ज़िद्दी इश्क़ - 32 Sabreen FA द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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ज़िद्दी इश्क़ - 32

माहेरा ने धड़कते दिल के साथ अंदर कदम रखा लेकिन अंदर का मंजर दिल दहलाने वाला था।

हर तरफ खून की बू फैली हुई थी और अंदर चार लोग खून से लथ पथ पड़े थे।

फिर वोह थी और उसकी दिल दहला देने वाली चीखे।

वोह भागते हुए उनके पास आ गयी, आज वोह अपने घरवालों से मिलने के बारे में सोच कर कितनी खुश थी लेकिन उसने कभी नही सोचा था कि कुछ ऐसा हो जाएगा।

सामने उसके मॉम, डैड, कामवाली और सिक्योरिटी गार्ड की लाशें पड़ी थी।

वोह अपना बैग फेंक कर अपने डैड के पास गई जिनके सीने पर गोली मारी गयी थी और अभी भी वहां से खून निकल रहा रहा था। उसने अपनी मॉम को आवाज़ दी जिनकी आंखे खुली हुई थी लेकिन उनके जिस्म से जान निकल चुकी थी।

वोह अपने डैड के पास से उठ कर अपनी मॉम के पास गई और उनका चेहरा हाथो में लिए उन्हें पुकारने लगी।

उसे नही मालूम वोह कितनी देर तक उसने पास बैठ कर उन्हें बुलाती रही और रोती रही। माहेरा खुद को संभालते हुए उठी और लैंडलाइन से पुलिस को कॉल की और साथ ही अपने डैड की डायरी ले कर उनके मैनेजर को कॉल की और वापस उनके पास आ कर बैठ गयी।

कुछ देर बाद पुलिस वहां आयी और उनके साथ एम्बुलेंस भी थी। वोह खामोशी से बैठी उनकी लाशो को देख रही थी। पुलिस ने उन चारों लाशो को एम्बुलेंस में डाला और माहेरा से सारी डिटेल्स सुनने के बाद वोह लोग वापस चले गए।

उसके डैड के मैनेजर ने उसे अपने साथ चलने के लिए कहा लेकिन माहेरा ने उन्हें सपाट लहजे में मना कर दिया और उन्हें वापस भेज दिया।

उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। वोह मुर्दा कदमो के साथ आपने कमरे में गयी तो अपना कमरा पहेले जैसा देख कर उसे और रोना आ गया।

वोह खुद पर लगे ख़ून को देख कर वाशरूम में गयी और शावर ऑन करके कपड़ो समेत ही नीचे बैठ गयी।

........................

रोम, इटली:

माज़ ने गाड़ी सुनसान जगह पर खड़ी की थी और गाड़ी से टेक लगाए सिगरेट के कश भर रहा था। वोह अब तक नजाने कितनी ही सिगरेट पी चुका था।

वोह आंखे बंद किये सिगरेट सुलगाये हुए माहेरा के बारे में सोच रहा था जब उसका फोन बजने लगा।

उसने पहेले तो इग्नोर कर दिया लेकिन जब फिर उसका फोन बजने लगा तो उसने अपना फोन उठाया।

दूसरी तरफ से कुछ कहा गया जिसे सुनकर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी।

"मैं पंदरह मिंट में पहोंच रहा हु।"

उसने जल्दी से कहा और सिगरेट फेंकते हुए अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ गया।......न जाने कितने दिन से वोह इस चीज़ का इंतज़ार कर रहा था जो आज कर पूरा हुआ था।

वोह गाड़ी से उतर कर मेंशन में शेर खान के कमरे गया। वोह अंदर आया और वर्डरॉब खोल कर अंदर लगी बटन प्रेस किया तभी वहां एक एक मिनी कप्यूटर आया। माज़ ने उसमे पासवर्ड डाला तो वर्डरॉब अपनी जगह से हट गया और सामने एक दरवाज़ा नज़र आने लगा। माज़ दरवाज़ा खोल कर अंदर गया तो रामिश और शेर खान खड़े मुस्कुराते हुए सामने बेड पर लेटी औरत से बात कर रहे थे।

वोह धड़कते दिल के साथ आगे बढ़ा और अपनी मॉम को जागते पा कर खुशी से उनके पास गया तो शेर खान वहां से हट गए।

वोह जा कपनी मॉम के गले लाग गया जो बेड से टेक लगाए मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी।

"मैं ने आपको बहोत याद किया मॉम।"

वोह धीमी आवाज़ में बोला और पीछे हट कर बैठ गया तो अलीज़ा मुस्कुराते हुए उसके मथे पर किस करते हुए बोली।

"मैं ने भी तुम्हे बहोत याद किया मेरी जान।"

"माज़ उनका स्पर्श महसूस करते हुए मुस्कुराते हुए बोला।

"मुझे लगा था मैं ने आपको हमेशा के लिए खो दिया, मेरी एक गलती की वजह से आप तीन साल कोमा में रही। आप नही जानती मॉम येह तीन साल मेरे लिए कितनी मुश्किल से गुजरे है। मैं जब जब आपको इस बेड पर लेटे देखा मेरा दिल से बस एक ही दुआ निकली की आप जल्दी से होश में आ जाये।"

माज़ बोलते हुए तीन साल पहले के बारे में सोचने लगा।

तीन साल पहले:

माज़ ने उनके सिर और पेट से खून निकलते देख कर रामिश को उनके मारने की खबर फैलाने का कह कर अलीज़ा को बाहों में उठाये हुए इसी सीक्रेट रूम में ले आया था। येह कमरा एक हॉस्पिटल के कमरे की तरह बनाया गया था जिसका एक दरवाज़ा बेसमेंट में मौजूद माज़ के रूम में खुलता था।

क्योंकि हमले के वक़्त उनका फैमिली डॉक्टर कमरे में ही मौजूद था तो रामिश दूसरे दरवाज़े से उन्हें अंदर ले आया था जहाँ बेड पर अलीज़ा धीमे सांसे ले रही थी और माज़ उनका खून रोकने की कोशिश कर रहा था।

डॉक्टर अलेक्स ने कमरे मे ही माज़ और रामिश की मदद से अलीज़ा का इलाज करना शुरू कर दिया था।

अलीज़ का खून बहोत बह गया था। माज़ ने जल्दी से उन्हें अपना खून दिया क्योंकि उन दोनों का ब्लड ग्रुप सेम था।

डॉक्टर ने अलीज़ा का ट्रीटमेंट करने के बाद बताया कि अगर चौबीस घण्टे में इन्हें होश नही आया तो वोह कोमा में चली जायेगी क्योंकि उनके सिर पर बहोत गहरी चोट आई थी।

माज़ ने डॉक्टर अलेक्स को येह बात किसी को भी बताने से मना की थी और एक भरोसेमंद नर्स हायर करली थी जो अलीज़ा का खयाल रखती थी।

अलीज़ा के कोमा में जाने के बाद उन्होंने ने दुसरो को यकीन दिलाने के लिए नकली फ्यूनरल का इन्तेज़ाम किया था जिससे लोगो को भरोसा हो गया था कि अलीज़ा अब इस दुनिया मे नही रही।

..........

"माज़ इसमें तुम्हारी गलती नही थी मुझे तुम्हे बता कर मिलने आना चाहिए था।"

वोह प्यार से माज़ के चेहरे पर हाथ फेरते हुए बोली।

"चलो बस करो माज़, अलेक्स ने अलीज़ा को चेक कर लिया है। वोह अब बिल्कुल ठीक है और तुम भी थक गए हो जाओ जा कर आराम करो और मुझे अलीज़ा के साथ वक़्त गुज़ारने दो।"

शेर खान ने माज़ को देखते हुए कहा।

"लेकिन डैड मैं आज मॉम के साथ सोने का सोच रहा था।"

माज़ आपनी मुस्कुराहट दबाते हुए बोला।

"बिल्कुल नही, रामिश माज़ का हाथ पकड़ा और इसे बाहर ले कर जाओ।"

शेर खान ने उसे घूरते हुए रामिश से कहा।

"सुबह बात करते है मॉम वरना डैड मुझे इस रूम से ना जाने पर शूट ही कर देंगे।"

माज़ शेर खान की बात सुनकर मुस्कुराते हुए अपनी जगह से उठा और अलीजी क माथे पर किस करके रामिश के साथ कमरे से बाहर निकल गया।

"येह सलमान कहा है?"

माज़ ने रूम से बाहर निकलने के बाद रामिश से पूछा।

"वोह तो मास्टर से पूछ कर फिर से वापस चला गया।"

रामिश ने उसे जवाब दिया।

"येह लड़का सुधरने वाला नही है।"

माज़ ने कहा और अपने कमरे में चला गया।

रामिश भी वहां से सोफिया से मिलने चला गया।

...........

वोह अपने कमरे में आया तो फिर से माहेरा के बारे में सोचने लगा। उसने अपना सिर झटका और वाशरूम में चला गया।

फ्रेश होने के बाद वोह वापस आ कर बेड पर लेट गया लेकिन आज उसे कुछ अजीब सा लग रहा था। वोह पूरी रात करवट बदलता रहा लेकिन उसे नींद नही आई।

.....................

उसे माहेरा की इतनी आदत हो गयी थी कि वोह रात को सुकून से सो नही पाया था।

वोह सोफे पर बैठा अपना काम कर रहा था जब सामने देखते हुए उसे पुरानी बातें याद आने लगी।

माज़ के चेहरे पर खुद बखुद मुस्कुराहट आ गयी लेकिन जब उसे अहसास हुआ माहेरा उसके साथ नही है तो वोह सिर झटक कर उठ गया और अपने कमरे से बाहर निकल गया।

........……..

लखनऊ, इंडिया:

माहेरा ने अपनी आंखें खोली तो खुद को फर्श पर सोते देख उसने अपने दिमाग पर ज़ोर डाला तो उसे सारी बात याद आ गयी।

वोह उदास सी ज़मीन से उठी जबकि फर्श पर बैठ कर सोये रहने की वजह से उसकी कमर अकड़ गयी थी। वोह तो अच्छा था कि उसने शावर बन्द कर दी थी नही तो इसे अब तक बुखार आ जाता।

वोह अभी फ्रेश हो कर अपने कमरे से निकली ही थी जब पुलिस वापस उसके घर में आई।

इंस्पेक्टर ने उसे पूरे घर की तलाशी लेने के बारे में बताया ताकि उन्हें लता चल सके आखिर मर्डर किस वजह से हुआ था।

वोह सोफे पर बैठ गयी और उनकी करवाई देखने लगी जबकि इस दौरान इंस्पेक्टर ने उससे दो तीन सवाल भी किये जिसके जवाब उसने दे दिए।

सारे घर की तलाशी लेने के बाद इंस्पेक्टर ने उसे कहि और रुकने के लिए कहा क्योंकि उनके मुताबिक उसका यहां रहना खतरे से खाली नही था।

लेकिन माहेरा ने उसी वक़्त उन्हें सपाट लहजे में येह बात कह दी थी कि वोह यहा से कहि नही जाएगी।

...........

उसे यहा आये हुए एक हफ्ता हो चुका था। उसने शाहिद और ज़ाहिद को भी इन सब के बारे में बता दिया लेकिन उन्हें यहां आने के लिए सख्ती से मना कर दिया था।

उनका फ्यूनरल पांच दिन पहले ही हो गया था जिसमे उसके डैड के कुछ दोस्त ही शामिल थे क्योंकि उनका कोई रिलेटिव नही था।

पुलिस ने दो दिन पहले ही येह कह कर केस बंद कर दिया था कि कुछ चोरो ने उन्हें मारा है क्योंकि घर से कुछ चीज़ें गयेब थी।

जबकि माहेरा उनसे लगातर कह रही थी कि अगर उन्होंने केस रिओपेन नही किया तो वोह मीडिया के पास चली जाएगी।

वोह धमकी दे कर अपने घर आ गयी थी और अपने भालू को साथ ले कर लेटी हुई थी। उसे उस वक़्त माज़ की बेहद याद आ रही थी जो हर मुश्किल वक़्त में उसके साथ रहता था लेकिन उसे येह बात अच्छे से पता थी कि इंडिया में उसका कोई कनेक्शन नही है।

वोह माज़ को याद करते हुए भालू को खुद में भीचने लगी जब उसे भालू के अंदर कुछ महसूस हुआ।

माहेरा जल्दी से उठ कर बैठ गयी। उसने जल्दी से भालू का ज़िप खोला और अंदर हाथ डाल कर उस चीज़ को बाहर निकाला तो वोह एक लिफाफा था। माहेरा उसे खोल ही रही थी जब उसे नीचे कुछ गिरने की आवाज़ आयी।

उसने जल्दी से लिफाफा वापस भालू के अंदर डाला और उठ कर दबे कदमो से नीचे चली गयी लेकिन येह देख कर की वहा कोई नही है माहेरा पीचे पलटी ही थी जब किसी ने उसके सिर पर किसी भारी चीज़ से वॉर किया और अगले ही पल वोह बेहोश हो गयी।

एक आदमी ने उसे उठा कर कर कुर्सी पर बिठाया और रस्सी से उसे बांध दिया और उसके मुंह ओर टेप लगा दी।

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रोम, इटली:

माज़ के दिन ऐसे ही बोर गुज़र रहे थे ऐसा लगता था कि माहेरा अपने साथ साथ अपनी ज़िंदगी के सारे रंग भी ले कर चली गयी थी।

वोह कुछ वक्त अलीज़ा के साथ गुज़रता तो उसका मूड ठीक हो जाता था लेकिन बाकी के वक़्त में वोह लोगो को काट खाने को दौड़ता था और गुस्सा तो हर वक़्त उसकी नाक पर ही रहता था। सब उसके गुस्से की वजह से उससे और डरने लगे थे।

एक हफ्ते बाद जब माहेरा वापस नही आई तो उसे पूरा यकीन हो गया था कि अब वोह कभी वापस नही आएगी। वोह हर वक़्त गुस्से में ही रहता था जबकि रामिश की तो पूरा दिन बैंड ही बजती थी। माज़ खुद को तो बिजी रखता था मगर साथ रामिश को भी रखता था जिसकी वजह से वोह बिचारा सोफिया से मिल भी नही पा रहा था।

और सलमान की उसने अच्छी खसी क्लास ली थी जिसकी वजह से वोह डर के मारे कल ही वापस आ रहा था।