हीर रांझा की एक अधूरी प्रेम कहानी - 6 Akash Gupta द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हीर रांझा की एक अधूरी प्रेम कहानी - 6


"हीर रांझा से कहने लगी, ‘मैंने ना तो तुम्हें पीटा और ना ही कुछ ऐसा कहा जो तुमको बुरा लगे’
रांझा ने जवाब दिया, ‘यह दुनिया एक सपने की तरह है। ऐ खुद पर नाज पर करने वाली शहजादी, तुमको भी एक दिन यहां से जाना है। तुमको किसी अजनबी से ऐसा सुलूक नहीं करना चाहिए। किसी गरीब को नहीं दुत्कारना चाहिए। ये लो तुम्हारा बिस्तर और गद्दा, मैं जा रहा हूं…फिर कभी नहीं दिखूंगा।’

रांझा ने इतना कहा ही था कि हीर बोल पड़ी, ‘अब ये हीर तुम्हारी है। मैं अपनों के बीच भटक रही थी लेकिन मुझे कोई रास्ता दिखाने वाला अब तक नहीं मिला। लेकिन अब खुदा ने तुमको मेरे लिए भेज दिया है।’

रांझा ने जवाब दिया, ‘ऐ खूबसूरत लड़की, आशिक और फकीर हमेशा प्यार के बोल से वश में आते हैं। तुम्हारे हुस्न के शराब ने मेरे होश जरूर खराब किए हैं लेकिन तुम्हारे दिल में मेरे लिए इज्जत नहीं है।’

हीर ने कहा, ‘मैं तेरी गुलाम हूं। मुझे बताओ मेरे मीत, तुम कब से इधर आए हो? क्या किसी घमंडी औरत ने तुमको घर से निकाला है? तुम क्यों यहां-वहां भटक रहे हो? तुम कौन हो? किस औरत से तुमने शादी की जिसने तुमको छोड़ दिया और जिसके लिए तुम इतने दुखी हो? तुम्हारी आंखें तो हिरन की आंखों की तरह नाजुक हैं। तुम जब बोलते हो तो फूल झड़ते हैं। मैं तुम्हारी गुलाम हो चुकी हूं। मेरे मितवा, क्या तुम मेरे पिता के यहां काम करना पसंद करोगे। तुमको भैंसों को चराना होगा। मेरे घर में तुम नौकर की हैसियत से रहोगे। क्या तुमको मेरी ये योजना पसंद है?’

रांझा बोला, ‘मैं रांझा, जात का जट हूं। तख्त हजारा से आया हूं। मैं चौधरी मौजू का सबसे प्यारा बेटा था। लेकिन पिता के मरने के बाद मेरे भाइयों ने मुझसे सब कुछ छीन लिया। अगर तुमको इस बात से खुशी मिलेगी कि मैं तुम्हारे यहां काम करूं तो तुम्हारी पलकों की छांव में रहते हुए यह जरूर करूंगा। और, तुम्हारा दिल जो चाहेगा मैं वही करूंगा। लेकिन मैं तुमसे कैसे मिल पाऊंगा? तुम तो अपने सखियों से साथ मुझे अकेला छोड़ चली जाओगी और मैं तन्हा मरता रहूंगा। कोई उपाय बताओ।’"

"हीर ने कहा, ‘मैं तुम्हारी खिदमत में हमेशा रहूंगी, रांझे और मेरी दासियां तुम्हारा हुक्म बजाएंगी। चार आंखों और होठों के मिलन के लिए जंगल से बेहतर और कौन जगह हो सकता है? इश्क की मंजिल तो दो प्रेमियों का मिलन है। खुदा ने मुझे आशिक के रूप में तुमको दिया है और मैं रिश्ते-नाते-दुनिया सबको भूल चुकी हूं।’
रांझा ने जवाब दिया, ‘हीर, तुम तो अपनी सखियों के साथ मौज करोगी और मैं तुम्हारी हवेली में उदास अकेला भटकता रहूंगा। कोई मुझ पर ध्यान नहीं देगा। मुझसे छल मत करो। अगर तुम सच्ची हो तो अपनी बात याद रखना। अजनबी को सहारा देकर एक दिन मुंह मत फेर लेना।’

हीर ने जवाब दिया, ‘मैं कसम खाती हूं रांझे कि अगर मैंने तुमको धोखा दिया तो खुदा मुझसे मेरे मां-बाप छीन ले। तुम्हारे बगैर मैं खाने की तरफ नजर तक नहीं उठाऊंगी। मैं अपना प्यार तुम्हारे सिवा और किसी को नहीं दूंगी। अगर मैं तुम्हारे सिवा और किसी को अपना पति चुनूं तो मैं अंधी हो जाऊं।’

रांझा ने फिर कहा, ‘हीर, इश्क का रास्ता बहुत मुश्किल है। मेरा दिल उलझन में है। इश्क तलवार से भी ज्यादा खौफनाक है, जहरीले सांप के विष से भी ज्यादा जहरीला है। मुझसे वादा करो कि तुम सच्ची हो तो।’

हीर रांझा को सच्चे प्यार का यकीं दिलाकर अपने पिता चूचक के पास ले आई। पिता के सामने हीर रांझा के ठीक बगल में खड़ी हुई।

हीर पिता से बोली- मेरे अब्बू, आपके खातिर मेरी जान भी चली जाए तो कम है। आपकी छांव में रहकर मैं इतनी खुश जिंदगी जी रही हूं। मैंने आपके लिए एक चरवाहा खोजा है जो हमारे भैंसों की देखभाल कर सकता है।"