Junoon Se Bhara Ishq - 18 Payal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

Junoon Se Bhara Ishq - 18

Majboor Priya


प्रिया के दरवाजे खोलते ही ललिता जी ने देखा प्रिया अभी भी उसी कपडो मे थी। ना ही उसने चेन्ज किया था और ना ही उसने कोई मेक - अप किया था। उसका चेहरा अभी भी मुरझाया हुआ सा था।



ललिता अपने मनमे :- अगर ऐसे चेतन जी ने उसे देखा तो शायद वो सीधे ही शादी के लिए मना कर देगे।

ललिता :- ये क्या है ? तुमने अभी तक ड्रेस चेन्ज नही कि जल्दी से जाकर इसे चेन्ज करो। मै जानती थी तुम किसी भी काम की नही हो।

इसलिए मै ने तुम्हारे लिए ड्रेस अरेंज की है। रुबी आकर तुम्हे कपडे दे आएगी। तुरंत ही तुरंत चेन्ज कर लेना।

रुबी तुम्हारा मेक - अप भी कर देगी। और मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो।

मै जानती हू की तुम ये सब जान बुझ कर कर रही हो। पर याद रखो अगर चेतन जी तो पसंद नही आई और तुम्हे रिश्ते को मना किया ना तो तैयार रहना आगे के लिए।




प्रिया ने कुछ नही कहा। बस सर झुकाकर खडी रही। वो जानती थी उनसे कुछ भी बोलने का मतलब नही था। कुछ ही देर मे रुबी प्रिया के लिए ड्रेस लेकर गई।


प्रिया ने जैसे ही उन कपडो को देखा तो उसका चेहरा शमॅ से लाल हो गया। वो परेशान सी ललिता जी को देखने लगी।

प्रिया :- मॉम ! मै ये नही पहन सकती। ये कपडे बहुत . . . . .

प्रिया के हाथो मे रखे कपडे छुपाने के लिए नही बल्कि दिखाने के लिए बनाये गए थे शायद। वो ड्रेस बहुत ही छोटी और पतली थी। जिसके आर पार आसानी से देखा जा सकता था।



वो कैसे ये ड्रेस पहन सकती थी। वो भी पहली डेट पर। पर जैसे ही प्रिया ने अपनी बात खत्म की ललिता जी ने उसके चेहरे पर जोर का थप्पड लगा दिया।

सट्टाक . . . . . . . . . .


ललिता जी गुस्से से बोली :- मेरे सामने ज्यादा नखरे करने की जरूरत नही है।
समझी ! ! !

और ये क्यो नही पहनोगी हंहहहह अब तक शांति से समझा रही थी। पर शायद तुम्हे शांति की भाषा समज मे नही आती।

चुप चाप करके जाओ और चेन्ज करके आओ। बचपन से लेकर पाला है तुम्हे तो ये समझो की तुम्हे अब रिटर्न देने का वक्त आ गया है।

और ये शादी उसका रिटर्न ही समझो।

अब जाव जल्दी।



प्रिया ने अपने गाल पर हाथ रख ललिता जी को देखा उसका चेहरा थप्पड पडने की वजह से लाल हो गया और चेहरे पर ददॅ उभर आया।



पर उसके दिल मे चेहरे से ज्यादा कई गुना ददॅ था। क्या सच मे ये उसकी मां ही थी। जिस पर अब तक वो अंधा विश्वास करती आई थी।



उसके दिल के साथ साथ आज उसका भरोसा भी टूट गया था। उसकी मां की नजर मे उसकी कोई वेल्यू नही थी। सिवाय एक पालतू जानवर के।



जैसे जानवर कुछ दिन अपने घर मे रख बेच दिया जाता है। आज उसके साथ वही हो रहा था।

प्रिया :- आपको लगता है की मुझे यहा रहे ने के लिए अब का पे करना चाहिए। तो ठीक है मै तैयार हू।

बताइए कितना पे करु मै आपको और उस चेतन से शादी ना करनी पडे।

ललिता हस्ते हुए :- तो तुम मुझे इसके बदले पैसे दोगी। गजब ! इतनी हैसियत है।

अगर तुम उस चेतन से शादी करोगी तो वो तुम्हारे डॅड को 7 करोड देगा।



ललिता जी की बात सुन प्रिया शॉक रह गई। तो उसकी कीमत 7 करोड लगाई गई थी। उसे तो अपने कानो पर विश्वास ही नही हो रहा था।

उसके आंसु अब सैलाब बन बहने को तैयार थे।

प्रिया :- मॉम ! क्या मुझे कुछ वक्त मिल सकता है ? मै पूरी कोशिश करुगी की आपको सारे पैसे दे सकू।

पर मै इससे शादी नही करना चाहती।


ललिता :- अच्छा ! तो तुम कैसे कमाओगी इतने पैसे ?

देखो अब तक हमने तुम्हे पाला पोसा पर अब मै तुम्हे इस घर मे नही देखना चाहती। मै अब और इंतजार नही कर सकती।

अब तक हमने तुम पर इतना खचॅ किया है। उसकी कीमत का तुम अंदाजा भी नही लगा सकती।

तुम्हे क्या लगता है तुम्हारे उस अःओ कोडी के काम से तुम मुझे पैसे लौटा सकती हो।


ललिता जी का गुस्सा अब उनके आपे से बहार हो गया था। वो प्रिया की शक्ल तक देखना नही चाहती थी। उन्होने गुस्से से रूबी को ओडॅर दिया।


ललिता :- इसे तैयार करके नीचे लाओ। और अगर ये ऐसे ही नखरे दिखाए तो तुरंत मुझे इन्फोॅम करना। बाकी मै अपने हिसाब से देख लुंगी।



अपनी बात खत्म कर वो तुरंत वापस चली गई। उनके जाने के तुरंत रुबी ने प्रिया की तरफ देखा। निशा और प्रिया थी तो एक परिवार से पर उसमे जमीन आसमान का फकॅ था।


जहा, निशा नाजो से पली थी। तो वही, प्रिया एक नाजायज लडकी थी। जिसे सिवाय दूसरो की नफरत से कुछ नही मिला था।



और घर के नौकर भी उनमे से ही थे। जिन्होने निशा और उसके पेरेन्ट का कहा ही माना था। प्रिया की तरफ उनका व्यवहार अन्य नौकर जैसा ही था।



रुबी :- प्रिया मैडम ! आपको तैयार करना है। या बडी मैम को बताऊ जाकर।

प्रिया ने तुरंत अपना सर ना मे हिला दिया। वो जानती थी की अब अगर ललिता जी वापस आई तो न जाने क्या होगा उसके साथ।

प्रिया :- नही ! नही ! मै चेन्ज कर रही हू।


उसने कहा और दरवाजा बंद कर लिया। जैसे ही दरवाजा बंद हुआ उसके आंसु ओका सहलाब बह गया। जिसे वो अब तक संभाल ने की कोशिश कर रही थी।


आज उसके दिल पर उसकी मां ने जो घाव उसे दिये थे। वो शायद इस जिंदगी मे मिट पायेगे। वो ना किसी से कह सकती थी और ना ही किसी के सामने रो सकती थी। सिवाय उसके अकेलेपन मे जिंदगी मे अब कुछ बचा नही था।



15 मिनिट बाद प्रिया ने तैयार होकर दरवाजा खोल दिया। रुबी ने जब उसे देखा तो देखती रह गई। हालाकि जो ड्रेस प्रिया ने पहनी थी। उसमे उसका गौरा शरीर साफ नजर आ रहा था।


जो कितने ही आदमी ओको आराम से अट्राक्ट कर सकता था। पर इन सबके बाद भीउसके चेहरे की मासूमियत उसे एक प्योर लुक दे रही थी।


प्रिया के चेहरे पर कोई भी मुस्कुराहट नही थी। उसके एक्सप्रेशन बिल्कुल शांत थे। रुबी ने उसे उपर से नीचे तक देखा।

रुबी :- बडी मैडम ने आपका मेक - अप करने के लिए कहा है।

प्रिया ने उस पर कोई ध्यान नही दिया और आगे बढ गई। जैसे उसने उसकी बात सुनी ही न हो। रुबी हैरान सी उसे जाते देख रही थी। प्रिया ने एक बार भी उसे नही देखा।




इस घर मे प्रिया की वेल्यू वैसे भी कुछ नही थी। इसलिए उसे कुछ भी बोलना बैमान ही लग रहा था। कौन सा भी वो अगर बोलेगी तो कोई उसकी सूनेगा।


प्रिया के नीचे जाते ही रुबी भी उसके पीछे चली गई। क्योकी उसे उस पर नजर रखने को जो कहा गया था। प्रिया ने होटल तक जाने के लिए एक ओटो लिया और पहुंच कर वो ओटो से बहार निकली और बिल्डिंग को देखा।



एक आलीशान होटल जिसके सामने सिडीयो पर रेड कार्पेट बिछा हुआ था। और दरवाजे पर दो दरबान ट्रेडिशनल कोस्ट्यूम पहने खडे थे।



ऐसे होटल प्रिया ने बस टीवी मे ही देखे थे। वो पहली बार ऐसी जगह पर आई थी। उसे बहुत नवॅस नेस हो रही थी। हालाकि चेतन से मिलना उसकी मजबूरी थी।





पर उसने मन मे सोच लिया था। की वो चेतन के सामने ऐसे बिहेव करेगी की वो खुद ही इस शादी के लिए मना कर देगा। भले ही मे उसकी सो कोल्ड मां की डाट क्यो ना सुनाई पडे।


वो शायद एक अजनबी से शादी करने लिए तो बेहतर ही होगा। उसने घडी की तरफ देखा उसे कैसे भी करके सब कुछ 6 बजे पहले खत्म करना था।

क्योकी 6 बजे उसे अभय के आदमी उसे लेने आ धमकेगे। और अगर वो आ गये तो उसके लिए फिर एक नई मुसीबत खडी हो जाएगी।


अभय का ख्याल आते ही प्रिया की हड्डीयो तक का एक शॉक सा लग गया। वो धीमे कदमो से अंदर गई। उसके अंदर आते ही एक वेटर उसके पास गया।



प्रिया को किसी भी चीज से कोई मतलब नही था। वो तो जल्द से जल्द यहा से बहार निकलना चाहती थी। आस पास से उसे लेडीज परफ्यूम और अल्कोहल की स्मैल आ रही थी।


और उसका दिल बार बार कह रहा था की कुछ तो गडबड है।




* * * * * * * * * * * * * * * * *