Meri beti mil gai - 3 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

मेरी बेटी मिल गयी - 3 - अंतिम भाग

Last Part - 3

पहले अंक में आपने पढ़ा था - रागिनी की नासमझी से विवाह के पहले ही वह प्रेग्नेंट हो गयी थी पर उसकी माँ ने उसकी संतान को किसी अनाथालय में रख दिया था. इत्तफ़ाक़ से उसका सामना अपनी बच्ची से कम्पनी के मालिक के यहाँ होता है, अब आगे.....

एक दिन किशोर की माँ ने बेटे से कहा “ मैं बूढ़ी हूँ, मेरा क्या ठिकाना. तुम शादी क्यों नहीं कर लेते हो ? जानते हो, बेटी को पालना अकेले बाप के लिए बहुत कठिन होता है. राधा जब बड़ी हो जाएगी तो उसकी मनोभावना और समस्या को एक औरत ही अच्छी तरह समझ सकती है. “

“ जानता हूँ माँ पर डरता हूँ पता नहीं दूसरी औरत राधा से कैसा व्यवहार करे. राधा मेरी गोद ली बेटी है, यह जानने के बाद वह औरत राधा से और भी नफरत करने लगेगी. “

“ बेटा, यह रागिनी कौन है ? राधा हमेशा रागिनी ऑन्टी, रागिनी ऑन्टी किये रहती है. “

“ वो मेरी सेक्रेट्री है. “

“ एक दिन उसे ले कर घर आना. “

कुछ दिनों के बाद किशोर रागिनी को ले कर एक दिन घर आया. रागिनी को देखते ही राधा उस से लिपट पड़ी. रागिनी ने भी उसको चूमा और गोद में ले कर प्यार करने लगी.

बातचीत के दौरान किशोर की माँ ने कहा “ राधा को प्यार करते तुम्हें देखा तो बहुत अच्छा लगा. बेचारी जन्म से ही माँ के आँचल की छाया से वंचित रही है. “

“ क्यों ? “ रागिनी ने पूछा

“ जन्म के कुछ ही दिन बाद इसे किसी ने अनाथालय में छोड़ दिया था. “

“ ओह ! “

“ बेचारी को माँ जैसा प्यार देने वाली कोई मिल जाती तो मुझे भी चैन आता. मेरी जिंदगी का क्या ठिकाना ? रहूँ भी तो अपने स्वास्थ्य के चलते इस पर ध्यान नहीं दे सकती हूँ. किशोर के लिए भी राधा को अकेले पालना आसान नहीं है. मैं सोच रही थी वह शादी कर लेता. उसे कोई आपत्ति नहीं है पर दूसरी बीबी राधा से कैसा बर्ताव करेगी, यह सोच कर वह डरता है.मैं देख रही हूँ राधा तुमसे काफी घुलमिल गयी है.उसे तुम्हारी जैसी कोई माँ मिल जाती तो अच्छा होता.  “

रागिनी ने कोई जवाब नहीं दिया. कुछ देर बाद किशोर ने ड्राइवर को उसे घर छोड़ने को कहा. उसके जाने के बाद किशोर की माँ ने कहा “ एक दिन रागिनीं की माँ को घर ले कर आना. “

‘ क्यों ? क्या खिचड़ी पक रही है तुम्हारे मन में ? “

“ कुछ नहीं, तुम उन्हें ले कर आओ. “

अगले सप्ताह किशोर रागिनी की माँ उषा को घर ले आया, साथ में रागिनी भी आयी थी. रागिनी को देखते ही राधा दौड़ कर उसके गले लगी. रागिनी भी उसे प्यार करने लगी. उषा एक टक से राधा को देखे जा रही थी. उसने राधा को अपने पास बुलाया और उसे प्यार किया फिर बहुत गौर से देर तक उसे देखने लगी. वह बार बार राधा की गर्दन पर लगे काले बर्थ मार्क को देख रही थी. उसे देख कर उषा को याद आया कि रागिनी की बच्ची की गर्दन पर भी ठीक वैसा ही दाग था. उसके मन में संदेह हुआ कहीं राधा वही लड़की तो नहीं है. हो सकता है खून का रिश्ता होने के चलते रागिनी और राधा दोनों में प्राकृतिक आकर्षण और प्यार जग गया हो. चूंकि उषा निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकती थी कि राधा वही लड़की है इसलिए फ़िलहाल उसने चुप रहना ही बेहतर समझा.

किशोर राधा और रागिनी दूसरे कमरे में बैठ कर बातें कर रहे थे.

बातचीत के दौरान उषा ने किशोर की माँ से कहा “ राधा बड़ी प्यारी बच्ची है. बेचारी को माँ का प्यार नहीं मिल सका. “

किशोर की माँ ने कहा “ हाँ. सगी माँ तो रही नहीं पर इसके लिए हमें माँ जैसी एक लड़की की तलाश है. किशोर और हम इसे ले कर चिंतित रहते हैं. मेरा यहाँ रहना समस्या का कोई परमानेंट समाधान नहीं है. इसलिए मैं चाहती हूँ कि किशोर दूसरी शादी कर ले. “

“ हाँ आपका सोचना सही है, राधा को माँ मिल जाए तो बेहतर है. अभी छोटी बच्ची है, उसे एडजस्ट करने में कोई दिक्क़त नहीं होनी चाहिए. “

“ सच कहूं उषाजी तो मेरे आपसे मिलने का यही मकसद भी है. सीधे कहूँ तो रागिनी जैसी लड़की राधा के लिए मिल जाती तो बहुत अच्छा होता. बल्कि मुझे रागिनी ही बहुत पसंद है. पर कहते हुए डरती हूँ क्योंकि कोई भी लड़की दूसरी बीबी बनना पसंद नहीं करेगी. अगर आपको ठीक लगे तो एक बार रागिनी का मन टटोलने की कोशिश करें, क्या वह राधा की मम्मी बन सकती है. “

यह सुन कर उषा कुछ पल के लिए सोचने लगी कि अगर किसी तरह पता लग सके कि राधा रागिनी की अपनी बेटी है तो रागिनी को इस रिश्ते से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.

उषा ने हिम्मत कर पूछा “ राधा की उम्र क्या है ? उसका जन्म किस दिन और कहाँ हुआ था ? अगर मुझे पता चले तो मैं उसकी कुंडली बनवाऊँगी. फिर मैं आपको निश्चित तौर पर कुछ कह सकती हूँ. “

किशोर ने भी उषा की यह बात सुनी. वह माँ के पास आकर बोला “ मम्मी, अगर ये जानना चाहती हैं तो सब कुछ सच सच क्यों नहीं बता देती हो ? “

उषा के मन में कुछ संदेह हुआ कि किशोर की माँ कुछ बात छुपा रही हैं. उसने कहा “ बहनजी, आप परेशान नहीं हों, मैंने यूँ ही जानना चाहा था. “

“ नहीं माँ, इन्हें सच बता दो. “  किशोर ने बीच में जब कहा उस समय राधा रागिनी के साथ दूसरे कमरे में खेल रही थी.

किशोर की माँ ने उषाजी को राधा के बारे में सब कुछ विस्तार से बता दिया. इतना ही नहीं उस अनाथालय का पता भी बता दिया जहाँ से किशोर ने राधा को गोद लिया था. अब उषा के मन में रत्ती भर भी संदेह न रहा कि राधा उनकी नातिन और रागिनी की सगी बेटी है. यह सोच कर उनका मन अंदर से खुश हुआ कि अब रागिनी को राधा की मम्मी बनने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.

किशोर ने कहा “ मुझे सबसे ज्यादा चिंता राधा के वर्तमान और भविष्य की है. मुझे रागिनी को अपनाने में कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि ख़ुशी ही होगी. बाकी आप रागिनी की राय ले कर ही कोई फैसला करेंगी. “

“ ठीक है, मैं रागिनी से बात कर फिर बताती हूँ.”

उषा रागिनी के साथ घर लौट आयी. घर आ कर उसने रागिनी को उसके प्रसव और राधा की पूरी कहानी बता दी और कहा “ मैंने सिर्फ सभी की इज्जत बचाने के लिए तुमसे झूठ कहा था ताकि तुम्हारी शादी में कोई समस्या न हो. इसके लिए मुझे माफ़ करना बेटी. अगर मैं राधा की गर्दन पर वो दाग नहीं देखती तो उसे पहचान भी सकती थी. खुद किशोर ने उसी अनाथालय का पता भी बताया जहाँ हमने राधा को छोड़ा था और किशोर ने गोद लिया था. अब सोच ले, तेरी अपनी बेटी तुझे वापस मिल रही है. तू एक बार फिर उसकी माँ बनने को तैयार है या नहीं ? “

राधा ने नम आँखों से अपनी स्वीकृति दे दी. उषा ने किशोर की माँ को इसकी सूचना दे दी. दो दिनों के बाद किशोर अपनी माँ के साथ रागिनी के घर पहुँचा और उन लोगों को अपने घर ले गया. रागिनी को देख कर राधा ख़ुशी से उछल पड़ी और बोली “ रागिनी ऑन्टी आ गयी. “

किशोर की माँ ने कहा “ हाँ, ऑन्टी आ गयी. अगर तुम चाहो तो अब ऑन्टी यहीं रहेगी. “

राधा की ख़ुशी दोगुनी हो गयी, उसने कहा “ यह तो बहुत अच्छी बात होगी. ऑन्टी मुझे रोज रोज खूब प्यार करेगी. “

“ पर तुम्हें एक बात की प्रॉमिस करनी होगी. “

“ क्या प्रॉमिस करनी होगी ? “

“ रागनी अब तुम्हें इनको ऑन्टी नहीं मम्मी पुकारना होगा. बोलो मंजूर है ? “

राधा ने रागिनी के गले लग कर कहा “ मेरी अच्छी ऑन्टी. उफ़ नो, वैरी सॉरी. माय बेस्ट मम्मी. अब मैं अपनी मम्मी के साथ रहूँगी. “

उसे अपनी सगी बच्ची वापस मिल गयी और देवता स्वरूप पति किशोर मिल गया. सभी ने राहत की सांस ली और सबके चेहरे पर मुस्कान थी.

समाप्त

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