जुआरी फिल्मप्रोड्यूसर - 4 Brijmohan sharma द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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जुआरी फिल्मप्रोड्यूसर - 4

(4)

सहारा व दुर्भाग्य
 

विजय की फिल्म की शूटिंग का काम पूरी तरह ठप्प हो गया था |

विजय लेनदारों के कारण घर से प्रायः गायब रहता | वह कभी कभार घर रात देर से लौटता । उसकी सब इज्जत धूल मे मिल गई थी।

शूटिंग के काम करने वाले अपने पेसे के लिए उसके घर के चक्कर लगा रहे थे।

उस रात को वह काफी देर से घर लौटा । घडी में रात के दो बाज रहे थे | जिंदगी से निराश वह तीन दिन बाद घर आया था। वह मुर्दे के समान अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था।

तभी उसकी मां आहट सुनकर उसके कमरे में आई व उसने कहा- ‘ विजय बेटा !

“विजय तू फिल्म के लिए साहूकारों से पैसे क्यों उधर लेता है? यहाँ गुंडे गालियां देते हुए तुझे ढूंढ़ रहे है “ |

“मै क्या करूँ माँ! मेरा पैसा ख़तम हो चुका है | फिल्म के लिए मेरी उम्मीद से ज्यादा धन की आवश्यकता है”, वह निराश स्वर में बोला |

“अरे हाँ विजय! तुम्हारे कालेज की साथी कोई विनिता घर के रोज चक्कर लगा रही है। मैंने उसे कल सुबह जल्दी आने को कहा है’, माँ ने कहा | उसे विजय पर तरस आ रहा था |

दूसरे दिन अँधेरा भी नहीं छंटा था, तभी एक युवती उससे मिलने आई ।

विजय उसे पहचान नही पाया ।

उसने कहा- ‘विजय तुमने मुझे नही पहचाना । मै विनिता हूं ! मैने तुम्हारे साथ कालेज मे हीर रांझा नाटक मे काम किया था।‘

विजय ने उसे पहचान लिया । दोनो ने काफी देर तक कालेज के बीते जमाने की बात की ।

विजय ने उससे पूछा- ‘मै तुम्हारे किस काम आ सकता हूं ?’

विनिता ने कह-‘विजय मै फिल्मो मे काम करना चाहती हूं। मुझे ब्रेक चाहिए। मैने सुना हे तुम कोई फिल्म बना रहे हो।’

इस पर विजय ने उसे विस्तार से बताया किस तरह पैसे के अभाव मे उसका फिल्म निर्माण का पूरा काम रूक गया था।

विनिता एक अमीर बाप की बेटी थी। उसने विजय को एक लाख रूपये की मदद कर दी।

शूटिंग फिर चल पड़ी। विनिता को विजय ने अपना असिस्टेंट बना लिया।

विजय की शूटिंग का कामकाज ठीक ढंग से पुनः चल निकला ।

किन्तु फिर एक दिन,

शूटिंग के दौरान ;

एक दृष्य में जंगल की आग के बीच हीरो हिरोइन का पीछा रहा था । हिरोइन एक पर्वत पर घने जंगल में उससे रूठकर दौड़ी जा रही थी । हीरो उसे मनाने उसके पीछे दौड़ रहा था । इतने में जंगल में आग लग जाती है । यह सारा दृष्य एक स्टूडियो में फिल्माया जा रहा था ।

जंगल, पेड़, पर्वत आदि सब कुछ नकली बनाये गए थे । किन्तु तभी विजय के दुर्भाग्य ने जोर मारा । स्टूडियो मे वास्तव

में आग लग गई । चारों तरफ चीख पुकार मच गई | प्रत्येक वस्तु धू धू करके जल रही थी ।

सभी लोग ‘बचाओ बचाओ ’ चिल्लाते हुऐ भाग रहे थे ।

फायर ब्रिगेड के आने तक सब कुछ जल चुका था ।

विजय के भाग्य में भी आग लग चुकी थी । उसे स्टूडियो की शर्त के अनुसार भारी हर्जाना भरना पड़ा । सारा धन फिर से खत्म हो गया । फिल्म का काम रूक गया । विजय फिर से कर्जदार हो गया, सो अलग ।

कोई भी व्यक्ति बिना पैसे विजय से बात तक करने को तैयार नहीं था ।

फिल्म इंडस्ट्री में बिना पैसे कुत्ता भी नहीं भोंकता |

 

तीन लडकियाँ
 

विजय अपने आफिस में निराश बैठा हुआ था ।

शोला ने दूसरा बायफ्रेंड ढूंढ लिया था । विनिता ने दूसरी कम्पनी जाइन कर ली थी । अपने सब बेगाने हो चुके थे । उसके चारों ओर अंधकार व निराशा थे । यही फिल्म इंडस्ट्री का हश्र है | पैसा ख़तम,अपने हुए बेगाने |

तभी उसके दफ्तर में तीन सुंदर नवयुवतियों ने प्रवेश किया । अभिवादन के बाद विजय ने उन्हें बैठने को कहा ।

उनमें से एक कहने लगी,”हम लोग इंदौर से आ रहे हैं । हमने आपके बारे में वहां खूब तारीफ सुनी थी कि आप कोई फिल्म बना रहे हैं । हमे आपका पता भी नही मालूम था । पिछले सात दिनों से हम आपका पता ढूंढते हुए मारे मारे फिर रहे हैं |अचानक आज किसी ने आपका पता बतलाया तब जाकर बड़ी मुश्किल आपसे भेंट हो पाई ।

विजय ने उन्हें अपनी आपबीती सुनाई और कहा कि धन के अभाव मे उसका सारा काम रूका हुआ था ।

विजय की बात सुनकर वे निराश हो गई |

इनमे से ऐक ने कहा, “हम यहाँ बड़ी उम्मीद लेकर आई है | कृपया हमारे लिए कुछ तो कीजिए |

विजय ने कहा ‘पहली बात तो यह कि आप फिल्म इंडस्ट्री में न ही आएं तो ठीक होगा । इसकी चमक दमक के पीछे काला अंधेरा है।’

‘आप के साथ हम सुरक्षित रहेंगे ।’ तीसरी ने कहा

यदि आप फिर भी फिल्मो में काम करना चाहती है तो कृपया यह यह बात अच्छी तरह से समझ ले कि यहाँ प्रवेश करने के लिए दो चीजो की सख्त आवश्यकता है,

१ हुस्न(फ्री सेक्स) 2 धन

पहली ने कहा, “ हम यहाँ आने के पूर्व ही हर परिस्थिति के लिए समझौता करने का मन पहले ही बना चुके है|”

“यदि आप लोग कुछ धन की व्यवस्था कर सकें तो मेरा काम फिर प्रारंभ हो सकता है, हम गरीब परिवार की हैं लड़कियां है ।’

उनमें से दूसरी बोली ‘हमारे पास बहुत थोड़ा रूपया हे । आपको कितना चाहिए?

’‘दो लाख रूपया ’

‘हम अधिक से अधिक पच्चीस हजार की व्यवस्था कर सकते हें । हम गरीब लोग हैं । ’

विजय ने सोचते हुए कहा, ‘ठीक है । इतने रूपयों से ऐक सप्ताह का खर्च तो निकल ही जाएगा ।’

वे बात कर ही रहे थे कि इतने मे एक बड़े फाइनेन्सर के पुत्र मधु ने वहां प्रवेश किया । विजय ने उठकर गर्मजोशी से उसका स्वागत किया ।

‘तुम तो हमे भूल ही गए मधु ।’ विजय ने कहा |

‘नहीं यार, मैं भला तुम्हे कैसे भूल सकता हूं ! “

विजय ने कहा ‘ यार मधु ! धन की कमी से मेरा सारा काम रूक गया है ।अब तुमसे ही थोड़ी आशा है ।’

‘विजय! फाइनेन्स का सारा काम मेरे पिता देखते हैं । मैं उनसे कहकर देखता हूं।’

मधु इस बीच तीनों लड़कियों को ललचाई निगाह से घूरे जा रहा था ।

सुन्दर लड़कियों की तलाश में अनेक धनाढ्य युवक फिल्म निर्माताओ के चक्कर लगाया करते हैं | अपनी इच्छा पूरी करने के लिए वे उन्हें धन की पेशकश करते रहते है | धन के अभाव में रुकी हुई अपनी फिल्म को पूरी करने के लिए निर्माता आम तौर पर उनके शौक पूरे करते हैं । फिल्मो में प्रवेश करने के पहले ही अनेक निर्माता लडकियों से फ्री सेक्स की शर्त रख देते है |

विजय ने उसे भांपते हुए कहा ‘मधु आज रात तुम होटल “सी शोअर” में हगारे साथ पार्टी मे आ रहे हो । मैं और मेरी ये तीनों दोस्त वहां तुम्हारा बेसब्री से इंतजार करेंगे।’

अपनी तमन्ना पूरी होती देख मधु ने बड़े जोश से विजय व लडकियों से हाथ मिलाया |

तीनों लड़कियों ने एक स्वर में कहा, “हमे आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा,मधुजी!“

मधु यही चाहता था ।

उस रात होटल मे विजय व मधु ने तीनो लड़कियों के साथ पूरी रात तरह तरह से खूब मजे किए ।

नाउम्मीद
 

उस रात के बाद दो सप्ताह तक मधु का कोई फोन नही आया ।

तब एक दिन विजय मधु फाइनेन्स के आफिस पहुंचा ।

उसने कहा ‘तुम तो हमारा काम ही भूल गए मधु?’

मधु ने कहा ‘विजय ! मैने कई बार पापा से आपका जिक्र किया किन्तु न जाने क्यों वे आपको मदद करने को तैयार नही हैं । तुम खुद उनसे बात करके देख लो।’

इस पर विजय मधु को साथ लेकर उसके पापा से मिलने पहुचा ।

उसने डायरेक्टर को प्रणाम किया और उनके सामने बैठ गया ।

मधु ने विजय व उसकी फिल्म के बारे में पापा को बताया ।

मधु के पापा ने बेरूखी से कहा ‘ हम सट्टेबाजों से सौदा नहीं करते हैं’ |

उसकी बात सुनकर विजय का चेहरा उतर गया ।

वह कहने लगा, “अंकल ! एक बार आप मुझे आजमाए,मै आपको निराश नहीं करूँगा “|

वह विजय की कोई बात सुनने को तैयार नहीं था ।

वह फोन पर किसी अन्य व्यक्ति से बात करने लगा |

निराश विजय वहां से उठकर जाने को मजबूर था |

 

चोरी
 

विजय ने अनेक जगह से फाइनेंस जुटाने का प्रयास किया किन्तु हर जगह उसे निराशा मिली |

क्हीं दाल गलती नही देख विजय ने मां से सहायता मांगी।

अधूरी फिल्म को पूरा करने के लिए विजय को धन की सख्त आवश्यकता थी । उसके लिए वह चोरी डकैती तक करने को तैयार था । उसकी फिल्म आधे से अधिक पूरी हो चूकी थी ।

उसने अपनी मां की दाढ़ी सहलाते हुए कहा ‘मेरी प्यारी मां ! मुझे पचास हजार रूपये की मदद कर दे । में तेरी सौगंध खाकर कहता हूं, तेरा सारा रूपया सूद सहित लौटा दूंगा।’

इस पर मां ने कहा ‘ बेटा मैं एक साधारण शिक्षिका हूं । मेरे पास फिल्म के लिए धन कहां से आएगा ? मैं पहले भी अनेक बार तुझे फिल्म के समंदर में डुबोने के लिए पैसे दे चुकी हूं। अब मैं घर खर्च चलाउं या तुझे पैसे दूं| क्या मै पूरे परिवार को भूखा रखूं ?’

मां ने विजय को रूपये देने से स्पष्ट मना कर दिया ।

उसी समय कमरे में विजय के काका ने प्रवेश किया । विजय ने उनसे बड़ी उम्मीद से कहा ‘ काका मेरी फिल्म का काम बस थोड़ा सा ही शेष बचा है । कृपया मुझे एक लाख रूपये की सहायता कर दीजिए । ’

पूर्व में अनेक बार काका ने उसकी मदद की थी ।

काका ने कहा ‘ विजय तुम्हे तो मालूम है मेरा बंगला बन रहा हे । मुझे खुद फाइनेन्स की आवश्यकता है ।’

अब विजय पूरी तरह से लाचार था । उसे सहायता देने वाला दुनिया मे कोई नहीं था । उसे मालूम था कि अरू व मां के खाते में रूपये हें । तब उसने एक खतरनाक प्लान बनाया ।

उस रात विजय आधी रात को घर मे लौटा । घर के सब लोग गहरी नींद मे सोए हुए थे ।

कमरे में जीरो बल्ब की मद्दिम रौशनी जल रही थी |

विजय दबे पैर अरू की बैंक की पासबुक ढूंढने लगा । उसने सभी दूर अरू की चेकबुक टटोली किन्तु वह उसे कहीं नहीं मिली । वह माँ के कमरे की और जाने को मुडा | तभी अरु की चेकबुक उसके तकिए के नीचे पड़ी हुई दिखी | उसने जैसे ही चेकबुक को उठाना चाहा, अरु ने नींद में करवट बदली व उसका सिर चेकबुक के ऊपर आ गया|

उसने कुछ देर तक अरु की पासबुक के निकलने का इंतजार किया किन्तु अरु ने करवट नहीं बदली |

निराश होकर उसने दबे पैर मां के कमरे में आधी रात को प्रवेश किया । उसकी माँ गहरी नींद में थी|

उसने कमरे की मद्दिम रौशनी बंद करके टोर्च की सहायता से मां की पासबुक व चेकबुक को ढूढने का प्रयास किया । उसने आलमारी के अन्दर, टेबल के दराज, पर्स आदि सभी जगह उसे ढूंढा। अंत में बहुत प्रयास के बाद उसे आलमारी मे दराज में छुपाई हुई दोनों चीजें मिल गई्र । मां की पासबुक मे एक लाख से अधिक रकम जमा थी । वह चुपचाप अपने बिस्तर में आकर लेट गया व सुबह होने का इंतजार करने लगा।

सुबह होते ही वह बैंक गया । उसने एक बिअरर चेक मे निन्यानवे हजार रूपये की रकम भरी ।

फिर विजय ने मां के फर्जी दस्तखत किए,जिसके लिए उसने कई दिनों की प्रेक्टिस की थी ।

उसने चेक केशियर को दिया |

कैशियर ने चेक को देखा फिर विजय को | वह विजय से परिचित था |

निन्यानवे हजार उसके हाथ मे थे । उसने एक बेग में रूपये रखे और शूटिंग के लिए रवाना हो गया