सपने - (भाग-17) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सपने - (भाग-17)

सपने......(भाग-17)

सुबह आस्था कि जब नींद खुली तो सब अपने अपने काम पर चले गए थे......आस्था ने टाइम देखा तो घड़ी 11 बजा रही थी। जल्दी से नहा कर आयी और तब तक सविता
ने सैंडविच और जूस टेबल पर रख दिया....!
सविता तुमने नाश्ता कर लिया? नहीं दीदी बस अब करूँगी, चलो तुम भी ले आओ अपना नाश्ता आज साथ करते हैं.........!
नाश्ता करते करते सविता ने कहा," दीदी आप तो कभी पीती नहीं थी, फिर रात को कैसे पूरी बोटल पी ली"? आस्था को भी याद आ गयी रात की बात और बोली......"मैं बहुत खुश थी न और फिर तुम सब मेरे लिए पार्टी कर रहे थे तो मैंने सोचा मैं भी पी कर देखती हूँ, पर तुम बताओ मैंने कुछ गलत तो नहीं कह दिया न नशे में? या कोई ड्रामा किया हो"? "अरे नहीं दीदी, आप इतना मत सोचो। आपने कुछ नहीं किया.....वैसे भी आदित्य भैया ने मुझे उसी वक्त आपके कपड़े बदल कर सुलाने को कह दिया था".........! सविता की बात से कुछ देर पहले जो उसे चिंता हुई थी, वो गायब हो गयी.....घर पर फोन किया तो मम्मी उसे एक बार मिलने आ जाओ कह रही थी कुछ दिन के लिए तो आस्था ने बोल दिया कि ठीक है, "एक बार नचिकेत सर से बात कर लेती हूँ कि कोई काम न हो, काम नहीं होगा तो मैं आ ही जाऊँगी"......! सोच तो आस्था भी घर जाने को सोच रही थी, पर एक बार नचिकेत को इंफार्म भी करना जरूरी था। उसे फोन करने लगी तो उसे नचिकेत की बात याद आ गयी और गहरी सोच में डूब गयी।" मुझे भी नचिकेत सर अच्छे लगते हैं, पर मुझे उनसे प्यार हो गया है.....इसके लिए तो मुझे ही नहीं पता.....हमेशा अपने सपनो् को पूरा करने के चक्कर में ही उलझी रही तो प्यार मोहब्बत या लव का एहसास क्या होता है समझ नहीं आता......फिर भी नचिकेत ने कहा है तो आराम से सोचूँगी इस बारे में क्या पता यही मि. राइट हो मेरे लिए....पर अभी मैं इस बारे में बिल्कुल नहीं सोच सकती पहले वो करना है जो मैं हमेशा से करना चाहती हूँ, बाकी सब बाद में सोचूँगी"........!! अपने मन की सारी उलझन दूर करके उसने नचिकेत को फोन करके घर जाने के लिए पूछा तो उसने कहा, "अभी एक महीना कम से कम लग जाएगा नेकस्ट नाटक में.........तो उसे 1 हफ्ते पहले बता दिया जाएगा तब तक के लिए वो घर जा सकती है।वो दिन आस्था ने आराम करने में बिताया.....रात को सब वापिस घर आए तो उसने सब को बताया कि कुछ दिन के लिए वो घर जा रही है.......... राजशेखर ने कहा आस्था और तुम सब इस वीकेंड मेरे साथ बैंगलूरू चलो अप्पा का बर्थडे है......65th तो वो सेलिब्रेट करके चली जाना। सबको आइडिया बहुत अच्छा लगा और तैयार भी हो गए फ्राइडे रात को जाकर मंडे मार्निंग आ जाएगें.......नवीन ने मना करना चाहा पर किसी ने उसकी एक भी नहीं सुनी.....राजशेखर ने श्रीकांत को सोफिया को भी ले कर चलने को कहा और बोला, "वो नहीं जाएगी तो तुम उसको मिस करोगे".....! श्रीकांत ने राजशेखर की बात सुन कर तुरंत सोफिया को फोन कर दिया, उसे जब पता चल कि सब जा रहे हैं तो वो भी तैयार हो गयी। आदित्य ने आने जाने की सबकी टिकिटस बुक करवा दी........आदित्य होटल बुक करवाने लगा तो राजशेखर ने मना कर दिया ये कह कर कि हमारे घर रूकना......
नहीं तो अप्पा को अच्छा नहीं लगेगा.....पर उसके लिए आदित्य ने साफ मना कर दिया बोला, "इतने लोगो का उनके घर रहना ठीक नहीं लगता"! सब को आदित्य की ही बात ठीक लगी........वहाँ जाने के लिए जिसने जो शॉपिंग करनी थी कर ली......सोफिया और आस्था का ही सबसे ज्यादा सामान था वो भी सिर्फ दो दिन का प्लान है....यही देख कर आदित्य बोला, "आस्था तुम लड़कियाँ ना जहाँ जाती हो लदफद कर जाती हो, मैचिंग सैंडिल्स से ले कर बिंदी और ज्यूलरी तक"....!
आदित्य ज्यादा मत बोलो, "तुम लोग क्या जानों लडकियों के फैशन"! आस्था ने चिढ कर कहा तो सब हँसने लगे....... सही वक्त पर फ्लाइट ने लैंड किया और वहाँ से टैक्सी ले कर सब होटल चले गए और राजशेखर अपने घर.....सब को सुबह 10 बजे तक तैयार रहना कह कर वो चला गया। होटल आ कर सब फ्रेश हो कर सोने चले गए....डिनर उन्हें फ्लाइट में सर्व हो गया था तो किसी को भूख नहीं थी......सोफिया और आस्था एक कमरे में.......दूसरे कमरे में एक्सट्रा बेड बोल कर तीनो एक कमरे में सो गए.....नवीन के लिए ये नया अनिभव था तो वो थोड़ा सकुचा रहा था.....वैसे भी उसे लग रहा था कि वो रमाता भी नही और ऊपर से फ्लाइट और होटल के खर्चे सब आदित्य कर रहा है......आदित्य ने कभी किसी को खुल कर बताया भी नहीं कि वो किस परिवार से है, ये बस श्रीकांत ही जानता है.....आस्था को भी बस इतना ही पता है कि वो किसी पैसे वाले का बेटा है.....! अगली सुबह राजशेखर ने सबको 7बजे उठाना शुरू कर दिया। ठीक 10 बजे राजशेखर होटल के बाहर था.....सब जल्दी से नीचे आए....राजशेखर कार ले कर आया हुआ था और साथ में बाइक पर एक लड़का भी खडा था जिसे उसने अपना कजिन ब्रदर शिवा कह कर मिलवाया......श्रीकांत शिवा के साथ बाइक पर चला गया और बाकी सब कार में बैठ गए। कुछ देर बाद गाड़ी एक बड़े से घर के आगे रूक गयी। बड़ा सा कोठीनुमा घर और चारो तरफ हरियाली...पेड़ लगे हुए थे.....गेट के अंदर आए तो एक तरफ झूला लगा हुआ था। अंदर आ कर दूसरी साइड एक बहुत ही मजबूत लकड़ी का दरवाजा लगा था, साइड में फूलो और रंगो से रंगोली बनी हुई थी.....बैल बजाने से पहले ही दरवाजा खुल गया,शायद उनकी आवाजें सुन ली होंगी। एक औरत खड़ी थी दरवाजे पर.... सिल्क की सुंदर सी चौडे बार्डर वाली साड़ी, बड़ी सी लाल बिंदी उन्होंने अंदर आने को कहा और एक तरफ हो गयी........जैसे ही अंदर जाने लगे.....वहाँ साइड पर शू रैक रखा था...!सबने वहाँ अपने जूते चप्पल उतारे तो राजशेखर ने एक रैक खोल कर नयी चप्पल निकाल कर रख दी और बोला," सॉरी हमारे यहाँ बाहर की चप्पल घर के अंदर नहीं लाते, आप लोग ये पहन लो"......... "कोई बात नहीं यार हमारे यहाँ भी नहीं पहनते", कह कर श्रीकांत ने चप्पल पहन ली....!! आदित्य के लिए ये थोड़ा अजीब था पर वो ये भी जानता था कि हर परिवार का एक नियम होता है। सब अंदर आ गए........ ड्राइंग रूम की हर चीज काफी सोच समझ कर खरीदी हुई लग रही थी......सुंदर सा सोफा, टेबल , वॉल हैंगिग्स.......पेंटिग्स हर कोना सजा हुआ था। वहीं सोफे की चेयर पर राजशेखर के पापा बैठे थे, जो उन्हें देख कर खड़े हो गए थे और उन्हे बैठने का इशारा कर रहे थे......तभी वो जो आंटी उन्हें गेट पर मिली थी वो आ गयीं और पीछे पीछे उनके साथ एक औरत पानी की ट्रै ले आयी......राजशेखर उस आंटी को देख कर थोड़ा असहज हो गया ऐसा आस्था को महसूस हुआ। मैम ये मेरे फ्रैंडस हैं.....कह कर सबका नाम बता कर चुप हो गया। उसके मुँह से मैम सुन कर सबको बहुत अजीब लगा, पर किसी ने कुछ पूछा नहीं.....वो लेड़ी बोलीं, "आप सबका हमारे घर में स्वागत है....
आप सब चलिए डायनिंग हॉल में चलते हैं, नाश्ता करते करते बाकी बातें करते हैं"......!
सब इन लब में राजशेखर के पापा को जन्मदिन विश करना भूल ही गए थे... !आस्था को याद आया तो उसने सबकी तरफ से उन्हें विश करते हुए अपने पर्स में से एक "विलियम पैंस" का पेन निकाल कर उन्हें पकड़ा दिया....! सब ने बडे़ मजे से साउथ इंडियन खाने का मजा लिया 5 तरीके की अलग अलग चटनी, कई तरीके की इड़लियाँ, उपमा रसम सब कुछ खा कर उन्हें मजा आ गया...। राजशेखर के अप्पा बहुत चुप से लगे थे सबको पर उसकी मैम तो काफी बातूनी लगी.....सब से खूब घुलमिल गयीं। वो बातें ही कर रही थी कि अप्पा ने कहा," मिसेज रेड्डी कॉफी नहीं आया अभी तक"? उनकी बात सुन कर वो बोली, मिस्टर रेड्डी मैं जा कर देखती हूँ, आप चुप मत रहिए बाते कीजिए।
उन दोनो की बात सुन कर सबने राजशेखर की तरफ देखा तो वो मुँह नीचे करके बैठ गया, मिस्टर रेड्डी सबकी शक्ल पर Question Mark देख कर समझ गए कि राजशेखर ने अपने दोस्तो को नहीं बताया, वो बोले, आप सबको नहीं पता होगा शायद ये मेरी दूसरी वाइफ माया हैं...... .!! जी अकंल हम समझ गए, अभी हम चलते हैं अंकल शाम को मिलते हैं......आदित्य ने कहा और सबको उठने का इशारा भी कर दिया। सब
उठ गए तो मिसेज रेड्डी ने कहा कि कॉफी पी कर जाओ...पर सबने टाल दिया। बाहर आए तो पीछे पीछे राजशेखर भी आ गया, वो छोडने जाना चाहता था, पर आदित्य ने मना कर दिया और कोई काम हो तो बता हम कर देंगे......तो उसने कहा कि सब अरैंज हो गया है....मैं सबको होटल छोड़ दूँगा और एक बार पार्टी के अरैंजमेंटस भी देख आऊँगा....वहाँ से पास ही है.....!!

सपने......

सब एक ही कार में एडजस्ट हो गए...... राजशेखर ड्राइव कर रहा था, सबके दिमाग में एक ही बात घूम रही थी....आदित्य से रह नहीं गया और वो बोला, "यार राज एक बात समझ नहीं आयी तूने आँटी को मैम क्यों कहा"? राजशेखर को भी पता था कि ये सब जरूर पूछेंगे सो उसने पूरी बात बताना शुरू किया....." आदित्य मेरी अम्मां की जब डेथ हुई थी तो मैं 8 साल का था.....सबने अप्पा को मेरे लिए दूसरी माँ लाने को कहा पर उन्होंने मना कर दिया और अकेले मुझे पाला। मेरा सारा काम अपनी देखरेख में करवाते थे.....फिर जब कॉलेज था तो माया मैम मेरे अप्पा के ऑफिस में आ गयीं, सुना है वो डिवोर्सी हैं......हमारे घर मुझसे मिलने कई बार आती रहती थीं तो मैं उन्हें हमेशा मैमही कहता था......फिर एक दिन अप्पा ने बताया कि वो और मैम शादी कर रहे हैं......तो मुझे बहुत बुरा लगा पर अप्पा के सामने मैंने कभी कुछ ऐसा नहीं किया कि उन्हें गुस्सा आए क्योंकि वो बहुत Strict रहे हैं मेरे साथ....पर मैं माया मैम को अपनी अम्मां की जगह नहीं दे सकता.....बस यही बात है और कुछ नहीं"!
उसकी बात सुन कर सब चुप हो गए......वो होटल सब को होटल छोड़ने लगा तो श्रीकांत बोला," होटल में हम क्या करेंगे, तुम्हारे साथ चलते हैं और सब अरैंजमेंट्स देख लेंगे".....। सब ने कहा, " यही ठीक रहेगा"......राजशेखर ने जो होटल बुक करवाया गया था, उस और कार मोड़ ली....!
राजशेखर की बातें आस्था को थोड़ा परेशान कर रही थी क्योंकि उसे तो मिसेज रेड्डी में कोई कमी नहीं लगी थी, तो उससे रूका नहीं गया और बोली," राजशेखर तुम्हारी मैम तुम्हें पसंद नहीं करती क्या"? " नहीं आस्था ऐसा तो कुछ नहीं है, बस मैं ही उनके साथ Comfortable फील नहीं करता"....... ! राजशेखर की बात सुन कर आस्था बोली," अगर ऐसा है तो उन्हों मैडम नहीं, आँटी तो कह ही सकते थे और वैसे तुम उन्हें अम्मां की जगह मत दो पर माँ भी बोलते तो उन्हें अच्छा लगेगा शायद...ट्राई करके देखना, पर अगर ना बोल पाओ तो कोई बात नहीं"! नवीन बोला, हाँ मुझे भी ऐसा ही लगता है, उनकी आँखो में काफी प्यार दिखा हम सबके लिए...तुम्हें कोशिश करनी चाहिए"......। आस्था और नवीन की बात सुन कर कोई और कुछ कहता उससे पहले ही कार रूक गयी.......सब कार से निकले और होटल के अंदर चल दिए....। रिसेप्शन पर पूछा तो उसने पहले फ्लोर पर जाने को कहा....एक बड़ा सा हॉल था, जिसमें तैयारियाँ हो रही थी। राजशेखर ने सब अरैंजमेंटस देखे, केक और बाकी चीजों की लिस्ट देख कर चेक कर रहा था.......सब कुछ मिसेज रेड्डी ने फाइनल करके रखा हुआ था। सजावट से ले कर मेन्यू, कलर कांबिनेशन सब कुछ परफेक्ट टेस्ट का था.......सोफिया बोली "कुछ म्यूजिक या एंटरटेनमेंट के लिए क्या रखा है"? मैनेजर ने बताया कि, "म्यूजिक स्लो रहेगा.....मिसेज रेड्डी के इंस्टक्शंस हैं"। आदित्य धीरे से बोला "मतलब सारे बूढे बूढे आने वाले हैं.....हम क्या करेंगे"? पर आस्था ने सुन लिया और उसे चुप होने का इशारा किया......! "हम नवीन की परफार्मेंस रख सकते हैं.....पुराने गााने गाएगा तो पार्टी में मजा आ जाएगा क्या कहते हो सब"? आदित्य ने कहा तो सब नवीन की तरफ देखने लगे......"हाँ मैं गा सकता हूँ, अगर राजशेखर चाहे और इसके अप्पा को बुरा न लगे"!राजशेखर ने कुछ सोचा फिर बोला," हाँ ये अप्पा के लिए सरप्राइज अच्छा रहेगा.....मैं पापा के कुछ फेवरेट साँग्स मैसेज कर देता हूँ, तुम एक बार प्रैक्टिस कर लेना ......वहाँ से राजशेखर सबको एक होटल में ले गया लंच करवाने...
लंच के बाद 7बजे तक सबको फिर इकट्ठा होना था पार्टी के लिए.....तो राजशेखर उन्हें होटल छोड़ घर चला गया.......!! होटल पहुँच कर सोफिया और आस्था अपनी ड्रैसेस के बारे में बाते करने लगी और उधर लड़के पार्टी बोरिंग होगी ये सोच सोच कर उसे कैसे मजेदार बना सकते हैं, इस बात पर विचार कर रहे थे........राजशेखर ने नवीन को अपने अप्पा के फेवरेट गाने बता दिए थे......वो साथ ही गानों को एक बार दुबारा दोहरा रहा था.........जिसके लिए आदित्य और श्रीकांत को चुप हो कर उसकी हेल्प करनी पड़ी....!!आदित्य ने सबको 6 बजे तक तैयार होने को कह दिया था और खुद भी टाइम पर तैयार हो गया...आदित्य ने रिसेप्शन पर पहले ही पाँच लोगो के लिए टैक्सी बुक करने को कह दिया था........ सब को तैयार हो कर निकलते निकलते 6:30 हो ही गए.....!! आस्था ने ब्लैक कलर की ट्रैडशिनल चूडीदार सूट पहनी थी, और सोफिया ने पर्पल कलर का वनपीस
दोनो ही बहुत सुंदर लग रही थी.....आदित्य तो आस्था को देख कर पलक झपकाना ही भूल गया हो जैसे......"क्या हुआ आदित्य, कब से शोर मचा रहे थे देर हो गयी .....अब चलो"! आस्था की बात सुन कर आदित्य जैसे होशो हवास में आया....." आस्था आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो"! आस्था बोली, "हाँ मुझे पता है.....और तुम भी फार्मल्स में हैंडसम लग रहे हो".....अब चलो यार.! सब होटल के हॉल में पहुँचे तो राजशेखर उसके अप्पा और मिसेज रेड्डी सब मेहमानों का वेलकम करने के लिए ही खड़े थे......सबने उन्हें एक बार दोबारा जन्मदिन की बधाई दी!
आदित्य ने अपने कोट के अंदर की जेब से एक गिफ्ट बॉक्स निकाल कर उन्हें ये कह कर दिया, "Uncle a small gift from all of us".....उन्होंने बॉक्स को बड़े प्यार से लिया और साथ ही बोले....."फॉर्मेलिटिज की जरूरत नहीं थी बेटा, आप सब हमारे लिए राजू (राजशेखर) जैसे हो"!......"अंकल तो फिर बच्चे अपने बड़ो के साथ फार्मलेटिज नहीं प्यार से कुछ लाते हैं".....मिस्टर रेड्डी की बात सुन कर हमारी हिरोइन आस्था ने भी एक इमोशनल डॉयलाग बोल कर अप्पा को चुप करा दिया.....! राजशेखर और आदित्य की नजरे बार बार ऐस्था की तरफ उठ रहीं थी। आस्था इस बात से बेखबर हो कर सोफिया से बातें कर रही थी.......बीच बीच में श्रीकांत भी जा कर बैठ जाता तो दोनो लड़कियाऎ इस को भगा देती.......तो उसको वहाऎ सै हटना ही पड़ रहा था.....। धीरे धीरे सब मेहमान इकट्ठा हो रहे थे.....म्यूजिक बिल्कुल धीरे ही बज रहा था.....मिस्टर रेड्डी के 2-3 कॉलेज फ्रैंड, ऑफिस के कलीग्स और एक स्कूल के टाइम का दोस्त सबको बुलाया था माया जी ने.....राजशेखर देख रहा था कि माया जी कितने प्यार से सब को मिल रही हैॆ.....और उसके अप्पा की हर पसंद का ध्यान रखा था उन्होंने....फूलों से ले कर खाने तक हर चीज मेॆ एक क्लॉस नजर आ रही थी।
मि. रेड्डी अपने सभी दोस्तोॆ से राजशेखर को मिलवा रहे थे.......इन्हीॆ सब के बीच एक लड़की की एंट्री हुई जिसे देख कर राजशेखर चहक उठा.....सबका ध्यान इसी तरफ चला गया......राजशेखर लगभग भागता सा इस लड़की के पास गया......"नीलू तुम यहाँ"? वो लड़की बोली,"हाँ राजू माया आंटी ने बताया कि तुम आ रहे हो.....तुम भी आओ तो बस तुमसे मिलने और अंकल को विश करने आ गयी"........! राजशेखर ने एपने सभी दोस्तों से मिलवाया नीलू मतलब नीलांजना जो P.H.D कर रही है.....उसकी स्कूल फ्रैंड है। राजशेखर को सबने इतना खुश बहुत हू कम देखा था.....इसी बीच आदित्य ने एनाउंस करवा दिया कि नवीन एक गाना सुनाने जा रहा है.......सब चुप हो गए और नवीन ने गाना शुरू किया........नवीन ने सबसे पहले तो हैप्पी बर्थडे वाला गाना गाया फिर उसके बाद उसने मि.रेड्डी की पसंद का गाना," खोया खोया चाँद सुनाया" ...... तो वो बहुत खुश हुए और उनके दोस्तों को नवीन की आवाज इतनी पसंद आयी कि एक एक करके कई गानों की 2-4 2-4 लाइने सभी की पसंद की गाानी पड़ी।पार्टी का माहौल ही बदल गया था।
क्रमश:
सीमा बी.
स्वरचित