अपंग - 58 Pranava Bharti द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अपंग - 58

58

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कितना अपमानित महसूस कर रहा था रिचार्ड ! राजेश को इतना संयम और तहज़ीब नहीं थी कि जो उसे अपने पास नौकरी देकर उसका ध्यान रखता रहा है, आज उसी के लिए वह ऎसी बातें बोलकर अपना छोटापन दिखा रहा था | जिसने अपनी पत्नी को छोटा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, बच्चा ! जिसको इतने सालों तक न वह ख़ुद पहचानता था और न ही बच्चा उसे पहचानता था, वही इस प्रकार की बदतमीज़ी कर रह था और उसकी आँखों में शर्म नाम की कोई चीज़ भी नहीं थी | कैसे इतना नीच हो सकता है मनुष्य !

"तुम तो बड़े महान हो रिचार्ड ! द ग्रेट रिचार्ड ! कितने घाट का पानी पी चुके हो, पी रहे हो, मेरी बीबी पर नज़र नहीं थी तुम्हारी ?" राजेश जैसे रिचार्ड का ख़ून ही पी जाएगा, ऐसे स्वर में बात कर रहा था |

"अब इस कुलटा का फ़ेवर ले रहा है ये गोरे मुँह वाला --अरे ! हम नहीं जानते क्या, हमारी नहीं, हमारी बहन-बेटियों पर इन गोरों की कैसी गंदी नज़र रहती है ! "

राजेश पर जैसे पागलपन का दौरा पड़ गया था | कुछ न कुछ बकवास किए जा रहा था वह !

"मेरी बात छोड़ो रिचार्ड, मैं फिज़िकल रिलेशंस को बुरा नहीं मानता, हाँ. मैं शुरू से ही भानु को पसंद करता हूँ इसीलिए तो तुम चाहते थे कि मैं उसके साथ दोस्ती कर लूँ, तुम्हारा भी कुछ भला हो जाए |

"रिचार्ड को इतना गुस्सा आ रहा था कि अभी उसके चेहरे पर करारे थप्पड़ लगा दे लेकिन वह एक 'वैल-मैनर्ड' इंसान था | अपने एम्प्लॉयीज़ से भी वह बहुत सलीके से बात करता था, जहाँ तक होता था उनका ध्यान रखता था, उनका एंटरटेन्मेंट करता था, खूब पार्टीज़ देता रहता था |ऐसे मालिक से कौन ख़ुश न होता लेकिन राजेश जैसे लोग भी तो होते हैं जो खाते भी हैं, गुर्राते भी हैं |

"इस औरत का आदमी ज़िंदा है और ये बेशरम अपने आदमी को छोड़कर मेरे बेटे के साथ किसी और आदमी के साथ रह रही है ---" कैसा अजीब आदमी था यह राजेश ! भानु ने अपना सिर पीट लिया | वह अपने सिर पर हाथ रखे बैठी सोच रही थी और रिचार्ड को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करे ?

"यू वर अवेयर ऑफ़ माय कैरेक्टर ---फिर क्यों अपनी वाइफ़ को मेरे पास भेजने की कोशिश करते रहे ?क्या यह तुम्हारी कल्चर का ही पार्ट है ?" उसने एक लम्बी साँस ली और बोला ;

" मेरी तो कितनी ही गर्लफ्रैंड्स थीं, मैं किसी से छिपाता नहीं लेकिन अगर उन्हें कभी भी मेरी ज़रुरत पड़ी, मैं हमेशा उनके साथ खड़ा रहा ---और तुम अपनी प्रेग्नेंट वाइफ़ को छोड़कर रुक के साथ गुलछर्रे उड़ाते रहे --- ग्रेट ! मुझे छोड़ो, मैं ऐसा ही हूँ पर तुम तो राम के देश के हो, एक वाइफ़ के लिए सिन्सियरटी है न वहाँ  --मैं भानु को ऎसी हालत में नहीं छोड़ सकता था, कोई अपने बच्चे के लिए कैसे इतना क्रूअल हो सकता है ? "

" --और भानु, यू आर रीयली ग्रेट --तुम इस इंसान से इतनी डरती हो जिसको तुम्हारे दुःख, तकलीफ़ की कोई चिंता ही नहीं है ? और इसे अपनी बेगुनाही के बारे में सफ़ाई देने की कोशिश करती रहीं तुम ?"

"नहीं, मैं कोशिश करती रही कि मेरा घर न टूटे पर अब टूटने को कुछ रहा है क्या ? किस अधिकार से यह मुझसे सफ़ाई की उम्मीद कर रहा है ? राम कौनसा सीता का विश्वास कर सके थे लेकिन वो राम थे, एक पत्नी साथ न्याय किया था उन्होंने, उनकी कोई इज़्ज़त थी लेकिन इस आदमी की --नहीं रिचार्ड, आइ एम नॉट फोर्स्ड टू एक्सप्लेन एनीथिंग टू एनी वन ---" भानु बहुत बहुत दुखी थी | इस आदमी से शादी करके कैसा बना लिया उसने अपना जीवन !

"तो तू मुझे अपना पति और बच्चे का पिता नहीं मानती न ?"

भानुमति चुप रही, कुछ क्षणों बाद बोल उठी ;

" कितना समझाया था माँ-बाबा ने, फिर भी मैंने अपना जीवन बर्बाद कर ही लिया |"

"तेरा कुछ बर्बाद नहीं हुआ, मैंने बर्बाद कर लिया अपना जीवन --तुझ जैसी लड़की से शादी करके -- " राजेश चिंघाड़ा |

"प्लीज़ बी क़्वाइट एंड आउट ---भानुमति सच में तुम्हारे लायक नहीं थी | अब अगर कुछ भी बोलै तो आइ विल कॉल द पोलिस ---" रिचार्ड को बहुत गुस्सा आ गया |

"तुम बार बार मेरे और मेरी बीबी के बीच में बार-बार बोल रहे हो !"

" और तुम जो भानु की इंसल्ट बार-बार कर रहे हो ?"

"ओ ! श्योर --कॉल द पोलिस ---पता तो चले क्या -क्या चल रहा है ?"बेशर्म इंसान ढीठ बन गया था | पुलिस आती तब प्रश्न तो उठता ही ---- भानु उसकी लीगल पत्नी तो थी ही | उसका तलाक हो जाता तब बात अलग थी लेकिन अब तो रिचार्ड और भानु पर ही उसका आक्षेप आ सकता था | सभी इस बात को जानते थे | न जाने राजेश का दिमाग़ कैसे अचानक घूम गया, शायद उसे लगा कि अभी उसके पास कोई भी काम नहीं है और जीवन के लिए पैसा तो चाहिए | क्या करेगा वह ? अपनी गलती हर इंसान जानता ही है लेकिन विवेक खो देने से अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार चुका था| कहाँ जाएगा वह ? रुक से भी लड़ाई कर चुका था, बीवी को तो वह पहले ही खो चुका  था |अब नौकरी ?