Secret Admirer - Part 69 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Secret Admirer - Part 69


"तुम सच में इस बात पर यकीन करती हो?"

"हां बिलकुल। मैं नही मानती की रिश्ते सिर्फ फिजिकल नीड्स से ही जुड़े रहते हैं या फिर उसके बिना। मेरा मानना है की रिश्ता अटूट बनाने के लिए सब कुछ जरूरी है। मैं कभी भी आपके खिलाफ नही जाती अगर उस रात आप उसके साथ सोए होते।"

"मैं डर गया था, मैं डर गया था जब मैने आज उसे अचानक देखा। यह सोच कर की कहीं वोह तुम्हे यह बात ना बता दे और तुम मुझे फ्रॉड समझने लगो। की मैं तुमसे प्यार करने का दावा करता हूं, महिमा से भी प्यार का दावा करता हूं, और इतनी आसानी से किसी और के साथ भी बहक जाता हूं।"

"मैं आपको किसी और के झूठे दावों से ज्यादा जानती हूं। और आपकी जानकारी के लिए बता दूं, की आप इतनी आसानी से किसी के साथ नही बहक जाते हैं। कोई भी आपको मुझसे ज्यादा नहीं जानता है।

"तुम यह नहीं कह सकती की मैं तुम्हारे सामने नही बेहकता" कबीर ने धीर से कहा और उसका हाथ पकड़ लिया। अमायरा मुस्कुरा पड़ी।

"क्या हम अब चलें?" अमायरा ने बात बदलते हुए कहा।

"क्या तुम मुझ पर सच में गुस्सा नही हो।?"

"मैं आप पर क्यों गुस्सा होंगी? अगर कुछ हुआ भी है तो वह बस एक गलती है, आपको उसके लिए अपने आप को माफ कर देना चाहिए। और उस बेकरार आत्मा को मुझ पर छोड़ दीजिए; मैं उसका अच्छे से ध्याने रखूंगी अगर वोह पार्टी में आई तोह।

"पर तुम....."

"आप मुझे पर बिलकुल भरोसा नहीं करते? आपको लगता है की मैं अभी भी आप डाउट करूंगी, अगर उस पार्टी में उसने मुझसे आपके बारे में कुछ कहा?"

"नही ऐसा नही है। मैं बस उस पर भरोसा नही करता हूं। मैं नहीं जानता कि और क्या क्या वह झूठ बोल सकती है।,"

"उसके कुछ भी कहने से आप पर मेरा भरोसा कभी नहीं हिलेगा। तू अब परेशान होना बंद कीजिए और उस किस्से को भूल जाइए यह सोच कर की वोह बस गलती थी। हर कोई कभी न कभी गलती कर बैठता है। यह सोच लीजिए की अपने नशे की हालत में एक गलती कर दी थी और अब उस बात को वहीं भूल जाइए। हर किसी को कुछ गलतियां करने का और माफी पाने का हक है, अगर वोह गलती आपने खुद की हो तोह भी।" अमायरा ने कहा और कबीर ने तुरंत उसे सीने से लगा लिया।

"थैंक यू अमायरा। यू नो यू आर द बेस्ट।"

"डेट आई एम।" अमायरा ने इतराते हुए कहा और कबीर ने उसके गाल पर चूम लिया।

"तुम सच में मानती हो की लोगों से गलतियां हो जाती हैं और एक वक्त पर आके उन्हे माफ कर देना चाहिए?"

"हां।" अमायरा ने जवाब दिया।

"तोह फिर तुम अपनी मॉम को क्यूं नही माफ कर देती?" कबीर ने पूछा और अमायरा की आवाज़ ही बंद हो गई।

"वोह अलग बात है।"

"नही। यह अलग बात नही है। बात बस इतनी सी है की कुछ कड़वी पुरानी यादों को भूल कर हमारे चाहने वालों को माफ कर देना है, और खुद को भी। अगर यह बात मेरे ऊपर लागू होती है तो तुम्हारी मॉम पर क्यूं नही।" कबीर ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा और अमायरा ने गहरी सांस ली।

आखिर कबीर सच ही तोह के रहा था, एक दिन उसे अपनी मॉम को माफ कर ही देना है, उसे उनसे बात करनी ही है। वोह जिंदगी भर तोह उनसे नाराज़ नहीं रह सकती। पर यह बाद की बात थी।
अभी के लिए, उसके पास और भी बहुत सी वजह थी काम करने के लिए। वोह धीरे धीरे कबीर की तरफ कदम बढ़ाने लगी थी पर इस इंसिडेंट ने एक बार फिर अमायरा को डरा दिया था।

अगर वोह अपने आप को माफ नही कर रहा है की बस उसने एक लड़की को किस कर लिया, और यह सोचता है की उसने महिमा को इस वजह से धोखा दे दिया, तोह क्या होगा अगर वोह हमारे बारे में भी ऐसा ही सोचने लगे, कुछ समय बाद? अगर उन्हे सच में यह लगने लगे की उन्होंने गलती कर दी? और मैं तोह उनके बिना खुश रह ही नहीं सकती। क्या होगा अगर उन्होंने मुझे अपनी एक गलती समझ कर छोड़ दिया?

यह डाउट अमायरा के मन में पूरा दिन रहा। ऐसे विचार उसके मन में पहले भी आते थे, लेकिन इस बार वोह वाकई डर गई थी। उसे समझ ही नही आ रहा था की वोह अब क्या करे। वोह कैसे अपने आप को समझाएगी अगर कबीर ने उसे बीच में ही छोड़ दिया, अगर वोह यह सोचने लगे की उनका रिश्ता भी कबीर के पहले प्यार से धोखा है? प्यार जो कभी कबीर के जिंदगी से गया ही नहीं, इतने सालों के बाद भी। इतना सच्चा और पक्का प्यार की अगर कोई परछाई भी उसे छू जाए तोह वोह अपने आपको गिल्टी महसूस करने लगता है। क्या होगा, अगर एक दिन कबीर ने उससे आ कर यह कहा की उसने उसे गिल्टी कर दिया है उसके प्यार के प्रति धोखे के लिए। उसकी महिमा के प्रति। तब उस प्यार का क्या होगा जिसका दावा आज कबीर करता है, अचानक ही अमायरा असमंजस में पड़ गई की कबीर की उससे प्यार था भी की नही। वोह कैसे अपने टूटे हुए दिल को संभालेगी अगर कबीर ने एक दिन आ कर उससे कह दिया की वोह उससे प्यार नही करता, बस एक गलती थी, एक आकर्षण हो गया था उसे उससे, जो की टूट गया?
अचानक ही उसका दिल घबराने लगा, सांस लेने में दिक्कत होने लगी, पर किसी को बता भी नही सकती थी। कबीर ने उसे घर पर ड्रॉप किया और अपने भाई के साथ शादी की तैयारी के लिए किसी काम से बाहर चला गया। वोह सारा दिन अपने आप को बहुत मजबूत बनाए हुए रखी थी, अपने आंसुओं को झलकने से रोके हुए थी, जो बार झरोखों से झांकने की धमकी दिए जा रहा था। अपने मन में चल रहे उथल पुथल को किसी पर जाहिर नही होने देना चाहती थी। फिर दिन भर की उसकी जद्दोजहत के बाद आखिर रात हो गई। वोह रात जब वोह उसकी बाहों में सोती थी, सुकून से, चैन से, खुशी से। अब वोह यह कैसे करेगी? आज रात को वोह उसकी बाहों में कैसे सोएगी? और कितने दिनों तक यह सब चलता रहेगा? एक दिन तोह उसे यह बताना ही होगा की उसकी जगह नहीं है इस घर में, उसके दिल में, उसकी बाहों में, क्योंकि कबीर का दिल तोह सिर्फ एक ही इंसान के लिए धड़कता है, और वोह वो नही है, वोह अमायरा नही है।

उसे समझ नही आ रहा था की वोह कबीर का सामना कैसे करे, उसे समय चाहिए था अपने दिल को मजबूत करने के लिए, इससे पहले की वोह फिर से कबीर के सामने आए। यह उसका बैड लक था की अगला दिन सन्डे था और कबीर घर पर ही रहेगा। डिनर का वक्त हो चुका था और तीनों भाई अभी तक घर वापिस नही आए थे क्योंकि तीनों बाहर ही खा कर आने वाले थे। अमायरा ने जल्दी से डिनर किया और अपने कमरे में चली गई। उसने अपने कपड़े चेंज कर नाइट सूट पहन लिया और जल्दी से बैड पर सोने के लिए लेट गई, ताकि वोह कबीर को अवॉइड कर सके। पर वोह जानती थी की बीना कबीर के उसके लिए सोना बहुत मुश्किल था। वोह बार बार करवटें बदल रही थी और अपने आप को कोस रही थी की क्यूं उसे कबीर की आदत लग गई। तभी उसने बाहर से किसी की आवाज़ सुनी तोह वोह अपनी जगह पर करवट बदल कर लेट गई, और अपनी सांसों को थामने की कोशिश करने लगी। ताकि वोह कबीर की यकीन दिला सके की वोह सो चुकी है और वोह उससे दूर रह सके।

कबीर थोड़ी देर बाद कमरे में आया और अमायरा की तरफ देखने लगा। उसने अपने कपड़े लिए और बाथरूम की ओर चला गया। थोड़ी देर बाद वोह नाइट सूट पहने बाहर आया। वोह जब बाहर आया तोह उसने अमायरा को अभी भी वोही पोजीशन में सोते देखा, जो की किसी भी इंसान के लिए पॉसिबल नही था अगर वोह सुकून से सो रहा है तोह। और उसे एक नज़र गौर से देखने के बाद कबीर को यकीन हो गया की वोह सो नही रही थी। बस सोने का नाटक कर रही थी। पर क्यूं? क्या वोह सच में सेजल वाले किस्से से परेशान हो गई है? पर वोह दिन में तोह ठीक थी ना?

"तुम सोने का नाटक क्यूं कर रही हो जब तुम जानती हो की मेरे बिना तुम्हे नींद नही आती?" कबीर ने पूछा पर उसे कोई जवाब नही मिला।

"अमायरा, मैं तुमसे बात कर रहा हूं।" एक बार फिर कबीर को अमायरा का कोई जवाब नही मिला तोह वोह उसके पास आ कर बैठ गया।

"क्या हुआ है?" कबीर ने उसे हल्का सा हिलाते हुए पूछा।

"मैं सो रही हूं। क्या मैं सो भी नही सकती?" अमायरा ने झूठी उबासी लेते हुए कहा पर कबीर को यकीन नही दिला पाई।

"उठो अमायरा। हमे बात करने की जरूरत है।"

"मैने कहा ना की मैं सोना चाहती हूं।"

"बाद में। अभी उठो पहले। और बताओ यह सब क्या है?"

"मैने कहा ना कुछ नही। मैं बस बहुत ज्यादा थक गई हूं। बहुत काम था आज।" अमायरा ने जवाब दिया। उसे कबीर के इनसिस्ट करने पर उठ कर बैठना पड़ा था।

"तुम सेजल की वजह से परेशान हो?"

"नही। मैं क्यूं होंगी?"

"अगर वोह बात नही है, तोह तुम इतनी डिस्टर्ब क्यूं हो? तुम बिलकुल ठीक थी जब मैने तुम घर ड्रॉप किया था। क्या यहां पर कुछ हुआ है? मॉम? इशिता? क्या किसी ने तुमसे कुछ कहा है?" कबीर को चिंता होने लगी थी।

"किसी ने मुझसे कुछ नही कहा है। आप इतना क्यूं परेशान हो रहे हैं जानने के लिए जबकि मैं आप को बता चुकी हूं की कुछ नही हुआ है?" आज अमायरा की आवाज़ कुछ ऊंची हो गई थी जो की नॉर्मली कबीर के सामने कभी नही हुई थी।

"क्योंकि तुम्हारा पति होने के नाते और तुम्हारा सबसे अच्छा दोस्त होने के नाते, मुझे जरूरत है यह जानने की तुम्हे क्या परेशान कर रहा है।" अमायरा ने नोटिस किया की कबीर ने उसी की बात उसी को सुना दी लेकिन उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया।

"कुछ भी नही हुआ है।"

"अगर तुम मुझे नही बता रही तोह मैं जा रहा हूं अपनी मॉम और तुम्हारी मॉम के पास पूछने की तुम्हे क्या हुआ है।"

"कुछ भी नही हुआ है। आप मेरी बात का यकीन क्यों नही करते?" अमायरा रोने लगी थी।

"क्योंकि मैं तुम्हारी आंखे पढ़ सकता हूं। मैं जानता हूं की तुम झूठ बोल रही हो। अगर घर में कुछ नही हुआ है तोह इसका मतलब जरूर तुम सेजल की बात से ही परेशान हो।"

"उसकी वजह से कोई बात नही है।"

"पर कुछ तोह बात है, है ना?" कबीर ने अंदाज़ा लगाते हुए कहा।

"हां। है। बात तोह है। और हां, मुझे लगता है की आज मुझे आपको साफ साफ सब बता देना चाहिए।" अब वोह इरिटेट होने लगी थी। "तोह बात यह है की मैं यह एक महीने वाला ड्रामा अब यहीं खत्म कर रही हूं। मेरे को अब इस चीज का हिस्सा नहीं बनना। मुझे अब वापिस अपने उसी कंफर्ट जोन में जाना है, दोस्ती वाले। नो रोमांस, नो लव। जस्ट ट्रस्ट एंड कंफर्ट। और कुछ नही।" अमायरा ने कहा और कबीर दंग रह गया।

"क....क्या? क्या हुआ है अमायरा? तुम लंच तक तो ठीक थी। व्हाट्स रॉन्ग बेबी?" कबीर ने प्यार से पूछा और उसका सिर सहलाने लगा।

"मुझे बेबी मत कहिए।" अमायरा ने कबीर का हाथ बेरुखी से झटक दिया। "मैं कोई बेबी नही हूं।"

"ओके। तुम नही हो। पर तुम्हारे अचानक गुस्सा होने की वजह जान सकता हूं?"

"कुछ भी अचानक नही हुआ है। यह सब आपकी वजह से हुआ है, और यह आपके स्टूपिड से फीलिंग्स की वजह से की आप मुझसे प्यार करते हैं। जबकि हम दोनो जानते हैं की यह सच नहीं है।"

"कैसा सच?"

"यही की आप मुझसे प्यार नही करते। आप कभी कर ही नही सकते। आपने कभी किया ही नहीं। आप सिर्फ महिमा से प्यार करते हैं। आपको मुझ पर बस दया की भावना है, मुझसे सिंपैथी है और इन्फेचुएशन। और एक दिन यह सब गायब हो जाएगा और मेरे हाथ कुछ नही रहेगा। आप मुझे अपनी ज़िंदगी से बाहर निकल फेंक देंगे यह कह कर मेरी वजह से आपने अपनी महिमा को धोखा दे दिया, और मैं तब कहीं की भी नही रह पाऊंगी। ना ही पति होगा, ना ही दोस्त। कुछ भी नही। इसलिए मैने डिसाइड किया है की हमे दोस्त ही बने रहना चाहिए। सिर्फ दोस्त और कुछ भी नही।" अमायरा रोने लगी और कबीर घबराने। कबीर ने कभी नही सोचा था की अमायरा अपने दिल में इतना कुछ भरे हुए है।

कबीर ने कभी नही सोचा था की अमायरा अपने दिल में इतना कुछ भरे हुए है।

"अमायरा तुम सब ग़लत समझ रही हो। मैं तुम्हे सच में बहुत प्यार करता हूं। तुम्हे ऐसा क्यों लगता है की मैं नही करता?" कबीर उसे समझाने की कोशिश कर रहा था पर अमायरा कुछ समझने को तैयार नहीं थी।

"नही। मैं जानती हूं की आप मुझसे प्यार नही करते। मैने आपको देखा है उनसे प्यार जताते हुए, उनके लिए शोक मनाते हुए, उनके लिए दुनिया से लड़ते हुए, अपने परिवार से लड़ते हुए, बल्कि मुझसे भी उनके लिए लड़ते हुए। और यहां तक की अपने आप से लड़ते हुए यह सोच कर की आपने उन्हे धोखा दिया है। वोह कहीं नहीं गई है; वोह यहीं है, आपके साथ, आपके आस पास। हर जगह। आप मुझसे कैसे प्यार कर सकते हैं, जबकि आपको मेरी ज़रूरत ही नहीं है, क्योंकि वोह है आपके पास हमेशा से? मैं जानती हूं की मैं भ्रमित हो गई थी जब मैने आपको एक महीना दिया था सोचने के लिए की शायद
एक चांस है की हम साथ रह सकते हैं, पर मैं गलत थी। हम एक साथ नही हो सकते, कभी भी नही। वोह है बस जिससे आप प्यार करते हैं, बस वोह ही।" अमायरा रोते रोते बोल रही थी और कबीर बस हैरान सब सुन रहा था, रिएक्ट करने के लिए असमर्थ महसूस कर रहा था। लेकिन करना तोह था ही और उसने किया भी।

"प्लीज पहले शांत हो जाओ।"

"शांत हो जाऊं? आप चाहते हैं की मैं शांत हो जाऊं? यहां तक की यह जानने के बाद की एक बार आपका मुझ पर से मोह खतम हो गया, आप अपने पुराने दिन में वापिस चले जायेंगे, की आपको यह महसूस होने लगेगा की मैं ही जिमेदार हूं आपके प्यार से बेवफाई करने के लिए। और क्या चाहते हैं आप मुझसे की मैं क्या करूं? मान लूं की आप मुझसे प्यार करते हैं; कह दूं की मैं भी आपसे प्यार करती हूं? आपके साथ खुशी खुशी रहूं, और उस कयामत के दिन के आने का इंतजार करूं, हमेशा डरती रहूं की कब आप बदल ना जाए और आपको सच्चाई का पता ना चल जाए की आपको मुझसे कोई प्यार नही है। और फिर उसके बाद क्या होगा, हम हमेशा ऐसे ही सबको दिखाने के लिए खुश रहने का नाटक करते रहेंगे? और क्या होगा अगर हमे बच्चे हो गए, और आपको अचानक यह लगने लगे की आपने महिमा को धोखा दिया है जब आप अपने सामने अपने बच्चों को देखें? तब मैं आपके लिए क्या मायने रखूंगी? मेरे बच्चे आपके लिए क्या मायने रखेंगे? एक गलती? वोह गलती जिसे आप जिंदगी भर कोसते रहेंगे क्योंकि उस गलती को आप कभी भी बदल नही सकते।" अमायरा रोती रही, और कबीर की सांसे ही अटकी हुई थी। उसे अब समझ आने लगा था की उसके दिमाग में यह सब कहां से आया।

"ऐसा नहीं है जैसा तुम सोचती हो अमायरा।"

"क्या सच में? क्योंकि मुझे यही दिखता है। मैने कभी भी आपसे महिमा को भूलने की उम्मीद नही की, कभी भी आपसे यह एक्सपेक्ट नही किया की आप मुझे प्यार करे। तोह आपने सब क्यों खराब कर दिया जब सब कुछ सही चल रहा था? मैं अपनी जिंदगी से खुश थी, कुछ चीजों की कमी थी मेरी जिंदगी में बस, मेरे अपनो का प्यार, पर मैं तब भी खुश थी, कभी कुछ ज्यादा की उम्मीद नही की। पर अब आपने मुझे लालची बना दिया है, आपके मुझे पर इतना अटेंशन देने की वजह से। मुझे यह महसूस करा कर की अपने लिए जीना कोई बुरी बात नही है, अपने लिए कुछ चाहना कुछ गलत नही है। मैने कभी नही सोचा था की मेरी जिंदगी में कभी भी ऐसा होगा, पर मुझे आपकी जरूरत है जैसे जीने के लिए ऑक्सीजन की। मैं कैसे जियूंगी जब आप मुझसे मेरी जीने की वजह ही छीन लेंगे? आपने ऐसा क्यों किया? क्यूं?" अमायरा रोती रही, बिखरती रही और कबीर को शब्द ही नही मिल रहे थे की उसके दुख को कम कर सके।

"ठीक है, अगर तुम्हे लगता है की मैं झूठ बोल रहा हूं और तुम बस दोस्त बन कर रहना चाहती हो तोह मैं उसके लिए भी तैयार हूं। पर प्लीज रोना बंद करो अब।"

"देखा, यही तोह मैने आपसे कहा था। आप इतनी आसानी से मान गए, राहत मिल रही थी की इतनी आसानी से इस ड्रामा से बाहर आ गए। अगर आप मुझसे सच में प्यार करते तोह लड़ते मुझसे, मेरे लिए, मुझे पाने के लिए। पर आपने ऐसा नहीं किया। और इससे यही मतलब निकलता है की हम दोनो एक दूसरे के लिए नही बने हैं। मैं कभी भी इतनी भाग्यशाली नही रहीं हूं की किसी का प्यार मुझे मिल सके, कभी नही।" अमायरा ने और रोना शुरू किया और कबीर ने चुपचाप उसे गले लगा लिया। वोह यह जानता था की इस वक्त अमायरा उसकी कोई बात नही सुनेगी और ना ही समझेगी।

"शशशशशश.......शांत हो जाओ। थोड़ा पानी पी लो।" कबीर ने उसे बैड साइड टेबल से पानी का ग्लास उठा कर दिया और फिर उसकी आंखें में से आंसू साफ किया। उसे पकड़ कर उसे चुपचाप बैड पर लिटा दिया। कबीर उसके बगल में लेट गया और हाथ फैला कर उसे बाहों में भर लिया। कुछ देर तक अमायरा विरोध करती रही लेकिन रोने की वजह से इतनी भी ताकत नहीं बची थी की ज्यादा देर तक स्ट्रगल कर सके। कबीर उसे लगातार उसके बाल सहलाता रहा जब तक की वोह गहरी नींद में नही चली गई और हल्की हल्की धीरे धीरे खर्राटों को आवाज़ ना आने लगी।

गहरी नींद में जाने के बाद अमायरा करवट बदल कर कबीर की बाहों से छूट गई लेकिन कबीर उसे ऐसे ही देखता रहा और सोचता रहा की किस वजह से अमायरा आज इतना फूट पड़ी। अमायरा ने कहा था की कबीर एक दिन महिमा को धोखा देने के लिए ब्लेम करेगा, क्या वोह अपने आप को सेजल से कंपेयर कर रही है? पर वोह ऐसा क्यों कर रही है? क्या वोह यह नही जानती की वोह क्या है उसके लिए? की वोह महिमा से कोई कम कीमती नही है उसके लिए। पर क्या कबीर ने उसे ऐसा कभी कहा है?

नही

क्या वोह अपने आप को सेजल से कंपेयर कर रही है? पर वोह ऐसा क्यों कर रही है? क्या वोह यह नही जानती की वोह क्या है उसके लिए? की वोह महिमा से कोई कम कीमती नही है उसके लिए। पर क्या कबीर ने उसे ऐसा कभी कहा है?

नही

क्या वोह हमेशा अपनी लव स्टोरी का उस पर दबाव नही बनता, हमेशा उससे यही उम्मीद करता है की वोह एक्सेप्ट कर ले, जिसे उसने बहुत ही अच्छी तरह से किया था? पर वोह तब की बात थी जब वोह दोनो सिर्फ दोस्त थे, और अब जब वोह उससे कह चुका है की वोह उससे प्यार करता है, तोह उससे कभी ऐसा कहा है की महिमा को प्यार के के बावजूद भी, उसके लिए अमायरा ही सबसे ऊपर है?

कभी नही

क्या उसने कभी उसे यह बताया की महिमा उसका अतीत थी, और अब वोह अमायरा के साथ अपना आज और कल जीना चाहता है, बिना अपने अतीत की परछाई के?

नहीं

क्या कभी उसने अमायरा से सिलेंटली यह उम्मीद नही की वोह समझे कब बात महिमा की आती है, बिना उम्मीद के की बदले में कुछ मिलेगा? क्या उसने अपने प्यार का इजहार का बॉम्ब उस पर थोप नही दिया बिना यह सोचे, बिना यह जाने की उसने अभी तक महिमा को नही भुलाया है, अपनी जिंदगी से जाने नही दिया है?

हां

क्या उसने कभी सोचा है की अगर वोह चाहता है की अमायरा उसे स्वीकार ले, उसका प्यार स्वीकार ले, उसे अपने अतीत को भुला देना चाहिए, उसे यह यकीन दिलाने के लिए की वोही उसकी पहली प्रायोरिटी है अब?

नही

कबीर अपने आप से काफी देर तक कई सवाल करता रहा और अपने आप को गिल्टी पाया। गिल्टी अमायरा को इनसिक्योर बनाने के लिए अपने पुराने रिश्ते की वजह से। अमायरा ने बहुत अच्छे से उनके रिश्ते को एक्सेप्ट कर लिया था पर अगर कबीर सच में आगे बढ़ना चाहता है तो, उसे अपने अतीत को पीछे ही छोड़ना होगा। कैसे अमायरा उसकी बात पर यकीन करेगी अगर वोह हर वक्त यही कहता रहेगा की महिमा की डैथ के बाद कैसे वोह अपने आपको उसकी धोखा देने के लिए गुनाहगार मानता है, कैसे वोह उसे अभी भी याद कर सकता है, कैसे वोह अभी भी उसे प्यार कर सकता है, कैसे उसकी यादों को अभी अपने दिल में बसा कर रख सकता है? कबीर ने महसूस किया की महिमा के जाने बाद भी वोह अभी भी कबीर और अमायरा के बीच जिंदा है, और हमेशा से ही थी, और अमायरा को हमेशा कबीर को एक्सेप्ट करने में परेशानी हुई, क्योंकि उसके लिए कबीर महिमा का प्रेमी है, ना की उसका अपना पति।

और अचानक ही कबीर का दिल उस लड़की के लिए तड़प उठा, जो की खुद से ही लड़ रही है यह स्वीकारने से की वोह कबीर को कितना चाहती है, बस इसलिए क्योंकि वोह समझती है की कबीर उसे कभी प्यार कर ही नही सकता, कभी भी नही।

कबीर ने यह रिलाइज किया की हालांकि वोह महिमा से बहुत प्यार करता है, लेकिन फिर भी उसे अब जाने देना चाहिए अपनी जिंदगी से। अब अमायरा ही उसकी पत्नी है, और महिमा उन दोनो के बीच तीसरी है, मरने के बाद भी। उसने यह महसूस किया की अगर वोह जिंदगी जीना चाहता है, अमायरा के साथ अपना भवाशिये देखता है, उसे अपने अतीत को भूलना ही होगा। वोह एक ही समय पर दो कश्ती में सवार नही हो सकता।

उसने डिसाइड किया की उसे अब क्या करने की जरूरत है, उसके लिए जिसे वोह प्यार करता है और उसे खोना नही चाहता बस इसलिए क्योंकि उसे अपने अतीत से बाहर आने में मुश्किल हो रही है। उसने यह महसूस किया की वोह अपनी नई जिंदगी की शुरवात ऐसे नही कर सकता, बिना अपने अतीत को पूरी तरीके से गुड बाय कहे हुए।

«»«»«»«»«»

जब अगली सुबह अमायरा सो कर उठी तोह उसके साइड वाली जगह खाली थी। बाथरूम से आती आवाज़ से उसे पता चल गया की कबीर बाथरूम में ही है। उसे अपना सिर भरी लगने लगा। और अचानक ही उसे कल रात का उसका कबीर के सामने बिखर जाना याद आ गया और फिर उसे अपने आप में शर्म आने लगी।

"मैने ऐसा क्यूं किया? अब वोह क्या सोचेंगे? की वोह मेरे लिया महिमा को भूल जाएं। ओह गॉड, मैं इतनी बेवकूफ कैसे हो सकती हूं?"

अमायरा अपने आप में ही शर्म से बात कर रही थी की तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और कबीर बाहर आया। उसने जींस और टी शर्ट पहनी हुई थी। कबीर नहा कर निकला था और उसके कपड़ो से पता चल रहा था की वोह आज घर पर ही रहने वाला है, इसका मतलब की उसे उसका सामना करना ही पड़ेगा, एक अपराधी के रूप में।

"गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट। देख लिया मुझे अच्छे से?" कबीर ने खुराफाती हँसी हँसते हुए पूछा।

"हुंह...." अमायरा को पता ही नही था की कबीर उसे लगातार देख रहा है।

"मैं..... उह्ह.....मुझे बाथरूम जाना है।" अमायरा ने हड़बड़ाते हुए कहा। वोह बैड से तुरंत उठ कर खड़ी हो गई, इसके अलावा और कुछ सोच नही पाई, अपने ही कल रात के बरताव से बहुत ज्यादा शर्मिंदा थी।

"बिलकुल। जाओ।" कबीर ने अमायरा के माथे को प्यार से चूम लिया और अमायरा की सांसे अटक गई। अमायरा तुरंत बाथरूम में भाग गई और दरवाजा बंद करने के बाद ही सांस ली। अमायरा नहा कर ही बाथरूम से निकली, और जब बाहर आई तोह कबीर को अपना इंतजार करता पाया। अमायरा अभी किसी भी बातचीत करने की स्तिथि में नही थी, लेकिन वोह अब इस मामले से इतनी आसानी से बाहर भी नही निकल सकती थी। कबीर सोफे पर बैठा था और उसकी गोद में रखा लैपटॉप पर काम कर रहा था। कबीर ने जैसे ही अमायरा को आते देखा, उसने उसे अपने पास बैठने के लिए बुलाया। अमायरा अनिच्छा से उसके पास आ कर बैठ गई।

"तोह मिसिज मैहरा, तुम्हे अपनी पनिशमेंट के बारे में बात करनी है या किसी और चीज़ के बारे में?"

"हुंह? कैसी पनिशमेंट?

"तुमने मुझे कल मिस्टर मैहरा बुलाया था। और मैने तुम्हे पहले ही कहा था की एक बार भी मिस्टर मैहरा बोलोगी तो पनिशमेंट मिलेगी। और वोह क्या पनिशमेंट है यह तुम अच्छे से जानती हो।" कबीर ने उसे चिढ़ाते हुए कहा पर अमायरा कोई फर्क नही पड़ा।

"तोह मिसिज मैहरा, तुम्हे अपनी पनिशमेंट के बारे में बात करनी है या किसी और चीज़ के बारे में?"

"हुंह? कैसी पनिशमेंट?

"तुमने मुझे कल मिस्टर मैहरा बुलाया था। और मैने तुम्हे पहले ही कहा था की एक बार भी मिस्टर मैहरा बोलोगी तो पनिशमेंट मिलेगी। और वोह क्या पनिशमेंट है यह तुम अच्छे से जानती हो।" कबीर ने उसे चिढ़ाते हुए कहा पर अमायरा कोई फर्क नही पड़ा।

"मैं किसी भी मज़ाक के मूड में नही हूं। अगर कोई इंपोर्टेंट बात नही है तोह मुझे बाहर जाना है। शादी के लिए बहुत कुछ करना बचा है।"

"हमारी शादी के लिए भी बहुत कुछ करना अभी बचा है।" कबीर ने गंभीर रूप से कहा और अमायरा असहज हो गई।

"मैं आपको पहले ही बता चुकी हूं की....."

"की तुम हमारे रिश्ते में दोस्ती से बढ़ कर कुछ भी नही रखना चाहती, क्योंकि तुम्हे लगता है की हम दोस्त हो ज्यादा अच्छी तरह से रह सकते हैं।"

"हां।"

"पर अगर मेरे पास इससे भी अच्छा प्लान हुआ तो?"

"मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है।"

"अगर मैं माफ़ी मांगू तोह?"

"क्या?" अमायरा कन्फ्यूज्ड हो गई थी।

"हां। माफ़ी। आई एम सॉरी अमायरा। मेरी वजह से ही तुम इतने दर्द से गुजरी हो।"

"मुझे इस बारे में कोई बात नही करनी। अच्छा होगा अगर हम यह सारी बातें यहीं भूल जाएं। हम दोस्त हैं, और हमेशा दोस्त रहेंगे। यह बात फाइनल है। अब मुझे जाने दीजिए।" अमायरा ने सोफे से उठते हुए कहा लेकिन कबीर ने उसे वापिस बिठा दिया।

"मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई है। आई एम सॉरी की मेरी वजह से तुमने इतना दर्द झेला, पर आई एम नॉट सॉरी तुम्हे प्यार करने के लिए।"

"अह्ह्ह्....फिर नही।"

"प्लीज अमायरा। कम से कम मेरी बात एक बार तोह सुनो। प्लीज।" कबीर ने रिक्वेस्ट की और अमायरा को अपने ऊपर गुस्सा आने लगा, क्योंकि वोह जानती थी की वोह कबीर को ना नही कह सकती थी। "मैं जानता हूं की तुम्हारे दिमाग में अभी बहुत सारे डाउट्स हैं, तुम्हे ऐसा लगता है की जो प्यार का मैं दावा करता हूं उससे में बाद में पीछे हट जाऊंगा। शायद मुझ ही से कोई गलती हो गई, जो मैं तुम्हे अपना प्यार का भरोसा नही दिला पाया, पर अगर ऐसा कुछ है जिस पर मैं विश्वास करता हूं इन दिनों में, वोह मेरा तुम्हारे लिए प्यार है। मैं जानता हूं की तुम्हे ऐसा लगता है की मैं अभी भी महिमा से प्यार करता हूं और इसी वजह से तुमसे नही कर सकता। बल्कि यह तोह मेरी गलती है मैने तुमसे उम्मीद की तुम मुझे एक्सेप्ट करो, मेरे रिश्ते को एक्सेप्ट करो, बिना यह रियलाइज किए की अगर एक नए रिश्ते में प्रवेश करना है, तोह अपने पास्ट को भुला देना चाहिए।"

"मैने कभी नही चाहा की आप अपने रिश्ते को भूल जाए, कभी भी।"

"मैं जानता हूं। तुमने मुझे कभी भी नही कहा, पर मुझे करना है। तुम्हारे लिए, हमारे लिए। उस फ्यूचर के लिए जो मैने तुम्हारे साथ देखा है। सिर तुम्हारे साथ। मैं जानता हूं की मैने उसे हमेशा हमारे बीच जिंदा रखा है, हमेशा उसके बारे में बात की है जैसे की हमारी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, पर वोह नही है। वोह मेरा पास्ट थी, और मुझे उसे वहीं छोड़ देना चाहिए, तुम्हारे साथ अपनी नई जिंदगी शुरुवात और भविष्य संजोने से पहले। यह तो तुम्हारे साथ नाइंसाफी होगी की मैं यह मान लूं की तुम उसे हमारी पर्सनल लाइफ में एक्सेप्ट कर लो।"

"मुझे उनसे कोई दिक्कत नही है।" अमायरा के आंखों से आंसू बह गए थे।

"मैं जानता हूं की तुम्हे नही है। पर मैने ये रियलाइज किया है की मैने जाने अंजाने में उसे हमारी शादी शुदा जिंदगी का तीसरा पइया बना दिया है। यह हमारी कहानी है, हमारी जिंदगी। तुम्हारी और मेरी। और मैं जितना भी उसे प्यार करता हूं, हमारे पर्सनल स्पेस में रहेगी तोह वोह आउटसाइडर। मुझे इस बात का ध्यान रखना चाहिए था। पर अब मैं वादा करता हूं, की वोह हमारे पर्सनल स्पेस में कभी नही आयेगी। वोह मेरा अतीत थी, जिसे मैं प्यार करता था और शादी करना चाहता था। तुम मेरा आज हो, मेरा भविष्य, मेरी पत्नी जिससे मैं पागलों की तरह प्यार करता हूं। वोह कोई जिसकी एक मुस्कुराहट मेरे लिए पूरी दुनिया है। वोह कोई जिसकी खुशियां ही मेरे लिए मेरी दुनिया है। वोह कोई जिसे में खोना बर्दाश्त ही नही कर सकता।"

"तोह आप मुझसे यह कहना चाहते हैं की आपने उसे भुला दिया ताकि मुझे अपना प्यार साबित कर सकें?"

"मैं जानता हूं की तुम्हारे लिए यकीन करना थोड़ा मुश्किल है, तुम्हे लगता है की मैं उसे कभी नही भुला सकता, पर इसका मतलब यह बिलकुल नही है की मैं उसकी यादों को हमारी शादीशुदा जिंदगी से दूर नही रख सकता। तुम मेरी जिंदगी की सबसे इंपोर्टेंट इंसान हो अमायरा। ऐसा कुछ नही है जो मैं तुम्हारे लिए नही कर सकता। हमारे लिए नही कर सकता। तुम मुझे सेलफिश बुला सकती हो पर मेरे लिए, तुम्हारी मुस्कुराहट से बढ़ कर कुछ नही है। तुम सोच भी कैसे सकती हो की हमारे रिश्ते को एक गलती कह दूंगा? की मुझे लगेगा की हमारे बच्चे एक गलती है। मैं तुम्हे बता नही सकता की मैने हमारे फ्यूचर के लिए कितने सारे सपने पहले ही देख लिए हैं। तुम, मैं और हमारे बच्चे। दो होंगे, जैसे की तुम चाहती थी। मैं उन्हे पूरी तरह से बिगाड़ दूंगा, और तुम मुझ पर उन्हे बिगड़ने के लिए गुस्सा करोगी। और मैं तुम्हे किस करके, तुम्हे बाहों में भर के मना लूंगा। कौनसे स्कूल में वोह जायेंगे, जब वोह बड़े होंगे तो मैं हमेशा उनके आस पास ही रहूंगा अगर हमारी बेटी हुई तुम्हारी तरह तो, क्योंकि मुझे लडको पर बिलकुल भी विश्वास नहीं है। कितनी सुंदर तुम लगोगी जब हम बूढ़े होंगे, सफेद बालों के साथ। मैं तुम्हे कभी भी अपने बालों पर हेयर डाई इस्तेमाल करने नही दूंगा, क्योंकि मुझे तुम वैसी ही पसंद हो जैसे की हो। मैं तुम्हारे अंदर एक ज़रा भी बदलाव नहीं चाहता। यह सब मुझे चाहिए और भी बहुत कुछ सपने हैं मेरे। क्या तुमने कभी हमारे फ्यूचर के लिए ऐसे कोई सपने नही देखे अमायरा?" कबीर ने पूछा और अमायरा रो पड़ी। जितनी जल्दी हो सके वोह बचने के लिए उठ खड़ी हुई क्योंकि वोह कबीर का सामना नहीं कर सकती थी। लेकिन उतनी ही जल्दी से कबीर उठा और उसे पीछे से बाहों में भर लिए।






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कहानी अभी जारी है...
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