शिवल्या के चेहरे की लाल सुर्खीयत देखकर विक्रम उससे पूछता है:- हम यहां कैसे आए शिवी? जरूर तुम लेकर अाई हो ना!!
शिवल्या मन ही मन :- क्या फनी ☺️ बात कर रहा है विक्रम। पहले मुझे यहां लेकर आता है फिर शायरी सुनाता है और फिर अब फिल्मी हीरो की तरह मज़ाक कर रहा है। ठीक है अगर वो मज़ाक कर सकता है तो मै क्यों नहीं??
विक्रम चुटकी बजाते हुए:- यार....... क्या खोने का डिपार्टमेंट पूरे वर्ल्ड में तुमने ही लेे रखा है क्या शिवी।
शिवल्या:- नहीं वो तो मै नहीं जानती।। पर fool बनाने का डिपार्टमेंट किसने ले रखा है ये मुझे पता है। चलो अन्दर तो घुस गए अब थोड़ा आगे बढ़कर घंटी भी बजा देते है।
विक्रम:- घंटी!! कहां घंटी।।
शिवल्या:- अरे तुम्हारे सामने ही तो है घंटी। अब मज़ाक मत करो और ये तो तुम कहना मत की तुम्हे ये भी नहीं पता कि ये मंदिर है।
विक्रम:- अरे शिवी। ये मंदिर जैसा दिख रहा है तो मंदिर ही होगा ना किसी का घर थोड़ी ना है।
शिवल्या:- ऑफकोर्स। तुमसे ब्रिलियंट कोई भी नहीं है। तुम्हारी वजह से ही तो हम यहां.....
इससे पहले कि आगे शिवल्या कुछ कह पाती। जोर से हवाएं चलने लगी और पेड़ो के पत्ते सर सर हिलने लगे। मंदिर की घंटी अपने आप बजने लगी। कुछ सुंदर फूल
मंदिर की चौखट पर अा गिरे। शिवल्या उन फूलों में से कुछ फूल चुनने चली गई। उसे वहां सामने ही एक कलश में बेलपत्र भी मिल गया।
दोनों ने अंदर जाकर शिवलिंग को पुष्प और बेलपत्र चढ़ा दिया। और आंखे बंद करके प्राथना करने लगे। बंद आंखो
में भगवान शिव का ध्यान करते हुए शिवल्या ने शिवजी से
वहीं सवाल किया जो वो बचपन से करती अाई थी कि क्यों उसे अजीब आवाज़ और छवियां दिखती है। और क्यों आज वो इस जगह अाई है??
दूसरी तरफ विक्रम प्रे कर रहा था कि शिवी को हमेशा खुशियां मिले।
पर पता नहीं क्यों उस वक्त शिवल्या को ऐसा महसूस
होने लगा जैसे वो लंबे अरसे के बाद आज पहली बार इस मंदिर में अाई है और ना जाने क्यों उसकी आंखो से कुछ आंसू टपक पड़े।
पर विक्रम ने उसके आसुओं को हाथो कि अंजलि बनाकर पकड़ लिया।
और कहने लगा:- हे भगवान शिव। आप मुझ पर इतनी कृपा करे कि मेरे होते हुए मेरी इस सर्वप्रिय मित्र की आंखो से उसके precious diamond crystal अर्थात उसके अश्रु कभी ना गिरे। और वो मुस्कुराती रहे चाहे कितने गम के बादल उस पर बरसे मेरी छतरी हमेशा उसे प्रोटेक्ट करे। हर बुरे खयाल से......
शिवल्या:- हो गई तुम्हारी prayer. तुम्हारी लम्बी लम्बी बाते भगवान शिव कैसे सुनेंगे?? तुम शॉर्ट में क्यों चीज़े समझते नहीं हो और ना ही समझाते हो।
विक्रम:- क्योंंकि मुझे ना कम समय की फिल्म देखना पसंद है ना कम समय की खुशियां और ना कम समय के दोस्त। इसलिए प्रोमिस करो कि तुम हमेशा मेरी दोस्त रहोगी चाहे कुछ भी हो जाए। कहो ना....
इतने में घंटियां फिर बजने लगती है।
पर शिवल्या विक्रम से हाथ मिलाते हुए धीरे से बोलती है:- हां। वो तो मै सात जन्मों तक रहूंगी।
विक्रम:- क्या कहां तुमने शिवी??
शिवल्या चौंकते हुए:- कुछ नहीं वो।
विक्रम:- वो क्या?? मैंने साफ सुना तुम्हारे मुंह से...
शिवल्या:- क्या सुना.????
विक्रम:- यही कि तुम सेवन days तक ही मेरी दोस्त रहोगी। That's not fare. तुम हमेशा मुझे चिढ़ाती क्यों हो??
शिवल्या मन में:- लगता है घंटी की वजह से विक्रम मेरी बात नहीं सुन पाया। क्या भगवान आप भी ना कितने टेस्ट लोगे। पर pass तो मै होकर रहूंगी।
विक्रम:- अब बताओ भी ना!!!
शिवल्या:- वो जोक था विक्स। हमारी दोस्ती हमेशा बनी रहेगी। उस पर किसी की काली नज़र नहीं लगेगी।
विक्रम:- तुमने सही कहा।
दूसरी तरफ समीर फिर वही बाते गुनगुनाता है।
लग चुकी है तुम्हे मेरी नज़र शिविका
अब हर दूसरी नज़र झुकेगी
बस चंद लम्हों का फांसला बचा है
तू आज के दिन फिर पहली बार मुझसे मिलेगी।