Exploring east india and Bhutan... - Part 19 Arun Singla द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

Exploring east india and Bhutan... - Part 19

Exploring East india and Bhutan-Chapter-19

तेरहवां  दिन

मानसी को आज शाम को मिस्टर भसीन से मिलना था, तो उसने शाम तक होटल पर ही रुकने की इच्छा जाहिर की, जाहिर है वह मीटिंग की तेयारी में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती थी, हमे भी लगा उसका रुकना ही ठीक है, और हम दोनों थिम्पू दर्शन को निकल लिए. हमारा सबसे पहला स्टॉप था, मोतिहंग टेकिन.

 

Motihang Takin Preserve, Thimphu Bhutan 

यह थिम्फु के सिटी सेंटर से लगभग 5 km की दूरी पर मोतिहंग में स्थित है व् लगभग 84 एकड़ जमीन में फैला हुआ है. टेकिन भूटान का राष्ट्रीय पशु है, और इसे बड़े सम्मान की नजर से देखा जाता है. मादा टेकिन लगभग आठ महीनों की गर्भधारण अवधि के बाद केवल एक बच्चे को जन्म देती है.

टेकिन सरंक्षण में टेकिन के अलावा ट्रगो पैन और पहाडी  हिरण भी दिखाई देते है, इसके अलावा देखने को कुछ ख़ास नही है. परन्तु ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए यह अवश्य ही एक दर्शनीय स्थल है. और अगर आपके पास समय है तो आप देवदार के पेड़ों के बीच एक लंबा रास्ता तय करते हुए मंद-मंद बहती शीतल पवन का आनंद उठा सकते हैं.

मोतिहंग टेकिन प्रिजर्व, पहले यह मिनी जू था, पर भूटान के राजा ने यह महसूस किया की बुध के देश में टेकिन को बंद कर के रखना ठीक नहीं है, तो टेकिन को जंगलों में खुला छोड़ दिया गया पर बाद में राजा को बताया गया कि टेकिन को खुले जंगलों में रहना पसंद नही, तो दोबारा इन्हें जू में सरंक्षित कर दिया गया.

टेकिन उपर से बकरे व् नीचे से गाय जैसा दिखता है, ऐसा दिखाई देने के पीछे  एक कहानी है, और कहानी ये है कि, एक तिब्बती संत व् तांत्रिक जिनका नाम द्रुक्पा कुनली (Drukpa Kunley) था, जिन्हें "द डिवाइन मैडमैन” भी कहा जाता था, उनसे लोगों ने उनके एक धार्मिक व्याख्यान के दौरान एक चमत्कार दिखाने की चुनोती दी.

चुनोती संत ने स्वीकार कर ली और उसने उन्हें दोपेहर के भोजन  में  एक पूरी गाय और बकरा पकाने को कहा, फिर उन्होंने दोनों जानवरों से बने भोजन को खाया और हड्डियों को छोड़ दिया. अब चमत्कार की बारी थी, उन्होंने बकरी के सिर को गाय के कंकाल के साथ जोड़ दिया व् इस नए बने जानवर को जीवित कर दिया, जिसका नाम टेकिन रखा गया.

प्रवेश शुल्क: 300 प्रति व्यक्ति  रूपए

खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

हमारा अगला व्यू पॉइंट यहाँ से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेमोरियल चोरटेन था.

 

 Memorial Chorten, Thimphu Bhutan

मेमोरियल चोर्टेन, जिसे थिम्फू चोर्टेन के नाम से भी जाना जाता है. यह शहर के मुख्य गोल चक्कर के पास स्थित है, इसे देश के तीसरे राजा, महामहिम जिग्मे दोरजी वांगचुक, जिन्हें आधुनिक भूटान का पिता भी कहा जाता है, को सम्मानित करने के लिए 1974 में बनवाया गया था.

इसे भूटान में सबसे अधिक दर्शनीय धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है. चोर्टेन का शाब्दिक अर्थ है 'सीट ऑफ फेथ', यानी आस्था का सिंहासन. इसकी एक विशेष बात यह है की इस स्तूप में दूसरों स्तूपों की तरह मानव अवशेषों को नहीं रखा गया है बल्कि इसमे जिग्मे दोरजी वांगचुक की तस्वीर रखी गई है. जिग्मे दोरजी जब जीवित थे तो वे यहाँ बुद्ध के दिमाग को दिखाने वाला स्तूप बनाना चाहते थे, पर ये हो ना सका.

मेमोरियल चोर्टेन को सफेद रंग से बनाया गया है जिसका शिखर सुनहरे रंग का है. चोर्टेन की भव्य पेंटिंग और मूर्तियों स्तूप को आकर्षक बनाती है. स्थानीय और बोध धर्म के उपासक चोर्टेन की परिक्रमा करते हैं, व् पहियों को घुमाते हैं. इसके चार प्रवेश द्वार हैं, लेकिन पर्यटकों के लिए केवल एक प्रवेश द्वार खुला है.

टिकट : 300 रूपए प्रति व्यक्ति.

 

 

Folk Heritage Museum, Thimphu Bhutan

( National Folk Museum)

यह थिम्फु सिटी सेंटर से पैदल  दूरी पर स्थित है. फोल्क हेरिटेज म्यूजियम को फेल्ची टोनेकिम के नाम से भी जाना जाता है.

इस म्यूजियम की संस्थापक रानी माँ आशी दोरजी वांग्मो वांगचुक थी, उन्होंने इसे 28 July 2001 को बनवाया था. यह एक तीन मजिला इमारत है. पुराने समय में गाँव में बने घरों की तरह इसे मिट्टी व् लकड़ी से बनाया गया है. तीनो मंजिलों पर ग्रामीण घरों में खाना पकाने के लिए उपयोग किए जाने वाले बर्तन, चूल्हे, अंगीठी, जूते, तलवारें, हथियार, पेंटिंग, संगीत वाद्ययंत्र व् अन्य वस्तुएं रखी गई है.                        

परिसर में अलग से बनी छोटी-छोटी हट में Water-Propelled Prayer Wheel, Grinding water Mill इत्यादि के मॉडल प्रदर्शित किये गये हैं.

यहाँ से निकल कर हम लोकल मार्केट चले गये, जहां से थोड़ी बहुत शौपिंग करनी थी.

  

मिस्टर भसीन थिम्पू के एक फाइव स्टार होटल Le Méridien में ठहरे थे, जो की मानसी केहोटल किसा विला से मुश्किल से चार पांच किलोमीटर की दूरी पर था. मानसी शाम को मीटिंग के लिए, पहले से निश्चित समय    ठीक आठ  बजे, मिस्टर भसीन के सामने हाजिर हुई. वे उसे होटल के रेस्टोरेंट में मिले जहां एक और, शक्ल से विदेशी लगने वाला सख्स मोजूद था. इस शख्स की शक्ल से उसकी उम्र का अंदाजा लगा पाना मुश्किल काम था, फिर भी उसकी उम्र चालीस के लपेटे में थी. दोनों के हाथों में वाइन के गिलास थे, भसीन ने मानसी को बेठने का इशारा किया.

“मुझे बताओ, तुम अपनी स्टोरी से देश दुनिया में क्या इन्कलाब लाना चाहती हो” भसीन ने मानसी की और देखते हुए कहा

“आप मजाक कर रहे हैं, सर“ मानसी ने उम्मीद भरी नज़रों से भसीन की और देखा

“शूट” भसीन ने कहा

मानसी उत्साहित हो कर फिर से भसीन को अपनी पुरी स्टोरी बताती है, की कैसे कुछ विकसित देश टीवी शोज और मीडिया का गलत इस्तमाल करके अपने व्यापार को बढावा दे रहे है, और कैसे यह सब भारतीय बाज़ार पर कब्ज़ा करने के लिए एक षड्यंत्र है.

“तुम ऐसा क्यों समझती हो की इस तथाकथित षड्यंत्र समझने वाली तुम इकलोती शख्स हो, और इस समझ का तुम्हारे पास क्या अनुभव है” भसीन ने अपनी पीठ कुर्सी से लगाते हुए सवाल किया

“मैने इस बारे में पुरी खोज बीन की है, सर” मानसी ने दोनों हाथ टेबल पर टिकाते हुए भसीन की और देखा 

“आजकल के पत्रकार पोपुलर होने के लिए शोर्टकट्स का सहारा लेते हैं, और ये भी देखने का कष्ट नही करते की जो सुचना उन्हें मिल रही है वह सही भी है या नहीं“ भसीन

“आप सही हैं सर, ना केवल सही जानकारी देना मेरी नैतिक जिम्मेवारी है ,बल्कि पत्रकारिता में निष्पक्षता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी मुझे बहुत परवाह है, परन्तु मेरी स्टोरी का क्रेडिट मुझे मिले, ये मेरा हक है, और इसी मामले में आपकी फेवर चाहती हूँ”

 “देखो मीडिया चलाना बच्चों का खेल नही, यह एक जिम्मेदारी है,और इस की परिपालना के लिए प्रत्येक मीडिया हाउस की एक पालिसी होती है, उसी पर हाउस चलता है, पालिसी के अनुसार स्टोरी को लाइव करने ना करने का आख़री फेसला एडिटर का होता है” भसीन ने यूं कहा जैसे मानसी ने आज ही चेनेल ज्वाइन किया हो

 “सर, आपके लिए यह एक आसान निर्णय है, परन्तु यह निर्णय मैरे जेसे युवा पत्रकारों के कैरियर पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, आप आर्टिकल को वर्तमान घटनाओं से जोड़ कर देखें, यह देश का सवाल है, और हमारी देश के प्रति कोई जिम्मेवारी है“ मानसी कहां हार मानने वाली थी

“मुझे क्या करना है, क्या नहीं करना है मै अच्छी तरह जानता हूँ, क्योंकि मैने भी अपने केरियेर की शुरुआत एक रिपोर्टर के रूप में की थी, वैसे तुम्हे पोपुलर होने की इतनी जल्दी क्यों है, तुम्हारी तो अभी शुरुआत है” भसीन

“सर मै मीडिया में लोकप्रिय होने नही आई, बल्कि कुच्छ कर गुजरने के लिए आई हूँ”

“लोकप्रियता नही तो पैसा“

“भसीन सर ,पत्रकारिता में पैसे बनाना मेरा प्रमुख उद्देश्य नही, वो मैरे पास पहले से ही है, बल्कि  में उन शक्तिशाली लोगों के काले कारनामे दुनिया के सामने लाना चाहती हूँ, जो पॉवर का दुरूपयोग करके लोगों पर नियंत्रण करना चाहते हैं.”

“ठीक है, मैने सुन लिया, इस बारे में आख़री निर्णय एडिटर ही लेंगे”

 “मुझे आप से ये उम्मीद नही थी“

“धर्य रखो, अब आप जा सकती हैं” भसीन ने मुस्करा कर कहा

“जा रही हूँ सर, पर वो पत्रकार ही क्या जो सच्चाई को वक्त रहते सामने ना लाये, सर आप पत्रकारों को खामोश नही कर सकते” मानसी ने आपा खोते हुए कहा

भसीन ने मानसी को तीखी निगाहों से देखा

“टीवी ने पत्रकारिता को केवल पैसा कमाने का धंधा बना लिया है, वैसे तो मीडिया को लोकतंत्र का चोथा स्तम्भ कहा जाता है, पर अब यह पत्रकारों के हाथ से निकल कर दलालों के कब्जे में आ गया है“ मानसी जोश में लगातार बोले जा रही थी

भसीन उठ कर खड़े हो गये व् मानसी पैर पटकती हुई गेट की और बढ़ गई.

 

वापिस आ कर मानसी  ने सारा किस्सा हम दोनों के सामने बयाँ किया.

“दीदी हालांकि मैने खुद को बहुत शांत रखने की कोशिश की पर कामयाब नही हो पाई और मै आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो गई”

“होता है, ये तुम्हारा नही तुम्हारी उम्र का कसूर है” विनीता ने उसे शान्त्वना दी

“यानी गलत तो मै हूँ”

“बिलकुल गुस्सा, किसी रोग का मरहम नही “

“दीदी, अब मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा है, दोबारा मै इस हरामी भसीन का चेहरा भी नही देखना चाहती”

विनीता ने उठ कर मानसी को गले लगा लिया.