तेरे इश्क़ में पागल - 29 Sabreen FA द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरे इश्क़ में पागल - 29

"शाह आपको गोली लगी है?" ज़ैनब रोते हुए बोली।

"कुछ नही हुआ बस ममिली सी चोट है, अहमद गाड़ी घर की तरफ ले कर चल।" ज़ैनब से कहने के बाद उसने अहमद से कहा।

"अहमद भाई गाड़ी हॉस्पिटल की तरफ ले कर चले।" ज़ैनब अहमद को देख कर बोली।

"यार मामूली सी चोट के लिए हॉस्पिटल क्यों जाना ह।" ज़ैन इसे देखते हुए बोला।

"डॉक्टर मैं हु या आप!" ज़ैनब उसे घूरते हुए बोली।

"तुम हो लेकिन..."

"लेकिन वेकिन कुछ नही आप चुप चाप बैठे।" ज़ैनब उसे डपटते हुए बोली।

उसकी बात सुनकर ज़ैन खामोश हो गया और अहमद हसने लगा।

"तू अपनी बत्तीसी दिखाना बंद कर।" ज़ैन अहमद को हस्ते देख चिढ़ कर बोला।

"मेरी मर्ज़ी जब मेरा मन कहेगा तब दिखाऊंगा।"
अहमद गाड़ी स्टार्ट करते हुए मुस्कुरा कर बोला।

आज उसकी हसी ज़ैन को जाहेर लग रही थी।

"भाभी आपको एक बात पता है?" अहमद ने आंखों में शरारत लिए हुए कहा।

"कौनसी बात!" ज़ैनब ने पूछा।

"यही की मेरा दोस्त आपके इश्क़ में पागल हो चुका है।" अहमद हस्ते हुए बोला।

"अहमद भाई यह तो पूरी बात है कुछ नई बताए" ज़ैनब ने भी शरारत से कहा।

"हाहाहा, मेरा असर हो गया है।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर दोनो ने ज़ैन की तरफ देखा और हँसने लगे।

"काश ज़ैन शाह तू मेरे जैसा होता जिस पर लड़किया मरती हु, तुझ जैसे बोर इंसान के साथ भाभी कैसे रह लेती है मुझे तो सोच के ही चक्कर आने लगते है।" अहमद ने नौटंकी करते हुए कहा।

"तुझ पर लडकिया मरती है!" ज़ैन ने हैरान हो कर कहा।

"और नही तो क्या मैं इतना हैंडसम जो हु और तूने आईने में कभी खुद को देखा है......" अहमद ने कालर उठाते हुए कहा।

"हाँ देखी है ना तुझ से ज़्यादा हैंडसम दिखता हु।" ज़ैन ने हस कर कहा।

वोह दोनो अभी बात ही कर रहे थे कि तभी ज़ैन का फ़ोन रिंग करने लगा।

"अली का फ़ोन है।" ज़ैन ने स्क्रीन पर देखते हुए अहमद से कहा।

"यह छछुंदर क्यों फोन कर रहा है?" अहमद ने चिढ़ कर कहा।

"मुझे क्या पता।" ज़ैन ने कहा।

"आप दोनों अपनी बहेस बंद करे और पहले फोन उठाये ये।" ज़ैनब उन दोनों को घूरते हुए बोली।

ज़ैन ने फ़ोन उठाया और स्पीकर पर डाल दिया।

"हाँ अली बोल क्या हुआ?" ज़ैन ने फ़ोन उठाते हुए कहा।

"वोह यार मुझे तुझसे एक बात पूछनी थी।" अली ने हिचकिचाते हुये कहा।

"हाँ बोलना।" ज़ैन ने ज़ैनब को देख कर कन्फ्यूज हो कर कहा।

"यार आज मेरी गर्लफ्रेंड का बर्थडे है, उसे क्या दू?" अली ने झिझकते हुए पूछा।

"दिखने मे कैसी है?" अहमद बीच में बोल

"मस्त है।" अली ने मुस्कुराते हुए कहा।

"मेरा मोबाइल नंबर दे दे!" अहमद ने हस्ते हुए कहा।

उसकी बात सुन कर अली के होश उड़ गए।

वोह होश में आते हुए गुस्से से बोला:"बेटा येह काल रिकॉर्डिंग अभी मैं सानिया को भेजता हु।"

"भेज दे यार इसी बहाने वोह मुझे कॉल तो करेगी।" अहमद ने ठंडी आह भरते हुए कहा।

अली ने उसकी बात सुनकर कॉल काट दी जब कि ज़ैन और ज़ैनब हँसने लगे।

वोह दोनो अब हॉस्पिटल पहोंचा चुके थे, अहमद ने उन्हें वहां छोड़ कर किसी काम से वहां से चला गया था। वोह दोनो वहां से अंदर चले गए, अंदर जने के बाद ज़ैनब ने ज़ैन का ट्रीटमेंट किया।

ज़ैनब के पास खड़ी नर्स ज़ैन को देख कर मुस्कुरा रहा थी।

उसे देख कर ज़ैनब गुस्से से बोली:"आप के घर मे भाई या बाप नही है जो मेरे हसबेंड को इस तरह घूर रही है।"

उसकी बात सुनकर वोह नर्स वहां से चली गई और ज़ैन ज़ैनब को देख कर मुस्कुराने लगा।

"आप बत्तीसी क्यों दिखा रहे आप भी तो उसे घूर कर देख रहे थे!" ज़ैनब ने गुस्से से उसे देखते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैन की हसी एक पल में गायब हो गयी और वोह हैरान हो कर ज़ैनब से बोला:"मैं ने उसे कब देखा यार!"

"आपको तो मैं बाद में देखती हूं।" ज़ैनब ने उसे घूर कर कहा।

"देखती ही तो नही हो यार।" ज़ैन अफसोस के साथ बोला।

"आप कुछ खायेंगे मैं कैंटीन जा रही हु।" ज़ैनब ने उसकी बात काट कर कहा।

"मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं।" ज़ैन ने बेड से उठते हुए कहा।

"नही,नही,,,।" ज़ैनब में जल्दी से कहा।

"क्यों क्या हुआ!" उसके एक्सप्रेशन देख कर ज़ैन बोला।

"आपको चोट लगी है ना आप यही रुके मैं ले कर आती हु।" ज़ैनब ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली।

अब वोह यह कैसे कह देती ज़ैन इस वक़्त बहोत हैंडसम लग रहा था, वोह नही चाहती थी उस नर्स की तरह कोई और ज़ैन को देखे।

"चोट मेरे हाथ मे लगी है पैर में नही।" ज़ैन ने अपनी भौंवे सिकोड़ कर कहा।

"चले फिर घर चलते है वही पर खाना खायेंगे वैसे भी यहां का खाना मुझे अच्छा नही लगता।" ज़ैनब ने जल्दी से कहा और कमरे से निकल गयी।

वोह जानती थी अगर ज़ैन ने उससे कुछ पूछा तो इस बार वोह पक्का फस जाएगी।

ज़ैन ने कन्फ्यूज हो कर उसे देखा और उसके पीछे चला गया।

..........

"यार मुझे उस हैंडसम बन्दे का नंबर मिला है, चलना कॉल करके देखते है।" सानिया की क्लासमेट ने स्टाफ रूम में आते हुए कहा।

"किसका?" एक लड़की ने पूछा।

वही जो उस दिन डॉक्टर हारिस के साथ था।

क्या नाम था उसका......हाँ याद आया अहमद।"

उसने सोचते हुए कहा।

अहमद का नाम सुनते ही सानिया के कान खड़े हो गए।

"लेकिन वोह तो एंगेंगेड है ना!" एक ओर लड़की बोली।

देखते है अपनी मंगीतर के साथ कितना लॉयल है।" कहते साथ ही उस लड़की ने अहमद को फ़ोन किया और फ़ोन स्पीकर पर डाल दिया।

"हेलो।" अहमद ने फ़ोन उठा कर कहा।

"हाये।" उस लड़की ने एक अदा से कहा।

"कौन?" अहमद ने पूछा।

"मुझे छोड़ो तुम बताओ कैसा है मेरा सोना बाबू।" उसने इतने प्यार से कहा कि एक पल के लिए अहमद भी खामोश हो गया।

"लगता है मेरा स्वीटहार्ट हैंग हो गया है।" उस लड़की ने बच्चो की तरह मुंह बना कर कहा।

उसकी बात सुनकर सानिया जो अपना गुस्सा कंट्रोल करने के लिए पानी पी रही थी पानी उसके मुंह से फौवारे की तरह बाहर निकल गया।

उससे पहले की सानिया की खांसी की आवाज़ दूसरी तरफ सुनाई देती उस लड़की ने जल्दी रिसीवर पर हाथ रखा।

"मिस आप बताएंगी आप कौन है और अपने मुझे क्यों फ़ोन किया है।" अहमद ने गुस्से से कहा।

उसकी गुस्से से भरी आवाज़ सुनकर उस लड़की की सिटी पिट्टी ही गुल हो गयी लेकिन अगले ही पल वोह खुद को संभलते हुए फिर बोली:"ओह कमऑन डार्लिंग ऐसा तो मत कहो, मैं ने तुम्हे जब से देखा ही मेरी रात की नींद और दिन का चैन ही उड़ गया है।"

"लगता है पागल खाने वाले फ़ोन किसी पागल को दे कर खुद सो रहे है।" अहमद ने झुंझला कर कहा।

"हाँ पागल तो मैं हो ही गयी हु वो भी तुम्हारे इश्क़ में।" उस लड़की ने मोहब्बत से कहा।

"जस्ट शट उप! और खबरदार जो तुमने मुझे दोबारा फ़ोन किया।" अहमद ने गुस्से से चिल्ला कर कहा और फ़ोन कट कर दिया।

सबके सामने अपनी बेइज़्ज़ती होते देख वोह लड़की पैर पटखते हुए गुस्से से बाहर चली गयी।

जब कि सानिया अहमद का जवाब याद करके मुस्कुराने लगी और उठ कर स्टाफ रूम से बाहर निकल गयी।

................

फ़ोन कट करने के बाद अहमद ने खुद को शांत किया और सानिया को फ़ोन किया।

लेकिन सानिया ने उसका फ़ोन नही उठाया।
अहमद को उस पर बहोत गुस्सा आ रहा था, उसने बार बार उसे फ़ोन किया लेकिन संत ने एक बार भी उसका फ़ोन नही उठाया।

अहमद ने गुस्से से फ़ोन ज़मीन पर फेंका और कमरे से बाहर निकल गया।

............

सानिया सड़क पर लगातार भाग रही थी, भागने की वाजह से उसकी सांसे फूल रही थी।

चार से पांच लड़के उसके पीछे पड़े थे, यही वही लड़के थे जिन्होंने ज़ैनब ने उस दिन माल थप्पड़ मारा था।

उनके वहां से जने के बाद उन लोगो ने सानिया का पीछा किया था और बार बार पीछा करने के बाद जब उन्हें सानिया का रूटीन पता चल गया तो वोह आज उसको किडनैप करने के लिए थे।

जैसे ही सानिया पार्किंग लॉट में गयी उन लोगो ने उसे पकड़ लिया, वोह उनको धक्का दे कर तेज़ी से वहां से भागने लगी।

उन्हें धक्का देते वक्त उसका फ़ोन नीचे गिर गया था।

सानिया एक गाड़ी के पीछे चुप कर बैठी थी कि तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा।

सानिया ने डरते हुए पीछे देखा तो उसके होश ही उड़ गए।

उस लड़के ने जल्दी से उसके मुंह पर रुमाल रखा,
सानिया उन्हें धक्का देने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब उसकी आंखें बंद हो रही थी और क्लोरोफार्म की वाजह से वोह कुछ ही पल में बेहोश हो गयी।

उन लड़कों ने उसे उठा कर गाड़ी में लेटाया और वहां से चले गए।

.................

ज़ैन और ज़ैनब घर आये तो शाज़िया उन्हें सामने ही मिल गयी।

"आ गए मेरे बच्चो।" शाज़िया ने बारी बारी उनका माथा चूमते हुए कहा।

"हम्म।" ज़ैनब उनके गले लगते हुए बोली।

"ज़ैन तुम्हे येह चोट कैसे लगी?" शाज़िया ने परेशान हो कर कहा।

"कुछ नही चाची बस मामूली सी खरोच है।" ज़ैन ने उन्हें परेशान देख कर गले लगा कर कहा।

"ठीक है तुम दोनों फ्रेश हो जाओ मैं खाना लगा देती हूं, और अहमद कहा है तुम लोगो के साथ नही आया?" शाज़िया ने उन लोगो से कहा और फिर अहमद को वह ना पाकर उसके बारे में पूछा।

"वोह किसी काम से गया है।" ज़ैन ने रुकते हुए कहा।

"ओके।" शाज़िया ने कहा और वहां से चली गयी।

ज़ैन के कमरे में जाने के बाद ज़ैनब उसके पीछे जा ही रही थी जब उसके फ़ोन की रिंग बजी।

उसका फोन ज़ैन के पास था।
ज़ैन ने उसे उसका फ़ोन दिया और कमरे में चला गया।

ज़ैनब ने स्क्रीन पर नाम देखा तो हामिद उसे कॉल कर रहा था।

"हाँ हामिद बोलो।" ज़ैनब ने फ़ोन उठाते ही कहा।

"सानिया तुम्हारे साथ है क्या?" हामिद ने परेशान हो कर पूछा।

"नही तो, क्यों क्या हुआ?" ज़ैनब उसकी परेशानी से भरी आवाज़ सुनकर बोली।

"वोह हॉस्पिटल में नही है, मैं उस के फ़ोन पर कॉल कर रहा हु वोह मेरी काल भी पिक नही कर रही है।" हामिद ने कहा।

ज़ैनब उसकी आवाज़ में डर और परेशानी को महसूस कर रही थी।

"ठीक है तुम अहमद को काल करके देखो शायद उसके साथ होगी।" ज़ैनब ने कहा।

ज़ैनब यह भी जानती थी सानिया कभी भी ऐसे किसी को कॉल इग्नोर नही करती थी।

वोह भी अब सानिया के लिए परेशान हो रही थी।

वोह जल्दी से रूम में गयी ज़ैन उसके वक़्त वाशरूम में था।

ज़ैनब ने कबर्ड से अपने कपड़े लिए और गेस्ट रूम में चली गयी।

ज़ैन जब शावर ले कर बाहर आया तभी उसका फोनर रिंग करने लगा।

"हाँ अहमद बोला।" जैन ने फोन उठाते ही कहा।

"ज़ैन वोह..........."

कहानी जारी है.............
©"साबरीन"