ज़िद्दी इश्क़ - 31 Sabreen FA द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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ज़िद्दी इश्क़ - 31

रोज़ी रामिश और माहेरा इस वक़्त हॉस्पिटल रूम में बैठे माज़ को मनाने की प्लानिंग कर रहे थे।

रामिश ने उसे बताया था माज़ थोड़ी देर के लिए मेंशन गया है जब वोह वापस आएगा तो वोह रोज़ी के साथ जा कर उसका काम कर देगा।

वोह थोड़ी देर के लिए आंखे बंद करके लेट गयी।

थोड़ी देर बाद उसे दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी और फिर माज़ की आवाज़ आयी जो रोज़ी को घर जाने के लिए कह रहा था।

रोज़ी के जाने के बाद भी माहेरा ने अपनी आंखें नही खोली फिर उसे अपने माथे पर माज़ का स्पर्श महसूस हुआ।

माज़ माहेरा से दूर हो कर पास रखे स्टूल पर बैठ गया जबकि उसकी नज़रे माहेरा के चेहरे पर गढ़ी थी जिसकी कपकपाती पलके उसके जागने का सबूत दे रहा थी।

माज़ ने गिलास उठा कर पानी पिया और फिर उठ कर सोफे पर जा कर बैठ गया और अपने लैपटॉप पर काम करने लगा।

माहेरा ने जब माज़ कि कोई आवाज़ नही सुनी तो अपनी आंखें खोल कर देखा तो माज़ सामने बैठा अपना काम कर रहा था।

"माज़"

उसने धीमी आवाज़ में माज़ को पुकारा।

माज़ ने अपनी नज़रे लैपटॉप से हटा कर सवालिया नज़रो से उसे देखा।

"वोह मेरे सिर में दर्द हो रहा है? क्या तुम दबा दोगे?"

माहेरा मासूमियत से बोली।

उसकी बात सुनकर माज़ ने लैपटॉप साइड में रखा और उठ कर उसके पास स्टूल पर बैठ कर उसका सिर दबाने।

माहेरा उसके ना बोलने पर आंखे बंद करके लेट गयी।

एक घण्टे बाद उसने डॉक्टर से बात की और अब वोह माहेरा को घर ले जाने वाला था।

माहेरा के लिए वोह घर से जो कपड़े ले आया था उसे माहेरा ने नर्स की मदद से पहेन लिए थे।

माज़ ने माहेरा को अपनी बाहों में उठाया और कार में ला कर बिठा दिया जबकि माहेरा बिना कुछ बोले खामोशी से बैठ गयी।

उनके पीछे गार्ड की गाड़ी थी। वोह मेंशन पहोंचे तो माज़ ने दोबारा माहेरा को अपनी बाहों में उठाया और मेंशन के अंदर चला गया।

वोह हाल के अंदर आये तो रोज़ी और रामिश वहां मौजूद थे।

माहेरा ने रोज़ी से इशारे में पूछा तो उसने हां में अपना सिर हिला दिया।

माज़ उसे ले कर जैसे ही कमरे में एंटर हुआ ऊपर से फूलो की पत्तियां गिरने लगी। उसने हैरानी से अपने सामने देखा जहाँ कैंडल से सॉरी लिखा हुआ था।

अभी वोह ठीक से खुश भी नही हो पाया था जभी उसे छींक आने लगी उसने माहेरा को नीचे उतारा और कमरे से निकल गया।

माहेरा परेशान हो कर उसके पीछे जाते हुए बोली।

"क्या हुआ माज़?"

माज़ कमरे से बाहर आया तो उसे थोड़ा सुकून मिला।

"क्या हुआ माज़ तुम ठीक तो हो ना? मैं ने तुम्हारे लिए इतना अच्छा सरप्राइज प्लान किया और तुम बिना कुछ बोलते ही वहां से आ गए।"

माहेरा ने मासूमियत से पूछा।

माज़ ने घूर कर एक नज़र माहेरा को देखा और अपनी जेब से रुमाल निकाल कर अपनी लाल नाक को साफ किया और रामिश को बुलाया।

"रामिश येह सब तुमने खुद किया है???"

माज़ ने ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए पूछा तो रामिश ने अपनी हँसी दबाते हुए हाँ में सी हिलाया। माज़ की लाल नाक देख कर उसे हँसी आ रही थी।

"यह सब करने के लिए मुझे माहेरा ने कहा था मैं ने तो बस उसका कहना माना है माज़।"

माज़ को खुद को घूरते देख रामिश जल्दी से बोला।

माज़ ने उसकी बात सुनकर उसकी गर्दन दबोच ली और बोला।

"तुम्हे पता था की मुझे फूलो से एलर्जी है तो तुमने माहेरा को क्यों नही बताया।"

"वोह....वोह मैं ने बताया था। उसी ने बोली थी तुम्हे सॉरी बोलना है और उस पर गुस्सा करने के लिए सज़ा भी देनी है।"

वोह अपनी मुस्कुराहट दबाते हुए बोला तो माज़ ने उसे छोड़ कर माहेरा की तरफ देखा जो हँसी रोकने की वजह से लाल पड़ गयी थी लेकिन माज़ की नाक देखते ही वोह ज़ोर ज़ोर से हसने लगी।

माज़ माहेरा को घूरते हुए उसके करीब आने लगा और माहेरा अपनी हँसी रोकते हुए पीछे जा रही थी फिलहाल वोह यहां से भाग कर गिरना नही चाहती थी।

माज़ के छोड़ते ही रामिश वहां से नौ दो इग्गयरा हो गया था।

माज़ अब मुस्कुराते हुए माहेरा को देख रहा था। इस वक़्त कॉरिडोर में कोई भी नही था।

माहेरा अब पीछे जाते हुए दीवार से लग गयी। माज़ उसके करीब आया और अपना दोनो हाथ उसके इर्द गिर्द रख कर झुकते हुए बोला।

"तुम जानती थी ना मुझे फूलो से एलर्जी है तो तुमने ऐसा क्यों किया?"

"तुम फालतू में गुस्सा कर रहे थे, बात इतनी बड़ी नही थी जितनी तुमने बना दी थी। मैं बीमार थी और तुम मुझे हॉस्पिटल में अकेले छोड़ कर आ गए थे। इस वजह से मुझे गुस्सा आ गया और मैं तुमसे बदला लेना चाहती थी इसीलिए मैं ने ऐसा किया।"

वोह मुस्कुराते हुए उसे बता रही थी। वोह जानती थी माज़ इस हालत में उसे कुछ नही कहेगा।

"ह्म्म्म......तुम शायद भूल रही हो रोज़ी को तुम्हारे पास छोड़ कर आया था और अगर तुम येह सोच रही हो कि इस हालत में मैं तुम्हे कुछ नही कहूंगा तो येह तुम्हारी भूल है।"

माज़ माहेरा का बाल उसके चेहरे से हटाते हुए बोला।

उसकी बात सुनकर माहेरा का मुंह हैरानी से खुल गया।

"आह।"

माज़ ने झुक कर उसकी गर्दन पर अपने दांत गढ़ा दिए।

"पीछे हट माज़ तुम बहोत बुरे हो मेरी हालत का कुछ तो ख्याल करो।...वैसे भी मैं ने माफी भी तो मांगी थी।"

वोह माज़ को पीछे धकेलती हुई अपनी गर्दन को सहलाते हुए बोली।

माज़ पीछे हुआ और मुस्कुराते हुए माहेरा की नाक दबा कर हॉल की तरफ चला गया।

"कमीना इंसान"

माहेरा उसे घूरती हुई बड़बड़ाते हुए बोली।

माज़ ने रोज़ी से अपना कमरा साफ करने के लिए कहा और माहेरा को ले कर बगल वाले कमरे में चला गया।

माज़ ने माहेरा को दवाई दे कर सुला दिया और अब वोह अपने स्टडी रूम में था जब उसका फ़ोन बजा।

सलमान का नम्बर देख कर उसने जल्दी से फोन उठाया।

"हेलो भाई कैसे है आप?"

सलमान ने खुश हो कर पूछा जबकि माज़ उसके लहजे में दर्द साफ महसूस कर सकता था।

"मैं ठीक हु और मैं येह भी जनता हु तुम कैसे हो। तुम अगले हफ्ते मुझे मेंशन में मिलो और मेरी बात को हल्के में मत लेना। मुझे इस वक़्त तुम पर बहोत गुस्सा आ रहा है कि तुम गार्ड को अपने साथ नही ले गए।"

माज़ ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा।

"सॉरी भाई बट प्लीज मुझे कुछ दिनों के लिए और यहां रहने दे। मैं अब गार्ड्स को हर जगह अपने साथ ले कर जाऊंगा। प्लीज भाई...."

सलमान मिन्नत करते हुए बोला।

"तुम जानते हो अभी मैं ने डैड को इस बारे में नही बताया है आगे उन्हें पता चल गया तो तुम्हे आज के आज ही वापस बुला लेंगे। ठीक है मैं तुम्हे वहां कुछ दिन और रुकने की परमिशन दे रहा हु लेकिन याद रखना गार्ड हर वक़्त तुम्हारे साथ होंगे और कुछ पता चला हमला किस ने किया था?"

माज़ ने थोड़ा सख्त लहजे में कहा।

"जी भाई उनके हाथ पर क्रॉस का निशान था। क्या आपको पता है येह किस गैंग का है?"

सलमान ने उसे बता कर फिर पूछा।

"हम्म्म्म........जानता हूं जैक ने तुम पर हमला करवाया है। उसकी हिम्मत भी कैसे हुई ऐसा करने की....तुम पर हमला करके उसने अपनी मौत को दावत दी है।"

माज़ ने गुस्से से कहा।

फिर उसके बाद उन लोगो ने थोड़ी और बात की और फोन रख दिया।

माज़ कमरे में आया तो माहेरा सो रही थी। वोह उसके पास गया और झुक कर उसके माथे पर किस किया और फिर उसकी गर्दन पर जहाँ उसने काटा था वहां किस किया और फिर उसे अपनी बाहों में भर कर सो गया।

एक महीने बाद:

माज़ शेर खान के मेंशन में रुकने पर खुद एक डील करने के लिए शहर से बाहर गया था।

उसने पीछेले हफ्ते ही जैक की सबसे बड़ी डील कैंसिल करवा दी थी और धीरे धीरे उसकी गैंग को भी खत्म कर रहा था।

माहेरा अब बिल्कुल ठीक हो गयी थी और सलमान भी कल घर आने वाला था।

माज़ बेफिक्र हो कर डील करके चार घण्टे बाद सलमान को ले कर वापस आया और आते ही अपने कमरे में गया ताकि माहेरा से मिल सके।
अब वोह घर आ कर जब तक माहेरा से मिल नही लेता था उसे सुकून नही मिलता था।

वोह कमरे में गया तो कमरा खाली था। उसने माहेरा को पुकारा शायद वोह वाशरूम में हो लेकिन वहां भी कोई नही था।

वोह कमरे से निकल कर शेर खन के कमरे में गया।

वोह दरवाज़ा नॉक करके अंदर गया तो शेर खान कमरे में अकेले बेड पर लेटे हुए थे।

"डैड माहेरा कहा है??? कहि दिख नही रही है??"

उस ने शेर खान को देखते हुए पूछा।

"माज़ इधर आओ मेरे पास बैठे मुझे तुम से एक ज़रूरी बात करनी है।"

शेर खान उठते हुए बोले।

"नही डैड पहेले आप येह बताए माहेरा कहा है??"

माज़ ने गुस्से से पूछा।

"माज़ मेरी बात राम से सुनो, माहेरा ने कुछ दिन पहले मुझ से बात की थी। वोह इंडिया जा कर अपनी फैमिली से मिलना चाहती थी लेकिन तुम उसे जाने नही दे रहे थे......."

"उसने मुझ से पूछा और मैं ने परमिशन दे दी और आज की फ्लाइट से वोह इंडिया चली हई है। एक हफ्ते बाद वोह वापस आ जायेगी।"

शेर खान ने उसे समझते हुए सारी बात बताई।

उनकी बात सुनकर माज़ का चेहरा लाल हो गया।

"डैड वोह मेरी बीवी है आप उसे वापस कैसे भेज सकते है?? ठीक है अब अगर वोह चली गयी है तो उसे बताया दीजियेगा की उसे अब वापस आने की ज़रूरत नही है।"

माज़ ने गुस्से से चिल्ला कर कहा।

"तुमने उसे खरीदा नही था जो तुम उसे कैद करके रखते। वोह अपने पेरेंट्स से मिलना चाहती थी मैं ने उसे वापस भेज दिया और तुमसे भी पहेले मैं येह बात डिस्कस कर चुका था कि वोह वापस इंडिया ज़रूर जाएगी। वोह मुझ से वादा करके गयी है कि एक हफ्ते बाद वोह वापस आ जायेगी।"

शेर खाना उसकी गुस्से से भरी आवाज़ सुनकर कर थोड़े सख्त लहजे में बोले।

"आप तो उसे वापस ले आएंगे लेकिन अब वोह इस मेंशन में नही आएगी। आप उसे दूसरे मेंशन ले कर जाना।"

माज़ बोलता हुआ कमरे से निकल गया। वोह वहां से निकल कर अपने कमरे में आया और ड्रेसिंग रूम में गया। उसने वार्डरोब खोल कर देखी की शायद शेर खान उसके साथ मज़ाक़ कर रहे है लेकिन खाली वार्डरोब उसे मुंह चिढा रहा था। उसने वार्डरोब बन्द किया और कमरे में आया। उसने साइड टेबल पर रखा वास उठाया और दीवार पर दे मारा ताकि अपना गुस्सा ठंडा कर सके।

उसके हाथ मे जो भी आया उसे तोड़ फोड़ कर कमरे का नक्शा बिगाड़ कर वोह मेंशन से निकल गया।

इंडिया, लखनऊ:

रात के दस बजे जहाँ सर्दी की वजह से रास्ते सुनसान थे वही माहेरा अपने घरवालो से मिलने की खुशी में घर की तरफ जा रही थी।

वोह आज कितनी खुश थी। आज वोह तीन साल बाद अपने घर वापस आ रही थी। वोह माज़ के बारे में सोच मर थोड़ी परेशान भी थी लेकिन वापस जा कर उसे मनाने के बारे में सोच कर वोह थोड़ा शांत हो गयी।

जैसे ही उसने घर की बेल बजायी उसे गेट खुला हुआ मिला अचानक उसे किसी अनहोनी जा अहसास हुआ।

धड़कते दिल के साथ उसने अंदर कदम रखा।

अंदर का मंज़र दिल दहलाने वाला था।