इश्क़ ए बिस्मिल - 24 Tasneem Kauser द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ ए बिस्मिल - 24

वह कमरे में चुप बैठी, ख़यालो में खोई हुई थी जब आसिफ़ा बेगम उसके कमरे में आई थी, बिना दरवाज़ा खटखटाए, वह बस जैसे रेड डालने आई थी। अरीज उन्हें देखते ही अंदर से सहम गई थी और अपनी जगह से उठ भी गई थी, वही हाल अज़ीन का भी था।
“बहुत हो गई ख़ातिरदारी, तुम्हारे बाप-दादा ने तुम्हारे लिए कोई नौकर नहीं छोड़ गए हैं, जो तुम महारानी बनकर इस कमरे में आराम फरमा रही हो।“ जाने आसिफ़ा बेगम की ज़ुबान थी या दो धारी तेज़ तलवार, जो ना आव देखती थी ना ताव, बस धुएंधार वार पे वार करती जाती थी।
अरीज ने अपनी नज़रें झुका ली थी, आंखों में बेताहाशा आंसू भर आए थे, उसे नहीं पता था कि एक दिन उसके बाप और वो दादा जिसे उसने कभी ना देखा था ना जाना था उनके नाम लेकर भी उसे कोई तानें देगा।
आसिफ़ा बेगम उसके करीब आई थी और अरीज के गालों को अपनी हथेली में बड़ी बेरहमी से दबोच कर उसके चेहरे को उपर किया था और यूंही उसका चेहरा अपनी हथेली में जकड़े हुए कहा था।
“एक बात कान खोलकर सुन लो लड़की, इस घर के और मेरे बेटे के बदले तुम्हें बहुत बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ेगी, आने वाले कल में तुम उस घड़ी को कोसोगी जब तुमने मेरे बेटे से निकाह किया था, मैं तुम्हें ऐसे हाल पर ला कर छोड़ूंगी जहां पर मेरा बेटा तुम्हारे मुंह पर थुकना भी पसंद नहीं करेगा।“ अरीज दर्द की शिद्दत से ज़ारो-कतार रो रही थी, अज़ीन उसके कमरे के गिर्द अपने दोनों हाथों को फैलाए उसे कस कसकर पकड़े हुए थी। उसकी आंखें किसी सहमी हुई हिरनी की तरह झिलमिला रही थी।
“आंटी प्लीज़ मुझे छोड़ दें.... प्लीज़।“ उसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
“छोड़ेगा तो मेरा बेटा तुम्हे, बहुत जल्द।“उन्होंने अरीज के चेहरे को एक ज़ोरदार झटका देकर परे किया था, जिसकी वजह से अरीज का बेलेंस बिगड़ा था, वह और अज़ीन गिरते गिरते सम्भले थे।
“आंटी आप प्लीज़ परेशान मत होइए, मैं यहां से चली जाऊंगी, मुझे यह घर भी नहीं चाहिए।“ अरीज ने उनके सामने हाथ जोड़कर कहा था।
“तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हारे कहने के इंतजार में बैठी थी कि तुम कब कहोगी के आंटी मैं चली जाऊंगी, मुझे क्या किसी को धक्के मार कर घर से निकालना नहीं आता?” आसिफ़ा बेगम ने गुस्से में अपने दांतों को पीसकर कहा था।
“बीबी बड़ी तेढ़ी चाल चली है तुम ने। मेरे शौहर को इस तरह अपने काबू में किया है कि उन्होंने तुम्हारे लिए मुझे धमकी दी है कि अगर मैं तुम्हारे साथ कुछ उल्टा सीधा करूंगी तो वह मुझे छोड़ देंगे, मेरे मुंह पर तलाक जैसा थप्पड़ मारेंगे।“ उनकी आंखें बिल्कुल किसी वैहशी जानवर जैसी हो रही थी, उन्हें देखकर अरीज का ख़ून सूख गया था।
“अब तो तुम इसी घर में रहोगी, अपने होंठ सीकर नहीं बल्कि अपनी ज़ुबान काट कर और अगर गलती से भी तुम ने ज़मान तक कोई बात पहुंचाई तो तुम्हारी बहन का हाल इससे भी बुरा कर दूंगी ....समझी.... मेरी ज़िंदगी की अब सब से बड़ी ख़्वाहिश यह है कि ज़मान और उमैर खुद तुम्हें धक्के मार कर इस घर से निकाल बाहर करें।“ वह आंखों से शोले बरसा कर कमरे से जाने के लिए मुड़ी ही थी कि कुछ याद आने पर फिर से रूकी थी और अरीज को उंगली उठा कर कहा था।
“नीचे आ जाना।“ वह इतना कह कर वहां से चलती बनी थी।
अरीज फूट-फूट कर रो पड़ी थी, उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था।
दुनिया में कोई भी आपके लिए ख़ुशी नहीं ख़रीद सकता, किसी भी कीमत पर नहीं। आपकी ख़ुशी सिर्फ़ दो चीजों पर निर्भर रहती है, एक तो आपके जज़बे और होंसले पर और दूसरा आपकी अपनी किस्मत पर।
अरीज छोटी सी उम्र से ही इतने सख़्त इम्तिहान से गुज़री थी कि अब उसमें कोई जज़्बा, कोई होंसला ही नहीं बचा था इसलिए इस बार उसने सब किस्मत के भरोसे छोड़कर आगे कदम बढ़ाया था मगर अफ़सोस उसकी किस्मत उस से भी ज़्यादा होंसला पस्त निकली थी। उसे ना घर का ना घाट का कर के छोड़ी थी।
वह अज़ीन को कमरे में छोड़कर नीचे आई थी, नसीमा बुआ की नज़र उस पर पड़ते ही वह उसके पास गयी थी।
“बेगम साहिबा ने कहा है कि आपको पुरे घर की डस्टिंग करनी हैं, आइये मैं आपको डस्टर वगैरह दे दूं और आपको पूरा घर दिखा दूं और सब कुछ समझा भी दूं।“ वह इतना कह कर मुड़ गई थी और अरीज उसके पीछे पीछे चल पड़ी थी। नसीमा बुआ लाॅन्ड्री रूम में गई थी जो कि हाल के बिल्कुल पिछले साईड पर कोने में था, उसने एक कैबिनेट से एक डस्टर का पैकेट, काॅलीन स्प्रे, वुड्स पाॅलिश स्प्रे एक प्लास्टिक ट्रे में निकाल कर उसके हाथ में थमाया था और साथ ही उसे चेतावनी भी दी थी।
“बेगम साहिबा के मिज़ाज से तो आप वाकिफ हो ही गई होंगी, फिर भी मैं बता दूं वह काम चोरी बिल्कुल पसंद नहीं है, वह बहुत सफ़ाई पसंद है, उन्हें गंदगी बिल्कुल भी पसंद नहीं, अगर गलती से भी उन्हें कहीं धूल या कचरा दिख गया फिर तो हमारी शामत आ जाती है और भूल से भी कुछ टूट फूट गया तो वह ज़िन्दे इंसान को कब्र में उतार देती है और मरे हुए को कब्र से निकाल कर बाहर कर देती है मतलब जीते जागते इंसान को इतनी बाते सुनाती है कि उसे मर जाने को दिल करता है और उसके मरे हुए रिश्तेदारों को भी इतना कोसतीं है कि वह मर कर भी ज़िंदा हो जाते है।“ वह बड़ी राजदारी से उसे बता रही थी लेकिन अरीज आगाह होने के बजाय डरी रही थी। नसीमा बुआ इतना कह कर लाॅनड्री रूम से बाहर निकल आई थी और उसके पीछे पीछे अरीज भी।
“आप एक काम करो सब से पहले सोनिया बीबी का कमरा साफ़ कर दो, वह अपनी सहेलियों के साथ घूमने गयी है, शायद कल वापस आ जाएंगी। उनका कमरा आपके कमरे के सीधे बाईं तरफ़ है....” नसीमा बुआ अचानक से बोलते बोलते मद्धम पड़ गई थी, अरीज इसकी वजह समझ ना सकी। नसीमा बुआ ने फिर से अपनी बात को सही करके कहा था।
“मेरा मतलब है, उमैर बाबा के कमरे के सीधे बाईं तरफ़।“ कहते हुए वह थोड़ा हिचकिचाई थी और अरीज शर्मिंदा हुई थी।