तेरे इश्क़ में पागल - 30 Sabreen FA द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

तेरे इश्क़ में पागल - 30

"वोह ज़ैन सानिया कहि नही मिल रही है और ना ही हमारा फ़ोन उठा रही है।" अहमद ने अपने बालो को मुठियो में जकड़ते हुए कहा।

"तू कहा है मुझे बता मैं भी वही आता हूं, तू फिक्र मत कर वोह हमें मिल जाएगी।" ज़ैन ने कहा और आर फ़ोन कट करके कासिम को काल की।

"कासिम अपने सारे आदमियों और जो पुलिस वाले जो हमारे लिए काम करते है उन सबको सानिया की फ़ोटो सेंड करो और सबको बता दो मुझे एक घंटे में वोह मेरे पास चाहिए।" ज़ैन के कासिम के फ़ोन उठाते ही एक ही सांस में सारी बात कह दी और अपनी जैकेट ले कर वहां से निकल गया।

...............

सानिया को जब होश आया तो कमरे में कोई भी नही था। उसके हाथ पैर रस्सियों से बंधे हुए थे और उसके मुंह पर टेप लगी हुई थी।

तभी उसने किसी के आने की आहट सुनाई और वापस बेहोशी का नाटक करने लगी।

वोह आदमी अंदर आया और उसे बेहोश देख कर कमरे से बाहर चला गया।

उसके बाहर जाते ही सानिया ने अपनी आंखें खोली और कुर्सी के पीछे बंधे अपने हाथों की रस्सी खोलने की कोशिश करने लगी।

............

"क्या हुआ कुछ पता चला।" अहमद ने ज़ैन को देखा तो भागते हुए उसके पास जा कर पूछा।

"नही, उसकी सारी चीज़ें स्टाफ रूम में है, अगर वोह घर जाती तो अपनी सारी चीज़ें ले कर जाती। क्या वोह तुझसे किसी बात नाराज़ थी?"

"अगर वोह मुझसे नाराज़ भी होती तो मेरा फोन फिर भी उठती।" अहमद ने मुट्ठी में अपने बालों को जकड़ते हुए कहा।

"मुझे सानिया का फ़ोन मिला है।" हामिद भागते हुए अहमद के पास आ कर बोल।

अहमद ने जल्दी से उसका फ़ोन लिया और हामिद से बोला:"तुझे उसका फ़ोन कहा से मिला है?"

"पार्किंग लॉट से लेकिन वहां कोई सीसीटीवी नही लगा है। मैं हॉस्पिटल में उसके कलीग से भी बात चीत की थी उन्होंने यही बताया है कि सानिया बस कुछ सामान लेने के सुपर मार्केट गई गयी थी।" हामिद ने उसे डिटेल्स में बताया।

उसकी बात सुनकर ज़ैन ने अपना फ़ोन निकाला और कासिम को फ़ोन किया।

"हेलो बॉस।" कासिम ने फ़ोन उठाते ही कहा।

"कासिम हॉस्पिटल के पास जो हाई वे है उसकी सीसीटीवी फोटेज चेक करो देखो उसमे कोई क्लू मिलता है क्या!" ज़ैन ने जल्दी से कहा।

"ओके बॉस।" कासिम ने कहा और फ़ोन कट कर दिया।

"अहमद और हामिद तुम दो उठो हमें पहले अस पास देख लेना चाहिए शायद उसकी वाजह से हमें सानिया तक पहुचने का कोई क्लू मिल जाये।" ज़ैन ने उन दोनों से कहा।

उसकी बात सुनकर उन दोनों ने हाँ में सिर हिलाया और तीनों तीन दिशा में चले गए।

उन तीनों ने हॉस्पिटल के पास की सारी जगह छान मेरी लेकिन उन्हें कोई क्लू नही मिला।

अहमद मायूस हो कर वापस आ रहा था जब उसका पैर हॉस्पिटल के बैक डोर के पास रखे फ्लावर पोर्ट से टकरा और उसकी नज़र किसी चमकती चीज़ पर पड़ी, उसने नीचे झुक मिट्ठी को हटाया तो देखा वहां एक रिंग थी। अहमद ने हैरान हो कर उस रिंग को उठाया, यह वही रिंग थी जो उसने कुछ दिन पहले सानिया को गिफ्ट की थी।

उसका दिल अब बहोत घबरा रहा था उसे समझ नही आ रहा था कि सानिया अचानक कहा गायब हो गयी है।

"क्या हुआ कुछ पता चला?" ज़ैन और हामिद ने उसके पास आ कर पूछा।

"हाँ मुझे यहां सानिया की रिंग मिली है।" अहमद ने उन्हें जवाब दिया।

तभी ज़ैन के फ़ोन पर कासिम की कॉल आयी।

ज़ैन ने जल्दी से फ़ोन उठाया और फ़ोन उठते ही कासिम बोला:"बॉस मैं ने सीसीटीवी फोटेज चेक की है सानिया मैं को कुछ लड़के बेहोश करके एक गाड़ी में ले गए है।"

"क्या तुमने गाड़ी की लोकेशन निकलवाई?" ज़ैन सपाट लहजे में बोला।

"जी बॉस वो इस कार वक़्त एक गोलोबल प्लाजा के पास है।" कसीम ने जल्दी से बताया।

"ठीक है तुम मुझे कार की एक्सएक्ट लोकेशन भेजो, हम अभी वह के लिए निकल रहे है।" ज़ैन ने कहा और फोन कट करके अहमद से बोला:"चल सानिया का पता चल गया है।"

"वोह कहा है?" अहमद ने पूछा।

"गड़ी में बिठा फिर बताता हूं।" ज़ैन ने कहा और वोह तीनो गाड़ी में बैठ कर वहां से चले गए।

.................

सानिया ने जैसे तैसे करके अपने हाथ की रस्सी खोली और अपने मुंह से टेप निकाल कर अपने पैरों की रस्सी खोल ही रही थी कि जब उसे बाहर से कदमो की आहट सुनाई दी।

बाहर से अति कदमो की आवाज़ तेज़ हो गयी सानिया जल्दी जल्दी अपना हाथ चलाने लगी की तभी दरवाज़ा खुला।

वोह आदमी अंदर आया तो कुर्सी खाली थी। उसने अपने आस पास देखा तो वहां कोई नही था।

उसने आदमी ने गुस्से से बाहर खड़े अपने साथियों को आवाज़ दी।

"यार यह लड़की कहा चली गयी।" उन में से एक बोला।

"यार विक्की तूने उसे बांध के रखा था न तो वोह कहा चली गयी।" विक्की का एक साथी बोला।

"यार अगर राशिद को अगर पता चला गया ना हम चारों के होते हुए वोह लड़की यहां से गयेब हो गयी है तो वोह हमे छोड़ेगा नही।" विक्की ने डरते हुए कहा।

"यार साहिल तूने रूम अच्छे से तो चेक किया है ना, वोह लड़की हम सबकी नज़रो में आये बिना ही यह से गयेब कैसे हो गयी।" विक्की ने साहिल से पूछा।

"हाँ मैं ने सब जगह देख ली है।" साहिल ने जवाब दिया।

"राजू तू यही रुक हम स पास के इलाके में चेक करके आते है।" विक्की ने राजू से कहा और वोह तीनो वहां से निकल गए।

राजू के कमरे से निकलने के बाद सानिया जो खुद को कबर्ड में बंद करके बैठी थी बाहर आई और थोड़ा सा दरवाज़ा खोल कर आस पास देखने लगी।

यह देख कर की बाहर कोई नही सानिया बाहर निकल और वहां से बाहर की तरफ भागने लगी कि तभी किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया।

"इतनी भी क्या जल्दी है चमक्छल्लो पहले जो तुमने हमारी बेइज़्ज़ती की थी हमें उसका हिसाब तो बराबर करने दो।" वोह आदमी गुस्से से सानिया के चेहरे पर नज़र गढ़ाए हुए बोला।

"छोड़ो मुझे।" उसकी नज़रो में अपने लिए हवस देख कर सानिया ने डरते हुए कहा।

"इतनी भी क्या जल्दी है, अभी तो मैं ने तुम्हे ठीक से पकड़ा ही नही तो छोड़ कैसे दु।" राशिद ने उसे सोफे पर धक्का दिया और ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।

सानिया डरते हुए सोफे से उठ कर भागने ही वाली थी कि तभी राशिद ने उसे फिर से पकड़ लिया।

"भागने की इतनी जल्दी क्या है अभी तो तुम मेरे हाथ लगी हो।" वोह सानिया के करीब आ कर उसके कान में बोला।

"छोड़ो मुझे।" सानिया उसकी पकड़ से आज़ाद होने की कोशिश करते हुये बोली।

"तुम्हे पता है मैं पहले तुम्हारी उस दोस्त को किडनैप करना चाहता था लेकिन हमसे पहले ही किसी और न उसे किडनैप कर लिया तो मेरे पास अपना बदला लेना का सिर्फ एक ही ऑप्शन था वोह थी तुम।" राशिद ने हस्ते हुए कहा।

"लगता है तुम्हे अपनी ज़िंदगी प्यारी नही है राशिद।" राशिद के पीछे से एक आदमी की गुस्से से भरी आवाज़ आयी।

राशिद ने पीछे मुड़ कर देखा तो अहमद और ज़ैन वहां खड़े थे।

"अहमद।" सानिया ने अहमद को देख कर उसे आवाज़ दिया।

ज़ैन को देखते ही सानिया पर उसकी पकड़ खूब बखुद ढीली हो गयी।

सानिया ने मौके के फायदा उठा कर उसे धक्का दिया और भागते हुए जा कर अहमद के गले लग गयी।

अहमद ने जोर से उसे खुद में भींच लिया।

ज़ैन अंदर जा कर सोफे पर बैठ गया।

"बॉस मुझे नही पता था की यह आपके........."
इससे पहले की राशिद अपनी सफाई में कुछ कहता ज़ैन ने उसके हाथ पर गोली मार दी।

गोली की आवाज़ सुनकर हामिद जो बाहर खड़ा था भागते हुए अंदर आया।

अहमद ने सानिया को खुद से दूर किया और हामिद से बोला:"इसे बाहर ले कर जाओ।"

सानिया ने डरी हुई नज़रो से अहमद को देखा तो अहमद मुस्कुराते हुए बोला:"डरने की ज़रूरत नही है तुम बाहर गड़ी में बैठो हम अभी आते है।

उसकी बात सुनकर सानिया ने अपनी गर्दन हाँ मि हिलायी और वहां से हामिद के साथ चली गयी।

उसके जाते ही अहमद के चेहरे की स्माइल गयेब हो गयी उस ने खूंखार नज़रो से राशिद को देखा और गुस्से से बोला:"क्या कहा तूने तुझे नही पता था साले।"

"बॉस, मैं सच कह रहा हु मुझे,,,मुझे नही पता था।" राशिद दर्द भरी आवाज़ में बोल।

अहमद ने अपनी गन निकाली और उसके पैर पर गोली मार दी।

"हमारे ही आदमी हो कर हमारे साथ गद्दारी करने की कोशिश की।" इस बार ज़ैन अपनी लाल आंखों से उसे घूरते हुए बोला।

"बॉस में ने कोई गद्दारी नही की।"राशिद दर्द से तड़पते हुये बोला।

"मुझे झूठ और धोखे से सख्त नफरत है।" कहते साथ कि उसने अहमद की तरफ देखा।

अहमद ने अपनी गन निकाली और राशिद के सिर पर तानते हुए बोला:"तुम्हरे साथियों को तो हम पहले ही मर चुके आई ब तुम अकेले रह कर क्या करोगे और हाँ उन्होंने ने ही हमे बताया था कि तुम्हे कसीम का मैसेज आया था लेकिन फिर भी तुमने सानिया को नही छोड़ा। मेरी एक बात याद रखना वोह अहमद की जान है अगर किसी ने भी उस पर बुरी नज़र डालने वालो का अंजाम सिर्फ मौत है।"

कहते ही अहमद ने उसके सिर्फ में गोली मार दी।

ज़ैन सोफे से उठा और फिर दोनों बाहर चले गए।

वोह दोनो गाड़ी स्टार्ट करके अभी आधे रास्ते ही पहोंचे थे कि ज़ैन का फ़ोन रिंग करने लगा।

ज़ैन ने स्क्रीन पर नाम देखा और फ़ोन साइलेंट कर दिया।

ज़ैन का फोन बार बार रिंग कर रहा था लेकिन उसने एक बार भी फोन नही उठाया।

"ज़ैन बार बार किसका फोन आ रहा है!" अहमद ने चिढ़ कर कहा।

"तेरी बहेना का।" ज़ैन ने सीट से सिर टिका कर कहा।

"तो उठा क्यों नही रहा......." अभी वोह कह ही रहा था कि तभी फिर से उसका फ़ोन रिंग होने लगा।

अहमद ने उसके हाथ से फ़ोन लिया और पिक करके स्पीकर पर डाल दिया।

"शाह जी आप मुझे रूम में लॉक करके क्यों गए, आप एक बार घर फिर मैं आपको बताती हु।" ज़ैनब गुस्से से बोली।

"हाँ इसीलिए तुम्हे लॉक करके आया था क्यों कि मुझे पता था मैं जहाँ भी जाऊंगा झांसी की रानी वहां आ जाएंगी।" ज़ैन ने अहमद को घूरते हुए कहा।

"क्या कहा आपने , झांसी की रानी आप आये तो सही मैं आपको बताती हु झांसी की रानी होती कैसी है।" ज़ैनब चिढ़ कर बोली।

"अच्छा घर आ जाऊंगा तब बात करते है, अभी यह बताओ रात के खाने में तुमने क्या बनाया है?" ज़ैन बात बदलते हुए बोला।

"जाहेर।" ज़ैनब गुस्से से बोली।

"ठीक है मैं अहमद के घर पर जा रहा हु तुम खा कर सो जाना।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।

उन दोनों की बात सुनकर अहमद, हामिद और सानिया अपनी हसी दबाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे।

"आप को तो मैं बाद में देखती हूं।" ज़ैन बड़बड़ाते हुए बोली।

ज़ैन ने अहमद के हाथ से फ़ोन लिया और स्पीकर बंद करके बोला:"यार तुम देखती ही तो नही हु।"

"आप.......ना बहोत ही......."

ज़ैनब की बात पूरी होने से पहले ही ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला:"यार मुझे पता है मैं बहोत हैंडसम हु, तुम्हे बताने की ज़रूरत नही है।"

"खुश फहमी तो देखिए जनाब की मुंह मिया मिट्ठू बन रहे है।" ज़ैनब ताना मरते हुए बोली।

"हाँ, तो जब बीवी तुम जैसी हो तो इंसान क्या ही कर सकता है।" ज़ैन ने अपनी हसी दबाते हुए कहा।

"मतलब क्या है!" उसकी बात सुनकर ज़ैनब गुस्से से बोली।

"घर पर आ कर बताता हूं।" कहते साथ ही ज़ैन ने फ़ोन कट कर दिया और घूर कर अहमद को देखा जो कब से उसे देख कर हस रहा था।

"हस मत बेटा शादी के बाद तू भी सोचेगा मैं ने शादी क्यों कि।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"ज़ैन भाई शुक्र मनाए ज़ैनब ने यह बात नही सुनी नही तो आपका क्या हशर होता।" हामिद हस्ते हुए बोला।

"यार अभी तो उठने वाले तूफान को शांत कर दिया घर जा कर क्या करेगा।" अहमद ने ज़ैन को आंख मारते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर सानिया ने घूर कर उसे देखा तो अहमद चुप हो गया।

अहमद फ्रंट मिरर से बार बार सानिया को देख रहा था।

"मुझे घूरना बन्द करो और ड्राविंग पर ध्यान दो मुझे इतनी जल्दी मरना नही है।" उसे खुद को घूरते हुए देख सानिया ने चिढ़ कर कहा।

उसकी बात सुनकर अहमद ने मुंह लटका लिया जबकि ज़ैन और हामिद हँसने लगे।

कहानी जरी है.......
©"साबरीन"