khubsurat safar ki shuruaat books and stories free download online pdf in Hindi

खुबसूरत सफ़र कि शुरुआत

मां, मैं ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूं, आइए आपको शर्मा अंकल के घर छोड़ देता हूं,,,,,, शौर्य अपने कमरे से बाहर निकलते हुए अपनी मां रेवती को आवाज लगाता है। रेवती तैयार होकर बाहर शौर्य के पास आती है,,,,
शौर्य अगर तुम और दीया भी मेरे साथ चलते तो उन्हें अच्छा लगता, आखिर तुम्हारी शादी में उन्होंने कितनी मदद की थी हमारी.... रेवती थोड़ा उदास होकर बोलती हैं।
शौर्य उनके चेहरे को अपने हाथों में पकड़कर मुस्कुराते हुए बोला- बस इतनी सी बात थीं मां, पहले बोल देती तो मैं ऑफिस कैंसिल कर देता... कोई बात नहीं मैं आपके साथ शादी में चल रहा हूं अब तो खुश हो जाइए,,,,,
शौर्य की बात सुनकर रेवती के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ जाती है वह शौर्य को गले लगा कर - थैंक्यू बेटा... मुझे लगा पता नहीं तुम आओगे या नहीं इसलिए नहीं कहा....
शौर्य- आपकी खुशी से बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं है मां... इसलिए आप खुलकर मुझे बता सकती है।
रेवती मुस्कुराते हुए हा में सिर हिलाती है शोर्य तैयार होने अपने कमरे में चला जाता है,,,, अंदर शौर्य की पत्नी दीया फोन पर किसी से बात कर रही थी- लेकिन आप ने पिछले हफ्ते तो बताया था कि उनकी रिपोर्ट नॉर्मल है फिर अब......
सामने से डॉक्टर की आवाज आती है- देखिए मैडम, हम आपको वही बता रहे हैं जो सच है आप अभी हॉस्पिटल आकर चेक कर सकती है...।
दीया - ओके, मैं कुछ देर में पहुंच रही हूं....।
कहां जा रही हो दिया...? कमरे में आते ही शौर्य ने दिया से पूछा,,,,,
दिया शौर्य को देखकर और परेशान हो जाती है शौर्य उसके पास आकर- क्या हुआ...? तुम इतनी परेशान क्यों हो और कहां जा रही हो...?
दीया - शौर्य, डॉक्टर ने हॉस्पिटल बुलाया है वो मां की रिपोर्ट के लिए....
शौर्य - पर रिपोर्ट्स तो नॉर्मल थी ना.....
दीया,शौर्य के कंधे पर हाथ रखकर- डोंट वरी शौर्य.... बस एक बार देख लेते हैं ना... तुम ऑफिस जाओ मैं जा रही हूं डॉक्टर के पास....।
मैं ऑफिस नहीं जा रहा... मां के साथ शर्मा अंकल के बेटे की शादी में जा रहा हूं,,,, शौर्य ने जवाब दिया।
दीया, मुस्कुराते हुए- ठीक है, मां को अच्छा लगेगा तुम जाओ उनके साथ और उन्हें कुछ मत बताना...
शौर्य- पर वह चाहती है कि तुम भी साथ चलो,,,
दीया - फिर हॉस्पिटल.... तुम उन्हें बोल देना की मेरी तबीयत ठीक नहीं है, अभी हॉस्पिटल जाना जरूरी है....
शौर्य को भी दीया कि बात ठीक लगती है तो वह अकेला तैयार होकर रेवती के पास पहुंचता है,,,,,,,
शौर्य को अकेला देख रेवती के चेहरे की मुस्कुराहट एक पल में गायब हो जाती है,,,,,,,
दीया नहीं आ रही.... उन्होंने शौर्य से पूछा,,,,,
नहीं मां, उसकी तबीयत ठीक नहीं है हम दोनों चलते हैं ना.... शौर्य उनके पास आकर बोला,,,,
मुझे पहले से ही पता था वह मेरे साथ कभी नहीं जाएगी...। इतना कहकर रेवती बाहर निकल जाती है,,,, शौर्य उनके पीछे-पीछे आते हुए बोला- आप कुछ ज्यादा ही सोच रही है मां, ऐसा कुछ नहीं है वह... शौर्य बोले जा रहा था लेकिन रेवती उसे नजरअंदाज करके कार में बैठ गई,,,, शौर्य को भी आगे कुछ बोलना ठीक नहीं लगा तो वह भी चुपचाप कार ड्राइव करने लगा,,,, पूरे रास्ते कार में खामोशी थी शौर्य कुछ बोलना चाहता था लेकिन रेवती उसकी एक भी बात सुनना नहीं चाहती थी कुछ देर में दोनों शादी में पहुंचते हैं,,,,
इधर दीया डॉक्टर के केबिन में बैठी थी डॉक्टर दीया के हाथ में कुछ फाइल्स थमाते हुए बोले- यह रेवती जी की रिपोर्ट है पिछले हफ्ते की रिपोर्ट नॉर्मल थी लेकिन इस बार नॉर्मल नहीं है उनका सिर दर्द बढ़ता जा रहा है जो दवाइयां वह ले रही है उन्हें रेगुलर रखिए और ज्यादा से ज्यादा उनकी हैल्थ पर ध्यान दीजिए,,,,,,
दीया डॉक्टर के बताए अनुसार कुछ और दवाइयां खरीदती है और घर आ जाती है,,,,,,
इधर शादी में रेवती कुछ औरतों के साथ खड़ी थी उनमें से एक औरत ने कहा - रेवती जी, आपकी बहू नहीं आई....
नही उसकी तबीयत ठीक नहीं है..... रेवती ने मुस्कुराते हुए कहा,,,,,
यह आजकल की बहुए भी ना सब एक जैसी ही होती है हम उन्हें प्यार से अपने साथ लाना चाहते हैं और वह हमारे साथ ना आने के बहाने बनाती रहती है...,,, उनमें से एक औरत ने कहा,,,,,,,
रेवती के घावों को और गहरा करने के लिए यह बात काफी थी,,, वह बिना कुछ कहे वहां से आ गई। शौर्य शादी खत्म होते ही अपनी मां के साथ घर पहुंच गया था,,,,,,,
दीया ने शौर्य को रिपोर्ट के बारे में बता दिया था और उसने भी दिया से जोर देकर कहा था कि वह उसकी मां का ख्याल रखें दिया भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती रेवती को खुश रखने की और उनकी बीमारी को दूर करने की लेकिन आसपास की औरते रेवती को दीया की कमियां गिनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती,,,, इसलिए दिया और रेवती के रिश्ते में गलतफहमी के अलावा और कोई खास रिश्ता नहीं बन पाया,,,,,,,
शौर्य के पिता बचपन में ही खत्म हो गए थे दादा दादी गांव में दूसरे चाचा के साथ रहते थे, शौर्य अपनी मां के साथ शहर में रहता था जहां उसकी पोस्टिंग थीं... दो साल पहले रेवती ने ही दीया को शौर्य के लिए पसंद किया था शौर्य ने भी बिना कुछ कहे अपनी मां की पसंद की लड़की से शादी कर ली थी,,,,, दीया अच्छी लड़की थी उसने अपना केरियर, अपने ड्रीम्स सबकुछ छोड़ दीया था क्योंकि रेवती की हालत दिन दिन खराब होती जा रही थी और उसने इस बारे में कभी शौर्य से शिकायत भी नहीं की,, लेकिन दीया की कुर्बानियां और प्यार भी रेवती और दीया के सास बहू के बीच की दूरियों को खत्म नहीं कर पाया,,,,,

मां.. मुझे कुछ सामान लेने बाहर जाना है, आपकी दवाइयां मैंने रख दी है आप टाइम से ले लेना....,,,, दीया ने रेवती के पास आकर कहा, जो अपने रूम में अकेली बैठी थी,,,,,,,,
रेवती ने बदले में दीया से कुछ नहीं कहा तो दीया उनके पास आकर बैठ गई, दीया ने उनकी तरफ देखकर धीरे से कहा- मा आप ठीक तो है ना.....
तुम्हें इतनी फिक्र करने की जरूरत नहीं है दिया मैं खुद का ध्यान रख सकती हूं....रेवती ने थोड़े गुस्से में कहा,,,,,,
मां आप नाराज क्यों हो रही है, मैं बस पूछ रही हूं... दीया ने तलीनता से जवाब दिया,,,,,,,,,,,
तुम जाओ यहां से, सामान लाना था ना....; रेवती ने कहा और उठ कर वहां से जाने लगी,,,,,,,,
मां अगर आपको मेरा बाहर जाना अच्छा नहीं लगता तो मैं कहीं नहीं जाऊंगी पर आप इस तरह बिहेव करना बंद कीजिए.... क्यों आपको मेरी हर बात बुरी लगती है..... दीया ने थोड़ी तेज आवाज में कहा,,,,,
रेवती, उसकी तरफ देख कर - तुम्हारी हर बात बुरी नहीं लगती, लेकिन तुम्हारा यह झूठा दिखावा बुरा लगता है, दूसरों के सामने अच्छा बनने का नाटक बुरा लगता है,,, सबके सामने मेरा ख्याल रखने का नाटक करती हो और जब मुझे तुम्हारी जरूरत होती है तुम मेरे पास नहीं होती तो क्या समझु इसे, तुम्हारा मेरा फिक्र करना या तुम्हारा झूठा नाटक.....
रेवती की बातें सुनकर दीया की आंखों में आंसू थे क्योंकि भले ही रेवती उनसे नाराज रहती हो लेकिन आज से पहले उन्होंने दीया से ऐसा कभी नहीं कहा था दीया बिना कुछ बोले वहां से अपने कमरे में चली जाती है,,,,,,,
शाम को शौर्य ऑफिस से घर आता है दीया ने उसके आने से पहले ही खाना लगा दिया था और खुद कमरे में चली गई थी शौर्य को कुछ अजीब लगा तो वह अपनी मां के रूम में चला गया, रेवती भी उदास अपने कमरे में बैठी थी,,, शौर्य, उनके पास बैठकर बोला- क्या हुआ मां.. वो दीया ने भी खाना नहीं खाया और आप भी नहीं आए बाहर.. सब ठीक है ना....
अपनी पत्नी से पूछ लो वह सब बता देगी...। रेवती ने कहा,,,,,,
शौर्य, अब परेशान होकर बोला- बात क्या है मां... दीया ने आपसे कुछ कहा....?
रेवती, आंखों में आंसू लिए बोली- मेरी बीमारी के कारण तुम दोनों परेशान हो रहे हो ना... मुझे अकेला छोड़ दो और तुम दोनों अपनी जिंदगी आराम से जियो....
शौर्य उनकी गोद में सिर रखकर बोला- ऐसा आपको क्यों लगता है मां... क्या दीया ने आपसे यह कहा...,,
रेवती- नहीं.. पर मुझे ऐसा लगता है....
शौर्य, उनके आंसू पोछते हुए बोला - आप जानती है ना मां.. मेरे लिए आप से बढ़कर कुछ नहीं, कितना प्यार करता हूं आपसे, जब आपने अकेले मुझे पाल पोसकर इतना बड़ा किया.. काबिल बनाया तो आपको ऐसा क्यों लगता है कि मैं इस तरह आपका साथ छोड़ दूंगा... आज के बाद कभी ऐसा मत सोचना.....
रेवती को संतुष्टि थी कि उसका बेटा उसके साथ है,,,,, शौर्य रेवती को उनकी दवाई देता है और उनको सुलाकर अपने कमरे में चला जाता है,,,
दीया की आंखों में अभी भी आंसू थे शौर्य उसके पास आकर बैठता है और उसके आंसू पोछते हुए बोला - क्या हुआ था घर में आज...
दीया, रोते हुए बोली - सॉरी शौर्य, मैं एक अच्छी बहू नहीं बन पाई शायद हमारे सास बहू के रिश्ते की दूरियां कभी कम नहीं हो पाएगी.... बहुत कोशिश की मैंने लेकिन अब मुझसे नहीं हो पाएगा, शायद मैं मां को अपनी बात समझा ही नहीं पाती हूं.. मैं कुछ और कहती हूं और वह कुछ और समझती है.....। दीया ने अपना पूरा दर्द शौर्य को सुना दिया था वह उसके कंधे पर सिर रखकर सिर्फ रोए जा रही थी,, शौर्य ने उसे चुप कराया और उसके सोने के बाद खुद छत पर आकर बैठ गया,,,, रेवती और दीया ने तो शौर्य को बताकर अपना मन हल्का कर लिया था लेकिन शौर्य किसे बताएं,, बाकी मर्दों की तरह उसने भी अपने आंसुओं और जज्बातों को छुपा कर अपनी आंखें बंद कर ली,,,,,,,,,

धीरे-धीरे रेवती और दीया के बीच की दूरियां बढ़ती जा रही थी और इसका सीधा असर शौर्य पर पड़ रहा था। वह ना अपनी मां को समझा पाता था ना पत्नी को,,,, दोनों की तकलीफों को सुनना और उन्हें अपने तरीके से खुश रखने की कोशिश करता पर उसका खुद का क्या.... वह तो दोनों तरफ से फंस चुका था,,, ऑफिस में भी काम पर मन नहीं लगता था दिन भर यही सोचता कि कैसे भी वह अपने परिवार को खुश रख सके,,,,,,,,
एक दिन शौर्य ऑफिस में बैठा कुछ सोच रहा था तभी उसका एक दोस्त उसके पास आकर बैठता है वह शौर्य को गुमसुम और चुपचाप देख कर बोला - शौर्य क्या हुआ तुम्हें, तुम कुछ दिनों से परेशान लग रहे हो....
शौर्य का कोई जवाब नहीं पाकर उसका दोस्त फिर से बोला - शौर्य, तुम वही शौर्य हैं ना, जो कॉलेज में रोते हुए को भी हंसा देता था जिसके पास सबकी प्रॉब्लम का सलूशन होता था.....
शौर्य उसकी बात पर हल्का सा मुस्कुराते हुए बोला- वह वक्त अलग था करण, अब सब कुछ बदल गया है जिस शौर्य के पास सब की प्रॉब्लम का सलूशन होता था आज उसके पास खुद की प्रॉब्लम का भी हल नहीं है, जो सबको हंसाया करता था आज वह अपने परिवार को भी खुश नहीं रख पा रहा...,
करण, उसके कंधे पर हाथ रखकर- क्या बात है ब्रो, प्लीज मुझसे तो मत छुपा.....
शौर्य, करण को सब कुछ बता देता है करण कुछ सोच कर बोला- ये केवल तुम्हारे घर की प्रॉब्लम नहीं है शौर्य, हर परिवार की यही प्रॉब्लम है बस अपने घर की दिखती हैं और दूसरों की दिखती नहीं है.. इस रिश्ते में कभी मिठास नहीं हो सकती....
शौर्य, उदासी से - लेकिन मैं उन्हें इस तरह दुखी नहीं देख सकता......
करण - इसके लिए तो तुम्हें या तो दीया को डिवोर्स देना होगा या अपनी मां को छोड़ना होगा...,,,,
शौर्य तो उसकी बात सुनकर ही हैरान था उसने अपने दोस्त से इस तरह के जवाब की उम्मीद भी नहीं की थी,,,
शौर्य, करण को हेरानी से देखते हुए बोला - तुम होश में भी हो क्या बोल रहे हो... वह दोनों मेरी जिंदगी है.. उस मां को छोड़ दू जिसने बिना बाप के बेटे को अकेला पाला और उसको खुद के पैरों पर चलने के काबिल बनाया.. छः साल का था मैं, जब पापा हमें छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे दादा-दादी, चाचू ,किसी ने मेरी जिम्मेदारी नहीं ली थी मेरी मां ने बहुत सी तकलीफो को सहा है लेकिन कभी मुझे महसूस नहीं होने दिया चाहे खुद रोती रही लेकिन कभी मुझे नहीं रोने दिया उस मां को छोड़ दूं मैं... या उस पत्नी को जिसने मेरे सिर्फ एक बार कहने पर अपना सब कुछ छोड़ दिया, वेल एजुकेटेड होने के बाद भी अपने सपने अपना कैरियर सब छोड़ दिया केवल मेरी मां का ख्याल रखने के लिए और नहीं कभी मुझसे शिकायत की, खुद से पहले मेरे और मां के बारे में सोचती हैं आज तक कुछ नहीं मांगा उसने मुझसे...उस पत्नी को छोड़ दूं,,,,मैं दोनों से बहुत प्यार करता हूं इनमें से किसी को नहीं छोड़ सकता...
करण, मुस्कुराते हुए बोला - मैं जानता हूं भाई की दोनों तुम्हारे लिए इंपॉर्टेंट है और यह भी पता है कि वह दोनों भी एक दूसरे की फिक्र करती है लेकिन वह समझ नहीं पा रही तुम्हें उन्हें एक दूसरे की कीमत समझानी होगी...शौर्य को बहुत कुछ समझ आ रहा था वह कुछ देर करण से बात करता है और अपने घर आ जाता है,,,,,
शौर्य सीधा अपनी मां के कमरे में आता है वह उनके पास आकर बोला- मां मुझे आपसे कुछ इंपॉर्टेंट बात करनी है... रेवती को शौर्य के चेहरे की उदासी साफ नजर आ रही थी वह घबराते हुए बोली- क्या हुआ बेटा, क्या बात करनी थी...
मैं, दीया को डिवोर्स दे रहा हूं....। शौर्य ने एक सांस में अपनी बात कह दी,,,,
यह सुनते ही रेवती के हाथ से पानी का गिलास छूट कर निचे गिर जाता है आवाज़ सुनकर दीया भी आ जाती हैं लेकिन वह कमरे के बाहर ही खड़ी थी,,,
शौर्य ने फिर अपनी बात दोहराई - हां मां मैं दीया से डिवोर्स चाहता हूं....
रेवती ने शौर्य के गाल पर थप्पड़ रख दिया और उसकी कॉलर पकड़कर बोली- वह पत्नी है तुम्हारी, शादी की है तुमने उससे...कोई खेल नहीं खेला...
शौर्य उनसे थोड़ा दूर जाकर -मुझे पता है मां, कि वह मेरी पत्नी है लेकिन अब मैं उसके साथ नहीं रह सकता....
बाहर खड़ी दीया इस वक्त पूरी तरह टूट चुकी थी लेकिन वह हिम्मत करके वही खड़ी थी यह जानने के लिए की शौर्य उसे तलाक क्यों देना चाहता है,,,,,,
रेवती, गुस्से में शौर्य से बोली- क्यों देना चाहते हो तलाक.... क्या नहीं किया उसने तुम्हारे लिए, अपनी इच्छा अपना परिवार सब कुछ छोड़ कर वह इस घर में आई है एक पत्नी होने का हर फर्ज उसने पूरी तरीके से निभाया है... और जीते जी मैं तुम्हें उसे तलाक नहीं देने दूंगी...
शौर्य- शादी के बाद लड़की केवल पत्नी नहीं बनती मां, बहू भी बनती है और मुझे नहीं लगता कि दीया आपकी अच्छी बहू बन पाई है...
रेवती- किसने कहा तुम्हें, कि वह एक अच्छी बहू नहीं है.. मैं गलत हो सकती हूं बेटा पर दीया नहीं....दीया कहीं नहीं जाएगी मैं खुद यह घर छोड़कर गांव चली जाऊंगी हिम्मत भी मत करना दीया को तलाक देने की,,,,,
शौर्य बिना उनकी तरफ देखकर बोला- मैंने फैसला ले लिया है मां, मुझे पता है कि अब मुझे क्या करना है,,,,,
दीया रेवती और शौर्य की बातें सुन रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह रोए या खुश हो क्योंकि रेवती उसका पक्ष ले रही थी वह अपने कमरे में आ जाती है कुछ देर में शौर्य भी अपने कमरे में आता है,,,,, उसके पीछे-पीछे रेवती भी आती हैं लेकिन उसने अंदर जाना ठीक नहीं समझा तो वह बाहर ही खड़ी हो गई,,,,,,,
शौर्य कुछ बोलना चाहता था लेकिन कैसे कहे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था दीया समझ रही थी कि शौर्य उसे क्यों नहीं बता रहा इसलिए वह खुद उसके पास आकर खड़ी हो जाती है शौर्य उसकी तरफ देखता है लेकिन वह कुछ नहीं बोलता तो दीया उसके पास आकर बोली- कुछ कहना चाहते हो....
शौर्य, उसकी तरफ देख कर बोला- हां... मैंने सोचा है कि मां को गांव भेज देते हैं उनकी दवाइयां पैसे वगैरह हम यहां से भेज देंगे और तुम भी फिर से अपना कैरियर शुरू कर सकती हो.....
रेवती बाहर से शौर्य की बातें सुन रही थी उसका बेटा ऐसा कह सकता है उसने कभी सोचा भी नहीं था पर वो खुशी भीं थी कि अब वह दीया को तलाक नहीं देगा,,,,
दीया हैरानी से शौर्य की तरफ देख कर - तुम पागल तो नहीं हो गए शौर्य... अपनी मां को दूर भेजना चाहते हो.. शौर्य- हां, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुम दोनों एक साथ रहो.....
दीया - मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था शौर्य, कि मैं तुम्हारी मां को तुमसे दूर करूं.....मैंने हमेशा कोशिश की, कि मां को कभी ऐसा नहीं लगे कि मैं उनसे उनका बेटा छीन रही हूं... भले ही मेरी और मां की सोच नहीं मिलती हो, हम दोनों एक दूसरे से नाराज रहते हो मगर मैंने कभी उनके बारे में गलत नहीं सोचा... you know हर लड़की की तरह मेरे भी सपने थे कि मैं भी जॉब करूं... अपने हस्बैंड के साथ वेकेशन पर जाऊं लेकिन तुमने जब मुझसे कहा कि मैं तुम्हारी मां का हमेशा ध्यान रखू, उन्हें किसी की कमी महसूस नहीं होने दु तब से मैंने हमेशा यही कोशिश की कि मैं उन्हें खुश रख पाऊ... लेकिन हमारे समाज की वह एक दकियानूसी सोच "ना बहू बेटी बन सकती हैं, ना सास मां बन सकती" ने कभी इस रिश्ते को खूबसूरत नहीं बनने दिया...
शौर्य - तो तुम क्या चाहती हो....
दीया, उदासी भरी मुस्कुराहट के साथ बोली- यही कि, मैं अभी यह घर छोड़कर चली जाऊंगी, तुम अपना और मां का ख्याल रखना.. याद रखना शौर्य की एक अच्छा पति वही बन सकता है जो पहले एक अच्छा बेटा हो.... जो अपने मां बाप का नहीं हों सकता वो इंसान पत्नी का भी कभी नहीं हों पाएगा,,,,,

इतना कहकर दिया चुपचाप अपना सामान पैक करने लगती हैं शौर्य की आंखों में आंसू थे लेकिन गर्व भी था कि दीया उसकी पत्नी है उसकी सोच मां के लिए बिल्कुल पाक है फिर भी वह दीया को जाने से रोकना नहीं चाहता था क्योंकि वह अपनी मां और पत्नी के बीच एक खूबसूरत रिश्ते की शुरुआत करना चाहता था,,,,,,,,,
रेवती दीया की बातें सुनकर अपने कमरे में आ जाती है और दरवाजा बंद करके वहीं बैठकर रोने लगती है उसे खुद पर ही घिन्न आ रही थी कि उसने दूसरों की बातों में आकर अपनी उस बहू को ही नहीं समझा जिसने उसके लिए क्या कुछ नहीं किया यहां तक अपना सब कुछ केवल उसके लिए छोड़कर जा रही है अब उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह दीया के पास जाकर उसे बात कर सके.. उसे रोक सके....
दीया अपना सामान लेकर बाहर आती हैं और रेवती के बंद कमरे की तरफ देखती है उसकी आंखों में नमी और चहरे पर खुशी थीं कि कहीं ना कहीं रेवती भी उसे अपना समझती है,,,,,,
दीया घर से निकल जाती है शौर्य केवल उसे जाते हुए देख रहा था वह खुद से ही बोला- सॉरी दीया, लेकिन तुम्हारी इस बार की कुर्बानी खाली नहीं जाएगी... तुम जल्द अपने घर वापस आवोगी....

अगले दिन
रात को शौर्य रोज की तरह छत पर बैठा अपनी ही सोच मे गुम था,,,,,,तभी उसके पास रेवती आकर बैठ जाती है,,,,
शौर्य उन्हें देख कर मुस्कुराते हुए बोला - मां आप यहां... सोई नहीं अभी तक....
अपने ही बेटे का घर उजाड़ कर कैसे एक मां सो सकती है... रेवती ने उदास होकर कहा,,,,
शौर्य- आपने कुछ नहीं किया मां... इतना मत सोचो चलिए नीचे अभी, आपने खाना भी नहीं खाया....
दीया के हाथ के खाने के अलावा किसी खाने में स्वाद लगता ही नहीं, मुझे तो दवाइयों का भी नहीं पता कि कब कौनसी लेनी है.. यह भी नहीं मालूम कि घर में महीने का कितना राशन आता है, नहीं मालूम कि घर में बिजली का बिल कितना आता है घर की खुशियां किस चीज में है.. मेरे बेटे की खुशी किस बात में है,,,, रेवती रोते हुए बोले जा रही थी,,,,,,
मैं दीया के घर जाउंगी...अपनी बहू को लेने नहीं बल्कि अपनी बेटी को उसके घर वापस लाने,,,,,, रेवती में मुस्कुराते हुए कहा।
शौर्य के चेहरे पर आज अलग ही खुशी थी जैसे उसने कोई युद्ध जीत लिया हो,,,
वह रेवती के गले लगकर बोला- थैंक्यू मां.. आपको नहीं पता कि अपने दिया को अपनी बेटी कहकर मुझ पर कितना बडा एहसान किया है.... मैं हमेशा आप दोनों को खुश देखना चाहता हूं.… चाहता हूं कि आप दोनों के बीच एक खूबसूरत रिश्ता बने,,,,, आप दोनों मेरी लाइफ की स्पेशल लेडीज हो.. थैंक यू मां...
रेवती,अपना हाथ शौर्य के हाथ में रखकर बोली - मैं वादा करती हूं तुमसे, दीया ने मेरे लिए जितना किया मैं उसके लिए उसका दोगुना करूंगी... कभी वह मुझसे नाराज भी हो जाएगी तो मां का हक जताकर उसे वापस मना लूंगी... उसकी तबीयत खराब हुई तो मां की तरह पूरी रात उसका ख्याल रखूंगी, उसके लिए वह सब कुछ करूंगी जो उसकी खुद की मां उसके लिए करती... एक मां अपनी बेटी के लिए जो करती है वह सब करूंगी... आगे से किसी और की बात सुनकर अपनी सासगिरी नहीं दिखाऊंगी....
शौर्य, हंसते हुए - ऐसे तो मेरा प्यार बट जाएगा मां...
रेवती भी उसकी बात पर हंसने लगती है,,,,,,
अगले दिन सुबह
दीया अपने मम्मी पापा के घर पर सबके साथ बैठी थी,,, उसने वहां की कोई बात यहां नहीं बताई थी बस इतना कहा था कि कुछ दिनों के लिए वह यहां आई है क्योंकि उसे उम्मीद थी कि शौर्य और रेवती उसे लेने जरूर आएंगे ,,,,,,

कुछ देर में दरवाजे की बेल बजती है,,,,तो दिया का भाई उठकर दरवाजा खोलता है सामने रेवती और शौर्य खड़े थे दिया उन्हें देखकर ही खुश हो जाती है,,,,, सब उठकर उनके पास आते हैं और उन्हें अन्दर लेकर आते हैं,,, सबसे बातें करने के बाद रेवती उठकर दिया के पास आकर बोली - अपनी बीमार सास को कौन अकेला छोड़ कर आता है....? यह मालूम होते हुए भी कि उन्हें दवाइयां भी टाइम पर लेना नहीं आती....
इतना कहते ही रेवती की आंखों में आंसू आ जाते हैं दिया भी रोते हुए उनके गले लग जाती है,,,,
शौर्य के अलावा किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की यह सब क्या हो रहा है.....
रेवती दीया के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली - आज तुम्हें तुम्हारी सांस नहीं बल्कि, तुम्हारी मां तुम्हें लेने आई हैं,, चलोगी ना मेरे साथ हमारे खूबसूरत रिश्ते की शुरुआत के लिए...
दिया मुस्कुराते हुए हां में सिर हिलाती है और अपना सामान लेने कमरे में चली जाती है कुछ देर में वह अपना सामान लेकर बाहर आती हैं और अपने परिवार से मिलकर रेवती और शौर्य के साथ वापस अपनी दुनिया में आ जाती हैं,,,,,
कुछ दिनों बाद
शौर्य और दिया डाइनिंग टेबल पर बैठे रेवती का इंतजार कर रहे थे कुछ देर में वह अपने कमरे से बाहर आती है उनके हाथ में एक लिफाफा था,,, वह दीया के पास आकर वह लिफाफा उसे थमाते हुए - NGO के पूरे डाक्यूमेंट्स तैयार है कल से अपना काम स्टार्ट कर देना....
शौर्य और दिया हैरानी से देखते हैं तो वह बोली- हां मैंने ही बनवाए हैं एक बार सुना था तुम्हारे मुंह से कि तुम अपना खुद का NGO स्टार्ट करना चाहती हो तो मैंने अपने अकाउंट में जितने पैसे थे उनमें यहीं पास में एक फ्लैट खरीद लिया और जरूरी डाक्यूमेंट्स भी तैयार करवा लिए.....
आज शौर्य का अपनी मां के लिए सम्मान और बढ़ गया था,,,, दीया उनके पास आकर बोली- लेकिन मां आप अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुई है और आप घर पर अकेली कैसे रहेगी.......
अकेला कौन रहेगा बेटा....NGO के 7 मेंबर्स में एक मैं भी हूं वहीं तुम्हारे साथ रहूंगी और वहां तू है ना मेरा ख्याल रखने के लिए...... रेवती ने मुस्कुराते हुए कहा,,,,,
दीया, उनके गले लगकर - थैंक यू मा... थैंक यू सो मच... यू आर द बेस्ट.....
शौर्य दोनों को खुश देखकर खुश था क्योंकि जो खूबसूरत रिश्ता वह अपनी मां और पत्नी के बीच बनाना चाहता था वो बन गया था वह अपना खाना खत्म करके बाहर आता है और किसी को कॉल लगाता है
हेलो करण... थैंक यू यार..... आज ऑफिस नहीं तू मेरे घर आएगा... मां और दीया के खास दिन को सेलिब्रेट करने...
करण, सामने से - okk bro... I am coming soon...
शौर्य मुस्कुराते हुए अपना फोन रखता है और अपनी कार लेकर वहां से निकल जाता हैं,,,,,,,

मनीषा नेटवाल...✍️✍️

सास बहू का रिश्ता जिसका नाम होते हुए भी वह गुमनाम है,,,, वक्त बदल रहा है और उसके साथ रिश्ते भी लेकीन इस रिश्ते में आज भी कोइ खास बदलाव नही है.... हम अपने देश की कमियां ढूढने में लगे हुए है लेकिन असली कमी हमारे घर में है जो परिवार को अंदर से खोखला बना रहीं हैं... गलत कोइ नही होता बस जनरेशन डिफरेंस जो इस रिश्ते की नीव को कमज़ोर बना रहा है और इन सबके बिच फसता एक बेटा और पति..... हर कहानी शौर्य जैसी नहीं होती.... एक औरत अपना दर्द अपने emostioms, आदमी के साथ बात सकती हैं लेकीन वो आदमी.... क्या उसे तकलीफ़ नहीं होता,, उसके emostions नहीं होते... होते है पर शायद हम समझ नहीं पाते.... कितनी तकलीफ़ होती होगी उसे जब उसकी जिन्दगी की दो खास औरते अलग अलग राह पर खड़ी होगी... और उसे उनमें से किसी एक की तरफ़ से बोलना हो....... जब लड़कियो और औरतो की बात आती हैं तो किताबे भी रोने लगती है लेकिन बात अगर एक लड़के की तो किताबे भी उसे कायर कहेगी.....खैर.....


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