि वह माँ को आवाज़ लगाए, मगर रुक गई । क्या पता सड़क तक ही गई हों । मैं इंतज़ार करती हूँ । यही सोचकर वह इंतज़ार करने लगी । मगर थोड़ी देर में ड्राइंग रूम का चक्कर काटकर वह अपने कमरे में आ गई । उसकी आँख लग गई, जब सोकर उठी और माँ का ध्यान आया तो वह माँ के कमरे में गई। उसने देखा माँ सोई हुई है । गेट तो मैंने अंदर से बंद कर दिया था, फ़िर माँ अंदर कैसे आई । चलो, कल सुबह बात करती हूँ । यही सोच वह अपने कमरे में वापिस आ गई ।
सुबह नाश्ते के टेबल पर उसने माँ से सवाल किया कि आप रात को कहाँ गई थी ? मैं कहाँ जाऊँगी, अपने कमरे में ही सो रही थीं । ज़रूर तूने कोई सपना देखा होगा । लगता तो नहीं है कि मैंने कोई सपना देखा था, हो सकता है, मैं शायद गलत हूँ। उसने सोचते हुए सेब का एक टुकड़ा मुँह में डाला । तभी घंटी बजी। दरवाज़ा खोलने पर अतुल था, अतुल इतना घबराया हुआ क्यों है । यार ! तुझे पता है क्या हुआ ? उसकी आवाज़ गले में अटक रही हैं । पहले तू बैठ पानी पी । उसने पानी से गिलास भरा और उसमे पानी डालकर अतुल को दे दिया ।" ले पहले पी, फ़िर बता हुआ क्या है ?" अतुल ने पानी का घूँट पिया और हड़बड़ाते हुए बोलने लगा कि यार ! संध्या और समीर मर गए । क्या !! शुभु का मुँह खुला का खुला रह गया । मगर शुभु की माँ अल्का ज़ोर से हँसी । दोनों उनकी तरफ़ देखने लगे। माँ आप हँसी क्यों । मैं ? नहीं वो तो अखबार में कुछ पढ़ा तो हँसी आ गई । तू बता, कैसे कब हुआ यह सब ? मुझे क्या पता शुभु, आज सुबह ही मुझे फ़ोन आया कि दोनों की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और दोनों की मौत हो गई । उनके घर चलते हैं। माँ हम जा रहे हैं । कहकर दोनों निकल गए । अतुल ने शुभु की माँ को देखा तो उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं है ।
दोनों समीर के घर पहुँचे । वहाँ उन्हें यश भी मिला । बड़ा ग़मगीन माहौल है । पुलिस भी आई हुई है । पुलिस ने अतुल से सवाल करना शुरू किया। कल आप लोग थे, इन दोनों के साथ । जी, हम सब एक पार्टी में साथ थें । फ़िर समीर ने मुझे घर छोड़ा और मैं अपने घर चला गया । सर, एक्सीडेंट कैसे हुआ । शुभु ने सवाल किया, शायद गाड़ी की ब्रेक्स फेल हो गई थी । अभी तहकीकात ज़ारी है । कहकर पुलिस चली गई । यार! एक बात बोलों, गाड़ी की ब्रेक्स तो बिलकुल ठीक थीं । अतुल परेशान हो गया । तू कह रहा था न कि रिया भी तुम्हारे साथ थीं? क्या पता उसे कुछ पता हों । सर, एक सेकंड अतुल ने पुलिस को रोककर सवाल किया । सर, एक्सीडेंट कब हुआ ? यही कोई 12 से -12-30 के बीच में । पुलिस ने जवाब दिया। क्यों कुछ कहना है । नहीं सर, अतुल ने गर्दन हिलाकर मना कर दिया । यार ! उसने मुझे 10 बजे छोड़ा था । हो सकता है, रिया को छोड़ने के बाद उसकी गाड़ी का बैलेंस ख़राब हो गया हों । यश ने कहा । बात हज़म नहीं होती । नई मॉडल हौंडा सिटी जो दस दिन पहले शो रूम से आई है। इतनी जल्दी साथ छोड़ देगी । अतुल बोला । अभी तहकीकात चल रही है, न पता चल जाएगा । शुभु ने समझाते हुए कहा । एक बार रिया से मिले क्या ? शुभु ने सुझाव रखा । हाँ, मिलना तो चाहिए यश ने हाँ में हाँ मिलाई । पहले संध्या के घर चलते हैं। संध्या के घरवाले भी बहुत दुखी है । उसकी मम्मी-पापा का रो रोकर बुरा हाल है । जो हुआ, अच्छा नहीं हुआ । यश ने कहा ।
रिया के घर के पास पहुँचते ही अतुल बोल पड़ा, रहने दे यार मुझे नहीं लगता ,उससे बात करकर कुछ होने वाला है । एक बार बात तो करनी बनती है । कल मैंने इसे अपने घर से भी निकलते हुए देखा था । जब माँ से पूछा तो उन्होंने मना कर दिया । शुभु ने बताया । तुझे एक बात बताओ, बुरा मत मान जाइयो । क्या ! अतुल बोल । आज न आंटी बिल्कुल ऐसे हँसी जैसे रिया हँसती है । मैं कुछ समझी नहीं, शुभु ने बताया । मेरा मतलब मैंने ऐसे रिया को भी हँसते हुए देखा है । अतुल ने साफ लफ्ज़ो में कहा । हँसी तो किसी की भी एक जैसी हो सकती है। तू मेरी मम्मी को बीच में मत ला । तभी यश ने डोरबैल बजा दी और रिया की मैड ने दरवाज़ा खोला और वह लोग अंदर आ गए । रिया कहाँ है ? दीदी तो अपने कमरे में है । उसने ज़वाब दिया । घर के बाकी लोग आंटी, अंकल उसका भाई, कोई नहीं है घर पर ? शुभु ने सवाल किया। उसने धीरे से कहना शुरू किया, कल बहुत लड़ाई हुई थीं । रिया दीदी रात को घर आई तो उनके मम्मी पापा ने उन्हें बहुत डाटा । मैं तो तब घर चली गई और सुबह काम पर आई तो घर में कोई नहीं था । सिर्फ रिया दीदी की ही आवाज़ आ रही थीं । जब उनसे पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया । एक ही सांस में कामवाली ने उन्हें सारी कहानी सुना दीं । लेकिन वह तो आंटी के काम से बाहर गयी थीं, फ़िर डांटा क्यों ? उनकी मम्मी ने उन्हें कहीं नहीं भेजा था। आप उन्हें मत बताना कि मैंने आपको सब बता दिया है । कामवाली ने विनती की।
मुझे तो लग ही रहा था कि वो झूठ बोल रही थीं । अतुल ने जवाब दिया । एक बार उसे बात करनी तो बनती है । अब यश ने कहा । तीनों उसके कमरे में गए मगर दरवाज़ा लॉक नहीं था । उन्होंने बाहर से झाँका रिया रोते हुए बोल रही है, मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो । तभी ज़ोर से चिल्लाने लगती है । उसका चेहरा बदल गया है, आँखें गहरी नीली हो चुकी है । वह अपने कमरे में हवा में घूम रही है । तभी धड़ाम से ज़मीन पर गिर जाती है। ये सबकुछ देखकर उनकी हालत ख़राब हो जाती है । वे अपनी पलके झपकाना ही भूल जाते हैं । शुभांगी हिम्मत करके बोलती है, हमें रिया की मदद करनी चाहिए । अतुल और यश उसे रोकते हैं । " शुभु निकल यहाँ से" अतुल ने उसे खींचते हुए कहा । यश ने शुभु का हाथ पकड़ा और तीनों उसके घर से निकल गए । अतुल, मैं उस दिन भी कह रही थीं न उसे सागर की आत्मा परेशां कर रही है । शुभु के चेहरे पर पसीना है । इसका मतलब sagar is back । ओह नो, फ़िर से ।