नगद व्यवहार मानव सिंह राणा सुओम द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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नगद व्यवहार

आज सुबह से राधिका बहुत खुश थी। रक्षाबंधन मनाने वो आज मायके जा रही थी। तभी उसकी ननद आ गई राखी बांधने। मन ही मन कुसमुसा के रह गई राधिका। इनको भी अभी आना था।

बस फिर हंसी ठिठोली के साथ गोपाल को राखी बांधी गई। अब बारी देने की आई। राधिका ने 100 का नोट गोपाल की तरफ देने के लिए बढ़ाया तब तक गोपाल 1100 ₹ निकालकर बैडरूम की तरफ बढ़ा। वो कल ही एक साड़ी और दीदी रितिका के बच्चों के लिए कपड़े लाया था। उसने आकर दिया तो राधिका बिल्कुल जल भुन गई।

ननद के जाने के बाद उसने गोपाल की ठीक से क्लास ली। घर पूरा लुटा दो बहनों पर । वैसी ही बहने है शर्म ही नहीं कि भैया कैसे कमाता है? मैं कहे देती हूँ अब से मेरे से पूछे बिना कुछ भी दिया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

दोपहर को राधिका अपने मायके आई । अब बड़ी खुश थी। तभी भाई बाहर से आ गया। राधिका खुशी से झूम उठी। आओ भैया तुम्हें राखी बांध दूँ। राधिका ने कहा तब तक अंदर से भाभी की आवाज आई तो भैया अंदर चला गया। पीछे -पीछे राधिका गई तो अंदर भाई और भाभी में बहस चल रही थी। अपना नाम सुनकर वो ठिठक कर खड़ी हो गई। भाभी कह रही थी सुनो सारा घर उठा कर देने की जरूरत नहीं । मान तो एक रुपये का होता है। 251 ₹ देकर चलता करो। वैसे भी तुम्हारी बहन को तो शर्म है नहीं। जितना दे दो उतना ही कम लगता है।

राधिका को जैसे सांप सूंघ गया । वो जड़वत हो गई। अपनी जगह पर आकर बैठ गई। भाई आया राखी बांधी। भाई ने बढ़िया से खातिर की लेकिन अब राधिका का मन नहीं लग रहा था।शाम होते -होते अपने घर आ गई राधिका और गोपाल। राधिका को अपनी गलती का अब अहसास हो रहा था। उसे दुनियावी चरित्र समझ आ गया था। कितनी बड़ी गलती हो गयी आज उससे ? अब अपने ऊपर बीती तो सब समझ आ गया. आज के बाद जब भी दीदी आएँगी मैं उनका पूरा स्वागत करूंगी. मैं कभी भी उनके सम्मान में कोई कमी नहीं छोडूंगी.

तुरन्त उसने अपनी ननद को फोन लगाया - " दीदी आप जब आईं तो में मायके जाने की तैयारी में आपसे ढंग से बात भी नहीं कर पाई। आप मुझे मांफ कर देना । कल मैं ओर गोपाल दोनों आपके घर आ रहे हैं। आप से ढेर सारी बात जो करनी है. आप इतना कीमती समय निकाल कर आती हो और हम हैं कि आपको समय नहीं दे पाए. "

" अरी कोई बात नहीं राधिका. मैं सब समझती हूँ. वो आज का दिन ही ऐसा होता है. मायके जाने की जल्दी और इतना सारा काम. चल कोई बात नहीं कल आ ज़ा तब बैठ कर बहुत सारी बात करते हैं. बच्चों को भी लेती आना. " रितिका ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा.

ठीक है दीदी जरूर, मैं बच्चों को जरूर लाऊंगी. अच्छा कल मिलते है. नमस्ते दीदी. "कहकर राधिका ने फोन रख दिया.

आज उसके दिल में बड़ी शांति थी . अब राधिका को नगद व्यवहार समझ आ गया था।