सपने - (भाग-26) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सपने - (भाग-26)

सपने.....(भाग-26)

आस्था और आदित्य में उसके बाद कोई बात नहीं हुई......आज के डिनर के लिए जितनी परेशान वो थी, उतना ही आराम से और अच्छे ढंग से निपट गया था अरूणा दी से मिलना और डिनर भी......! उधर अरूणा ने नचिकेत को वहीं रूकने के लिए मना लिया।
अरूणा ने नचिकेत को बताया, "आस्था का माइंड बिल्कुल क्लियर है, वो तुम्हें दोस्त समझती है और रिस्पेक्ट भी करती है पर प्यार नहीं.....काफी समझदार लड़की है....उसके अंदर कुछ बनने की ललक है..... तो मेरे प्यारे भाई आस्था का चेप्टर क्लोज करके किसी और लड़की पर फोकस करो"! अपनी बहन के मुँह से आस्था की तारीफ सुन कर वो मुस्कुरा दिया और बोला, "लगता है दी, अब कोई और पसंद नहीं आ सकती, इसलिए अब इस टॉपिक पर बात नहीं होगी"!
नचिकेत सोने चला गया....उधर आदित्य और आस्था जब घर पहुँचे तो देखा सब सो गए हैं.....दोनो ने एक दूसरे को गुडनाइट बोला और सोने के लिए चले गए.......!
अगली सुबह आस्था और दिनो से जल्दी उठ गयी थी......उसे देखना था कि कल की बात के बाद राजशेखर कैसे बिहेव करता है, हालंकि उसने उसे अपनी बात समझा तो ठीक से ही थी......जब वो फ्रेश हो कर बाहर आयी तो वो नाश्ता कर रहा था और सविता ताई उसके लिए लंच पैक कर रही थी। राजशेखर ने आस्था को देखा तो गुड मार्निंग बोला और उसने पूछा, "रात को डिनर कैसे रहा तुम्हारा और कब आयी तुम "? उसको नार्मल देख कर आस्था के दिल और दिमाग से मानों एक बोझ हट गया...."डिनर ठीक रहा, रात को मैं और आदित्य साथ ही आए हैं, 1 बज गया था"। "आदित्य तुम्हें कहाँ मिल गया था"? राजशेखर ने पूछा तो आस्था ने पूूरी बात बता दी......तब तक सब इकट्ठा हो गए और आस्था मजे ले लेकर आदित्य की बॉस के बारे में सब बताने लगी.....सब जोर जोर से हँसने लगे तो आदित्य भी हँस दिया। श्रीकांत बोला," अब हँसना हो गया तो अब मेरी बात सुनो, मेरी आई और बाबा आ रहे हैं कुछ दिन के लिए.....वो लोग सोफिया के पैरेंटस से मिल कर हमारी शादी की बात करनेे आए हैं......तो मैं सोच रहा हूँ कि उनके रहने के लिए होटल बुक करवा देता हूँ"। "ये तो बहुत अच्छी बात है, पर अगर उन्हें यहाँ कोई प्रॉब्लम न हो तो श्रीकांत तुम मेरे रूम में सो जाना और नवीन कुछ दिन राजशेखर के रूम में, वो लोग यहाँ आ रहे हैं तो होटल में क्यों रूकवाना है?.......मैं ठीक कह रहा हूँ न"? आदित्य ने सबसे पूछा तो सबने कहा, "हाँ मैनेज हो जाएगा तुम उन्हें घर ही ले आना अगर उन्हें आस्था का हमारे साथ रहने को ले कर कोई प्राब्लम न हो तो"! राजशेखर बोला...... !"हाँ राजशेखर ठीक कह रहा है, तो मैं कहीं शिफ्ट हो जाऊँगी कुछ दिन के लिए"!! आस्था ने अपनी बात रखी। "नहीं ऐसी कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए, कह देंगे कि मैं और आस्था भाई बहन हैं"!......ये सुझाव नवीन ने दिया......"वाह क्या बात है नवीन ?इतनी सुंदर लड़की को तूने बहन बना लिया"! श्रीकांत ने हँसते हुए कहा तो आस्था बोली, "सुंदर लड़कियों के भी भाई होते हैं श्री, नवीन ठीक कह रहा है....तो अब ऐसे ही करेंगे......आस्था ने कहा तो श्रीकांत बोला "ठीक है, फिर जब तक वो रहेंगे नॉन वेज भी नहीं खाया जाएगा"! आदित्य बोला, "हाँ कोई नहीं यार सब मैनेज हो जाएगा"। सब अपने अपने काम पर चल दिए और नवीन अपने कमरे में जा कर रियाज करने लगा। अगली सुबह श्रीकांत और आदित्य उसके आई बाबा को लेने रेलवे स्टेशन चले गए...!
आस्था और सविता ने जल्दी जल्दी नाश्ता बनाया और साफ सफाई शुरू कर दी....बीयर वगैरह सब बॉटल्स निकाल कर स्टोर रूम में एक कॉर्टन में डाल कर रख दी।
कुछ देर में आदित्य और श्रीकांत आई बाबा को ले कर आ गए.......तब तक सब काम भी हो गया था !! श्रीकांत ने आस्था और सबसे मिलवाया......वो लोग चाय पी कर फ्रेश होने चले गए । श्रीकांत की आई काफी सारी मिठाइयाँ, आचार और भी न जाने क्या क्या ले कर आयी थीं....... वो लोग नहा कर आए तब तक सविता और आस्था ने सबके लिए नाश्ता लगा दिया......नाश्ता करने के बाद सब अपने अपने काम पर चले गए और श्रीकांत की आई सारा सामान निकाल कर सविता के साथ रसोई में रखवा रही थी और साथ साथ समझा भी रहीं थी......और बाबा वो काफी देर तक टी.वी पर समाचार देखते रहे और उसके बाद आराम करने कमरे में चले गए......। दोपहर को सोफिया श्रीकांत के आई बाबा से मिलने सलवार सूट पहन कर आयी थी। सोफिया उन्हें पसंद ही थी, उनका कहना था कि उनके बेटे की पसंद ही उनकी पसंद है....वो लोग ज्यादा दिन मुंबई में नहीं रहना चाहते थे सो उन्होंने सोफिया को अगले दिन शाम को उसके पैरेंटस से मिलने आँएगें बता दिया। सोफिया के जाने के बाद सब लंच के बाद आराम करने लगे.......। शाम को भी जब सब इकट्ठा हुए तो श्रीकांत के आई बाबा को कुछ बुरा न लगे इस बात का ध्यान रख रहे थे......अगले दिन श्रीकांत ने छुट्टी ले ली... नाश्ता करके वो अपने आई बाबा के साथ शॉपिंग पर जाने लगे तो उसकी आई ने आस्था को भी साथ चलने को कहा....! उनका कहना था, "सोफिया शहर की लड़की है तो उसके हिसाब से ही सब कुछ लेना चाहिए और आस्था उनकी हेल्प करेगी"।आस्था जल्दी से तैयार हो गयी और चल दी उनके साथ और 3-4 घंटे की शॉपिंग में सोफिया के लिए एक साड़ी और कुछ मेकअप का सामान , हैंडबैग वगैरह खरीद लाए। सोफिया ने फोन करके आस्था को भी साथ आने को कहा था......मिठाई और सोफिया के लिए गिफ्टस ले कर वो उनके घर चल दिए......श्रीकांत की आई अपने साथ एक सोने का सेट भी ले कर आयी थी। शाम को चारो लोग तैयार हो कर सोफिया के घर चले गए........सोफिया का घर तो बड़ा नहीं था, पर काफी अच्छे ढंग से सब कुछ अरैंज करके घर को सजाया हुआ था। सोफिया एक सुंदर सी ड्रैस पहन कर तैयार हुई बहुत प्यारी लग रही थी........श्रीकांत की आई ने सोने का सेट, साड़ी और बाकी सामान के साथ कुछ कैश दे कर रिश्ते को पक्का कर दिया......!
सोफिया के पैरेंटस एक दूसरे की शक्ल देखने लगे कि उन्हें क्या करना चाहिए तो श्रीकांत के बाबा उनकी प्रॉब्लम समझ गए....अपनी जात बिरादरी से बाहर शादी करने के लिए मान तो लिया ही था सो उन्हें आने वाली मुश्किलों का अंदाजा भी था....इसलिए वो बोले आप परेशान न हों......आज हमने आपकी बेटी को अपनी बहु मान लिया है। आप में जो होता है वो आप देख लेना। सोफिया की मॉम ने आस्था की तरफ देखा और उसे अंदर चलने को कहा........आस्था उनके साथ अंदर गयी और उन्होंने से आस्था से पूूछा कि उन्हें क्या करना होगा वो पता नहीं क्योंकि उनमें इस तरह से कुछ होता नहीं तो आस्था ने उन्हे बताया , "आप थोड़ा बहुत कैश या कोई गिफ्ट श्रीकांत और उसके पैरेंटस को दे दीजिए.....ऐसे ही किया जाता है"। सोफिया के पैरेंटस को आइडिया नहीं था कि श्रीकांत की फैमिली इतना कुछ ले कर आएगी सो उन्होंने कैश का एक लिफाफा श्रीकांत को और दूसरा उसके आई बाबा को दे दिया.....आई और आस्था ने तो सोफिया को माथे पर कुमकुम का टीका लगाया था......सोफिया के पैरेंटस ये सब नहीं मानते थे तो आस्था ने ही श्रीकांत के माथे पर कुमकुम का तिलक कर दिया। चाय पीने के बाद सोफिया के पापा ने कहा , "शादी वो अपने रीतिरिवाज से चर्च में करना चाहते हैं अगर वो चाहें तो उसके बाद वो लोग अपने रीतिरिवाज से कर लेंगे"....! आस्था देख रही थी कि श्रीकांत के आई बाबा ने कोई ऑब्जेक्शन नहीं उठाया और शादी की डेट निकाल कर फोन करेंगे बोल उठ गए। सोफिया के पैरेंटस ने कहा कि, "वो लोग शादी मुंबई में ही कर पाँएगे", तो भी उन्होंने कहा," ठीक है, हमें कोई दिक्कत नहीं हैं, पहले चर्च में शादी करवा देंगे बाद में हमारे रीति रिवाज से हो जाएगी, मतलब तो दोनो परिवारों को बच्चों की खुशी में शरीक होने से है"......! सोफिया के घर से चारो जब तक वापिस आए.....सब लोग घर पर उनका ही इंतजार कर रहे थे। श्रीकांत के बाबा ने रास्ते से एक मिठाई का डिब्बा भी ले लिया था सब का मुँह मीठा कराने के लिए.......सब बहुत खुश थे और सबसे ज्यादा खुश श्रीकांत के आई बाबा खुश थे अपने बेटे को खुश देख कर.......!! आस्था भी खुश थी, पर उसे सोफिया के पैरेंटस के बात करने का ढंग अच्छा नहीं लगा था, शायद वो श्रीकांत के पैरेंटस को गाँव में रहने की वजह से कम आँक रहे थे.......नाममात्र का शगुन दे कर भी वो अपने आप को सुपीरियर समझ रहे थे...शायद बेटे की खुशी को देख कर उन्होंने उनका रूखा व्यवहार भी अनदेखा कर दिया था.....!
क्रमश: