सुनंदा---(भाग-8)
सुनंदा को रेहान की शादी का दुख था या रेहान ने उसकी जगह उस लीना को चुना ये बात अब जाकर उसे दुखी कर गयी थी। सुनंदा को अपनी इस तकलीफ से खुद ही डील करना था। सुनंदा ने काफी सोचा इस बारे में और कुछ दिन लगे उसे संभलने में पर सब धीरे धीरे ठीक हो रहा है, ऐसा सुनंदा को लग रहा था। इस बीच उसने अपने दोस्तों और सहेलियों से एक दूरी बना ली। वो रेहान और लीना के बारे में कोई बात सुनने के मूड में नहीं थी।
समर कुछ दिन छुट्टी ले कर घर आया तो सुनंदा ने भी ऑफिस से छुट्टी ले ली। दोनो भाई बहन ने खूब मस्ती की। समर बड़ा हो गया था। वो अपनी दीदी से फ्रैंडली बात कर पा रहा था। सुनंदा को भी अच्छा लग रहा था। समर को रेहान और सुनंदा के बारे में पता था तो उसने रेहान के बारे में सुनंदा से पूछा, "दी रेहान क्या कर रहा है आजकल"?
"वो अपने पापा के साथ काम कर रहा है और उसकी शादी हो गयी है"।सुनंदा ने एक लाइन में ही आगे बात करने के सारे रास्ते बंद कर दिए। समर ने भी हार नहीं मानी," मुझे लगा आप उससे शादी करोगी? आप दोनो एक दूसरे को बहुत पसंद भी करते थे न"?
सुनंदा को पहले समझ नही आया कि वो समर को क्या कहे पर उसने बिना शब्दों को घुमाए सीधा बोलना बेहतर समझा। " हाँ मैं भी यही सोचती थी पर रेहान को मुझसे बैटर लीना लगी"! समर ने सुनंदा की बात सुनकर हँसते हुए बोला," दी आप उस लड़की से कम नही हो उससे ज्यादा इंटेलिजेंट हो यही चीज रेहान को आपसे दूर ले गयी"।
सुनंदा ने इस तरीके से कभी सोचा ही नहीं था। वो तो रेहान के साथ हर चीज शेयर करती आयी थी। फिर चाहे वो नोटस हो या लंच....! स्कूल में भी सुनंदा हमेशा उसे पेपरों से पहले बताती थी कि क्या पहले पढना है क्या बाद में..... वो लोग हमेशा टॉप 5 में ही रहे हमेशा। " तू ऐसा कैसे कह सकता है समर"? सुनंदा ने पूछा तो वो बोला," दी आपने शायद ध्यान नहीं दिया या फिर आपका ध्यान इस बात पर नहीं गया कि रेहान शायद ही कभी आपसे ज्यादा नंबर कभी किसी सब्जेक्ट में लाया हो, इसलिए ही तो उसने आपको दोस्त बना लिया, जिससे वो आपकी हेल्प ले सके"!
समर की बात सुनकर वो भी सोचने पर मजबूर हो गयी! वाकई ऐसा ही तो था। समर तो बहुत छोटा था फिर इसे सब कैसे पता? इसने कब ये नोटिस किया ये सवाल सुनंदा के दिमाग में घूमने लगे।
समर समझ गया कि सुनंदा परेशान हो रही है कि उसे ये सब कैसे पता? वो आगे बोला,"दी मैं आपसे छोटा था, पर आप जो बात घर पर आकर मम्मी पापा को बताती थी वे सुनता था। फिर रेहान का कजन मेरा क्लॉसमेट था। हम लोग एक ही क्लॉस में थे। जब हम कुछ और बडे हुए तो वो भी रेहान की कई बातें बताता रहता था।
हम लोग 12 वीं तक साथ ही रहे हैं,बाद में उसने इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया और मैंने M.B.B.S में। उसी ने एक बार बातों ही बातों में बताया था कि रेहान ने तेरी बहन से दोस्ती इसीलिए की है क्योंकि वो उससे ज्यादा होशियार है तब मुझे लगा कि वो मजाक कर रहा है। फिर मेरी और रोनित की ज्यादा बात तो नहीं हुई पर कुछ दिन पहले ही उसने मुझे बताया," रेहान और आपका ब्रेकअप हो गया है क्योंकि गर्लफ्रैंड तो जीनियस चलेगी पर बीवी उसे अपने से ज्यादा होशियार नहीं चाहिए"।
मैं आपको ये सब नहीं बता पाया और सच तो ये है कि रेहान की शादी के बारे में भी मुझे पता था पर मेरे एग्जाम्स थे तो मैं उस वक्त बात नही कर पाया, पर मैं जानता था दी कि आपको बुरा लगा होगा, इसलिए छुट्टियाँ ले कर आया हूँ , ताकि आपसे आमने सामने बात कर पाऊँ.....मम्मी पापा को भी सब पता है, पर उनको मना किया था इस बारे में बात करने से....... अब इस बात को दिमाग से निकाल दीजिए कि वे लड़की आप से बेहतर है। सच तो ये है कि रेहान को आपकी इंटेलिजेंस से प्रॉब्लम थी।
सुनंदा जो बचपन से रेहान के साथ रही वो ये बात नहीं समझ पायी। कितनी बेवकूफ थी वो जिसे बेस्ट फ्रैंड माना और लाइफ पार्टनर बनाने के सपने देखे थे और उन सपनों के टूटने से वो दुखी थी.....वो रेहान इस तरह की सोच रखता था? एकदम से उसका मन हलका हो गया।
कितने दिनो से ये बोझ था उसके दिल पर की लीना को क्यों चुना? आज वो बोझ उतर गया था वो मुस्कुरा दी," समर थैंक्यू सो मच ये सब बताने के लिए" ,कह कर उसने अपने भाई के गले से लगा लिया।
जो भी दुख था या इगो हर्ट वाली फीलिंग थी वो सब झटके से गायब हो गयी। वो बहुत दिनो बाद खुल कर मुस्कुरा रही थी। समर अपनी बहन के चेहरे को देख कर खुश हो रहा था। समर अगले दिन वापिस चला गया और पीछे अपनी बहन को उसका खोया आत्मविश्वास और हँसी दे गया।
एक बार फिर सुनंदा का खुश देख कर नरेश जी ने भी राहत की सांस ली। कई दिनो से वो सुनंदा में आए बदलाव से परेशान थे पर अब सब ठीक हो गया था। इसी बीच किसी ने सुनंदा के लिए एक रिश्ता बताया। लड़के का परिवार दिल्ली में ही रहता था पर लड़का मुबंई की एक कंपनी में काम कर रहा था वो उस कंपनी का फाइनेंस हेड था। सुनंदा की तरह वो भी C.A था।
लडके के पिता रिटायर्ड जज थे और माँ किसी स्कूल में प्रिंसीपल थी। लड़के का नाम अंबर था और उसका एक छोटा भाई जो एक कपंनी में लीगल एडवाइजर था। नरेश जी और नीता जी के परिवार बहुत अच्छा लगा। अंबर और सुनंदा को एक दूसरे की फोटो दिखा दी। दोनो ने एक दूसरे को पसंद कर लिया तो अंबर को मुबंई से बुलाया गया।
अंबर एक हफ्ते के लिए घर आया। दोनो परिवारों ने पहले अबंर और सुनंदा को एक दो बार अकेले मिलने का सोचा। दोनो परिवार ही जल्दबाजी में कोई डिसीजन लेने के हक में नहीं थे।
दोनो एक दूसरे से मिले और बातों से एक दूसरे के बारे में जानने की कोशिश की। अंबर और सुनंदा दोनो को एक दूसरे में सबकुछ ठीक लगा और उन्होंने "हाँ" कह कर रिश्ते पर मोहर लगा दी। दोनो ही परिवार अंबर और सुनंदा को कुछ शगुन दे कर रिश्ता पक्का करना चाह रहे थे। नरेश जी ने समर को एक दिन के लिए घर आने को कहा।
अगले ही दिन समर पहली फ्लाइट पकड़ घर आ गया। कार्यक्रम दोपहर का रखा गया। घर पर ही एक छोटा सा गेट टूगेदर करके रिश्ता पक्का कर दिया। समर अगले दिन सुबह ही चला गया। दो दिन बाद अंबर भी वापिस चला गया। शादी की डेट 6 महीने के बाद की थी। इस बीच सुनंदा और अंबर को जब टाइम मिलता एक दूसरे से बात कर लेते।
क्रमश: