भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 20 Kishanlal Sharma द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 20

मेरे बड़े कजिन जगदीश जो गणेश ताऊजी के सबसे बड़े बेटे थे।इन्द्र जो ताऊजी कन्हैया लाल के बड़े बेटे थे और मैं हम तीनों का गुट था और हम में अच्छी पटती थी।
मेरे गांव पहुचने के दूसरे दिन मैं, ताऊजी और जगदीश भाई चबूतरे पर बैठे थे।तब ताऊजी मुझ से बोले,"कल जाकर लड़की देख आओ।"
मेरे ताऊजी मास्टर थे।काफी साल पहले वह झर में रहे थे।उस समय झर स्टेशन पर मेरे नाम राशि किशन लाल सहायक स्टेशन मास्टर थे।उनसे ताऊजी की दोस्ती हो गयी।उस समय उनके लड़की का जन्म हुआ था।ताऊजी ने उस लड़की क गोद मे खिलाया था।
वर्षो बाद एक साल पहले एक शादी में ताऊजी की मुलाकात उनसे हुई थी।तब उनहाने ताऊजी से कहा,"कोई लड़का हो तो बेटी के लिए बताना।"
तब ताऊजी ने कहा था,"मेरे भाई का लड़का है।"
और ताऊजी ने उन्हें मेरे बारे में उन्हें बताया था।
"मुझे कही नही जाना।"
मैने जब मना कर दिया तो मेरा कजिन जगदीश बोला,"नही कल चलेंगे।"
और भाई के कहने पर मैं उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गया।
वह खान भांकरी स्टेशन पर उस समय पोस्ट थे।इस स्टेशन का जिक्र मैं पहले भी कर चुका हूँ।यह स्टेशन अब नही है।यह स्टेशन बांदीकुई से दौसा जाते समय दौसा से पहले आता था।उन दिनों दिल्ली और अहमदाबाद के बीच छोटी लाइन थी।बाद में गेज परिवर्तन करके दिल्ली अहमदाबाद खण्ड को बड़ी लाइन बना दिया गया।तब इस स्टेसन को खत्म कर दिया गया था।
यह छोटा स्टेशन था।इस पर सिर्फ पेसञ्जर ट्रेनें ही रुकती थी।गिनी चुनी सवारियां इस स्टेशन से चढ़ती उतरती थी।
मेरा भाई जगदीश बांदीकुई में अपने परिवार के साथ रहता था।वह शाम को बांदीकुई चला गया था।हमने जाने का प्रोग्राम तय कर लिया था।
आगरा से जोधपुर के लिए जो पेसञ्जर ट्रेन चलती थी।वह खान भांकरी स्टेशन पर रुकती थी।यह ट्रेन आगरा से आकर बांदीकुई खड़ी रहती।तीन बजे यहाँ से आगे के लिए रवाना होती थी।
अगले दिन।रेवाड़ी से बांदीकुई के बीच पेसञ्जर ट्रेन चलती थी।यह ट्रेन 1115 बजे बसवा आती और इसी ट्रेन से मुझे बांदीकुई तक जाना था।
ताऊजी ने मुझे एक पत्र या कहे एक कागज पर उनके नाम पत्र दिया था।पत्र में लिखा था
"मैं अपने भतीजे को भेज रहा हूँ।आप लड़की दिखा देना।मैं चाहता हूँ लड़का लड़की पहले एक दूसरे को देख ले।फिर शादी की बात कर लेंगे"
यह एक खुला पत्र था।मैंने वह पत्र जेब मे रख लिया।और मैं निश्चित समय पर स्टेशन के लिए रवाना हो गया।इस ट्रेन से काफी सवारी हमारे स्टेशन पर उतरती है।और बांदीकुई के लिए ही नही जिन यात्रिओ को आगे के लिए मतलब आगरा की तरफ ट्रेन पकड़नी हो।वो भी इस ट्रेन से जाते है।
ट्रेन अक्सर कुछ देरी से ही आती थी।उस दिन भी लेट थी।
मैं प्लेटफार्म पर घूमने लगा।ट्रेन के इन्तजार मे दो चार के झुंड मे जगह जगह बैठकर या खड़े होकर बातें कर रहे थे।
और आखिर मे इन्तजार की घड़ी खत्म हुई थी।तर ट्रेन के आने का संकेत होते ही यात्री सावधान हो गए।ट्रेन आने पर यात्री चढ़ने उतरने लगे थे।मैं भी एक डिब्बे में चढ़ गया था।