उसके बाद अक्षत ने श्रेया को बेड पर लेटा दिया। ताकि वह आराम कर ले। और श्रेया से कहा।
अक्षत "तबीयत ठीक ना हो तो मुझे बुला लेना। ठीक है।"
उसने जोर देकर यह बात की थी ताकि श्रेया को यह समझ आ जाए अगर सच में उसकी तबीयत ठीक ना हो तो उसे अक्षत को बताना है। अक्षत फिर वहां से चला गया। श्रेया थोड़ी देर अक्षत के बारे में सोच रही थी।
श्रेया " सोचते हुए : 1 ही दिन में मेरी लाइफ कितनी बदल गई।"
जब श्रेया सुबह फ्रेश होने के लिए वॉशरूम गई थी तब उसने देखा था कि यहां का बाथरूम कितना बड़ा है , यहां का तो बाथ टब भी स्विमिंग पूल से कम नहीं था। बिल्कुल एक स्वीट की तरह लग रहा था। श्रेया वहां बहुत ज्यादा कंफर्टेबल थी। फर्क सिर्फ इतना था कि उसे अपनी पढ़ाई की चिंता हो रही थी। हालांकि अभी उसे कम से कम 2 महीने की छुट्टियां थी क्योंकि उसके एग्जाम जस्ट अभी अभी खत्म हुए थे। तो उसे अब इंटर्नशिप की ही तैयारी करनी थी। फिर उसे याद आया।
श्रेया : " हे भगवन ! अब जाकर मुझे याद आया की मुझे एक काम मिला था। और मेने तो किया ही नहीं है कुछ। और कल सुबह 9 "00 बजे मुझे वो काम मीटिंग में सब को दिखाना है।"
श्रेया की हालत ठीक नहीं थी। तो उसने सोचा।
श्रेया : " चलो कोई बात नहीं। वैसे भी मेरी आंख जल्दी खुल जाती है। तो सुबह उठकर वह काम कर लूंगी।"
एग्जाम्स के चलते श्रेया को सुबह 5 "00 बजे उठने की आदत हो गए थी। एग्जाम्स लगभग 2 महीने चले थे तो श्रेया को अब आदत थी कि 5 "00 बजे उसकी आंख खुली जाती थी। और उसके बाद उसे नींद नहीं आती थी। अगर उसके पास कुछ करने को नहीं होता था तो वो इंटरनेट पर कुछ रेसिपीज देख लेती थी।
उसके बाद श्रेया को धीरे-धीरे नींद आ गई।
अक्षत जब रूम में आया तो उसने देखा कि श्रेया सो रही थी। वो धीरे से श्रेया के पास गया ,अपनी चप्पल उतारी और श्रेया के बगल में जाकर लेट गया। उसने श्रेया को अपने पास खींचा और उसे हग कर लिया।
अचानक यूं खुद के शरीर पर किसी का हाथ महसूस करके श्रेया डर गई थी और उठ गई थी। ना जाने क्यों पर उसे कोई पुराना डर सता रहा था। वह अक्सर ऐसे हालात में डर जाती थी। अक्षत को यह अजीब लगा। वो सोचने लगा।
अक्षत " ऐसा पहली बार नहीं हुआ है की श्रेया ऐसे डरी हो। शायद श्रेया अनकंफरटेबल हो रही होगी।"
फिर उसने श्रेया से कहा।
अक्षत "हिलो मत। ये मैं हूँ। अक्षत। अगर मैं तुम्हारे साथ सोऊंगा तो तुम्हें पेट दर्द कम होगा।"
श्रेया में इतनी हिम्मत नही थी , कि अक्षत को मना करे। पता नहीं क्यूँ पर उसे अक्षत से थोड़े डर लगता था। तो फिर वो चुपचाप लेटी रही। अब श्रेया को नींद नहीं आ रही थी। थोड़ी देर में उसका पेट दर्द फिर से शुरू हो गया। उसने अक्षत की तरफ देखा। और वो मन ही मन खुद से कहने लगी।
श्रेया : "इन्हें अभी ही तो नींद आई है। क्या करूँ। इन्हें बोलूं या नहीं।"
श्रेया का पेट दर्द अब बर्दाश्त से बहर हो रहा था। उसने कंबल को जोर से कस कर पकड़ा और अपने मुंह पर हाथ रख लिया ताकि किसी भी आवाज से अक्षत उठ ना जाए।
उसे अक्षत से डर लगता था। अक्षत के बारे में जितना उसने सुना था उसे पता था। अक्षत को अगर कोई डिस्टर्ब करें चाहे वह सो रहा हो। या काम कर रहा हो खाना खा रहा हो उसे यह चीज बिल्कुल पसंद नहीं। अक्षत की नींद गहरी नहीं थी उसे बस अभी अभी नींद आई थी। उसके कान में श्रेया की रोने की आवाज आती है। उसने जब अपनी आंखें खोली तो देखा कि श्रेया बेड पर बैठी हुई थी। और अपना पेट पकड़कर रो रही थी। अक्षत जल्दी से उठ कर श्रेया को देखने लगा। श्रेया के पेट में बहुत दर्द हो रहा था। अक्षत ने श्रेया से पूछा।
अक्षत " श्रेया क्या हुआ। तुम ठीक तो हो।
अक्षत को एक तरफ श्रेया पर गुस्सा अभी आ रहा था। की उसने उसे नहीं बताया की उसे दर्द हो रहा था। पर दूसरी तरफ वो दर्द में भी थी। तो वो उस पर गुस्सा नहीं कर सकता था। श्रेया रो रही थी। रोते रोते , श्रेया का पेट दर्द इतना बढ़ गया की उसे सब धुन्दला दिखाई देने लगा। फिर वो बेहोश हो गई।
अक्षत यूं श्रेया को बेहोश होता देख घबरा गया उसने श्रेया से कहा।
अक्षत " श्रेया क्या हुआ। अपनी आंखें खोलो।
अक्षत बहुत ज्यादा डर गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। उसने डॉक्टर को कॉल किया वो उनका फैमिली डॉक्टर था जो शुरू से ही यानी जब से अक्षत पैदा हुआ था तब से उनका ख्याल रख रहा था। कुछ देर बाद जब श्रेया को होश आया उसने अपनी आंखें खोली | उसने अपने सामने एक सफेद कोट डाले एक आदमी को देखा और वह उठ कर बैठ गई और बोलने लगी।
श्रेया "कौन हो तुम ?"
अक्षत को श्रेया का ये बिहेवियर अजीब लगा | श्रेया ने फिर ध्यान से उस आदमी की तरफ देखा। तब उसने ध्यान दिया की उसके कोट पर हॉस्पिटल का साइन बना हुआ था। फिर श्रेया अक्षत को ढूंढने लगी , तो वो उसी के पास बैठा था | तो श्रेया ने अक्षत को कसकर गले लगा लिया | ये देखकर तो अक्षत दंग रह गया | श्रेया ने पहली बार ऐसा किया था। की वो यूं उसके पास आई थी। अक्षत की बाहों में , तो श्रेया एक पांच साल की बच्ची लग रही थी | मानों एक बाप ने अपनी बेटी को गले लगाया हो। अक्षत श्रेया का बहुत ख्याल रखता था | हालांकि श्रेया 21 साल की थी , पर उसकी स्किन बहुत सॉफ्ट , बिलकुल किसी बच्चे की स्किन की तरह थी । फिर डॉक्टर ने कहा।
डॉक्टर "डरने की कोई बात नहीं है मैं आपको कुछ टेस्ट सजेस्ट करूंगा आप टेस्ट करवा लीजिये। मैं आपका ब्लड सैंपल ले लेता हूँ। और आपको रिजल्ट की रिपोर्ट भेज दूंगा।"
फिर अक्षत ने डॉक्टर को जाने का इशारा किया। डॉक्टर के जाने के बाद अक्षत ने श्रेया की तरफ देखा जिसे नींद आ गई थी। दूसरी तरफ :
हीना के सब्र का बांध टूट रहा था। वो श्रेया को कॉल किए जा रही थी पर श्रेया उसका फोन नहीं उठा रही थी। अब उसे बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। क्योंकि टीवी पर भी अभी तक श्रेया से रिलेटेड कोई खबर नहीं आई थी। ना ही पेपर्स में आई थी। ऊपर से उसका कोई अता पता भी नहीं था। उसे नहीं पता था कि श्रेया कहां है। और उसे ऐसा लग रहा था कि आज तो ऑफिस में काम कर कर के उसकी पीठ टूटी गई हो। वो सोचने लगी।
हिना "आज ऑफिस में मुझे इतना सारा काम था मानों सभी लोगों का काम अकेली मुझको दे दिया हो।" शायद श्रेया ने कुछ ही कह दिया होगा मैनेजमेंट से। हो सकता है की उन्हें पता हो की श्रेया मेरी बहन है तो उसका काम आज मुझे ही दे दिया हो।"
यह सोच कर तो उसे और ज्यादा गुस्सा आ रहा था।
सुबह
जब श्रेया की आंख खुली तो घड़ी में 5 "00 बज रहे थे। वह जल्दी से उठी और अपना फोन ढूंढने लगी क्योंकि उसका लैपटॉप उसके पास नहीं था।
वह हॉस्टल में था इसलिए उसने सोचा कि वह काम फोन पर ही कर ले। फोन ढूंढने के बाद जल्दी से बाथरूम गई और फ्रेश हो कर नहा धोकर रूम में वापिस आई। अक्षत में देखा कि कमरे की लाइट ऑन है तो वह उठा। और जैसे ही अक्षत उठा , उसने श्रेया को बाथरूम से बाहर आते देखा जो अभी-अभी जस्ट नहा कर बाहर आ रही थी।
वह श्रेया को देखता ही रह गया श्रेया की स्कीम बच्चे की तरह लग रही थी बहुत क्यूट लग रही थी श्रेया। मैड्स ने ऑलरेडी अक्षत के रूम में श्रेया के कुछ कपड़े रख दिए थे | श्रेया ने बेबी पिंक कलर की नाइट ड्रेस डाली थी जिस पर छोटे छोटे प्यारे प्यारे यूनिकॉर्न बने हुए थे श्रेया उसमें बहुत अच्छी लग रही थी।
अक्षत की नजरें तो श्रेया पर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।
फिर श्रेया ने अक्षत को देखा तो उसने खुद को सम्भाला। श्रेया ने नोटिस किया की अक्षत उसे स्वालिया नजरों से देख रहा था मानों पूछ रहा हो की इतनी सुबह क्यूँ उठ गई हो? तो श्रेया कहने लही।
श्रेया "मुझे कुछ काम था इसलिए मैं जल्दी उठ गई आप सो जाइए। मैं बाहर जाकर काम कर लेती हूं।"
फिर अक्षत ने कहा
अक्षत "नहीं बाहर जाने की कोई जरूरत नही है वैसे भी मेरा टाइम हो गया है उठने का।"
जल्दी से अक्षत बेड से उतरा और बाथरूम के अंदर चला गया। फिर नहा धोकर बाथरूम से बाहर आया तो उसने देखा कि श्रेया बेड पर बैठ कर फोन पर कुछ काम कर रही थी। अक्षत ने पूछा
अक्षत " क्या काम कर रही हो ?
श्रेया " वो मैं वो ऑफिस का कुछ काम था आज प्रेजेंटेशन देनी है तो बस वही बना रही हूं।
अक्षत फिर श्रेया से पूछता
अक्षत : तुम्हारा लैपटॉप कहां है ?
श्रेया ने कहा ..
श्रेया " हॉस्टल में | मैं आज ले आऊंगी।
अक्षत ने फिर स्टडी रूम से अपना लैपटॉप लाकर श्रेया को थमा दिया और कहने लगा।
अक्षत " मेरा लैपटॉप ले लो मेरे लैपटॉप पर काम कर लो जल्दी हो जाएगा।
श्रेया के मना करने के बावजूद भी अक्षत ने जबरदस्ती उसे लैपटॉप थमाया और रूम से चला गया। अक्षत के जाने के बाद श्रेया मन ही मन सोचने लगी।
श्रेया " इन्हे डर नहीं की मैं इनके लैपटॉप का मिस यूज कर लूंगी।
जब श्रेया ने अपने हाथ में वह पासवर्ड की चिट देखी जो अक्षत देकर गया था। तो वह हैरान रह गई। एक पासवर्ड उसकी बर्थ डेट थी। एक पासवर्ड उनकी मैरिज एनिवर्सरी की डेट थी। पासवर्ड देखकर श्रेया की आंखें नम हो गई। क्यूंकि लास्ट पासवर्ड उसकी मॉम की बर्थ डेट थी । श्रेया सोचने लगी।
श्रेया " क्या अक्षत मेरी मोम को जानते थे। इन्हें केसे पता की मेरी मोम का जन्मदिन इसी दिन आता है।
थोड़ी देर इस पर विचार करने के बाद श्रेया ने उस ख्याल को अपने मन से निकाल दिया। फिर उस दिन को याद करते ही श्रेया की आंखें नम हो गई। जिस दिन उसकी मोम उसे छोड़ कर हमेशा के लिए चली गई थी। पर उसने खुद को संभाला और अपना काम करने लगी।
जैसे ही उसने अक्षत का लैपटॉप खोला उसने देखा कि अक्षत के लैपटॉप के वॉलपेपर पर उसकी फोटो लगी है। तो वो... फोटो देखकर श्रेया फिर से दंग रह गई।
वह फोटो श्रेया की थी किसी पार्क की शायद क्योंकि फोटो चुपके से ली गई थी वह श्रेया का साइड प्रोफाइल था। उसमें श्रेया बहुत खुश लग रही थी। वाइट कलर की ड्रेस में श्रेया बिल्कुल परी लग रही थी। उसके फेस पर एक छोटी सी स्माइल थी।
श्रेया अक्षत से पूछना चाहती थी की उसने ये फोटो कब ली थी। पर उसके पास टाइम नहीं था। उसने जल्दी से अपना काम करना शुरू किया।
क्योंकि उसे जल्दी से तैयार भी होना था। और उसे याद था कि सनी महाराज ने उनसे खाने के लिए कहा है। उसे जल्दी से खाना भी बनाना था। उस के लिए उसे 7 "30 बजे के करीब किचन में पहुंचना था।
उसका जैसे ही काम खत्म हुआ। वो जल्दी से तयार होकर किचन की तरफ भागी। किचन में जाते ही उसने देखा कि मैड्स खाना तैयार कर रही हैं। तो उसने मैड्स से कहा।
श्रेया "आप लोग खाना रहने दीजिए खाना आज मैं बना देती हूं।
तो मैड्स एक दूसरे को देखने लगीं। और वह हकलाते हुए कहने लगी।
मेड : सर ने कहा है कि हमारे अलावा कोई किचन में ना आए। बुरा मत मानिए। उन्हें ऐसा लगता है कि आप खुद को चोट पहुंचा लेंगी।" तो प्लीज आप। कोई काम ना करें।
श्रेया इंसिस्ट करते हुए कहने लगी |
श्रेया : प्लीज़ मुझे खाना बनाई दीजिए | वो सनी ने मुझसे कहा है कि उसे मेरे हाथ का खाना खाना है।
सनी का नाम सुनकर मेड सोचने लगी | फिर उन्होंने दरवाजे पर अक्षत को देखा | अक्षत ने इशारों इशारों में मैड्स को श्रेया को खाना बनाने देने के लिए कह दिया | फिर मैड्स ने श्रेया से कहा |
मेडज़ : ठीक है | आप बना लीजिए | अगर किसी चीज की जरूरत हो तो हमें तुरंत बता दीजिएगा।
श्रेया खुश हो गई | उसे खाना बनाना बहुत पसंद था | शायद इतनी खुशी उसे किसी काम में नहीं मिलती थी। जितनी खाना बनाने में मिलती थी। अक्षत ने देखा कि खाना बनाते समय श्रेया गाना गुनगुना रही थी।
श्रेया बिल्कुल किसी परफेक्ट वाइफ की तरह लग रही थी। और श्रेया को खाना बनाता देख , अक्षत बस उसे देखे जा रहा था। श्रेया किसी प्रोफेशनल की तरह खाना बना रही थी।
उसकी चॉपिंग स्किल्स , किसी प्रोफेशनल से कम नहीं थी। थोड़ी देर में उसने सारा खाना तैयार कर लिया। सारा खाना सनी और अक्षत की पसंद का था। अक्षत सोचने लगा |
अक्षत : इसे कैसे पता कि हम सबको क्या पसंद है।
तभी उसे ध्यान आया कि उसके भाई ने ही बताया होगा कि उसे यह खाना है।
सानी खाना खाने के लिए बहुत एक्साइटेड था। थोड़ी ही देर में श्रेया ने खाना डाइनिंग टेबल पर लगवा दिया। सनी जैसे ही डाइनिंग टेबल की तरफ आया उसे खाने की खुशबू आई खुशबू से सनी के पेट से आवाज आई | तो वो जल्दी से भागता हुआ आया और टेबल पर बैठकर चिल्लाने लगा |
सनी : भाभी ,भाभी , भाभी , मेरा खाना , मेरा खाना ,
उसे खाने की खुशबू से और ज्यादा भूख लग रही थी।
और सनी ने सुन रखा था की श्रेया बहुत अच्छा खाना बनाती है। सानी ने देखा कि सारा खाना उसकी पसंद का बना है | श्रेया ने उसके भाई और उसकी | सबकी पसंद का खाना बनाया है। उसकी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था। श्रेया कीचेन से आई टेबल पर आलू के पराठे रखे और फिर सनी को सर्व करने लगी।
अक्षत वहीं बैठा था। अभी श्रेया ने अक्षत को खाना नहीं परोसा था और सनी ने खाना खाना शुरू भी कर दिया।
अक्षत को गुस्सा आया और उसने सनी से पूछा |
अक्षत : तुम्हरे मैनर्स कहां है सनी |
फिर सानी हंसता हुआ कहने लगा |
सनी : क्या भाई | आज भी अगर मैं मैनर्स देखने लगा , तो मेरा खाना छूट जाएगा आपको पता है। भाभी ने कितना अच्छा खाना बनाया है और खाने की खुशबू आ हा हा हा , क्या खुशबू है |
ये कहते हुए , सनी ने श्रेया को हग कर लिया | अक्षत को इस बात पर गुस्सा आ रहा था। कि सानी ने श्रेया को कैसे हग कर रखा है। श्रेया इस बात पर शोक थी की किस तरह सानी ने उसे ऐसे पकड़ा है। जैसे कि 5 साल का छोटा बच्चा हो। सनी ने देख की उसका बही उसे गुस्से मैं घूर रहा है | तो वो डर गया | और जल्दी से श्रेया से दूर हुआ | श्रेया ये देख , हैरान रह गई | की केसे जल्दी से सिर्फ अक्षत के घूमने से डर गया हो।
श्रेया सोचने लगी |
श्रेया : ये सनी भी न , बिलकुल बच्चा है , अभी |