Junoon Se Bhara Ishq - 22 Payal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Junoon Se Bhara Ishq - 22

Ab kya kare ?



होटल के बहार आकर अभय ने प्रिया को कार के अंदर धकेल दिया। और खुद भी उसके पास बैठ गया। उनके बैठते ही ड्राइवर ने कार बंगलो की तरफ ले लिया।



बंगलो पर पहुंच ते ही अभय ने दोबारा से प्रिया को गोद मे उठा लिया और अंदर जाने लगा। अभय के बढते एक एक कदम के साथ प्रिया की धडकने भी बढ रही थी। अभय कमरे के सामने आया और लात मार कर दरवाजा खोल दिया।



दरवाजे की आवाज इतनी तेज थी की कुछ पल को प्रिया की धडकने भी रुक गई। अंदर आने के बाद अभय सीधे बाथरूम मे गया। और प्रिया को लेजाकर बाथटब मे फैंक दिया। जो ओलरेडी पानी से भरा हुआ था।




पानी मे गिरते ही प्रिया की शरीर जम सा गया। इतना ठंडा पानी।

अभय :- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई उस आदमी के साथ डेट पर जाने की ? तुम मे थोडी सी शमॅ है या नही ? हिम्मत कैसे हुई ऐसे वाहियात कपडे पहन ने की ? जिसे लोग देख सके।

तुमने तुम्हारी मां के कहने पर किया ना ? उनके कहने पर ही तुम उस आई के पास गई थी ना !

तो अब देखो ज्यादा आज्ञा कारी बनने का नतीजा क्या होता है।

अपनी बात खत्म कर अभय प्रिया को देखने लगा। प्रिया उसे डर से देखने लगी। वो समज नही पा रही थी की अभय के कहने का क्या मतलब था। क्या प्लान कर था ये !



अभय :- डील हुई थी ना तुम्हारी फैमिली और चेतन संघाइ के बीच और उस डील की वजह से तुम्हारे परिवार ने तुम्हे ऐसी जगह भेजा उस हरामी के पास उन्होने तुम्हे तकलीफ पहुंचाने की कोशिश की ना।

मेरी प्रिया को तकलीफ पहुंचाई ना। अब उन्हे ये चीज भुगत नी ही पडेगी। देखो तुम मै उन्हे कैसे दिवालिया करता हू।

उन्हे अशॅ से फशॅ पर लाकर नही छोडा तो मेरा नाम भी अभय राठौर नही।



जब से अभय ने ये सुना था की ये सब प्रिया की मां का करा धरा है। उसका गुस्सा बदाॅश से बहार हो रहा था।


उन्होने उसकी प्रिया को तकलीफ पहुंचाने की कोशिश की थी। उसे समज नही आ रहा था की वो पना गुस्सा खुद पर निकाले या प्रिया पर। उसकी बात सुन कर प्रिया परेशान हो गई।

उसे परिवार की फिक्र थी भले ही उन्होने उसके कुछ भी किया हो।


प्रिया :- प्लिस ! नही ! मेरे परिवार के साथ कुछ मत करना, उन्हे इन सब मे मत जोडो।

आपको जो करना है वो मेरे साथ कर सकते है पर उनके साथ नही।

प्लिस नही !

अभय :- seriously ! ! ! तुम्हे क्या लगता है, तुम मुझसे कहोगी और मै तुम्हारी बात मान लुंगा।

तुममे इतनी हिम्मत है की तुम उन्हे लेकर मुझसे मोल भाव कर सको।





उसे समज नही आ रहा था की ये कितनी बडी बेवकूफ लडकी है। जो उनके लिए उसे भीख मांग ने को भी तैयार है। अभय की बात सुन कर प्रिया की आंखो मे आंसु आ गए।



प्रिया :- आपको जो करना है वो मेरे साथ कर सकते हो। आपको सजा देनी है ना तो मुझे दे दिजिए, मै उफ्फ तक नही करुगी।

I promise पर अगर आपने उनके साथ कुछ भी किया ना तो मै अपनी जान दे दुंगी।



अभय पहले उसकी बात सुन कर तो पहले हसने लगा। पर अगले ही पल उसकी आंखे गुस्से से लाल हो गई। उसका गुस्सा इतना था की उसने तुरंत प्रिया की गदॅन को अपनी गिरफ्त मे ले लिया।



अभय :- सच मे तुम्हे लगता है। तुम अपनी मर्जी से जी या मर सकती हो।

अगर याद ना होतो एक बार फिर तुम्हे दिला दू की जिस दिन
तुमने agreement signe किया था। उस दिन के बाद से तुमपूरी तरह मेरी हो गई थी।
तुम्हारी जिंदगी के साथ चाहूगा कि तुम मरो तो तुम्हे मरना पड़ेगा
फिर तुम चाहो या ना चाहो अगर फिर मै तुम्हे कह की जीयो तो
तुम्हे पड़ेगा। फिर तुम चाहो या ना चाहो।
समझी !!! मै तुम्हारा और तुम्हारी जिंदगी का मालिक हू। ये
बात तुम अपने दिमाग मे फिट कर लो।
अभय की बात सुन प्रिया मन ही मन अपनी किस्मत पर रोने
लगी। वो आज अपने अआप को बहुत मजबूर समज रही थी।
बचपन से लेकर आज तक हमेशा दूसरो के मुताबिक जिंदगी जी
थी उसने। और अब उसकी किस्मत ने फिर से उस रास्ते पर
लाकर खडा कर दिया था।


उसका डर जैसे अचानक कही चला गया था। ये सब सोचते ही
वो खुद ही अपनी पर कड़वाहट से मुस्कुरा दी। उसकी आंखो से
आंसु निकल ने लगे।
अभय प्रिया को गौर से देख रहा था। उसने उसकी मुस्कुराहट
भी नोटिस की थी। और उसके आंसू भी नजाने क्या था उसकी
इस आंखो मे उसे उसका दिल पिघलता हुआ सा महसूस हो रहा
था।
उसने झटके से प्रिया का गला छोड दिया पर कुछ ही पल मे वो
फिर उसके पास आया और उसे अपने करीब खींच लिया।

अभय :- अगर तुम चाहती हो की मै तुम्हारे परीवार को कुछ ना करु तो ठीक है! मै उन्हे हाथ तक नही लगाऊगा।
पर उसके लिए तुम्हे अपने आप को अच्छे से साफ करना होगा।
एक भी निशान उस इंसान की छुअन का नही रहने चाहिए।
तुम्हारे जिस्म पर। समझी!
अपनी बात खत्म कर बिना कुछ आगे बोले बिना प्रिया की तरफ
देखे। अभय बाथरूम से बहार चला गया। अभय के जाने के
बाद बाथरूम मे प्रिया अकेली रह गई।
उसकी आंखो से अब भी आंसु बह रहे थे। उसे उसका दिल
जकड़ता हुआ सा महसूस हो रहा था। उसके शरीर के साथ साथ
उसका दिल भी ठडा पड़ चुका था।


उसकी आंखो के सामने बार बार वो सब आ रहा था। जब
उसकी मां ने उसे होटल जाने के लिए मजबूर किया था। ऐसी मां
भी होती है वो जानती थी की ये डेट नही बल्कि सिर्फ बिज़नेस
डील थी।
वो ये भी जानती थी। की उसकी मां ने उसे कभी प्यार नही
किया था। पर फिर भी उसे इस बात का विश्वास अब भी नहीं हो
रहा था। की उसकी मां उसे एक अधेड उम्र के आदमी के साथ
उसे खिलौने की तरह पेश कर सकती है।
इस पूरी दुनिया मे उसे कभी किसी से प्यार नही मिला हमेशा
लोगो की नफरत धिक्कार और तानो को लेकर ही जीती आई
थी क्योकी वो लोग की नजर मे वो एक नाजायज लड़की थी।




वो सब वो ये सब सोच कर सकती थी की कम से कम उसे उपर
वाले ने मां तो दी है। जो उसे आज नही तो कल उसे प्यार जरुर
करेगी। पर आज उसे मां ने उसे, उसे पालने परोसने तक की
किमत मांग ली।
पर क्योकी उसे हमेशा उनसे प्यार किया था। और हमेशा अपना
हर एक फज पूरी इमानदारी से निभाया था इसलिए उसने अभय
को नुकसान न पहुचा ने को कहा।
साथ ही उन्हे दिवालिया होने से भी बचा लिया। बस अपना
आखरी फर्जे सोच कर या यू कहे की अपना प्यार समज कर शायद आखरी।


जब उस परिवारने उसके बारे मे नही सोचा तो अब वो भी नहीं
सोचेगी। अब उस परिवार से उसका कोई मतलब नही होगा। ये
उसका आखरी फरजे था उन्हें बचाने का।
जो उसने पूरा कर दिया। वही जब मिस्टर माथ्र चेतन को सबक
सिखा कर बंगले पर वापस आये तो उन्होने देखा की घर की
केयर टेकर सोफी दरवाजे पर खडे होकर उसका इंतजार कर रही थी।

वो जैसे ही अंदर जाने के लिए आगे बढा तो सोफी उसके तुरंत
ही सामने आ गई।
सोफी घबराते हुए बोली :- मिस्टर माथुर ! जल्दी चलिए मिस्टर
राठौर ने अपने आप को रुम मे बंद कर लिया है।
इस वक्त वो बहुत ही गुस्से में है।
हमे कुछ समज नही आ रहा था। आप प्लिस एक चल कर उन्हे
देख लिजिए।
मिस्टर माथुर ये सुन सोच मे पड़ गये। वो जानते थे की अगर
अभय गुस्से मे है तो उसे संभालना किसी के बस की बात नही
है। उसने कुछ सोचा और तुरंत सोफी की तरफ देखा।

मिस्टर माथुर :- मिस मेहरा कहा है ?
सोफी :- वो मिस्टर राठौर ने मैम को कमरे मे छोड़ा और तुरंत
बहार आकर सी्धे दूसरे रुम में चले गए।
हमे नही पता अंदर उनके कमरे मे क्या हुआ ?
उनकी परमिशन के बिना हमे अंदर जाना अलाउड नही है।
सब कुछ सुनने के बाद मिस्टर माथुर सीधे ही उस रुम की तरफ
बढ़ गये जिस रुम मे अभय ने अपने आप को बंद कर लिया था।


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