सपने - (भाग-20) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • Devil I Hate You - 7

     जानवी की भी अब उठ कर वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,...

  • दरिंदा - भाग - 12

    इस तरह अचानक अशोक अंकल को अपने सामने खड़ा देखकर अल्पा समझ ही...

  • द्वारावती - 74

    74उत्सव काशी में बस गया था। काशी को अत्यंत निकट से उसने देखा...

  • दादीमा की कहानियाँ - 4

     *!! लालच बुरी बला है !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*एक बार...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 54

    अब आगे रूही रूद्र को गुस्से में देख रही थी रूद्र ‌रूही के इस...

श्रेणी
शेयर करे

सपने - (भाग-20)

सपने.........(भाग-20)

2 दिन बाद वो अपने घर होगी पर बात सोच सोच कर ही आस्था को नींद नहीं आ रही थी.....पहले तो जाने का खास मन नहीं था, पर अब जब जाने में 2 दिन ही बचे हैं तो उसे ये दो दिन भी ज्यादा लग रहे हैं.......स्नेहा से मिल कर उससे बातें करना, और 2 दिन सबके लिए कुछ न कुछ लेने में बीत जाएँगे, पता ही नहीं चलेगा....यही सब सोचते सोचते ही वो सो गयी.........उधर राजशेखर सुबह उठा तो उसने पक्का सोच लिया था कि वो आस्था से अपनी दिल की बात कहने में देर नहीं करेगा.....शाम को आ कर उससे बात करूँगा सोच कर ऑफिस चला गया....।श्रीकांत और आदित्य भी चले गए और घर में रह गए सविता ताई, नवीन और आस्था.....! नाश्ता करके वो मार्किट जाने वाली थी, उसने नवीन से पूछा, "अगर तुम्हें कोई काम न हो तो मेरे साथ शॉपिग करने चलोगे? नवीन बोला, " नहीं कोई काम नही है, 10 मिनट दो मैं तैयार हो कर आता हूँ"। नवीन के तैयार होने तक आस्था भी अपना हैंडबैग ले कर बाहर आ गयी......सविता ताई को भी सामान की लिस्ट नीचे जनरल स्टोर वाले को देने जाना था तो आस्था ने कहा," ताई लिस्ट मुझे दे दो, हम नीचे जा रहे हैं तो दे देगें"! नवीन भी तैयार हो कर आ गया, दोनो ने पहले लिस्ट दी फिर ऑटो ले कर मार्किट की तरफ चल दिए।
आस्था को घूम घूम कर शॉपिंग करने में बहुत मजा आ रहा था...... नवीन चुपचाप उसके साथ साथ चलता जा रहा था.....! 4-5घंटे लगा कर उसने अपनी शॉपिंग खत्म की.....पर तब तक भूख जोरो से लग गयी थी।
दोनो ने थोड़ा बहुत खाया और वापिस घर की तरफ चल दिए। अब आस्था फ्री थी तो नवीन से खूब बातें कर रही थी.......कुछ उसकी सुन रही थी कुछ अपने बारे में बता रही थी....!!
आस्था की बातें सुन कर उसे अपनी बहन रश्मि की याद आ गयी, वो भी तो जब बोलनै लगती है चुप ही नहीं होती.......आस्था जो लगातार बोले जा रही थी, नवीन को उदास देख कर उससे पूछा,"नवीन क्या हुआ? "मेरी बातों से बोर हो गए हो? वैसे बोर हो तो नहीं सकते क्योंकि तुम मुझे उदास लग रहे हो"! अपने सवालों के जवाबभी खुद देती आस्था की बात सुन कर वो हँस दिया," कुछ नहीं बस अपनी बहन की याद आ गयी, वो भी तुम्हारी तरह खूब बोलती है"! "अच्छा ये बात है तो आज से मैं भी तुम्हारी बहन, ठीक है न" !! आस्था कि बात सुन कर नवीन ने बोला, "हाँ बिल्कुल तुम्हारे कहने से पहले ही तुम्हे अपनी बहन मान चुका हूँ"! "वाह.....ये हुई न बात.....चलो अब इसी बात पर हँस कर दिखाओ".......! आस्था की ड्रामेबाजी ने उसे एक बार फिर हँसा दिया.......!! "अच्छा नवीन मैंने अपने डायरेक्टर नचिकेत से बात की थी, तुम्हारे लिए......तुम शुक्रवार को उनसे मिल लेना......नंबर मैं तुम्हें दे दूँगी, तुम एक दिन पहले उनसे टाइम पूछ लेना और जगह भी.........सोफिया की मम्मी भी म्यूजिक टीचर है एक स्कूल में.......कुछ बच्चे मिल जाँएगें तुम्हें म्यूजिक की ट्यूशन के लिए, ऐसी उम्मीद तो है....वो भी जल्दी ही बात करके बता देगी.....तुम परेशान मत हो, हम सब तुम्हारे साथ हैं, जब तक कोई कांटेस्ट शुरू नहीं होता तब तक तुम इन सब में खुद को बिजी रखो"! आस्था की बात सुन कर नवीन इमोशनल हो कर बस "थैंक्यू" ही बोल पाया....उसकी आँखो मैं आँसू आ गए...! आस्था उसे रोता देख खुद को भी नहीं रोक पायी और बोली, "हम दोनो बाद मैं रोएगें जब तुम स्टार बन जाओगे..... तब तक नो रोना धोना बस काम होना ", कह कर अपने आँसू पौंछ लिए......। कितनी जल्दी हम अपने आप को रिश्तों में बाँध लेते हैं......कुछ महीनो पहले जब वो मुंबई आए थे अपने अपने सपनो के साथ तो किसी को भी नहीं पता था कि यहाँ इतने अच्छे दोस्त मिल जाँएगे..य.य..!! 2 दिन बाद आस्था चली जाएगी इसलिए दो दिन तक घर पर रोज पार्टी होने वाली थी.....सोफिया को भी बुलाया गया.......आदित्य बोला, आस्था तुम अपने खड़ूस डायरेक्टर को भी बुला लो...नवीन का ऑडीशन भी यहीं हो जाएगा और हमारी जान पहचान भी हो जाएगी....!
आस्था को उम्मीद तो नहीं थी नचिकेत के आने की, पर सबके कहने पर उसने नचिकेत को फोन करके डिनर पर आने को कहा तो वो खुशी खुशी तैयार हो गया........शाम की पार्टी की जिम्मेदारी आदित्य ने ले ली थी। खाना सब आर्डर किया जाने वाला था.......!
शाम को आदित्य थोड़ा जल्दी आ गया था और पीने के लिए बीयर वगैरह ला कर फ्रीज में रखवा चुका था.......शाम के लिए पहले कुछ स्नैक्स और बाद में डिनर सर्व होगा ये वो सविता ताई को बता चुका था.......सोफिया भी आ गयी थी......डिनर भी 8 बजे तक आ गया था और नचिकेत भी........आस्था ने नचिकेत से सबको मिलवाया ......तब तक आदित्य ने सबको बीयर सर्व कर दी। आदित्य ने जब नचिकेत से हाथ मिलाया तो न जाने क्यों उसे नचिकेत पसंद नहीं आया। फिर भी मेजबान था तो इधर उधर की बातें करते रहे आपस में.....नचिकेत अपने काम के बारे में बता रहा था और सबसे उनके बारे में जानने की कोशिश कर रहा था....आस्था और सविता ताई स्नैक्स सर्व कर रहे थे.....।
थोड़ा पार्टी का माहौल बना तो नवीन को गाना सुनाने को कहा गया.....फिर तो बेचारे को एक एक करके कई गाने सुनाने पड़े....! नचिकेत को उसकी आवाज बहुत पसंद आयी.....उसने उसे अपने अगले प्ले में काम देने का प्रामिस तो किया ही साथ ही और लोगो से मिलवाने का भी वादा कर दिया....!
नवीन को और क्या चाहिए था.....उसकी मेहनत और आवाज को लोग जल्दी ही जानने लगेगें ये नचिकेत का कहना था....!
नचिकेत डिनर करके जाने के लिए उठ गया क्योंकि उसे कहीं और भी जाना था तो आस्था उसे नीचे तक छोड़ने चली गयी....!
नीचे कार के पास पहुँच कर नचिकेत ने अपनी बात दोहरा दी...." आस्था मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार करूँगा".....कह वो चल कार में बैठ कर चल दिया और आस्था के लिए फिर एक उलझन छोड़ गया.......
नचिकेत इंसान अच्छा है और वो उसकी इज्जत भी करती है, पर प्यार की बात आने पर आस्था कशमकश में पड़ जाती है......वो नचिकेत की बात को सोचते हुए ऊपर आ गयी।" क्या हुआ आस्था? तुम्हें क्या हुआ? अभी तक तो तुम खुश थी....अब अचानक उदासी क्यो"? श्रीकांत का ध्यान आस्था पर था.....आस्था को चुपचाप सोफे पर बैठते देख श्रीकांत ने पूछा तो सब आस्था की तरफ देखने लगे......."यार नचिकेत ने मुझे प्रपोज किया है"....! सोफिया उसकी बात सुन कर बोली, "ये तो बहुत खुश होने वाली बात है आस्था, तो तुमने क्या कहा? हाँ कह दी ? वैसे भी तुम्हारे नचिकेत है ही बहुत हैंडसम और आवाज भी कितनी इंप्रेसिव है"! उनकी बाते सुन कर राजशेखर का दिल जोरो से धड़क गया.....उसे अपना प्यार खोता हुआ नजर आ रहा था.....फिर भी आस्था का जवाब सुनने को रूका हुआ था।" नहीं सोफिया मैंने अभी कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि मैंने कभी इस तरीके से उनके बारे में सोचा ही नहीं है"!सोफिया बोली, "तो अब सोच लेना, घर तो जा ही रही हो....आराम से अकेले में सोच कर जवाब दे देना"! राजशेखर की जान में जान आयी क्योंकि अभी भी आखिरी उम्मीद बची थी.......आदित्य जो चुपचाप सब सुन रहा था वो और चुप न रह पाया, "क्यों सोचना है उसके बारे में आराम से, आस्था कह रही है न कि वो उसके बारे में ऐसा कुछ फील नहीं करती और अब इस टॉपिक को यहीं बंद करो.......मुझे तो ये आदमी बिल्कुल अच्छा नहीं लगा"! आदित्य की बात सुन कर सब चुप हो गए....और सब उठ कर अपनी अपनी प्लेट किचन में रख कर सोफे पर आ कर चुपचाप बैठ गए....सबको इतना शांत देख कर आस्था ने अपना मूड ठीक करते हुए कहा, " अच्छा ये सब छोड़ो, नवीन के नामएक एक बीयर और हो जाए...कह कर माहौल को थोड़ा हल्का कर दिया.....!!
क्रमश: