अब आगे..............
कपड़े पहने के एकांक्षी के अपने साथ हुई इस हरकत समझने की कोशिश कर रही थी,, मिरर के आगे अपने बालों को बनाते हुए कहती हैं....." ये सब क्या हो रहा है एकांक्षी....रात जो भी हुआ वो सपना हो सकता है लेकिन अभी अभी जो हुआ वो क्या था....??...वो म्यूजिक अचानक मेरे रूम में,,, और वो कौन था जिसे मैं समझ नहीं पाई ....?..." एकांक्षी अपने आप पर चिढ़ते हुए कहती हैं...." बहुत हो गया तेरा उस म्यूजिक का भूत किरन सही कहती हैं तू इन सबके चक्कर में मत पड़ नहीं तो पागल हो जाएगी और सच ऐसा ही है...."
एकांक्षी अभी खुद से बातें ही कर रही थी तभी सावित्री जी के बुलाने की आवाज आती है....." मिकू कितनी देर और लगाएगी.... जल्दी आ जा बाहर...."
एकांक्षी आज बालों को साइड से क्लिप करके जल्दी से बाहर आती है..... सावित्री जी उसकी नज़र उतारते हुए कहती हैं....." तू इस तरह काॅलेज जाएगी तो पता नहीं कितनों की नजर तुझ पर पड़ेगी और मेरी फूल सी गुड़िया मुरझा जाएगी इसलिए कहती हूं ये नज़र का धागा पहने रखा कर...."
एकांक्षी उखड़े हुए मन से कहती हैं....." मां ये सब बेकार की चीजें हैं... अच्छा ये बताओ क्या आपने मेरे रूम में किसी म्यूजिक ट्यून को सुना था...."
सावित्री जी अपना माथा ठोकते हुए कहती हैं....." हे माता रानी इस लड़की का म्यूजिक वाला भूत कब उतरेगा...हर टाइम बस म्यूजिक ही म्यूजिक सुनाई देता है इसे...."
" मां बताओ ना...."
सावित्री जी झिल्लाते हुए कहती हैं...." नहीं सुना ...अब बैठ जा जल्दी से नाश्ता कर ले..." सावित्री जी वहां से बड़बड़ाती हुई चली जाती हैं......
एकांक्षी बेमन से नाश्ते के लिए बैठती है,,, उसके टेंसड चेहरे को देखकर राघव पूछता है...." क्या बात है मिकू आज सुबह से बहुत परेशान लग रही है.... मां की कल वाली बात से परेशान हैं क्या...?..."
" नहीं भाई,, मां तो हर बार यही टोटका करती रहती है उनकी कोई टेंशन नहीं है...."
" फिर क्या बात है...?.."
एकांक्षी बेमन से मुस्कुराते हुए कहती हैं...." भाई कुछ नहीं बस काॅलेज की असाइनमेंट की टेंशन थी...."
राघव उसे समझाते हुए कहता है....." देख काॅलेज कि टेंशन तो तुझे है नहीं अगर कोई भी बाहर की प्रोब्लम तुझे टेंसड कर रही है तो तू बेझिझक अपने भाई से कहा सकती है..."
" नो भाई ऐसी कोई बात नहीं... मुझे पता है आप मेरी हर प्रोब्लम को चुटकियों में खत्म कर दोगे... अच्छा में चलती हूं मुझे लेट हो जाएगा...."
" ठीक है...." एकांक्षी हल्के से अपने भाई को हग करके चली जाती हैं और सावित्री जी पीछे से हाथ में कटोरी लिए आती है...
" ये लड़की चली गई.." बाहर देखते हुए सावित्री जी कहती हैं
राघव अपने ब्रेकफास्ट को कंटिन्यू करते हुए कहती..." मां आपको पता तो है वो तुफान मेल है...."
सावित्री जी वही चेयर पर बैठती हुई कहती हैं....." इस लड़की का मैं क्या करूं... हवा की तरह पर में इधर पर में उधर...."
एकांक्षी अभी आधे रास्ते में पहुंची ही थी कि तभी उसे लगा जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है, वो जैसे ही पीछे पलटती है वहां कोई नहीं था ,,, ऐसा चार पांच बार महसूस करने के बाद एकांक्षी पीछे मुड़कर चिल्लाती है......" कौन है सामने आओ.... क्यूं मेरा पीछा कर रहे हो...?..."
बदले में दूसरी तरफ से तेज हवा के झौंके के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता.....
एकांक्षी दोबारा बिना कुछ कहे चलने लगती है लेकिन जाते हुए उस वीरान से पड़े घर को देखकर खुद से कहती हैं..." जबसे यहां से सब गये है तभी से ये जगह डरावनी सी हो रही है.... पता नहीं क्या जरूरत थी अपनी पूरानी हवेली को ऐसे ही छोड़ने की....."
एकांक्षी आगे बढ़ रही थी तभी दोबारा से उसे महसूस हुआ कोई बिल्कुल उसके करीब है और वो जैसे ही पीछे मुड़ती है ,, अपने सामने किसी नकाबपोश बदमाश को देखकर डरकर उल्टे कदम बढ़ाती है और वहां से भागना शुरू कर देती है लेकिन एक के बाद एक सब गुंडे बाहर निकलकर उसका रास्ता रोक लेते हैं......
एकांक्षी घबराई सी उनसे जाने के लिए कहती हैं लेकिन वो धीरे धीरे उसके पास पहुंचने लगता है,, उसे अपने पास आते देखकर एकांक्षी अपने कदम उल्टे बढ़ाती है लेकिन पीछे से आए हुए गुंडे उसे पकड़ लेते हैं.....
एकांक्षी हेल्प के लिए चिल्लाने लगती है लेकिन कोई उसकी हेल्प के लिए नहीं आता.....
लेकिन जैसे ही वो उसके पास पहुंचकर उसे छूने के लिए हाथ बढ़ाता है उसके हाथ को बीच हवा में ही रोक लिया जाता है...
ये और कोई नहीं अधिराज था..... उसे गुस्से में घूरते हुए उसके हाथ को झटक देता है....
" कौन है बे तू...?... मरना है तूझे...."वो गुंडा उसे धमकी देते हुए कहता है......
एकांक्षी उससे हेल्प के लिए कहती हैं...." प्लीज़ मेरी हेल्प करो.... इनसे बचा लो मुझे...."
अधिराज एकांक्षी को छोड़ने के लिए कहता है....." एक अकेली लड़की को देखकर अपनी मर्दानगी दिखातो हो ,,, हिम्मत है तो मुझसे मुकाबला कर...."
वो गुंडा चाकू निकालकर अधिराज की तरफ करते हुए कहता है....." चुपचाप निकल जा यहां से कहीं अपने हाथ पैर से लाचार न हो जाए...."
" लगता है तुम लोगों को प्यार से कहीं बात समझ नहीं आती.... ठीक है फिर...."
अधिराज एक पंच उसके मुंह पर दे मारता है.... उसके एक ही पंच से पहले वाले गुंडे के मुंह से खून निकलने लगता है जिसे पोछते हुए वो उसपर अपना पंच मारने के लिए हाथ बढ़ाता है तभी अधिराज उसके हाथ को पकड़कर वहीं मोड़ देता है ,,, अपने साथी को बचाने के लिए वो दोनों गुंडे भी अधिराज पर हमला कर देते ... तीनों को बारी बारी से अधिराज पीटे जा रहा था.. इस लड़ाई के बीच अधिराज के नेक पर निशान को देखकर एकांक्षी सोच में पड़ जाती हैतभी अचानक पीछे से तीसरा वाला गुंडा धारदार चाकू से अधिराज पर वार करता है..... तभी एकांक्षी चिल्लाती है....." नहीं,,, अधिराज से दूर रहो...." एकांक्षी सोच में पड़ जाती है आखिर उसने क्या कहा
अचानक अपना नाम सुनकर अधिराज हैरान रह गया लेकिन उससे ध्यान हटने के कारण वो चाकू अधिराज के शोल्डर को चीर देता है जिससे तुरंत खून बहने लगता है....
अधिराज गुस्से में आ जाता है,,, लगातार पंचों और किक की बौछार होने से तीनों वहीं ढेर हो जाते हैं....
अधिराज एकांक्षी के पास पहुंचता है ,,,एकांक्षी किसी पुतले की तरह खड़ी हुई थी जिसके सामने जाकर अधिराज चुटकी बजाता है.... ऐसा लग रहा था जैसे एकांक्षी किसी गहरी सोच में खोई हुई है ,,उसके चुटकी बजाने से उसे होश आता है....
" ..थैंक्स मेरी जान बचाने के लिए...."
अधिराज उसकी बातों को दोहराते हुए पूछता है...." तुमने अभी कुछ कहा था...?..." अधिराज सुनना चाहता था कि उसने अभी जो उसे उसके नाम से बुलाया था क्या वो अचानक हुआ था या उसे कुछ याद है....
एकांक्षी सोचते हुए कहती हैं...." मैंने क्या कहा था..."
अधिराज एक राहत की सांस लेते हुए कहता है...." कुछ नहीं तुम जाओ यहां से...?..."
एकांक्षी उसके पास आकर कहती हैं....." तुम हो कौन..?... प्लीज़ ये मास्क हटाओ मुझे जानना है तुम कौन हो जिसने मेरी हेल्प की...."
" अभी नहीं...." इतना कहकर अधिराज आगे बढ़ता है तभी एकांक्षी कहती हैं...." मुझे पता है तुम कौन हो...?..." अधिराज उसकी बात सुनकर वहीं रुक जाता है...
...............to be continued............