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जुआरी फिल्मप्रोड्यूसर - 3

(3)

रिस्की धंधा

शेयर मार्केट बड़ा रिस्की धंधा है ।

इसमें थो़ड़ी सी असावधानी से सारा धन डूब सकता हे । सुरेश एक बेंक कर्मचारी था । वह शेयर मार्केट में आने वाली नई शेयर कम्पनियों के शेयर में धन इन्वेस्ट करता था । इसे आई.पी.ओ.(नया इश्यु) कहते हैं । इश्यु की लिस्टिंग होते ही वह अीधक प्राइस में खुलता है । इन्वेस्टर्स को लाटरी सिस्टम से शेयर अलाट होते है | अनेक ब्रोकर कुछ अधिक प्रीमियम पर पहले से उसे खरीदने का सौदा कर लेते हैं ।

कुछ समय बाद एक प्रसिद्ध बैंक का नया इशु बाजार में आया । सुरेश ने उसमें अपने सारे रिश्तेदारों के नाम से धन लगा दिया । सामान्यतया नये इश्यु में या तो शेयर मिलते ही नहीं या बहुत कम शेयर मिलते हैं । किन्तु सुरेश को बहुत से शेयर अलाट हो गये ।

लिस्टिंग होने पर यह नया शेयर काफी ऊंची प्राइस पर खुला । सुरेश ने लंबे समय तक वेट किया ।

मार्केट व सुरेश का शेयर दोनों तेजी से ऊपर भाग रहे थे । सुरेश ने काफी प्राफिट कमाया ।

सुरेश को शेयर मार्किट का ऐसा शौक चला कि उसने बैंक की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर शेयरमार्केट को ही

पूरा व्यवसाय बना लिया । उस समय सीमेंट शेयर बड़ी तेजी से भाग रहे थे | उसने अपना पूरा धन सीमेंट शेयरों मे लगा दिया । ये शेयर बड़ी तेजी से उपर जा रहे थे ।

कुछ दिन बाद मार्केट में पूरे देश में भयानक सूखा पड़ने की खबर तेजी से फैली । मार्केट बउ़ी तेजी से गिरने लगा । शीघ्र ही मार्केट बीयर फेज में आ गया । सुरेश को संभलने का मौका भी नहीं मिला और उसे भारी घाटा उठाना पड़ा ।

कुछ दिनो बाद मार्केट फिर ऊपर जाने लगा । अब स्टील शेयरों ने बड़ी तेजी पकड़ ली थी ।

सुरेश के पास धन की कमी हो गई थी |

उसने पठानी ब्याज पर काफी धन उठाकर शेयरमार्केट में झोंक दिया ।

उसका धन रोज बढ़ रहा था । तभी अचानक पाकिस्तान से युद्ध की घोषणा हो गई ।

शेयरमार्केट धड़ाम से ओंधे मुह गिर गया । सुरेश का सारा धन डूब गया ।

उस पर भारी कर्जा हो गया था । उसे चुका पाना संभव नहीं था ।

साहूकार अपने धन के लिए गालियां दे रहे थे । धन वसूली के लिए गुंडे उसका दिन रात पी्छा कर रहे थे । सुरेश की जान सांसत में थी ।

एक रात सुरेश ने अपने कमरे में फांसी लगा ली थी । उसके बीबी बच्चे सदा के लिए अनाथ हो गए थे ।

 

किस्मत चमक गई
 

इस घटना के ठीक विपरीत एक दूसरा केस है । मनोहर भी एक बैंक कर्मचारी था ।

वह मार्केट में तभी शेयर खरीदता जब वे अपने निम्नतम मूल्य पर कोट कर रहे हों । वह काफी लंबे समय तक उन्हें रखता । ऐसे इन्वेस्टर को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर कहते है | जब उनके दाम बहुत बढ़ जाते तब वह उन्हें बेच डालता । उसने शेयरमार्क्रेट मे काफी धन कमाया था ।

एक बार इंडोपाक वार छिड़ने से शेयरमार्केट बहुत नीचे आ गया था ।

उस समय ब्लू चिप अर्थात् बड़ी व प्रसिद्ध कंम्पनियों के शेयर कौड़ियों के भाव से मिल रहे थे । मनोहर ने ऐसे वक्त में काफी धन इन्वेस्ट किया । कुछ ही दिनों मे वार समाप्त होने पर मार्केट उपर भागने लगा ।

दो माह बाद मार्केट ने नया हाई बनाया ।

मनोहर ने सारे शेयर बेच दिए । उसने भारी प्राफिट कमाया । इस धन से उसने एक बंगला ओर गाड़ी खरीदी । आज वह शहर का एक सफल बिजनेसमेन माना जाता है ।

फिल्मी पत्रिकाओं में विजय व अरू के रोमांस के किस्से फोटो के साथ छप रहे थे ।

उनके आलिंगन व किस लेते फोटो छापे जा रहे थे।

कोई शरारती व्यक्ति मेगज़ीन की एक प्रति विजय के घर मे फेंक गया । अरू के सिर पर तो जैसे बिजली गिर गई । उसे धरती ओर आसमान घूमते दिखाई दिए । उसके एक साल की बेटी भी हो गई थी । उसे रह रहकर बुरे खयाल आ रहे थे । उसे लगा वह इस बड़ी दुनिया मे नितांत अकेली थी ।

बहुत दिनों से विजय घर नहीं लौटा था । अब उसकी समझ में आया कि विजय फिल्म निर्माण के बहाने क्या कर रहा था ।

उसने इस मसले की तह तक पता लगाने का विचार किया |

दूसरे दिन शाम को वह शोला के बंगले के सामने एक होटल में छिपकर जासूसी करने के लिए बैठ गई । वह बारीकी से शोला के बंगले पर नजर रख रही थी | दो घंटे तक इंतजार करने के बाद भी उसे कोई नजर नहीं आया ।

वह चलने के लिए तैयार हुई किन्तु फिर उसने कुछ देर और इंतजार करने का विचार किया ।

अंधेरा हो चला था । तभी एक चमचमाती कार ने बंगले में प्रवेश किया ।

अरू फुर्ती से उठी और एडियों के बल उठकर बंगले के अन्दर झांका । उसने कार में से शोला व विजय को बाहर निकलते देखा | वे एक दूसरे से चिपके हुए उतरे । अरू का सिर चकराने लगा । उसके पैर कांपने लगे |

वह बड़ी मुश्किल से घर पहुंची ।

 

विजय बेनकाब
उस रात विजय कई दिनो बाद घर लौटा था।

वह अपनी छोटी बच्ची व वाइफ के प्रति पूरा उदासीन दिखाई दिया । उसने अरू से ढंग से बात तक नही की ।

शारीरिक लव का अक्सर समापन बेरूखी मे होता है | उसकी पूरी झलक विजय के व्यवहार में दिखाई दे रही थी । सिनेमाई लव का बुखार कितनी जल्दी उतरता है !

वह अरू की ओर पीठ करके लेट गया । वह अपनी पत्नि के प्रति उदासीन व चिढचिढ़ा हो चला था |

अरू ने कहा- ‘ तुम इतने दिनो तक घर से गायब रहते हो । अब मुझसे न सही, अपनी बच्ची से भी बात नही कर रहे हो ’ । ’

विजय चिल्लाते हुए बोला-‘ मै दिन रात तुम्हारे लिये ही तो काम की भटृी मे पिस रहा हूं ।

मै बहुत थक गया हूं। आराम करना चाहता हूं। ’

जो विजय दिनरात कभ्गी उसके प्यार के लिए तडपता था आज वही उसकी उपेक्षा ही नहीं कर रहा था वरन बिना किसी बात के चिढ रहा था |

‘तुम्हे आज शोला ने छुटृी कैसे दे दी?’, गंभीर होते हुए अरु ने पूछा |

‘फालतू बात मत करो’

‘तो क्या ये मेगजीन भी झूठी हैं?” उसने शोला के साथ विजय के आलिंगन करते हुए फोटो दिखाते हुए कहा।

विजय ने मेगजीन जोर से हवा में फेंकते हुए कहा- ‘इन नालायकों का धंधा ही गाजिप पर चलता है।

ये लोग ब्लेकमेकिंग से पैसा उगाते हैं।’

‘और मैने दो दिन पहले तुम्हे शोला के साथ उसके बंगले मे देखा, क्या वह भी झूट था?’

‘जब तुम्हे मालूम है तो पूछ क्यो रही हो ? हिरोइन को खु्श किए बिना क्या फिल्म बनाई जा सकती है ? इस लाइन मे क्या कया पापड़ बेलना पड़ते हैं, तुम्हे क्या मालूम ?’

‘मेरे पिता ने तुम्हारे साथ विवाह का विरोध किया, वो कितने सही थे?

‘तुम्हे इतनी जलन हो रही है तो तुम भी एक छोड़ कई यार करो, किसने रोका है?’

विजय दूसरी ओर मुंह करके सो गया । अरू अपने भाग्य को कोसते हुए बहुत देर तक सिसकती रही । खोखले प्यार का कितनी जल्दी यही हश्र होता है !

शारीरिक प्यार मे अंधे अनगिनत जोड़े व उनके बच्चे, उसका ज्वार उतरने पर जिंदगी भर अजश्र आंसू बहाते रहते हैं।

अरू लाचार थी, उसकी प्रेम कहानी का इतनी जल्दी अंत होगा, उसने सोचा न था।

 

फिर वही गेम
 

विजय के पास कुछ ही दिन के शूटिंग के पैसे बचे थे |

उसे धन की सख्त आवश्यकता थी | पैसा शीघ्र ख़तम होने वाला था | बिना दाम के फिल्म को कोई कौड़ियो के भाव भी नहीं पूछता |

उसने इस समस्या से निजात पाने के लिए शेयर बाजार में अपनी किस्मत आजमाने का प्लान बनाया |

उस समय शेयर बाज़ार में तेजी चल रही थी |

विजय ने फिल्म के लिए बचे धन का ऐक बड़ा हिस्सा मिडिल दर्जे की कम्पनियों के शेयर में झोंक दिया |

ये शेयर बड़ी तेजी से बढ़ते व गिरते हैं |

मार्केट तेजी से ऊपर जा रहा था | अगले एक माह में उसके शेयर पचास पतिशत बढ़ चुके थे |

किन्तु विजय को अपने शेयर के दाम कम से कम दूने से कम मंजूर नहीं थे |

तभी अचानक ऐक दिन खाड़ी देशों, इराक व ईरान के बीच युद्ध शुरू हो गया | इससे तेल के भाव बड़ी तेजी से ऊपर जाने लगे |

देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ने लगी |

रुपया डॉलर के मुकाबले गिरने लगा |

शेयर बाजार तेजी से नीचे आने लगा |

विजय का सारा धन डूब गया |

वह सड़क की खाक छानने को मजबूर हो गया |

विजय हार्स रेस का भी शौकीन था । दूसरे दिन वह हार्स रेस मे अपना भाग्य आजमाने गया ।

उसने अपना बचा हुआ थोडा सा धन अपने एक फेवरेट जाकी पर लगा दिया |

नंबर पांच उसका लकी नम्बर था ।

जाकी के जुए के लिए एक बहुत बड़ा स्टेडियम था |

उसमे घुड़सवार अपने अपने घोड़े तेज दौड़ाते थे | प्रत्येक घोड़े का अपना एक विशिष्ट नंबर रहता था |

वहां अनेक जुआरी इकट्ठे होकर अपने अपने जाकी का नंबर पुकारते हुए उसे तेज भागने के लिए चिल्ला रहे थे |

वहां अनेक नंबर एक के माने हुए जुआरी इकठ्ठा हुए थे |

कोई अपनी पत्नि के गहने बेच कर आया था तो किसी ने अपने घर के बचे हुए थोड़े से बर्तन भी बेच डाले थे | एक सज्जन तो अपने घर के एक दिन के बचे हुऐ खर्च से टिकट खरीदकर हमेशा के लिए अपना भाग्य सदा के लिए चमकाने के ख्वाब लेकर वहाँ विराजमान थे |

किन्तु हाय रे किस्मत ! वहां भी तक़दीर ने विनय का साथ नहीं दिया । वह सारा धन हार चुका था और वह अकेला भाग्य का मारा नहीं था | उसके समान अनेको जुआरी उस दिन के बाद अपना शेष जीवन परिवार सहित सड़क की खाक छानने के लिए मज्रबूर हो चुके थे |

उसके पास जहर खरीदने के लिए भी पैसा नही बचा था ।

एक सप्ताह बाद विजय गुप्ता फाइनेन्स के पास पहुंचा ।

विजय ने कहा ‘कृपया अगली किश्तें जारी कर दें ।‘

इस पर फाइनेन्सर ने गुस्से मे कहा ‘ हम सटृबाजों को पैसा नहीं देते हैं । ’

विजय को बड़ा आश्चर्य हुआ कि गुप्ता को उसके शौक के बारे मे कैसे पता चला ! उसने गुप्ता से बड़ी मिन्नते की किन्तु गुप्ता उसे बुरी तरह डांट कर अपनी पहली किश्त ब्याज सहित वापस मांगने लगा ।

फायनेंसर उधार धन लेने वाले के पीछे अपने जासूस छोड़कर गुप्त रूप से उसकी सारी खोज खबर लेते रहते हैं |

इस पर विजय ने कहा ‘ जैसे ही मेरी फिल्म कमाने लगेगी,मैं आपका पैसा मय सूद के वापस कर दूंगा ।’

वह बड़ी मुश्किल से वहां से जान बचाकर भाग पाया ।

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