गरीबी एक इम्तेहान Manisha Netwal द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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गरीबी एक इम्तेहान

पंकज आज लास्ट वार्निंग है अगर दो दिन में स्कूल फीस जमा नहीं हुई तो मैं तुम्हें स्कूल से निकाल दूंगा... प्रिंसिपल कक्ष से प्रिंसिपल की कड़कती आवाज सामने खड़े बारहवीं कक्षा के पंकज के कानों में गूंजी,,,,
सर.. सर आपको पता है ना मेरे घर की हालत इस वक्त बिल्कुल ठीक नहीं है मैं धीरे-धीरे करके फीस दे दूंगा,,,, पंकज ने डरते हुए प्रिंसिपल के सामने अपनी बात रखी,,,
इस वक्त प्रिंसिपल का गुस्सा सातवें आसमान पर था और पंकज की किसी बात का उन पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था वह गुस्से में बोले- 10 दिन बाद बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाली है दो साल में तुमसे एक पैसा जमा नहीं करवाया गया, तो मैं कैसे उम्मीद करूं तुमसे कि तुम बाद में फीस जमा करवा दोगे,,,,,,
पंकज कुछ नहीं बोला वह सिर झुकाए खड़ा था,,,,
प्रिंसिपल इस बार थोड़े शांत लहजे में बोले- देखो पंकज तुम क्लास के होनहार बच्चे हो, हमें तुमसे बहुत उम्मीद है लेकिन बिना फीस जमा करवाएं हम तुम्हें परीक्षा में नहीं बैठने दे सकते तुम्हारी तरह और भी गरीब स्टूडेंट पढ़ते हैं हमारी स्कूल में, अगर सबको फ्री पढ़ाने लग गए तो हम टीचर्स को क्या देंगे हमें भी पैसों की जरूरत पड़ती है हमें भी पता है तुम्हारे पापा स्कूल फीस जमा नहीं करवा सकते इसलिए 2 साल मैं तुमसे एक पैसा नहीं मांगा लेकिन अब तुम्हें पैसे जमा करवाने होंगे वरना मजबूरन हमें तुम्हें स्कूल से निकालना पड़ेगा.. अब तुम जा सकते हो,,,,,
पंकज बिना कुछ बोले कक्ष से बाहर आ गया स्कूल की छुट्टी होते ही वह अपनी पुरानी साइकिल से 7 किलोमीटर दूर स्तिथ अपने घर की ओर रवाना हो गया,,,
पंकज के दिमाग में रह रहकर प्रिंसिपल की बातें घूम रही थी वह अपने घर से कुछ दूर स्थित खेत में आकर बैठ गया उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह फीस की बात अपने घर पर कैसे करें, उसे कल रात की याद आती है जब उसने अपने बुड्ढे मां बापा की बातें छुपकर सुनी थी,,,,
पंकज पांच बहनों के बाद सबसे छोटा भाई है बहनों की शादी हो गई थी गरीब माता-पिता ने वर्षों से बचाए सारे पैसे और पूर्वजों से मिली जमीन को बेचकर अपनी बेटियों की शादी में लगा दिया, लाखों का कर्जा अभी भी सिर पर था बड़ी मुश्किल से दो वक्त का खाना गरीब बाप अपने खेतों में काम करके कमा लेता था,,, कल रात को घर में आटा नहीं था दिलीप जी (पंकज के पिता) अपने कच्चे घर में किसी गहरी सोच में बैठे थे उनकी पत्नी उनके पास आकर बोली- सुनिए जी, घर में आटा नहीं है पड़ोसियों ने भी मना कर दिया, कहते हैं हम उधार लेकर वापस नहीं देते,,,
दिलीप जी हल्का सा मुस्कुराते हुए बोले- तो इसमें गलत क्या कहते हैं 5 दिन का नाम लेकर हम वापस 10 दिन में देते हैं तो लोग तो कहेंगे ही,आप चिंता मत कीजिए मैं अभी दुकान से राशन लेकर आता हूं.....
इतनी रात को कौन आपको राशन देगा, सुबह की दो रोटी ठंडी पड़ी है आप और पंकज खा लेना मुझे भूख नहीं है,,,, पंकज की मां अपनी भूख का गला घोटते हुए बोली,,,,,
मुझे भी भूख नहीं है, दिलीप जी ने कहा और अपनी चारपाई उठाकर बाहर ले गए,,,,
यह सब बातें पंकज बाहर खड़ा सुन रहा था,,,
पंकज को कभी प्रिंसिपल की बात याद आती तो कभी अपने माता-पिता की,, उसकी आंखों से आंसू की बूंदे झलक रही थी,,,,
10वीं कक्षा में गांव की सरकारी स्कूल में पढ़कर पंकज ने 86% बनाए थे शुरू से ही पढ़ाई में लगाव था वह आगे पढ़ना चाहता था पर सरकारी स्कूल केवल दसवीं तक ही थी,,, ग्यारहवीं का नया सेशन शुरू होने से पहले प्राइवेट स्कूल के टीचर्स छात्रों के एडमिशन के लिए आए हुए थे किसी ने उन्हें पंकज के बारे में बताया तो टीचर्स पंकज के घर आ गए, स्कूल की फीस काफी ज्यादा थी इसलिए खुद पंकज ने ही मना कर दिया था, टीचर ने बिना फीस पढ़ाने को कहा तो पंकज और उसका परिवार भी मान गए,,, पर अब स्कूल वाले उससे आधी फीस मांग रहे थे,,,,,
पंकज अपने अतीत में खोया हुआ था तभी उसकी नजर दिलीप जी पर गई जो उसी की तरफ आ रहे थे,,,, पंकज अपनी साइकल लेकर उनके पास ही आ गया,,,
दिलीप जी- पंकज तू यहां क्या कर रहा है छुट्टी हुए तो कितना टाइम हो गया.....
कुछ नहीं पापा, बस खेत देखने आ गया आप कहीं जा रहे हो क्या...? पंकज ने पूछा,,,,
दिलीप जी- हां गांव से कुछ सामान लाना था,,,
पंकज- मैं आपको साइकिल से लेकर चलता हूं आइए,,,,
पंकज के जिद करने पर दिलीप जी साइकिल पर बैठ गए,, कुछ दूर एक बड़ी सी दुकान के पास आकर पंकज ने साइकिल रोकी,
दिलीप जी - तू यही रहना मैं अभी आया,,,,
कहकर वो अंदर चले जाते हैं पंकज भी दुकान के बाहर खड़ा हो गया।
अंदर एक आदमी कुर्सी पर पैर फैलाकर बैठा था दिलीप जी को सामने देखकर वह बोला- दिलीप जी आज फिर पैसों की जरूरत पड़ गई आपको,,,,
दिलिप जी - सेठ जी सिर्फ ₹2000 चाहिए कुछ दिनों में वापस लौटा दूंगा,,,
वह आदमी हंसते हुए - अभी 5 साल पहले का उधार चल रहा हैं और आप कुछ दिनों की बात कर रहे हैं,,,
दिलीप जी ने अपना सिर झुका लिया है
वह आदमी अपनी जेब से ₹2000 निकाल कर दिलीप जी को थमाते हुए बोले- अपने बेटे से कहिए कुछ काम करें, घर में खाने के लाले पड़े हुए हैं और वह गांव की महंगी स्कूल में पढ़ रहा है,,,,
दिलीप जी ने कोई जवाब नहीं दिया वह बाहर आ गए,,
यह बातें पंकज ने भी सुन ली थी दिलीप जी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे पर पंकज के सीने में एक आग सी जल चुकी थी उसने रास्ते में दिलीप जी से कहा - पापा आपने उसे कुछ कहा क्यों नहीं,,,
बेटा इस समाज में जवाब देने का अधिकार केवल उसी को है जिसकी हैसियत हो, मांगने वाला केवल सिर झुकाना जानता है जवाब देना नहीं,,, दिलीप जी अपने वर्षों के तजुर्बे से बोले,,,
पंकज ने घर पर फीस की बात नहीं की 2 दिन बाद प्रिंसिपल ने पंकज को सुबह स्कूल जाते ही वापस घर भेज दिया इतनी जल्दी पंकज को घर आते देख उसकी मां ने पूछा- तू इतनी जल्दी घर क्यों आ गया,,,,
पंकज अपना दर्द और आसू छुपाते हुए - कुछ दिनों बाद परीक्षा है तो घर में ही पढ़ना है मां,,,
पंकज कहकर वहां से अपनी झोपड़ी में बैठकर पढ़ने लगा,,,
दो-तीन दिन और बीत गए थे पंकज की टीसी स्कूल वालों ने नहीं दी थी इसलिए वह घर पर ही पढ़ाई करने लगा,,
दो तिन दिन बाद पंकज के स्कूल के दोस्त ने दिलीप जी को स्कूल प्रिंसिपल के द्वारा पंकज को स्कूल से निकाले जाने की बात बताई ,,,,,,
शाम को दिलीप जी उनकी पत्नी और पंकज खाना खा रहे थे तो दिलीप जी ने पंकज की तरफ देख कर पूछा - स्कूल वाले कितनी फीस मांग रहे हैं,,,
पंकज हैरानी से देखने लगा तो वह बोले- तुम्हारे दोस्त ने सब कुछ बता दिया है
पंकज - ₹15000 मांग रहे हैं....
दिलीप जी पेटी में से ₹15000 पंकज को लाकर देते हुए बोले- मैंने 50000 में अपनी जमीन का कुछ हिस्सा और बेच दिया है यह पैसे अपने मास्टर जी को दे देना और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें अभी तेरा बाप जिंदा है,,,,,
पंकज ने पैसे स्कूल में जमा करवा दिए थे तो स्कूल वालों ने भी उसे वापस रख लिया कुछ दिनों में 12वीं की परीक्षा शुरू हो गई पंकज साइंस में था उसके सारे पेपर अच्छे हो रहे थे पंकज के परिवार और स्कूल वालों की उम्मीदें पंकज के रिजल्ट पर थीं 93 परसेंट के साथ पंकज स्कूल का टॉपर रहा सब खुश थे पंकज भी,,,,
अब समस्या थी आगे की पढ़ाई की, टीचर्स के कहने पर पंकज ने शहर की अच्छी कॉलेज में फॉर्म भरा दिया,अच्छे अंक होने के कारण पंकज को वह कॉलेज भी मिल गई और स्कॉलरशिप से उसके रहने का खर्चा भी चल रहा था,,, पर उसके घर की हालत आज भी वैसी ही थी जॉब के लिए 4 साल तक वह इंतजार नहीं कर सकता था इसलिए उसने आसपास पार्ट टाइम जॉब करने की सोची,,, एक दिन पंकज कॉलेज से अपने कमरे पर आ रहा था रास्ते में उसे उसका पुराना स्कूल दोस्त मिल गया, पंकज उसे अपने साथ ले आया कुछ देर बात करके पंकज ने अपने दोस्त को अपनी समस्या बताई,,
पंकज- अरुण में पार्ट टाइम जॉब करना चाहता हूं यार.. तुम्हें तो पता है ना घर की कंडीशन कैसी है,,,
अरुण- लेकिन तू करेगा क्या,,
पंकज- मैं कुछ भी करने को तैयार हूं तुम्हारी नजर में ऐसी कोई कंपनी जो तीन चार घंटों के लिए मुझे जॉब दे सके,,,
अरुण कुछ सोच कर बोला- हां कल तू मेरे साथ चलना मेरे पास का एक लड़का भी वहां काम करता है सुबह 8:00 मेरे घर आ जाना हम वहां से ही चलेंगे,,,,
पंकज को भी अरुण की बात अच्छी लगी तो वह भी सुबह तैयार होकर उनके घर पहुंच गया और दोनों वहां से उस कंपनी में चले गए,,,
पंकज कंपनी के मैनेजर के पास आकर अपनी समस्या बताता है,,,
मैनेजर - ठिक है लेकिन पहले तुम्हें दो लाख रुपए जमा करवाने पड़ेंगे चार महीनों के लिए,, उसके बाद तुम्हारी सैलरी स्टार्ट होगी हम महीने में तुम्हें ₹25000 देंगे और काम में तुम्हें हमारे प्रोडक्ट्स को घर-घर पहुंचाना होगा,,,,
इस वक्त पच्चीस हजार की सैलरी पंकज के लिए काफी थी लेकिन दो लाख का इंतजाम कैसे करेगा, वही सोच रहा था ,,,,
मैनेजर - देखो 3 घंटे के लिए कोई इतनी सैलरी नहीं देगा इसलिए सोच लो और एक साथ हम दो लाख नहीं मांग रहे तुम तीन महीनों तक किस्तों में दे सकते हो ,,,
पंकज ने तो 3 दिन का वक्त मांगा और इस बारे में घर पर बात की, पंकज खुद के पैरों पर खड़ा हो जाए इसलिए उसकी बहनों ने मिलकर दो लाख रुपए का इंतजाम कर दिया,,,
पंकज कालेज की छुट्टी होते ही कंपनी से मिले सामान को बेचने निकल जाता था,,, धीरे-धीरे उसे कंपनी से ज्यादा काम मिलने लगा जिस कारण वह कॉलेज की पढ़ाई को टाइम नहीं दे पाता था इसलिए कालेज के पहले ही सेमेस्टर में तीन सब्जेक्ट में फेल हो गया,,, शुरुआत में सबसे आगे रहने वाले पंकज का इतनी सब्जेक्ट में फेल होना उसकी पहली और सबसे बड़ी असफलता थी,,, यह बात उसने किसी को नहीं बताई वह वापस अपने काम में लग गया 4 महीने से ज्यादा हो गए थे और दो लाख रुपए उसने कंपनी को दे दिए थे फिर भी उसे कंपनी की ओर से एक पैसा नहीं मिला वह मैनेजर से बात करता तो वह आगे का टाइम देकर उसे भेज देता,,
छह-सात महीने बीत गए पंकज उस कंपनी से हट भी नहीं सकता था क्योंकि उसने पहले रुपए जमा करवा दिए थे घर पर सब उधार मांगने लग गए थे वह पंकज से पूछते तो पंकज कोई ना कोई बहाना बनाकर उनकी बात टाल देता,,
एक दिन उसे पता चला कि जिस कंपनी में वह काम करता है वह कंपनी फ्रॉड है और उसके मैनेजर को पकड़ लिया गया है यह सुनते ही जैसे पंकज की पूरी दुनिया उजड़ गई हो, घर वालों को क्या कहेगा इतने पैसे कैसे जमा करवाएंगा और जो स्कॉलरशिप मिलती थी फेल होने के कारण वह भी रुक गई थी,,,,
इस घटना के बाद पंकज पूरी तरीके से डिप्रेशन में चला गया था उसने बिना घर वालों को इस बारे में बताएं कॉलेज छोड़ दिया और जहां रहता था वह जगह भी छोड़ दी,,,,
एक दो महीने तक पंकज से बात नहीं हुई तो उसके मां-बाप घबरा गए वह उसके जीजा के साथ उसकी कॉलेज पहुंचे वहां से पता चला है कि वह दो महीने से कॉलेज नहीं आ रहा,,, तो वह उस दोस्त के साथ उस कंपनी में पहुंचे जहां पंकज काम करता था लेकिन वहां मालूम चला कि कंपनी फ्रॉड थी,,,,, घरवाले को सब कुछ समझ आ गया था,,,
उसके मां-बाप और बहनों की हालत खराब हो गई थी परिवार पंकज के लिए परेशान था और जिन लोगों ने पंकज को पैसे दे रखे थे उन्होने घर पर हल्ला बोल दिया था क्योंकि उनकी उम्मीद पंकज से थीं लेकिन अब वह नहीं है तो सब दिलीप जी को परेशान करने लगे,,,,,

उसी शहर की एक छोटी सी गली में एक टूटे फूटे कमरे में पंकज 2 महीने से रह रहा था डिप्रेशन ने उसे इस तरह जकड़ लिया था कि वह चाहकर भी उससे बाहर नहीं निकल पा रहा था,,, जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो इंसान के पास एक ही रास्ता बचता है खुद ही अपनी जिंदगी खत्म करने का,, "सुसाइड" पंकज की सोचने समझने की क्षमता खत्म हो चुकी थी उसने घर वाले सब के बारे में सोचना बंद कर दिया था वह आखिरी बार कमरे से बाहर निकलकर खुली सांस लेना चाहता था वह पागलों की तरह सड़क पर घूम रहा था बहुत से साधन उसके सामने से गुजर रहे थे पर मौत इतनी आसान नहीं थी उसके लिए,,, पंकज आगे बढ़ ही रहा था की रोड की एक तरफ उसकी नजर जाती है जहां एक वृद्ध जोड़ा बैठा था वे खाने के लिए लोगों के सामने झोली फैला कर बैठे थे पर वहां से जाने वालो की किसी की भी नजर उन पर नहीं पड़ती,,, पंकज को वहा बैठे उन पति-पत्नी की जगह अपने मां-बाप दिखाई दे रहे थे वह धीरे-धीरे कदमों से उनकी तरफ बढ़ गया,,
बुड्ढी औरत अपने पति से बोल रही थी - आज अगर हमार लल्ला जिंदा होता तो हमको ई नोबत नाहीं आती काहे ईश्वर ने मोई कोख उजाड़ दी.. काहे...
वह आदमी अपनी रोती हुई पत्नी को शांत कराते हुए बोला- भाग्यवान काहे रो रही हों, हमार किस्मत मां कोनो संतान सुख लिख्योडा हि ना है, ईश्वर भी जानत हैं कि गरीब को धन केवल उको बेटो होव है,,,
वह पति-पत्नी एक दूसरे का हाथ पकड़कर वहां से चले गए उनकी यह बातें पंकज सुन रहा था उसकी आंखों के सामने अपने मां-बाप के साथ बिताये वक्त की यादें थीं वह आंखों में आंसू लिए वही बैठ जाता है फिर उसकी नजर एक 8-9 साल के बच्चे पर जाती हैं जिसका एक हाथ टूटा हुआ था दूसरे हाथ में फूल थे जो वहां से गुजरने वाले लोगों को दे रहा था एक आदमी उसे 50 का नोट थमाता है बदले में वह उससे चार फूल लेकर जाता है,,,,वह छोटा बच्चा उन ₹50 को देखकर काफी खुश था तभी एक आदमी जिसके हाथ में शराब की बोतल थी वह उस बच्चे से वह 50 का नोट छीन कर भाग जाता है वह बच्चा उसके पीछे दौड़ता है पर वह आदमी उसकी पहुंच से काफी दूर था वह बच्चा वापस अपनी जगह आकर फूलों को बेचने लगता है कुछ ही देर में उसके सारे फुल बिक जाते हैं और वह उन फूलों के बदले मिले पैसों को देखकर काफी खुश होता है और वहां से चला जाता है,,,,

पंकज के सामने घटी इन दो घटनाओं ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया था उसके सामने कभी अपने बूढ़े मां बाप और बहनों का चेहरा था तो कभी उसकी गरीब जिंदगी....
क्या सोच रहे हो... एक आवाज उसके कानों में गूंजी, पंकज ने चारो तरफ नज़र फैलाई तो उसे अपने सामने एक परछाई दिखाई थी जो बिल्कुल उसी की तरह दिखाई दे रही थी,,,
पंकज - कौन हो तुम...
तुम्हारा वह हिस्सा जो हर बार तुम्हें गलत करने से रोकता है, जिसने तुम्हें हमेशा जीतना सिखाया मैं तुम्हारे अंदर कि वह अच्छाई और जीत हूं जो हर बुरे वक्त से तुम्हें बचाती हूं,,,,
पंकज रोते हुए - क्या करूं मैं, आज तक केवल धोखा मिला है लोग मजाक बनाते हैं मेरी गरीबी का.. नहीं जी सकता मैं इस संसार में जहां गरीबों को लोग अपने पैर की जूती समझते हैं,,,,
वह परछाई मुस्कुराते हुए बोली- तो तुम इसलिए मरना चाहते हो, अभी तुमने उस वृद्ध जोड़े को देखा जिसने अपना बेटा खो दिया, वह पैसे के लिए नहीं रो रहा था वह अपने बेटे के लिए रो रहा है.... अगर तुम मर गए तो सोचा है तुम्हारे मां-बाप का क्या होगा, इतना कर्जा अपने सिर पर लेकर मरोगे तो तुम्हारी मौत पर लोग सिर्फ गालियां देंगे,,,, उस छोटे बच्चे को देखा जिसका एक हाथ नहीं है फिर भी उसने हार नहीं मानी तुम्हारी ही तरह एक आदमी ने उससे पैसे छीन लिए लेकिन वह फिर अपने काम में लग गया और तू इतनी जल्दी हार मान गया, एक बार उस बाप के बारे में सोच जो 60 सालों से गरीबी में रहकर तुम्हारा पेट पालता आ रहा है और जब तुम्हारी बारी आई तो तुम मरने जा रहे हो,,,
पंकज को खुद पर ही शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह अपनी गलती पर ही रो रहा था,,,,
अब भी कुछ नहीं बिगड़ा, एक नई शुरुआत करो.. अपने अंदर की काबिलियत को तलाशो... शायद एक दिन तुम्हे इस गरीबी में भी स्वर्ग मिल जाए,,,,, उस परछाई की आवाज आई,,,,,,
पंकज ने उसकी ओर देखा तब तक वह परछाई गायब हो चुकी थी,,, अब पंकज को समझ आ गया था कि उसे क्या करना है अगले दिन पंकज अपने घर पहुंचा, उसके मां-बाप जमीन के बचे एक छोटे से हिस्से में काम कर रहे थे पंकज उनके पास पहुंचा दोनों की नजर पंकज पर गई तो दोनों पंकज को देखकर रोने लग गए,,, पंकज जाकर दोनों के गले से लिपट गया उसने अपनी तकलीफ दोनो को बताई,,,,,
दिलीप जी - मुझे उम्मीद थी तू लौट कर वापस जरूर आएगा... भूल जाओ उन बातों को और एक नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरु कर, एक बात याद रखना बेटा गरीब होना पाप नहीं एक इम्तिहान है जिसमें पास होने की हिम्मत केवल हम जैसे लोगों में ही होती हैं,,,
पंकज ने अपने मां-बाप को आश्वासन दिया कि वह कभी ऐसी गलती नहीं करेगा,,, पंकज ने एक साल अपनी पढ़ाई छोड़ दी और शहर की छोटी मोटी कोचिंगो में बच्चों को पढ़ाने लग गया,, धीरे-धीरे कोचिंग से स्कूलों में,,, पंकज पढ़ाई में पहले से ही होशियार था और एक सबक जो उसे जिंदगी से मिल गया था उसे नए रास्तों की ओर ले जा रहा था,,,,,
दो साल की कड़ी मेहनत से कमाए पेसो से उसने सारा उधार चुका दिया था,, उसने फिर से कॉलेज ज्वाइन की और खुद की पढ़ाई के साथ अपना एक छोटा सा कोचिंग सेंटर खोल लिया,,, कॉलेज खत्म होते ही एक साल बाद उसे सरकारी नौकरी मिल गई और उसकी कोचिंग ने उस गांव के गरीब बच्चों की फ्री में शिक्षा दी और उन लोगो को रोजगार जो अपनी गरीबी से गुजर रहे थे,,, पंकज ने उसी गांव में अपना पक्का मकान बना लिया था उसके मां-बाप आज भी खुशी से अपने खेत में काम करते थे और वक्त मिलने पर पंकज भी अपने खेत में आकर बैठ जाता था,,,,
6 साल का वक्त लगा था पर पंकज आज उस जगह पर था जहां आने की शायद उसने अपनी गरीबी के कारण सोची भी नहीं थी,,,
एक दिन वह अपने खेत में बैठा था उसे एक बात याद आती है जो उस परछाई ने कही थी,, तुम्हें एक दिन गरीबी में भी स्वर्ग दिखेगा,,,,,
पंकज मुस्कराते हुए ऊपर आसमान की तरफ देखकर बोला- किसने कहा कि भगवान नही है गलत है वह लोग जो यह कहते हैं,,, भगवान को मैंने अपनी आंखों से देखा है उस गरीब वृद्ध जोड़े में, उस छोटे बच्चे में और मेरे अंदर की उस परछाई के रूप में भगवान ही था,, जिसने मुझे रास्ता दिखाया,,,, गरीब होना पाप नहीं इम्तिहान है जो मैंने पास कर लिया हैं,,, थैंक यू भगवान.....

Manisha Netwal