छोटा भाई Shubh Tripathi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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छोटा भाई

पैसे में इतनी ताकत है ना कि अगर तुम्हारे पास नही है तो तुम कुछ नही हो,
वो एक कागज का टुकड़ा कुछ भी करवा सकता है,
ये कहानी एक उस छोटे भाई की है जो समय की चोट को हर कदम हर मोड़ हर रास्ते मे खाता गया और भी बहुत कुछ बर्दाश करता गया,
एक छोटे से परिवार में चार लोग रहते थे ,
माँ , बाप , बड़ा भाई , और वो छोटा, उसके साथ हमेशा से ही कुछ अच्छा नही हो रहा था, उसको हमेश से ही गलत ठहरा दिया जाता चाहे वो सही ही क्यों न हो, और अगर बड़ा भाई है तो वही हमेश सही होगा किसीभी चीज़ में , रही बात बचपन की तो छोटे पर उसको बड़ा भाई कही ले भी नही जाता था,पता नही क्यों ये तो नही पता लेकिन शायद उसकी बेज़ाती होती हो इसलिए जैसा कि वो कभी कभी कह भी देता था, और छोटा भाई हमेश उसके साथ जाने की ज़िद करता था लेकिन बड़ा भाई कभी भी उसको साथ नही ले जाता, छोटे भाई के साथ हमेशा से ही कुछ अच्छा नही होता आ रहा था, वो पढ़ाई में भी बड़े भाई से ज्यादा अच्छा नही था, सुंदरता भी उसकी कुछ खास नही थी, उसके अंदर भी कुछ खास नही था, वही दूसरी तरफ बड़ा भाई हमेशा उसको भला बुरा बोलता रहता था उसको अनपढ़ गवार और भी खराब सब्द से जलील करता रहता था। कई बार जब छोटे ने कुछ बोलने का प्रयाश किया तो उसको ये कह के चुप वा दिया जाता कि तुमसे बड़ा है।
ये सुन के छोटा बहुत ही उदास हो जाता था किसीसे कुछ कह नही पाता था किसीकी सह भी नही पाता था, उसके साथ हमेश ऐसे ही बुरा होता आ रहा था,
फिर बड़ा भाई नौकरी करने लगा अब तो घर वालो को उसपे और ज्यादा गर्व होने लगा अच्छा है होना भी चाहिए घर वालों से इतना त्याग जो किया था, लेकिन इसका बड़े भाई को गलत फायदा नही उठाना चाहिए था वो हमेशा छोटे को जलील कर्म में लगा रहता था, छोटा भाई कई बार तो नज़र अंदाज़ करने लगा लेकिन फिर भी ये सब जारी था।

अब तो छोटा भाई घर वालो के लिए कुछ नही था जबसे बड़ा बेटा कमाने लगा था, बड़े बेटे को घर वाले शुरू से ही ज्यादा समझदार समझते थे, और बहुत ही काबिल समझते थे,
बड़ा भाई जब भी कुछ भी गन्द निकाले छोटे भाई के लिए भला बुरा बोले छोटा भाई भी नाराज़ होके जवाब देदे जैसे ही छोटा भाई जवाब दे तुरंत घर वाले छोटे पे चढ़ जाते और उसको डांटने लगते ये नही समझते कि गलती किसकी है नही लेकिन डांटना शुरू, क्योंकि उनकी नज़रों में बड़ा कभी गलत नही हो सकता ऐसा था, छोटा अपने ही घर मे घुटने लगा चिढ़ने लगा चिड़चिड़ा हो गया अपनी किस्मत को कोसने लगा भगवान को कोसने लगा और सही भी है किसीके साथ इतना बुरा नही हो सकता, वो सब कुछ सहता और रहा सहता गया ,
,जिंदगी उसको हर तरफ से रुला रही थी चाहे घर हो या पढ़ाई हो या कुछ पर्सनल हो या कुछ और भी हो हर तरफ उसके साथ गलत ही हो रहा था,
वो हार मान चुका था अपनी ज़िंदगी से क्योंकि उसे इस बात का दुख था की उसको वही गलत कहो जहां वो गलत है वहां नही जहा वो सही है,
लेकिन उसको हर जगह घर वाले गलत ही बना देते,
वो घुट रहा है आज भी उस घर मे, वो सह रहा है आज भी उस घर मे, समय उसका अभी अच्छा नही आया है, वो वैसे ही रह रहा है उस घर में। मेहनत कर रहा है हर जगह सिर्फ एक अच्छा समय लाने के लिए, वो बहुत मेहनत करता है कामयाब होने के लिए एक दिन सुनेंगे भगवान उसकी उसको विश्वास है।
इसी आस में वो जी रहा है।

अगर आपके पास पैसा है तो आप सबके लिए अच्छे हो और सबकी नजरों के लिए भी, मगर आपका हाल खराब है तो कोई नही है आपका , तो इसलिए मेहनत करते रहो अगर समय ठीक करना है तो मेहनत करते रहो अगर इस लड़के जैसा नही बनना है तो मेहनत करते रहो अगर सबकी नजर में अच्छा बनना है तो। क्योंकि वो कागज के टुकड़े में बहुत ताकत है भाई,बहुत ताकत है।