उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 3 ArUu द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 3

कुछ दिनों बाद काव्या कॉलेज जाने लगी।उसका मन नही था पर नेहा मैम के फोन कॉल्स आने पर उसका मन नही होने पर भी वह कॉलेज की तरफ चल पड़ी।
इससे पहले विनी और पीहु ने उसे कितनी बार कॉलेज चलने को कहा यहां तक कि कई बार को उसे लेने घर भी आई पर काव्या ने उन्हें मना कर दिया पर नेहा मैम के बार बार कहने पर वह उनको मना नहीं कर पाई।
वह कॉलेज तो गई पर क्लासरूम में जाने की उसकी हिम्मत नही हुई। वह रूद्र को देखना नहीं चाहती थी । शायद डरती थी उसके सामने जानें से। वह कॉलेज जा कर सीधा नेहा मैम के केबिन में गई। उसने नेहा मैम के पैर छुए तो नेहा मैम की आंखे भर आई और उन्होंने उसे गले से लगा लिया। ये नेहा मैम की मेहनत का ही फल था की काव्या अब कुछ हद तक सहज हो पायी थी। वो रोज उससे घंटो बाते करती और उसे समझाती। अतीत के पन्नो से उसे वर्तमान तक लाने में वो उसकी काफी मदद करती इसी का नतीजा था की आज काव्या एक महीने बाद कॉलेज आयी थी। काव्या को देख नेहा मैम बहुत खुश हो गई थी। काव्या भी क्लास से दूर बस नेहा मैम के पास अपना वक्त बिताती। कॉलेज आते या जाते टाइम उसे कभी कभार रूद्र दिख जाता पर वह उससे नजरे मिलाने से बचती।
धीरे धीरे नेहा मैम के समझाने पर वह पास्ट को भूल अपने फ्यूचर पर फोकस रखने लगी। रूद्र की याद आती तो वह खुद को बिजी रखती ताकि उसे एक पल का वक्त न मिले रूद्र के बारे में सोचने का। इन दिनों वह अपने फ्रेंड्स से भी दूर हो गई थी।अब बस उसकी दुनिया में नेहा मैम रह गई थी जो उसको मोटिवेट करती रहती थी और अपने साइकोलॉजिस्ट ट्रीटमेंट से उसको दिमागी तौर पर मजबूत बनाती।
रूद्र भी काव्या की तरफ नहीं देखता और बस अपनी पढ़ाई में बिजी रहता।
धीरे धीरे ये लास्ट साल भी बीत गया और एग्जाम्स आ गए।
काव्या रूद्र फिर एक रूम में थे पर पिछले साल की तरह इस साल दोनों के बीच ना कोई खिंचाव था ना ही संवाद की आस।
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आज कॉलेज का लास्ट दिन था,
रिजल्ट वाला दिन... सब खुश भी थे पर एक दूसरे से ना मिल पाने के गम से दुखी भी थे । रिजल्ट आ गया और काव्या ने कॉलेज में टॉप किया था। वह खुशी से झूम उठी। और विनी के गले लग गई।इसी बीच उसकी नजर कोने में खड़े रूद्र पर गई जो उसे देख रहा था पर काव्या ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और अपनी मार्कशीट ले भाग के नेहा मैम के पास गई क्युकी वही तो थी जिसकी वजह से वह आज इस जंग को जीत पायी थी वरना वह तो कब का हार मान बैठी थी।
जब उसे याद आया तो वह रूद्र के बारे में सोचने लगी।विनी ने बताया कि उसके मार्क्स इतने अच्छे नहीं है.,.पर काव्या ने इसकी परवाह नही की ओर अपनी खुशी में मशगूल हो गई।
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आज काव्या के पापा मुंबई से घर आए थे। उन्होंने सोचा अपनी बेटी को सरप्राइज दिया जाए इसलिए वह अपनी कार ले कर उसे लेने कॉलेज चल दिए। काव्या इन दिनों पैदल ही आती थी वह रूद्र की दी गई स्कूटी का यूज नहीं करती थी।
जब वह नेहा मैम के केबिन में पहुंचे तो नेहा मैम को देख उनकी आंखे फटी की फटी रह गई।
वह काव्या को देखे बिना उसे एक तमाचा जड़ दिया
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी से मिलने की"
नेहा मैम संभल पाती उससे पहले ही काव्या के पापा जीवन ने उन्हें दूसरा तमाचा जड़ दिया।
काव्या हक्की बक्की हो कभी अपने पापा को तो कभी नेहा मैम को देखने लगी। वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही जीवन ने उसे साफ शब्दों में कह दिया था की आज के बाद वह इस औरत से कभी नहीं मिलेगी।
नेहा मैम आंखों में आंसू लिए काव्या को देख रही थी। काव्या कुछ समझ नहीं पा रही थी की माजरा क्या है। उससे पहले वह कुछ समझ पाती जीवन उसे हाथ पकड़ कर अपने साथ ले गया।नेहा मैम बस उन्हें जाते देखती रही।
काव्या पूरे रास्ते में अपने पापा से एक ही सवाल करती रही
"पापा हुआ क्या है,...आप कैसे जानते हो नेहा मैम को.,. आपने उन्हे थप्पड़ कैसे मारा...ये हो क्या रहा है पापा"
घर चलो तुम्हें तुम्हारे सारे सवालो के जवाब मिल जायेंगे
"बेटा ये औरत तेरी माॅं है जो तुझे बचपन में किसी और आदमी के लिए छोड़ गई बेटा... मैं नहीं चाहता की तुझपे इस गंदी औरत का जरा सा भी साया पड़े । पैसों के लिए ऐसी औरते कुछ भी कर सकती है। तू संभल कर रह मेरी बच्ची।"
ये कह कर जीवन कमरे से चला गया।
काव्या धम्म से सोफे पर जा गिरी। उसे समझ नहीं आ रहा था वह हंसे या रोए। इतने सालों बाद उसे नेहा मैम के रूप में अपनी मां मिली और वो भी इस सच्चाई के साथ।
उसका मन ये मानने को बिल्कुल तैयार नहीं था की उसकी नेहा मैम पैसे के लिए इतना गिर सकती है।
दूसरे पल जब वह ये सोचती की नेहा मैम ही उसकी माॅं है तो उसे एक पल अपनी किस्मत पर यकीन नही होता। उसे समझ नहीं आ रहा था की किस्मत उसके साथ कैसा खेल खेल रही थी।
वह कभी खुश तो कभी रुहासी हो उठती।
"क्या सच में नेहा मैम जैसी औरत पैसे के लिए अपनी बच्ची को छोड़ सकती है...अगर ये सच है तो वो आज भी इतना साधारण जीवन कैसे जी रही है...वो मेरी मां है..,तभी में हमेशा उनकी तरफ एक खिंचाव महसूस करती हूं...पर वो गलत कैसे हो सकती है यार.,. मैं कैसे मान लू की मेरी नेहा मैम पैसे के लिए ऐसा कर सकती है.,,क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा ... हे भगवान अब आप ही कुछ रास्ता दिखाओ" कह कर वह सिर पकड़ कर बैठ गई ...तभी उसके कमरे में रीतू दीदी आई ।
वह चुपके से बोली "काव्या बिटिया मुझे पता है तुम क्या सोच रही हो पर मुझे सब पता है सच पर अगर तुम मानो तो कहूं।"
"क्या? कैसा सच ,इतने सालो से कौनसा सच आप मुझसे छुपा रही है"
तुम ध्यान से सुनना बिटिया...
To be continued 😁