सपने - (भाग-45) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सपने - (भाग-45)

सपने.......(भाग-45)

सब थके हुए थे तो नींद भी बहुत अच्छी आयी। सोफिया और आस्था सुबह 6 बजे ही उठ गयी थी। देर न हो जाए इसके लिए वो अलार्म लगा कर सोई थीं। दोनों जल्दी से तैयार हो गयीं। तैयार होने के बाद ही आस्था और सोफिया ने सबको उठाया। जब तक बेड से उठ कर बैठे नही तीनो वो वहीं खड़ी रही। आखिर उनको उठना ही पड़ा। उन्हें उठा कर दोनो राजशेखर के घर चली गयीं और उनको भी तैयार हो कर जल्दी आने को कह कर गयी। राजशेखर के घर में फूलों से डेकोरेशन हो रही थी......। सोफिया ने येलो साड़ी पहनी तो आस्था ने भी येलो कलर का चूड़ीदार पहना। हल्दी की रस्म होनी थी तो सब कुछ येलो के लाइट और डार्क शेड्स में ही आने के चांस थे। माया जी ने पहले दोनो को चाय पिलायी फिर कोई और काम करने दिया। राजशेखर और उसके पापा भी येलो कलर का कुरता और क्रीम कलर की धोती में थे। वहीं माया जी येलो कलर की साड़ी पर छोटा छोटा गोल्डन बार्डर था। माया जी बहुत सुंदर दिख रही थीं। आदित्य, नवीन और श्रीकांत भी आ गए। येलो कलर का कुरता और क्रीम कलर के चूड़ीदार में। राजशेखर ने बहुत कोशिश की थी कि वो लोग भी उसकी तरह धोती पहनें पर तीनो ने ही मना कर दिया। माया जी की कुछ ऑफिस कलीग्स थीं और बाकी कुछ पड़ोसी। आदित्य और श्रीकांत ने खाने का इंतजाम संभाल लिया और आस्था ने सर्व कराने का जिम्मा ले लिया और सोफिया माया जी के साथ मेहमानों को वेलकम कर रही थी। नवीन तो राजशेखर के साथ बैठा था। राजशेखर ने हल्दी के लिए कुरता उतारने से पहले ही मना कर दिया था तो रस्म सिर्फ हाथ और मुँह पर हल्दी का पेस्ट लगा कर पूरी की गयी। आदित्य और श्रीकांत के लिए थोड़ी लैंगवेज प्रॉब्लम तो थी पर उन्होने अपना मोर्चा संभाल लिया था। नाश्ते में नार्थ और साउथ इंडियन डिशेज का इंतजाम था। राजशेखर के अप्पा सब काम होते हुए देख रहे थे और सब मेहमानोॆ से बाते कर रहे थे।हल्दी से निपटे तो शाम को माया जी ने संगीत रखा था, जिसमें नवीन के गानो पर सबने खूब डांस किया। ये सब फंक्शन तो घर पर आराम से हो रहे थे पर अगले दिन एक होटल में दोनो की रिंग सेरेमनी होनी थी। रात को ही आस्था और सोफिया ने मिलकर रिंग की ट्रे को डेकोरेट कर दिया। वहाँ जाने वाले गिफ्टस की पैकिंग भी दोनो ने कर दी। राजशेखर तो अपमे दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा था। अगले दिन रिंग सेरेमनी पर आस्था ने पिंक कलर का लंहगा पहना और सोफिया ने गाउन पहना। दोनो ही बहुत सुंदर दिख रही थी। वहीं राजशेखर और उसके दोस्तों ने नेवी ब्लू कलर का सूट पहना और लाइट फिरोजी रंग की शर्ट बस टाइयों के डिजाइन अलग थे।
रिंग सेरेमनी का फंक्शन बहुत खूबसूरती से निपटा। रश्मि कीर्ति ने हल्के फिरोजी रंग का लंहगा पहना था, बिल्कुल राजशेखर की शर्ट से मैच करता हुआ। बहुत ही सादगी भरा फंक्शन था न गाना न बजाना, बस सेरेमनी के बाद लंच किया और घर आ गए। साउथ वैडिंग्स वैसे भी नार्थ की तरह लाउड नहीं होतीं। होटल से वापिस आने तक 5 बज ही गए। बिना किसी काम के ही सब थके हुए से थे। फंक्शन में सादगी के साथ बोरियत भी सबने महसूस की। लड़की वालों की तरफ से सब ज्यादा उम्र के लोग थे, जो लडकियाँ या लड़के थे वो भी बहुत ठंडा सा रिस्पांस दे रहे थे....शायद राज के अप्पा ने भी ये महसूस किया था, तभी वापिस आते आते उन्होंने रश्मि के पापा से कहा," क्या बात है दोस्त, सब ठीक है न? एनर्जी काफी लो है तुम लोगो का"! अब रश्मि के पापा क्या कहते? मि. रेड्डी भले ही उनके दोस्त थे पर अब वो उनके दामाद के पापा भी थे तो वो बात को संभालते हुए बोले," ऐसा कुछ नहीॆ है, फैमिली फंक्शन को आराम से शांति से सेलिब्रेट करने का सोचा था, अगर आप को कुछ कम लगा तो आप बताओ"? " रिलैक्स यार, आय एम जस्ट आस्किंग इफ यू हेव एनू प्रॉब्लम, चेल मी वी विल सोल्व टूगेदर"! बात आयी गयी हो गयी। शाम को राजशेखर के घर मेंहदी रात थी तो सब उसी तैयारी में लगे थे। इस फंक्शन में नवीन ने एक बार फिर समां बाँध दिया। सोफिया और आस्था ने भी मेहंदी लगवायी और शगुन की मेंहदी राजशेखर के हाथों पर भी लगी थी....। राजशेखर के सभी दोस्तों ने खूब डांस किया। राजशेखर की फैमिली रिलेशन में लड़कियाँ नहीं थी तो सारा अटैंशन सोफिया और आस्था को मिल रहा था। आदित्य चाहता था कि आस्था अपने हाथों पर उसका नाम लिखे। वो उसके आगे पीछे घूम रहा था। आस्था ने सिर्फ "A"ही लिखवाया था, पर जब आदित्य को मौका मिला तो उसने मेहंदी वाले से मेंहदी को कोण ले कर अपना नामपूरा लिख दिया। सब से नजरे बचा कर दोनो छत पर बैठे थे। आदित्य के कंधे पर आस्था ने अपना सर रखा हुआ था। दोनो चाँद को देख कर अपनी प्यारभरी बातों में बिजी थे कि तभी वहाँ नवीन आ गया। ये ठीक तब हुआ, जब आदित्य और आस्था एक दूसरे को किस कर रहे थे। घर में फंक्शन था तो पूरी छत रोशनी से जगमगा रही थी। नवीन ने उन दोनो को देख कर अनदेखा करके वापिस जाना चाहा पर आदित्य ने उसे देख लिया। "अरे नवीन तुम कब आए"? "बस अभी आया हूँ, माया आँटी आस्था को ढूँढ रही थी पर हमारे लव बर्डस तो यहाँ एक दूसरे के प्यार में डूबे हैं, मैं नीचे जा रहा हूँ, आस्था तुम मेरे पीछे आओ और आदित्य तुम थोड़ी देर में आना, कह कर नवीन नीचे चला गया"। नवीन को आदित्य की फीलिंग्स का पहले से ही पता था पर फिर भी उसे आस्था और आदित्य को यूँ साथ देख कर अच्छा नहीं लगा था, ऐसा शायद इसलिए भी था क्योंकि उसने आस्था को दिल से बहन माना है तो भाई के तौर पर उसे आस्था का यूँ आदित्य के पास आना और उसे किस करना उसे परेशान कर गया था। बाकी पूरा टाइम न उसने आस्था से ठीक से बात की न ही आदित्य से। ऐसा भी नहीं था कि उसे आदित्य और आस्था का प्यार में होना ठीक नहीं लगा, बल्कि वो तो खुश था कि उसका प्लान सक्सेसफुल हुआ था.....। अगले दिन शादी थी, सब तैयारियाँ हो चुकी थी। शादी भी होटल में थी। आस्था ने ऑफ वाइट साड़ी पहनी और सोफिया ने डार्क पिंक कलर की। ऑफ वाइट साड़ी के साथ सुंदर से बड़े बड़े इयररिंग्स बहुत सुंदर लग रहे थे। वहीं सोफिया ने सिर्फ मंगलसूत्र और उसके साथ के कानों में छोटे छोटे स्टडस पहने बहुत प्यारी लग रही थी। शादी के दिन डी जे था तो सबने खूब डाँस किया। रश्मि ने वाइन शेड का लंहगा पहना था। बिल्कुल कम मेकअप और हल्की ज्यूलरी में वो बहुत सुंदर दिख रही थी।आस्था पर कई लोगो की नजरे टिकी थी, वो बहुत सुंदर भी तो लग रही थी, पर आस्था की नजर आदित्य पर थी। आस्था और आदित्य एक मौका ढूँढ रहे थे साथ रहने का। सबके साथ तो बिल्कुल ही मौका नहीं मिल रहा था। शादी हो गयी थी और सब खाना खा रहे थे। आदित्य ने रिसेप्शन पर एक रूम के बुक करने के लिए पूछा तो रम खाली था तो रूम उसे मिल गया। वो बिना किसी को कुछ कहे आस्था को उस कमरे में ले आया। आस्था भी तो आदित्य के साथ कुछ टाइम बिताना चाहती थी तो वो दोनो कमरे में आते ही एक दूसरे की बाहों में खो गए। कितने दिन उन्होंने फ्लैट में बस ऐसे ही बाहों में बाहें डाले टाइम बिताया....जब वहाँ कोई नहीं था तब भी उन्होंने कभी अपनी हद पार नहीं की थी। शायद शादी का ये माहौल उन्हें कमजोर बना गया था। आदित्य और आस्था उन पलों में बह गए और उन्होंने अपनी हद को लाँघ दिया। शायद प्यार में जब होते हैं तो काफी कुछ भुला दिया जाता है। ऐसा ही आदित्य और आस्था के साथ हुआ। जब वो पल बीत गए तब आस्था को याद आया कि आज उसने क्या कर दिया है। आदित्य ने आस्था को समझाया, " आस्था तुम चिंता मत करो, हम दोनों हमेशा साथ हैं और रहेंगे....जल्दी ही हम शादी भी कर लेंगे"। आस्था को भी तो आदित्य पर पूरा यकीन था......। जब आदित्य और आस्था नजर नहीं आए तो उसने आदित्य को फोन किया। आदित्य ने उसे बोल दिया , "आस्था को चक्कर आ रहे थे तो उसके साथ हूँ, हम अभी आ रहे हैं, वो अब ठीक है"। कुछ देर में आस्था और आदित्य हॉल में आ गए। विदाई की तैयारियाँ हो गयी थी।
क्रमश: